बधाई हो! आज हम सबके प्रिय डीडी वन यानी दूरदर्शन का जन्मदिन है By Siddharth Arora 'Sahar' 14 Sep 2021 | एडिट 14 Sep 2021 22:00 IST in फोटो फोटोज़ New Update Follow Us शेयर सिनेमा को टेलीविज़न की घरेलू स्क्रीन तक लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो है हमारा प्रिय भारत सरकार के प्रसार भारती द्वारा संचालित चैनल दूरदर्शन! दूरदर्शन की शुरुआत 1959 में एक छोटे से ट्रांसमीटर और स्टूडियो से हुई थी। वो ऐसा दौर था जब हर घर में टीवी तो दूर रेडियो भी नहीं मिलता था। जिन बड़े घरों और हवेलिओं में टेलीविज़न होते भी थे, वो विदेशों से इम्पोर्ट कराये जाते थे। भारत में तब टेलीविज़न नहीं बनते थे। 15 सितम्बर 1959 को टेलीविज़न के इतिहास में सुनहरा दिन दूरदर्शन की बदौलत तो आया ही था, साथ ही कलकत्ता के निओगी परिवार में पहली बार टेलीविज़न लाया गया था और यह ख़बर उस दौर की सबसे बड़ी ख़बरों में से एक थी। शुरुआती दिनों में दूरदर्शन पर सिर्फ हफ्ते में एक बार दो घंटे के लिए टेलीकास्ट होता था। धीरे-धीरे दूरदर्शन के समाचारों और धारावाहिकों ने दर्शकों का ऐसा दिल जीत लिया कि हमने वो दौर भी देखा है जब पूरे मोहल्ले के एक घर में टीवी होता था और पूरा मोहल्ला उसी घर में, पलंग पर, दरी पर, परछत्ती आदि जहाँ जगह मिले वहाँ पर बैठकर टीवी देखा करता था। इन धारावाहिकों में यूँ तो सन 70 के बाद सारे ही पॉपुलर हुए थे लेकिन भीड़ जुटाने में चित्रहार, डॉक्टर रामानंद सागर जी की रामायण, बीआर चोपड़ा जी की महाभारत, रमेश सिप्पी जी का सीरियल बुनियाद, आर के नायारण के मालगुडी डेज़ और हम लोग आदि ख़ासे मशहूर रहे थे। फिर धीरे-धीरे केबल टीवी का टाइम आया और दूरदर्शन पर एक फिल्म को तीन दिन में (बाईस्कोप में एक फिल्म सोमवार, मंगलवार और बुद्धवार को तीन दिन में पूरी दिखाई जाती थी) फिल्म देखने वाले धीरे-धीरे दूरदर्शन को भूलते चले गये। लेकिन ये हाल सिर्फ शहरों में हुआ, भारत के गाँव-ग्राम में आज भी सरकारी योजनाओं व सूचनाओं के लिए दूरदर्शन से अच्छा विश्वसनीय साधन कोई नहीं है। आज दूरदर्शन का जन्मदिन है, आइए शाम को कुछ देर ही सही, बीती यादों को ताज़ा करते हुए कुछ देर दूरदर्शन देखा जाए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article