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Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

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By Siddharth Arora 'Sahar'
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Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

पूर्व और पश्चिम, ईस्ट और वेस्ट, दो बिल्कुल अलग सभ्यताएं और दो बिल्कुल अलग फिल्म इंडस्ट्री। इन अलग-अलग फिल्म इंडस्ट्रीज़ में यूं तो ज़्यादातर किस्से बड़े-बड़े हीरोज़ के ही होते हैं। फिर वो हॉलिवुड के रॉबर्ट डि नेरो हों या क्लिन्ट इस्टवुड, या फिर देव आनंद साहब हों या राज कपूर। गोल्डन एरा में हीरोज़ की वाहवाही थी। एक्टर्स पूरी फिल्म के बजट का एक अहम हिस्सा अपनी फीस के तौर पर लिया करते थे। लेकिन यूएस में Elizabeth Taylor और भारत में मधुबाला, दो ऐसी अभिनेत्रियाँ थीं जो न फीस में कोई कॉम्परोमाइज़ करती थीं और न ही उन्हें देने से कोई प्रोड्यूसर मना करता था। वजह? -                                                                                         Siddharth Arora Sahar

Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

वजह थी उनकी बेपनाह खूबसूरती। मधुबाला के बारे में तो अपने बहुत कुछ पढ़ा है, बहुत कुछ सुना है लेकिन आज मैं आपको हॉलिवुड की क्लिऑपेट्रा के नाम से मशहूर Elizabeth Taylor के बारे में बताता हूँ। Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

Elizabeth Taylor सन 1932, लंदन में पैदा हुई थीं और वो बचपन से ही इतनी सुंदर थीं कि शो बिजनेस के अलावा और कोई दुनिया उनके लिए बनी ही नहीं थी। लेकिन, सन 39 का लंदन आज जैसा नहीं था। तब वहाँ वॉर का खतरा मंडरा रहा था। सिर्फ इसीलिए एलिज़ाबेथ के पिताजी जो खुद अमेरिकन ही थे, उन्होंने एलिज़ाबेथ और उसके भाई को उनके नाना के यहाँ भेज दिया। फिर कुछ ही समय में खुद भी अपनी आर्ट गैलरी लेकर अमेरिका शिफ्ट हो गए।

अब यहाँ से एलिज़ाबेथ की माँ सारा को लगा कि क्यों न वह एलिज़ाबेथ से फिल्मों में ऑडिशन करवाएं। आखिर लगता भी क्यों न, एलिज़ाबेथ के पास अपनी किस्म की अनोखी आँखें थीं। उनकी आँखें यूं तो नीली थीं पर रौशनी पड़ने पर उनकी आँखों का रिफ्लेक्शन वॉइलेट हो जाता था। उनकी आँखों की खासियत ने ही उन्हें एक नहीं, बल्कि दो दो बड़े फिल्मी बैनर से फिल्मों के ऑफर दिए। जिनमें एक यूनवर्सल पिक्चर्स था और दूसरा एमजीएम। इन दोनों में, सारा ने अपनी बेटी के लिए यूनवर्सल पिक्चर्स को चुना और इसी दौरान सन 41 में उनकी पहली फिल्म आई जिसमें उनका छोटा सा रोल था। लेकिन इसके बाद ही यूनवर्सल वालों ने एलिज़ाबेथ को ये कहकर रिजेक्ट कर दिया कि इस लड़की में कोई खास बात नहीं है और इसकी आँखें बच्चों जैसी नहीं बल्कि किसी बूढ़े जैसी दिखती हैं।

इस बात से Elizabeth Taylor और उनकी माँ दोनों ही निराश तो हुए पर उन्होंने उम्मीद न छोड़ी। फिर उनके पिता की जान-पहचान के बाद एलिज़ाबेथ ने एक बार फिर एमजीएम फिल्म्स में ऑडिशन दिया और अबकी उन्हें ऐसी फिल्म के लियक चुना गया जो शायद उन्हीं का इंतज़ार कर रही थी।

ये बात सन 42 की है जब एमजीएम ने दो छोटी-मोटी फिल्मों के बाद एलिज़ाबेथ के संग सात साल का कान्ट्रैक्ट कर लिया था लेकिन वो पिछले पाँच साल से, यानी सन 37 से एक ऐसी अभिनेत्री ढूंढ रहे थे जो ब्रिटिश ऐक्सेन्ट में बात कर सके और जो घुड़सवारी जानती हो। इत्तेफाक़ से उन्हें अब Elizabeth Taylor मिल चुकी थीं पर एलिज़ा उस रोल के लिए उस समय तक छोटी थीं। उनकी हाइट कम थी। तब वह 10 साल की थीं। लेकिन एमजीएम ने एलिज़ाबेथ के बड़े होने का इंतज़ार किया और इस बीच एलिज़ाबेथ ने घुड़सवारी सीख ली। इस फिल्म की थीम ही यही थी कि एक लड़की है जो घुड़सवार बनना चाहती है। Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

इस फिल्म का नाम नैशनल वेलवेट था और ये फिल्म 1944 में यानी दो साल बाद रिलीज हुई थी। लेकिन ये फिल्म इतनी बड़ी हिट साबित हुई थी कि एलिज़ाबेथ को एक चाइल्ड आर्टिस्ट के नाते हर कोई लेना चाहता था। Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

फिर एलिज़ाबेथ का कान्ट्रैक्ट खत्म हुआ, 50 का दशक आया, उन्होंने 18 साल की उम्र में एक बहुत बड़े बिजनेस मैन से शादी की जो एक साल भी न चल सकी। इसके अगले ही साल उन्होंने फिर एक एक्टर से शादी की और बदकिस्मती से ये शादी भी पाँच साल में ही दम तोड़ गई। इस बीच वो एक से बढ़कर एक फिल्में करती गईं और यहाँ वहाँ कोन्टरोवर्सी के द्वारा, अपने आए दिन होते अफेयर्स की वजह से भी मीडिया में बनी रहीं। 1957 में उन्होंने, अपने तलाक के ठीक बाद तीसरी शादी की। ये शादी बहुत जाने माने प्रोड्यूसर माइक टॉड से हुई, जो अराउड द वर्ल्ड इन 80 डेज जैसी बेहतरीन फिल्म के निर्माता थे। लेकिन ये शादी भी साल भर से ज़्यादा नहीं चल सकी।

Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

न न, इस बार एलिज़ाबेथ ने तलाक नहीं दिया बल्कि माइक ये दुनिया छोड़कर चले गए। अब सन 59 में एलिज़ा अपनी दोस्त डेबी रेनोल्ड्स के साथ थीं कि उनकी नज़र उनके पति एडी फिशर पर पड़ी और दोनों की ऐसी निगाह मिली कि फिशर ने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया और एलिज़ाबेथ से शादी कर ली।

ये एलिज़ाबेथ की चौथी शादी थी। फिशर और एलिज़ाबेथ की अच्छी निभ रही थी कि उन्हें मिस्र की सबसे खूबसूरत रानी, वहाँ की आखिरी सम्राट क्लिऑपेट्रा का रोल ऑफर हुआ। ये उस जमाने की सबसे महंगी फिल्म थी। सन 1917 से इस फिल्म की रूप रेखा तैयार की जा रही थी और सन 58 में इस का बजट 3 मिलियन से 5 मिलियन तय किया गया था। पाँच मिलियन डॉलर्स, मतलब समझते हैं आप? आज के 350 करोड़ रुपए। जबकि उस वक़्त हॉलिवुड में भी फिल्में चार से पाँच लाख डॉलर्स में बन जाती थीं। लेकिन, फॉक्स स्टूडियोज़ इसे एपिक फिल्म बनाना चाहते थे। सब कुछ अरिजनल रखना चाहते थे। Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

इस एक फिल्म के लिए सन साठ में एलिज़ाबेथ ने 10 लाख डॉलर्स यानी आज के 7 करोड़ रुपए चार्ज किए थे। एलिज़ाबेथ इस फिल्म के साथ सबसे ज़्यादा, बल्कि अपनी बाकी अभिनेत्रियों से दुगना पैसा लेने वाली अभिनेत्री बन गई थीं। लेकिन ये फिल्म भी उन्हीं की वजह से डिले हो गई थी क्योंकि वो बीमार पड़ गई थीं।

16 हफ्ते तक शूटिंग रोकनी पड़ी थी जिसका खर्च 7 मिलियन डॉलर आया था, जो पूरी फिल्म के बजट से बीस लाख डॉलर ज़्यादा था।

फिर रानी क्लिऑपेट्रा का सिर्फ एक सीन शूट करने में लाखों डॉलर्स खर्च हो गए थे। मात्र एक ड्रेस 6 मिलियन डॉलर की बनी थी और इसी फिल्म के दौरान, हमारी रानी को एक बार फिर इश्क हो गया था। इस बार फिल्म के हीरो रेचर्ड बर्टन जो खुद भी शादीशुदा थे और एलिज़ाबेथ तो आधा दर्जन पूरा करने की कगार पर थीं, आपस में प्यार में पड़ गए और इस बात का मीडिया में इतना हल्ला मचा, इतनी नेगेटिव पब्लिसिटी हुई कि दोनों ने फिल्म रिलीज के तुरंत बाद ही शादी भी कर ली। यह फिल्म सन 63 में 31 मिलियन के बजट के बाद रिलीज हुई थी और इसके प्रमोशन में ही 13 मिलियन डॉलर खर्च हो गए थे जो उस दौर की किसी भी फिल्म के बजट से दस गुना ज़्यादा था।

अब सोचिए, उसी दौर में ज़रा आगे पीछे होइए तो आप याद करेंगे कि उसी समय सन 60 में के आसिफ ने 15 साल लगाने के बाद मुग़ल-ए-आज़म नामक फिल्म रिलीज की थी जो उस दौर में बॉलीवुड की सबसे महंगी फिल्म थी। वहीं उस फिल्म ने कमाई भी जम के की थी। उसमें भी मधुबाला और दिलीप कुमार के प्रेम प्रसंग की खबरें फैली थीं।Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

लेकिन क्लिऑपेट्रा की रिलीज के बाद इसे बहुत बुराई सुनने को मिली थी। खुद Elizabeth Taylor ने इस फिल्म को बेतुकी और वलगर करार दिया था। इसके पीछे भी एक वजह है, यह फिल्म टोटल 6 घंटे की बनी थी जिसे जबरन काटकर 3 घंटे का किया था। इसके चलते कहानी की आत्मा मर गई थी। इस फिल्म को प्रोड्यूस करने में 20 सेन्चरी फॉक्स के कपड़े उतर गए थे। उनके स्टूडियो बंद हो गए थे लेकिन दुनिया भर से इस फिल्म को इतना पसंद किया गया था कि उनकी, आर्टिस्टस की, सबकी शिकायते दूर हो गई थीं। पूरी दुनिया से इस फिल्म ने लगभग 60 मिलियन डॉलर्स का बिजनेस किया था और उस दौर की सबसे ज़्यादा पैसे कमाने वाली फिल्म भी हो गई थी। वहीं इस फिल्म के पूरी दुनिया में दस करोड़ के आसपास टिकेट्स सेल हुए थे, जो उस समय का रेकॉर्ड था।

इस फिल्म और एलिज़ाबेथ के नाम एक रेकॉर्ड और है, इस फिल्म में उन्होंने 65 कॉस्टयूम बदले थे जिसके चलते उन्हें गिनीज़ बुक और वर्ल्ड रेकॉर्ड में जगह दी गई थी।

फिर रिचर्ड बर्टन ही ऐसे अकेले पति थे जिनके साथ उन्होंने 10 साल तक शादीशुदा जीवन बिताया था। लेकिन फिर सन 74 में उनका तलाक हुआ और सन 75 में Elizabeth Taylor ने फिर रिचर्ड से ही शादी कर ली। जिस पति को तलाक दिया उसी से फिर शादी करने वाली भी शायद वो अकेली ऐक्ट्रिस ही होंगी। वर्ना फिर एक साल बाद उसी पति को तलाक देने का रेकॉर्ड तो उन्हें यकीनन मिला होगा। जी हाँ, सन 75 में शादी करने के बाद फिर एलिज़ाबेथ ने उन्हें सं 76 में छोड़ दिया। ये उनकी टेक्नीकली छठी शादी थी लेकिन पति अभी तक पाँच ही हुए थे। उन्होंने आधा दर्जन पति बनाने का रेकॉर्ड जॉन वॉर्नर से सन 76 में ही शादी करके बनाया। जॉन लॉयर भी थे और पालिटिशन भी। इस दौरान शादियाँ करने के अलावा उनका फिल्मी ग्राफ तो नीचे जाता रहा पर वह उतना ही बढ़ चढ़कर दान करती रहीं। एलिज़ाबेथ एचआईवी एड्स के लिए जागरुकता फैलाने में सबसे आगे रहीं।

पर एलिज़ाबेथ जितनी सुंदर थीं उनकी सेहत उतनी ही नाजुक रही। फिल्म क्लिऑपेट्रा की शूटिंग रुकवाने का अहम कारण उनके निमोनिया से ग्रस्त होना था जिससे वो मरते-मरते बची थीं। फिर उन्हें स्कोलीओसिस था। ये एक प्रकार की टर्म है जिसमें जन्म से ही रीढ़ की हड्डी कुछ टेढ़ी, अग्रेज़ी के एस या सी शब्द के जैसी शेप में होती है। इसके चलते अपनी पहली कामयाब फिल्म नैशनल वेलवेट की शूटिंग के दौरान घुड़सवारी के वक़्त उन्हें चोट लगी थी जो बहुत सालों बाद सामने आई। उस चोट के चलते एलिज़ाबेथ को बोन डोनेशन के सहारे सर्जरी करानी पड़ी।

उनकी सनेटेर जॉन वॉर्नर से भी ज़्यादा दिन नहीं बनी और सन 82 में उनकी सातवीं शादी भी टूट गई। इसके बाद वो बहुत स्मोक करने लगीं, हद से ज़्यादा शराब पीने लगीं। बहुत मोटी हो गईं। फिर उनका निमोनिया वापस आ गया जिसके चलते खुद को अस्पताल में एडमित करने वाली वो पहली ऐक्ट्रिस बनीं। यहाँ एक कन्स्ट्रक्शन इंजीनियर से उन्हें 60 साल की उम्र में प्यार हो गया और माइकल जैक्सन के आईलेंड पर दोनों ने शादी कर ली। लेकिन उनकी सेहत दिनों दिन घटती रही। इसी दौरान उन्होंने हिप सर्जरी भी करवाई। सन 96 में, शादी के पाँच साल बाद लैरी से भी उन्होंने तलाक ले लिया और कहीं भी आना जाना पूरी तरह बंद कर दिया। Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

इसके बाद वो तभी खबरों में आती थीं जब उनको हॉस्पिटल जाना होता था। जो अक्सर होता रहता था। उनकी निमोनिया की दिक्कतें बढ़ती जा रही थीं। फिर सन 2000 के समय उन्हें स्किन कैंसर हो गया। लेकिन कीमो थेरेपी से वो उससे भी पार हो गईं तो 2004 में उनका कंजेसटिव हार्ट फेल हो गया। वो पेसमेकर पर आ गई। बीमारियाँ यहाँ भी न थमी और छः हफ्ते तक हॉस्पिटल में रहने के बाद, 2011 23 मार्च को उन्होंने शरीर छोड़ दिया।

बाकी रह गई तो अंत तक उनकी दरियादिली, मरते-मरते भी अपनी डोनैशन बंद नहीं की। उन्होंने एड्स पीड़ितों की बहुत मदद की। समलेंगिकता पर जागरुकता फैलाने वाली वो पहली सेलिब्रिटी थीं जिनका बहुत मज़ाक बना लेकिन वो न झुकी और बाद में अमेरिकन प्रेसीडेंट बिल क्लिंटन तक ने उनके जाने के बाद कहा कि एलिज़ाबेथ ने जो लेगेसी छोड़ी है वो दुनिया में कभी भूले से न भुलाई जायेगी।Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

उस खूबसूरत अप्सरा, उस क्लिऑपेट्रा की बातें याद करो तो उनका बच्चों की तरह चहककर ये कहना याद आता है कि “नैशनल वेलवेट मेरी लाइफ की बेस्ट फिल्म थी। वेलवेट ब्राउन जैसा कैरेक्टर प्ले करना मेरा सौभाग्य था”

Elizabeth Taylor की सिर्फ आँखें ही नहीं, उनका दिल भी करोड़ों में एक था

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