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मूवी रिव्यु: बाप बेटी का अनोखा आधुनिक रिश्ता 'Jawaani Jaaneman'

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By Mayapuri Desk
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मूवी रिव्यु: बाप बेटी का अनोखा आधुनिक रिश्ता 'Jawaani Jaaneman'

नितिन कक्कड द्धारा निर्देशित फिल्म ‘Jawaani Jaaneman’ में रिश्तों का आधुनिक रूप दर्शाया है लेकिन विदेशी सर जमीन पर। बाप बेटी के रिश्तों पर बनी ये अनोखी फिल्म मॉड्रन होते हुये भी बेहद जज़्बाती है ।

कहानी

अधेड़ जसविंदर सिंह उर्फ जॅज (सैफ अली खान) एक अलमस्त क्लब लड़कियां शराब और मौज मस्ती की लाइफ अकेले जिन्दगी जीने वाला ऐसा इंसान है जो अपनी लाइफ जीने के लिये अपने मां बाप और भाई भाई से अकेला रहता है। एक दिन उसकी लाइफ में एक इक्क्सि वर्षीय लड़की टिया (आलाया फर्नीचरवाला) आती है जो अपने आपको उसकी बेटी होने का दावा करती हैं बाद में उसका दावा सच साबित हो जाता है इसी के साथ एक बात और साबित होती है कि वो प्रग्नेंट है। पले तो जॅज टिया से दूर भागता है लेकिन बाद में वो अपने आप ही उसकी तरफ खिंचता चला जाता है और एक दिन वो अलग रह रही टिया को अपने घर ले आता है। इस बीच टिया अपनी दादी अपने दादा और ताया (कुमुद मिश्रा) से भी मिलती है। उसकी प्रेग्नेंसी नजदीक आने से पहले उसकी मां तब्बू और उसका ब्वायफ्रेंड आ जाते हैं और वे टिया को अपने साथ ले जाना चाहते हैं लेकिन अब चूंकि जॅज को परिवार के साथ रहने का सुखद एहसास होने लगा है लिहाजा वो अब अपनी बेटी के बिना नहीं रह सकता।

अवलोकन

नितिन कक्कड़ इससे पहले फिल्मीस्तान व मित्रों जैसी फिल्में दे चुके हैं। इस बार उन्होंने Jawaani Jaaneman फिल्म के रूप में नई आधुनिक लेकिन अनोखा कथानक चुना है। जिसमें किरदार बिना कोई भूमिका में बांधे फौरन अपनी बात पर आ जाते हैं और उसे कह जाते हैं। एक ऐसा इंसान जो अपनी जिन्दगी को अकेले पूरी मस्ती के साथ जीना चाहता है, उसके जीवन में उसकी बेटी आती है और बिना किसी लाग लपेट के उस पर अपना बाप होने का मय सुबूत दावा पेश करती है और बाप भी बिना चूंचपड़ के वो रिश्ता स्वीकार कर लेता है उसके साथ बंधने से इंकार कर देता है। बेटी भी उसकी बात मान लेती है। इस प्रकार के रिश्ते देखने की आदत न होते हुये दर्शक दिलचस्पी के साथ किरदारों को देखता है। पहले भाग में कहानी सरपट भागती नजर आती है, लेकिन दूसरे भाग में कुछ और किरदार आ जाने से फिल्म और दिलचस्प हो जाती है। फिल्म का कथा पटकथा दिलचस्प लेकिन म्यूजिक डल रहा।

अभिनय

बिंदास अल्हड़ और मॉड्रन किरदारों में सैफ अली खान के अलावा शायद ही कोई दूसरा एक्टर इतना फिट बैठता हो। एक रासरंग रसिया अधेड़ इंसान की भूमिका को सैफ ने बेहद शानदार ढंग से जीया है। अपनी पहली फिल्म में ही अलाया एफ. ने जिस अत्मविश्वास के साथ एक जटिल भूमिका को सहजता से निभाया है वो उसके उज्जल भविष्य की बेखूबी भविष्यवाणी करता है। तब्बू को बेहद कम दिया गया स्पेस खलता है उसकी भूमिका को और सार दिया जा सकता था। सहयोगी भूमिकाओं में फरीदा जलाल, चंकी पांडे और कुमुद मिश्रा बढ़िया रहे।

क्यों देखें

बाप बेटी के अनोखे लेकिन आधुनिक रिश्ते पर आधारित अनोखी फिल्म।

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