एक अरसा पहले आई संजीव कुमार, विद्या सिन्हा तथा रंजीता को लेकर बी आर चोपड़ा की फिल्म ‘ पति पत्नि और वो आई थी, वो फिल्म आज भी लोगों को याद है। अब उसी टाइटल के साथ करीब चालीस साल बाद निर्देशक मुदस्सर अजीज अपनी हास्य फिल्म लेकर आये हैं। जिसमें आज के किरदारों को हास्य के तहत उन्होंने बड़ी शाइस्तगी से पिरोया है।
कहानी
अभिनव त्यागी उर्फ चिंटू त्यागी (कार्तिक आर्यन) एक पढा लिखा कुशाग्र बुद्धि वाला लड़का है, जो कानपुर के पी डब्ल्यू डी डिपार्टमेंट में अफसर है। उसकी शादी एक अति वाचाल और बिंदास लड़की वेदिका (भूमि पेंडनेकर) से हो जाती है। दोनों की लाइफ में एक वक्त एकसरता आ जाती है, लिहाजा एक जैसी लाइफ से चिंटू बौर होने लगता है। उसी दौरान उसका सामना एक बेहद खूबसूरत और मॉड्रन लड़की तपस्या सिंह (अनन्या पांडे) से होता है जो दिल्ली से आकर कानपुर में एक बुटिक खोलना चाहती है, इसके लिये वो प्लाट तलाश कर रही है। चिंटू उसकी मदद करते हुये, अपनी बीवी का अफेयर बता उसकी हमदर्दी हासिल करने में कामयाब हो जाता है। यहां उसका दोस्त और कुलीग फहीम रिजवी( आपारशक्ति खुराना) उसका राजदार है लेकिन वो चिंटू के तपस्या के साथ बढ़ते संबन्धों को लेकर चिंतित है। लिहाजा वो उसे शादीशुदा जिन्दगी और दुनियादारी के बारे में बताते हुये सावधान करना चाहता है लेकिन उससे पहले वेदिका के सामने चिंटू के अफेयर की पोल खुल जाती है। इसके बाद कहानी में संबन्धों को लेकर कितनी ही पेचीदगियां पैदा हो जाती है। बाद में सब कुछ कैसे ठीक हो पाता है, इसके लिये फिल्म देखना जरूरी है।
अवलोकन
निर्देशक मुदस्सर ने जो शुरूआत से कॉमेडी का डोज देना शुरू किया बाद में वो सिलसिला क्लाईमेक्स तक चलता रहा। मुदस्सर के डायरेक्शन की यही खासियत है कि वे आम कहानी में भी हास्य पैदा कर दिखाते हैं। मघ्यातंर तक कहानी बेशक आगे नहीं बढ़ पाती बावजूद इसके दर्शक फिल्म के वन लाइनर संवादों पर ठहाके लगाता रहता है। दूसरे भाग में कहानी आगे बढ़ती है लेकिन सीरियस दृश्यों में भी हास्य बना रहता है। फिल्म की खासियत ये है कि अगर फिल्म के द्धारा कुछ कहा भी गया है तो वो संजीदगी से नहीं बल्कि मुस्काते और ठहाके लगवाते कहा गया है। फिल्म की कितनी ही खासियतें हैं जैसे परफेक्ट कास्टिंग,कसी हुई पटकथा, चुस्त व चुटिले संवाद आदि । म्यूजिक की बात की जाये तो रिमिक्स अंखियों से गोली मारे गीत खूब पॉपुलर हो रहा है।
अभिनय
फिल्म के नायक कार्तिक आर्यन की बात की जाये तो यहां वो अपनी भूमिका में पूरी तरह घूसे हुये दिखाई देते हैं। दरअसल यहां उनकी प्रसनेलिटी का भी काफी दखल रहा। लिहाजा छोटे शहर के मेधावी छात्र, इसके बाद महकमें में आफिसर होते हुये उनका मासूमियत के साथ तपस्या के सामने अटक अटक कर बोलना, उनकी भूमिका का असरदार हिस्सा बन गया। चिंटू के रोल में आर्यन ने चेहरे के अलावा अपनी बॉडी से भी अभिनय किया है। वेदिका की भूमिका में भूमि पेंडनेकर ने अभिनय के विभिन्न रंग दर्शायें हैं। वो फिल्म दर फिल्म अपने आपको एक परिपक्व अभिनेत्री के तौर पर स्थापित करती जा रही है। फिल्म का सरप्राइज किरदार है आधुनिक लड़की के रोल में अनन्या पांडे। अपनी दूसरी ही फिल्म में उसने इस कदर सहजता और आत्मविश्वास के साथ अपने किरदार को निभाया है कि हैरानी होती है। बेशक उसका भविश्य उज्जवल है। अपारशक्ति खुराना की बात की जाये तो सहयोगी भूमिका में ये अदाकार हमेशा कमाल करता आया है। यहां आर्यन के कुलीग और दोस्त के किरदार में सबसे ज्यादा वन लाइनर उसी के हिस्से में आये लिहाजा दर्शकों को सबसे ज्यादा हंसाने में वो ही कामयाब रहा। नीरज सूद भी अपने हिस्से में आये दृष्यों को हास्यप्रद बनाने में कामयाब रहे लेकिन राजेश शर्मा के को ज्यादा स्पेस नहीं मिल पाया। सनी सिंह का कॅमियो अच्छा रहा।
पति पत्नि और वो क्यों देखें
पारिवारिक हास्य फिल्मों के शौकीन दर्शक फिल्म को कतई मिस न करें।
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