रेटिंग**
कहते हैं हर फिल्म की अपनी किस्मत होती है। इसीलिये किसी फिल्म में न जाने क्यों तरह तरह की दुश्वारियां पैदा हो जाती है। जैसे रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म ‘ शिमला मिर्ची’ जिसमें न जाने क्यों रूकावटे आती रहीं और इस तरह फिल्म करीब पांच साल लेट हो गई। हल्के फुल्के हास्य को लेकर शुरू हुई इस फिल्म पर वक्त की मार साफ साफ दिखाई देती है।
कहानी
अविनाश यानि राजकुमार राव एक शर्मिला लड़का है। जो शिमला घूमने जाता है। वहां उसे वहां की लोकल लड़की नैना यानि रकुल प्रीत दिखाई देती है जिसे देखते ही वो उसे प्यार करने लगता है वो उसके सामने अपने प्यार का इजहार करना चाहता है लेकिन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण नहीं कर पाता, लिहाजा वो वहां एक रेस्ट्रारेंट में काम करने लगता है। एक दिन वो हिम्मत जुटाकर नैना को खत लिखता है लेकिन वो खत नैना की तलाकशुदा मां रूक्मणी यानि हेमा मालिनी को मिल जाता है। गलत फहमी के तहत रूक्मणी खत मिलते ही अपने आप को तैयार करना शुरू कर देती है। इसके बाद क्या होता है ये फिल्म में देखना बेहतर होगा।
अवलोकन
जैसा कि बताया गया कि फिल्म को रिलीज होने तक पांच साल का सफर तय करना पड़ा। फिल्म पर लंबे समय का असर साफ दिखाई देता है। फिल्म अपने पहले भाग से ही खिंची नजर आने लगती हैं लिहाजा पहले से ही उसका कमजोर पक्ष नजर आने लगता है। फिल्म के अंत का दर्शकों को पहले से ही एहसास हो जाता है।
अभिनय
राजकुमार राव अपने रोमांटिक रोल में अच्छे रहे। उसी प्रकार रकुल प्रीत ने भी अपनी भूमिका के साथ न्याय किया,लेकिन हेमा मालिनी की अपनी भूमिका के तहत कॉमेडी देखने लायक है। शक्ति कपूर दर्शकों को हंसाने की जबरदस्ती कोशिश करते नजर आते हैं।
क्यों देखें
हल्के फुल्के हास्य के लिये फिल्म देखी जा सकती है।
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