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एक थी रानी एक था रावण जब बात इज़्ज़त पर आती है, तो हर नारी बन सकती है झाँसी की रानी

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By Mayapuri Desk
एक थी रानी एक था रावण जब बात इज़्ज़त पर आती है, तो हर नारी बन सकती है झाँसी की रानी
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भारत में महिलाओं का पीछा करना, उन्हें परेशान करना और राह चलते उनसे छेड़छाड़ करना बहुत ही आम समस्या है। लेकिन क्या एक आम समस्या समझकर इस मुद्दे पर बात न करना या कोई प्रतिक्रिया न देना सही है ? बिल्कुल नहीं, बल्कि इस मामले में चुप रहना भी उतना ही तकलीफ़देह है, जितना कि महिलाओं से जुड़ी किसी और समस्या से जूझना, क्योंकि महिलाओं को इसमें भी उसी मानसिक त्रासदी से जूझना पड़ता है, उसी डर से गुज़रना पड़ता है।

अपनी फ़िलॉसोफ़ी 'भुला दे डर, कुछ अलग कर' की राह पर चलते हुए स्टार भारत एक ऐसा शो प्रस्तुत करते हैं, जो भारतीय समाज की पारंपरिक सोच को चुनौती देते हुए, महिलाओं का पीछा करने जैसे अपराधों को सही मायने में समाज के सामने लाता है और समाज को महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलने के लिए प्रेरित करता है।

जहाँ पहले औरतों को ऐसे मामलों में चुप्पी साधने की सलाह दी जाती थी, वहीं आज उन्हें इसका डटकर सामना करने की हिम्मत दी जाती है। महिलाएँ ख़ुद आज इतनी सक्षम हैं, कि चुप रहकर डरते रहने की बजाय, मुश्किल का सामना करने की हिम्मत दिखाती हैं। स्टार भारत ने इसी आम समस्या को बहुत ही ख़ास तरीक़े से दर्शकों के सामने रखने की कोशिश की है अपने नए शो 'एक थी रानी एक एक था रावण' के माध्यम से।

ये कहानी है झाँसी में रहने वाली रानी की।   रानी एक बिखरे हुए परिवार की लड़की है, जो पढ़ना चाहती है, जीवन में कुछ बनना चाहती है। वो घर से बाहर तो निकलती है, लेकिन एक डर के साथ। वो डरती है 27 वर्षीय रिवाज से, जो उस पर हर पल नज़र रखता है, जो न उसका दोस्त है, न ही प्यार, बल्कि उसका पीछा करने वाला एक शख़्स है। इसी डर से रानी अपने घर से बाहर निकलने में भी घबराती है। लेकिन जब बात इज़्ज़त की आई तो आज की झाँसी वाली रानी भी रानी लक्ष्मीबाई की तरह ही इस सामाजिक बुराई के ख़िलाफ़ डटकर खड़ी हो गई।

महिलाओं का पीछा करने जैसे अपराध पर अब तक बहुत ही कम प्रकाश डाला गया है। यहाँ तक कि महिलाओं को ही कहा जाता है, कि उन्हें इससे बचकर रहना चाहिए, अपनी इज़्ज़त अपने हाथ, अपना रास्ता बदलो या ऐसे रहो कि कोई उँगली न उठा पाए। यहाँ आज भी महिलाओं को ही ऐसी बातों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, बजाय इसके कि ऐसी मुश्किलों में उनका साथ दें। ये शो   समाज की इस सोच का विरोध करता है और महिलाओं को ऐसी समस्याओं से बाहर निकलने की हिम्मत देता है।
इस शो के विषय में स्टार भारत के प्रवक्ता का कहना है, ' स्टार भारत के सभी शोज़ को दर्शकों ने दिल से सराहा है। हमें उनका बहुत प्यार मिला है। हमारा लगातार यही प्रयास रहा है, कि हम ऐसी कहानियाँ बनाएँ, जो हमारे देश की वास्तविकता को सही मायने में प्रस्तुत कर पाएँ। हम इस साल की शुरुआत कर रहे हैं, ऐसी ही एक कहानी 'एक थी रानी एक था रावण' से, जो महिला सशक्ति पर आधारित है, जहाँ एक औरत अपनी शक्ति को पहचानकर, दुर्गा रूप में अपने डर का डटकर सामना करती है। 2019 को यादगार बनाने के लिए  हम ला रहे हैं अलग-अलग कहानी'

पनोरमा एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित इस शो में रानी की मुख्य भूमिका में हैं 'मनुल चुडासमा' और रिवाज की भूमिका में हैं 'राम यशवर्धन'। इस शो के प्रमोशन को जानदार बनाने के लिए दमदार अभिनेता और गायिका इला अरुण जी की मोहक आवाज़ में गीत रिकॉर्ड किया गया है।  छोटे पर्दे के कई अन्य कलाकार जैसे - संजीव सेठ, वैष्णवी राव, अश्विन कौशल, ऋत्विका डे आदि भी इस शो में विभिन्न भूमिकाओं में हैं।

 बनिए रानी के इस सफ़र का हिस्सा, देखिए 'एक थी रानी एक था रावण', 21 जनवरी 2019 से रात 8 बजे, सिर्फ़ स्टार भारत पर

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