दीपावली के उल्लासपूर्ण वातावरण में भूलभुलैया 3 दर्शकों का दिल चुराने और उनके शानदार मनोरंजन के लिए रेडी है. ऐसे में जाहिर तौर पर फिल्म के सुपरस्टार निर्देशक अनीस बज़्मी बहुत व्यस्त हैं और उन्हे दिवाली इंटरव्यू के लिए घेरना लगभग नामुमकिन था. लेकिन मैंने मायापुरी के साथ उनके और उनके पिताश्री के पुराने रिश्ते का हवाले से आखिर उन्हे इंटरव्यू के लिए घेर ही लिया. प्रस्तुत है अनीस बज़्मी के साथ दीपावली के उपलक्ष्य में एक मजेदार बातचीत
आपके लिए दिवाली क्या अर्थ रखता है?
अनीस : जैसा कि हम सब जानते हैं, दिवाली रोशनी और खुशी का त्योहार है. यह हमारे जीवन में एक सकारात्मक ऊर्जा लाता है जो हमारे दिलों को खुशी और भविष्य के लिए आशा से भर देता है.
आप दिवाली मनाते हैं?
अनीस : हमारे घर में सभी त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है, चाहे वह ईद हो दिवाली हो होली हो क्रिसमस हो या न्यू ईयर हो. दिवाली पर हम अपने घर को सजाकर, परिवार के साथ समय बिताकर और मिठाइयाँ बाँटकर जश्न मनाते हैं . दीपावली एकजुटता और कृतज्ञता का समय है.
दिवाली से जुड़ी आपकी बचपन की यादें क्या हैं?
अनीस : मेरे बचपन की दीवाली उत्साह से भरी होती थी. दिवाली पर पटाखे फोड़ना किस बच्चे को अच्छा नहीं लगता बताइए? बचपन में हमें अपने घर आंगन को दीये से सजाना और दोस्तों के साथ खूब पटाखे फोड़ना बहुत अच्छा लगता था . वे क्षण सचमुच विशेष थे. उन दिनों पटाखों से रंगों और ध्वनियों का जो दृश्य उभरता था वो हम बच्चों को बहुत ही रोमांचक और जादुई लगता था था. हालाँकि बचपन में यह मज़ेदार था, लेकिन अब मैं पटाखें नहीं फोड़ता. काम की व्यस्तता और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी होने से अब हमारी दिवाली सिर्फ प्यार मुहब्बत, मिठाइयाँ, रोशनी और दोस्तों, नाते रिश्तेदारों से गले मिलने का सुंदर पर्व बन गया है.
तो कैसे मानते हैं आप आज की दिवाली?
अनीस: जैसे सब मनाते हैं, दीये जलाना, घर की स्त्रियाँ रंगोली बनाती है और पारिवारिक समारोहों का आनंद लेती है. यह सब प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना आनंद को बढ़ावा देते हैं.
दिवाली पर आप और क्या क्या करते हैं?
अनीस: हम दिवाली के पारंपरिक व्यंजन घर पर तैयार करते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और एक दूसरे से बचपन की दीवाली अनुभव की कहानियाँ साझा करते हैं. यह हमारे बंधनों को मजबूत करने का एक सुंदर तरीका है.
आपके अनुसार दिवाली उत्सव के दौरान कम्युनिटी क्या भूमिका निभाता है?
अनीस: हर मुकाम पर कम्यूनिटी आवश्यक है. हम जश्न मनाने, खुशियाँ साझा करने और एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए एक साथ आते हैं. यह उत्सव की भावना को बढ़ाता है.
क्या दिवाली के दौरान आप कोई विशेष परंपरा का पालन करते हैं?
अनीस: दिवाली पर हमारे दोस्तों और कलीग्स के घर लक्ष्मी पूजा होती है. हम उनके घर जातें है और पूजा में शामिल होते हैं. ये परंपराएँ गहराई से अर्थपूर्ण हैं.
दिवाली के व्यावसायीकरण के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
अनीस: हालांकि कुछ व्यावसायीकरण अपरिहार्य है लेकिन त्योहार का सार बरकरार रहना चाहिए. इस बारे में ज्यादा ना सोचकर हमें प्रेम और एकजुटता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
आपकी पसंदीदा दिवाली डिश क्या है?
अनीस: मुझे तो भई सब मिठाइयां पसंद है. भूल भुलैया 3 की आधी से ज्यादा शूटिंग कोलकाता में हुई थी. तो वहां की सभी मिठाइयां मैंने चखी है और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि मुझे बंगाली मिठाईयां बहुत पसंद है. रसगुल्ला, गुलाब जामुन, संदेश, रसमलाई, बलुशाही, मिष्टी दोई और बर्फी जैसी पारंपरिक मिठाइयाँ मुझे बहुत बहुत पसंद हैं. वैसे बचपन से ही मैंने हर प्रदेश की मिठाई खाई है, गुजरात की, उत्तर प्रदेश की और महाराष्ट्र की. सभी मुझे अच्छी लगती है. वे मुझे मेरे बचपन के उत्सवों की याद दिलाते हैं.
क्या इस दिवाली के लिए आपकी कोई विशेष शुभकामनाएं हैं?
अनीस: मेरी कामना, सब को खुशियां मिले, मेरी कामना शांति, समृद्धि, और प्रदूषण मुक्त वातावरण की है ताकि आने वाली पीढ़ियां इस खूबसूरत त्योहार का आनंद उठा सकें.
हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि दिवाली सभी के लिए एक खुशी का अवसर बनी रहे?
अनीस: सोच-समझकर जश्न मनाकर—पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को चुनकर और परिवार के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देकर. दिवाली रोशनी, आशा और पारिवारिक एकता के विषयों को शामिल करके मेरी फिल्म निर्माण शैली को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है. दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का त्योहार का सार मेरी कहानियों में गहराई से गूंजता है, जो अक्सर उत्थानकारी कहानी की ओर ले जाता है जो खुशी और एकजुटता को दर्शाता है. बचपन की दीपावली के आनंद के साथ बड़े होते हुए, दिवाली रंगीन उत्सवों और भावनात्मक संबंधों का मिसाल का समय बन गया, जिसे मैं अपनी फिल्मों में कैद करने का प्रयास करता हूं. जबकि मुझे बचपन में पटाखे फोड़ने में मजा आता था, अब मैं पटाखों के बजाय इसकी सांस्कृतिक समृद्धि और मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना पसंद करता हूं. यह बदलाव सिनेमा में एक व्यापक प्रवृत्ति को दर्शाता है, जहां फिल्म निर्माता समाज और पर्यावरण पर अपने प्रभाव के प्रति सचेत हो रहे हैं. दिवाली रोशनी और खुशी का त्योहार है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह एक सकारात्मक ऊर्जा लाता है जो हमारे दिलों को खुशी और आशा से भर देता है. मैं अपने घर को सजाकर, परिवार के साथ समय बिताकर और मिठाइयाँ बाँटकर जश्न मनाता हूँ.
दिवाली के बारे में आप युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं?
अनीस: प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान के साथ दिवाली की भावना को अपनाएं. अपने पर्यावरण से समझौता किए बिना उत्सव का आनंद लें. यह हमारे बंधनों को मजबूत करने का एक सुंदर तरीका है. आज भी, मैं हर दीवाली की यादों को संजोकर रखता हूं और अपने समारोहों में उस जादू को फिर से बनाने की कोशिश करता हूं. दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं बल्कि जीवन, आशा और नई शुरुआत का उत्सव है, जो इसे मेरे लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनाता है.
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