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फिल्म जगत की खूबसूरत और प्रतिभाशाली एक्ट्रेस खुशाली कुमार (Khushali Kumar) किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है. उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर में आर माधवन, संजय दत्त और रवीना टंडन जैसे बड़े कलाकारों के साथ काम किया है. संगीत घराने से निकलकर खुशाली ने संगीत को न चुनकर एक्टिंग को अपनी करियर के रूप में चुना है, जो उनके लिए एक स्वाभाविक कदम था. एक संगीत घराने से ताल्लुक रखने के बावजूद, जहां संगीत और कला की महत्ता है, खुशाली ने फिल्मों में अभिनय के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई. हाल ही में खुशाली कुमार ने ‘मायापुरी’ को एक इंटरव्यू दिया. अपने इस इंटरव्यू में खुशाली ने फिल्मों में निभाए गए अपने अलग-अलग किरदारों, अपने को- स्टार के साथ अनुभव, फैशन इंडस्ट्री और अपने एक्टिंग करियर सहित कई मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने पिता गुलशन कुमार जी और ‘मायापुरी मैगजीन’ के साथ अपनी खूबसूरत यादें भी साझा की. क्या कुछ कहा उन्होंने, आइये जानते हैं.
आपके परिवार की बात करें तो सभी म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं, फिर आपने एक अलग प्रोफेशन क्यों चुना? और क्या इसमें आपको किसी मुश्किल का सामना करना पड़ा?
हाँ, मेरे घर में सब म्यूजिक इंडस्ट्री से जुड़े हैं, लेकिन एक्टिंग का शौक मुझे पापा से आया. पापा मुंबई यही सपना लेकर आए थे कि वो एक दिन एक्टर बनेंगे. अब मैं उनके उस सपने को पूरा करना चाहती हूँ, इतनी मेहनत करना चाहती हूँ कि उन्हें मुझपर गर्व हो. बचपन में मैंने एक फिल्म में वैष्णो माँ का रोल भी प्ले किया था, और तब ही से एक्टिंग ही मेरा पैशन रहा है. मेरी सबसे फेवरेट मेमोरी है जब मैं पहली बार पापा के साथ “दिल है कि मानता नहीं” के सेट पर गयी थी, वहां जितने भी एक्टर्स को देखा, पूरी फिल्ममेकिंग का प्रोसेस बहुत एक्साइटिंग था.
आपने अपने करियर की शुरुआत आर.माधवन के साथ फिल्म ‘धोखा: राउंड डी कॉर्नर’ से की. उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?, और इस फिल्म को करने से पहले क्या आप नर्वस थीं?
किसी भी एक्टर के लिए यह सौभाग्य की बात है कि उनको इतने एक्सपीरियंस्ड एक्टर्स के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करने का मौका मिला. आर. माधवन ‘इज अ वेरी स्वीट, वार्म एंड फ्रेंडली को स्टार’, उन्होंने मुझे किसी भी तरह न्यू कमर होने का फील नहीं करवाया. इन फैक्ट आई वांट टू शेयर अ वेरी स्वीट मेमोरी, मेरा जो पहला टेक था वह एक गाने का शूट था “तू बनके हवा”, उसमें ही इज कैरिंग मी एंड गेटिंग मी इनसाइड द हाउस एंड उसपर उन्होंने बोला कि सिमिलरली ही इज कैरिंग मी एंड गेटिंग मी इनटू बॉलीवुड एंड विशड मी लक फॉर माय डेब्यू. इट वाज अ वेरी स्वीट मोमेंट. उसके बाद मेरी सेकंड फिल्म ‘डेढ़ बीघा जमीन’ में प्रतीक गांधी के ऑपोजिट काम करना भी एक बहुत एनरिचिंग जर्नी रही. ऐसे टैलेंटेड एक्टर्स के साथ काम करना एक फिल्म स्कूल जैसा होता है – और मैं बहुत फॉर्चुनेट फील करती हूँ कि मुझे यह ऑपर्च्युनिटीज मिली.
आपने 2024 में आई फिल्म ‘घुड़चढ़ी’ में संजय दत्त और रवीना टंडन जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया है. आपका उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? और उनसे आपको क्या सीखने को मिला?
‘घुड़चढ़ी’ फिल्म में संजय दत्त सर और रवीना टंडन मैम के साथ काम करके एक ड्रीम पूरा हुआ. बचपन से रवीना मैम की फिल्म्स के गाने देखकर बड़ी हुई, तो उनकी बेटी प्ले करना और संजय सर के साथ स्क्रीन शेयर करना बहुत नॉस्टैल्जिक था. संजू बाबा से मैंने अपनी ‘जादू की झप्पी’ भी ली, यह सब फैन मोमेंट्स थे जो सेट पर जीने को मिले. ओवरऑल, यह एक्सपीरियंस मेरे लिए सिर्फ प्रोफेशनल नहीं बल्कि पर्सनल लेवल पर भी बहुत खास रहा.
आपने अपनी फिल्म ‘स्टारफिश’ में एक स्कूबा डाइवर का रोल प्ले किया. इस दौरान पानी के अंदर के सीन्स शूट करना कितना चैलेंजिंग था? क्या आपने इसकी ट्रेनिंग ली थी?
‘स्टारफिश’ में एक स्कूबा डाइवर का रोल प्ले करना फिजिकली और मेंटली दोनों तरह से चैलेंजिंग था. अंडरवॉटर सीन्स के लिए मैंने प्रॉपर स्कूबा डाइविंग की ट्रेनिंग ली, क्योंकि हम माइनस टेंपरेचर्स में माल्टा जैसे लोकेशन्स पर शूट कर रहे थे. ‘तारा’ का कैरेक्टर बहुत इंटेंस था, जो ट्रॉमैटिक एक्सपीरियंसेस से गुजरा है. इस तरह के रोल को निभाना और इतनी हार्श कंडीशंस में परफॉर्म करना चैलेंजिंग था, लेकिन जब रिजल्ट देखा तो सारी मेहनत वर्थ इट लगी. यह जर्नी फुल ऑफ चैलेंजेस थी, लेकिन इक्वली एनरिचिंग भी. आई एम आल्सो अ वाटर बेबी सो आई एंजॉयड अंडरवॉटर शूटिंग.
आपने ‘मैनु इश्क दा लगया रोग’, ‘धोखा: राउंड डी कॉर्नर’, ‘याद पुरानी’ जैसे कई म्यूजिक वीडियोज़ में काम किया है. फिल्म्स और म्यूजिक वीडियोज़ में काम करने में क्या फर्क है?
म्यूजिक वीडियोज़ और फिल्म्स का कंपैरिजन पॉसिबल नहीं है. म्यूजिक वीडियोज़ एक शॉर्ट फॉर्मेट होते हैं, जो इंस्टेंट इम्पैक्ट देते हैं, जबकि फिल्म्स में कैरेक्टर डेवलपमेंट और स्टोरी को डिटेल में एक्सप्लोर करने का मौका मिलता है. दोनों ही अपने यूनिक फॉर्मेट्स हैं, और उनका अपना चार्म है. फिल्म्स में कहानी को पूरा अनफोल्ड करना और कैरेक्टर जीना एक अलग ही एक्सपीरियंस है.
आपने दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन किया है. आप इंटरनेशनल आर्टिस्ट जैसे शकीरा, लीएन राइम्स और जस्टिन बीबर के लिए भी आउटफिट्स डिजाइन कर चुकी हैं. अब आपका प्लान क्या है – फैशन इंडस्ट्री या एक्टिंग?
फैशन डिजाइनिंग मैंने इसलिए की क्योंकि वह मेरी मम्मी का सपना था, लेकिन मेरा सपना हमेशा से एक्टिंग रहा है. बचपन से मुझे एक्टर बनना था, लेकिन फैमिली ट्रेजेडीज की वजह से मम्मी ने कभी कैमरा के सामने आने नहीं दिया. उनको मनाना बहुत टाइम लगा, मगर जब उन्होंने मेरी पहली फिल्म ‘धोखा: राउंड डी कॉर्नर’ देखी, तो वह इतनी खुश हुई कि अब वह मेरे सपने को सपोर्ट करती हैं. अब मैं एक अभिनेत्री के तौर पर ही आगे बढ़ना चाहती हूँ, ताकि अपने सपने को पूरा कर सकूँ.
आपने ‘रात कमाल है’ म्यूजिक वीडियो में गुरु रंधावा के साथ काम किया. उनके साथ काम करने का कैसा एक्सपीरियंस था? क्या आप उनके साथ फ्यूचर में और भी काम करना चाहती हैं?
‘रात कमाल है’ में गुरु रंधावा के साथ काम करके मुझे बहुत मजा आया. वो सुपर टैलेंटेड और डाउन-टू-अर्थ इंसान हैं. अगर फ्यूचर में फिर से ऑपर्च्युनिटी मिली तो डेफिनेटली व्हाई नॉट?
आपके पिता गुलशन कुमार जी एक सम्मानित व्यक्ति थे. जब भी भजनों का जिक्र होता है, उनका नाम सबसे पहले आता है. एक बेटी के रूप में आपकी उनके साथ सबसे यादगार यादें क्या हैं?
पापा से जुड़ी हर मेमोरी मेरे लिए बहुत स्पेशल है. बचपन में उनके साथ सेट्स पे जाना, उनके पैशन फॉर आर्ट देखना – यह सब मेरी सबसे चेरिश्ड मेमोरीज हैं. आज भी जब भी, लोग आकर पापा के बारे में बताते हैं कि उन्होंने कैसे उनकी जिंदगी को छुआ. यह सब सुनकर मुझे प्राउड फील होता है कि मैं उनकी बेटी हूँ. पापा ने जो लेगेसी छोड़ी है, वह मुझे हर दिन इंस्पायर करती है.
आप अपने पिता की किन बातों का अपने जीवन में पालन करती हैं?
पापा हमेशा कहते थे कि जो भी काम करो, दिल से करो. और किसी की मदद करना कभी मत छोड़ो. यह बात मैं अपनी लाइफ में फॉलो करती हूँ. उनकी सिंप्लिसिटी और सिंसेरिटी मेरी स्ट्रेंथ है.
सोशल मीडिया पर आपके 5 मिलियन फॉलोअर्स हैं. एक सोशल मीडिया स्टार होना आपके लिए क्या मायने रखता है?
सोशल मीडिया पर 5 मिलियन फॉलोअर्स होना ऑनेस्टली मुझे बहुत ख़ुशी देता है क्योंकि फिल्म्स में हम हमेशा किसी और कैरेक्टर को पोर्ट्रे करते हैं, लेकिन सोशल मीडिया एक ऐसा मीडियम है जहाँ मैं अपना रियल सेल्फ दिखा सकती हूँ. इतना प्यार मिलना सिर्फ एक ब्लेसिंग ही नहीं, बल्कि एक रिस्पांसिबिलिटी भी फील होती है. इट मोटिवेट्स मी एज एन एक्टर कि मैं उन सब के एक्सपेक्टेशंस पर खरी उतरूँ—उन्हें अच्छी स्टोरीज और स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर्स के थ्रू कनेक्ट कर पाऊँ.
आप भविष्य में किस एक्टर या डायरेक्टर के साथ काम करना चाहती हैं?
आई वुड लव टू वर्क विथ डायरेक्टर्स लाइक श्रीराम राघवन, संजय लीला भंसाली सर एंड ज़ोया अख्तर मैम. उनकी स्टोरीटेलिंग और उनका विजन मुझे हमेशा इंस्पायर करता है. एज एन एक्टर, रणबीर कपूर जैसे परफॉर्मर्स के ऑपोजिट काम करना डेफिनेटली एक ड्रीम है.
आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स क्या हैं? हमें कुछ बताएं.
अभी कुछ प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में हैं—एक रियल-लाइफ स्टोरी पर बेस्ड है और कुछ थ्रिलर्स भी लाइन्ड अप हैं. फिलहाल मैं ज्यादा डिटेल्स नहीं शेयर कर सकती, बट अनाउंसमेंट्स कमिंग वेरी सून. मैं दर्शकों के सामने अलग-अलग किरदारों के साथ खुद को पेश करने के लिए बहुत उत्साहित हूँ.
आपकी ‘मायापुरी’ मैगजीन के साथ कोई यादें या ऐसा किस्सा जिससे आपको प्रेरणा मिली हो?
मेरी ज़िन्दगी में ‘मायापुरी’ मैगजीन बहुत नॉस्टैल्जिक पार्ट रही है. जब मैं छोटी थी तब से मैगजीन में अपने फेवरेट स्टार्स को देखना एक एक्साइटमेंट था. आज खुद इस फीचर का पार्ट बनना फील्स वेरी फुल-सर्कल. इट मेक्स मी फील रियली ग्रेटफुल.
आप हमारे मायापुरी रीडर्स के लिए क्या मैसेज देना चाहती हैं?
मायापुरी रीडर्स के लिए बस यही कहना चाहूंगी—अपने ड्रीम्स पर कभी डाउट मत करो. हर फेज का एक पर्पस होता है, और जब तक आप खुद पर बिलीव करते हो, तब तक कुछ भी पॉसिबल है. हर ओर प्यार और सकारात्मक फैलाए.
‘मायापुरी’ की तरफ से हम खुशाली कुमार को उनके आने वाले भविष्य के लिए ढेरों शुभकामनाएं देते हैं.
By PRIYANKA YADAV