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Jaat Cast Exclusive Interview To Mayapuri: जल्द ही भारतीय सिनेमा के दमदार अभिनेता सनी देओल (Sunny Deol) रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) और विनीत कुमार सिंह (Vineet Kumar Singh) के साथ अपनी नयी फिल्म ‘जाट’ (Jaat) में नज़र आने वाले हैं. इस फिल्म के ज़रिये सनी एक बार फिर अपने ‘एंगरी यंगमैन’ वाले किरदार से सबको रुबरु कराएँगे, तो वहीँ रणदीप एक फिर विलेन बनकर हीरो को चुनौती देते दिखेंगे. इसके अलावा ‘छावा’ में अपनी जबरदस्त एक्टिंग से लोगों का दिल जीतने वाले विनीत इसमें नेगेटिव किरदार निभाते दिखाई देंगे. हाल ही में मायापुरी (Mayapuri ) मैगजीन की पत्रकार शिल्पा पाटिल ने ‘जाट’ (Jaat) की स्टारकास्ट सनी देओल, रणदीप हुड्डा और विनीत कुमार सिंह से मुलाक़ात की. इस दौरान शिल्पा ने फिल्म से जुड़े कई सवाल पूछे, क्या कुछ कहा सभी ने, आइये इस इंटरव्यू में जानते हैं.
‘जाट’ (Jaat) के ट्रेलर को देखकर, हम सभी को आपके किरदार और काम से बहुत उम्मीदें हैं. इस बार ‘जाट’ में आपके रोल से उनकी उम्मीदें कितनी और बढ़ गई हैं?
सनी देओल- दर्शक जिस उम्मीद से आयेंगे हम उनकी यह उम्मीद पूरी करने की कोशिश करेंगे. मैं फिल्मों को कभी प्रेशर लेकर नहीं करता क्योंकि मुझे लगता है कि प्रेशर में काम करने से कम बेहतर नहीं होता है. मैंने यह फिल्म इसलिए की क्योंकि मुझे इसकी स्क्रिप्ट पसंद आई. साथ ही जिस तरह से ट्रेलर को रिस्पोंस मिला है, हमें पूरा यकीन है कि लोगों को यह फिल्म ज़रूर पसंद आएगी.
रणदीप हुड्डा- यह बहुत ही मास एंटरटेनर फिल्म है. इसके साथ ही इसकी कहानी भी बहुत मनोरंजक है. इस फिल्म से जुड़े लोग निर्माता- निर्देशक सभी ने बहुत मेहनत की है. बाकी सनी पाजी जिस फिल्म से जुड़ जाते हैं वह अपने आप में ख़ास हो जाती है और इस फिल्म में तो सनी पाजी का हाथ ढाई किलो से बढ़कर 5 किलो हो गया है.
विनीत कुमार सिंह- उम्मीद करना अच्छी बात है और जब आपसे कोई उम्मीद करता है तो वो बहुत ही बड़ी बात है. हमारे घर में भी वही पर्सन नोटिस होता है जो काम करता है. मैंने इस फिल्म में एक एक्टर के तौर पर अच्छा काम किया है. फिल्म के बनने के बाद मैं कह सकता हूँ ये बढ़िया फिल्म बन गयी है, जो लोगों का हर स्तर पर मनोरंजन करेगी.
आपकी फिल्म में एक संवाद है “इस ढाई किलो के हाथ की ताकत पूरा नॉर्थ देख चुका है अब साउथ की बारी है.” फिल्म में इसे लाने के बारे में कैसे सोचा गया? इसके पीछे क्या कहानी है?
सनी देओल- मेरा ये संवाद अब एक कहानी बन चुका है. जब मुझे यह सीक्वेंस मिला और मुझे इसे इस तरह से करना था, तो मैंने समझा कि इस डायलॉग का इस समय क्या महत्व है. इसलिए मैंने इसे करने का निर्णय लिया. जैसा कि आपने ट्रेलर में देखा, यह अच्छा लग रहा है.
हम ‘जाट’ में ‘रणतुंगा’ की हीरो से लड़ाई देखेंगे. यह दर्शकों के लिए कैसे होने वाला है?
रणदीप हुड्डा- देखिए, किसी भी हीरो को बड़ा बनाने के लिए, विलेन भी उतना ही बड़ा होना चाहिए. पहले फिल्मों में विलेन पर बहुत ध्यान दिया जाता था. हीरो और विलेन के बीच जो टकराव होता था, उसका जो मजा जनता को मिलता था, वही इस फिल्म में भी है. इस फिल्म में विलेन और उसकी लंका है. जैसे भगवान राम ने रावण से लंका को बचाया, वैसा ही कुछ इस फिल्म में भी होगा. तो इस फिल्म में, बड़े किरदार, बड़ी टक्कर, और बहुत सारा एक्शन है.
सनी देओल- जब मैंने फिल्म की कहानी सुनी, तो मुझे यह बहुत अच्छी लगी. इसके अलावा मुझे 'सॉरी बोल ' का कॉसेप्ट बहुत पसंद आया. यह फिल्म कोई रीमेक नहीं है, बल्कि एक ओरिजिनल फिल्म है, जिसे हम हिंदी फिल्म या पैन-इंडिया फिल्म कह सकते हैं. उम्मीद है कि हम दर्शकों को निराश नहीं करेंगे.
हमने आपकी फिल्मों में आपको एक्शन हीरो के तौर पर देखा है चाहे वे घायल हो या घातक , हमने आपको हैंड पंप उखाड़ते हुए भी देखा है और अब हमको पंखा उखाड़ते हुए देख रहे हैं. आप इस बारे में क्या कहेंगे?
सनी देओल- कुछ किरदार ऐसे होते हैं, जो हमें भी पसंद आते हैं. मुझे याद है जब मैं छोटा था और दारा सिंह की फिल्में देखने जाता था, उस वक़्त मैं कुर्सी पर बैठकर रेसलिंग करता था, क्योंकि मुझे उनकी ताकत महसूस होती थी; और यही सिनेमा का मजा है, जब आप किरदारों से जुड़ जाते हैं. आपका हीरो जब हीरो बनकर कुछ करता है, तो बहुत अच्छा लगता है और इसे सिनेमाघर में देखने में तो और भी ज्यादा मजा आता है.
आपने परदे पर बहुत ही अलग तरह के किरदार निभाए है, इन किरदारों को लेकर आप क्या कहेंगे?
रणदीप हुड्डा- मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि मुझे अलग-अलग किरदार निभाने का मौका मिलता है. सरबजीत सिंह और सावरकर के किरदार की तैयारी थोड़ी अलग थी, ज्यादा डिटेल्स वाली फिल्म थी. यह एक बड़ी कमर्शियल फिल्म है, जिसमें तैयारी मेकअप जैसी थी, लेकिन इसमें मुझे एक अच्छा गेटअप मिला. जो पर्सोना उन्होंने तैयार किया, वही लोगों को आकर्षित कर रहा है. बाकी, आप जो ढूंढ रहे होते हैं, वह मिलता है, लेकिन इस फिल्म में निर्देशक का बड़ा हाथ था, उन्होंने किरदार पहले से डिज़ाइन किया था और बस वही फिट करना था.
हम आपको इस फिल्म में एक अलग ही अवतार में देख रहे है, फिर चाहे वह लुक ही क्यों न हो, आप इस बारे में आप क्या कहेंगे.
विनीत कुमार सिंह- मैं इसका सबसे पहला क्रेडिट सनी सर को दूंगा, क्योंकि जब उन्होंने इस फिल्म को किया, तो मैंने तुरंत ही इसके लिए हाँ कर दिया. वरना मैंने अब तक नकारात्मक रोल नहीं किया था. मैंने बहुत सारे प्रयोग किए, लेकिन नकारात्मक किरदार अब तक नहीं किया था. दूसरा क्रेडिट मैं अपने निर्देशक गोपीचंद को देना चाहूंगा. उन्होंने ‘मुक्काबाज़’ देखी थी और तब उन्हें इस फिल्म का आइडिया आया. उन्होंने एक पूरी तरह से अलग किरदार सोचा. यही वजह है कि यह श्रेय निर्देशक को जाता है. जब निर्देशक का विश्वास मिलता है, तो एक अभिनेता के रूप में कुछ ऐसा बाहर निकलता है, जिसके बारे में हम भी कई बार नहीं जानते.
यह एक एक्शन पैक्ड फिल्म है. पहले इतनी टेक्नोलॉजी, नहीं थी जब आप एक्शन करते थे, तो ज्यादातर स्टंट्स आप खुद करते थे. अब यह दौर कैसे बदल गया है, टेक्नोलॉजी, के हिसाब से, सुरक्षा के हिसाब से, बहुत सारी चीजें आई हैं; और दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का एक्शन और प्रोडक्शन हाउस का तरीका भी बहुत बदल चुका है. तो अब क्या बदलाव आए हैं?
सनी देओल- मैं बस यही कहूंगा कि दक्षिण भारतीय सिनेमा इस समय हमारे हिंदी सिनेमा से बहुत आगे निकल चुका है, खासकर एक्शन और तकनीकी लिहाज से. वे जानते हैं कि शॉट क्यों लिया जा रहा है और उससे क्या जादू निकलेगा. जब हमशूट करते थे, तो उस समय टेक्नोलॉजी और सुरक्षा का ध्यान नहीं था, और हम अक्सर चोटिल हो जाते थे. उस समय हमें इन चीजों के बारे में नहीं पता था. आजकल बहुत सारी सुरक्षा है, और यह जरूरी भी है क्योंकि हम इंसान हैं, और हमें चोट लग सकती है. अब स्टंट करना थोड़ा और सुरक्षित और आसान हो गया है.
सनी देओल सर के साथ काम करने का अनुभव आप दोनों का कैसा रहा है?
रणदीप हुड्डा- थोड़ी- सी हिचकिचाहट थी क्योंकि हम ज्यादातर सर को स्क्रीन पर ही देखते थे, लेकिन जब हम मिले, तो वह बिल्कुल अलग निकले. बाहर से पत्थर और अंदर से मोम थे. पहले कुछ शॉट्स में मुझे थोड़ा अजीब लगा. लेकिन उन्होंने कहा कि तुम एक अभिनेता हो, यह सब भूल जाओ और अपने किरदार को निभाओ. तो यह बहुत प्रोत्साहक था. उनकी वजह से सब कुछ आसान हो गया. हम उन्हें देखकर बहुत कुछ सीखे हैं. तो अब यह दोस्ती जैसा हो गया है और इसके लिए मैं बहुत खुश हूँ.
विनीत कुमार सिंह- सर के साथ फैनबॉय मोमेंट होता है, थोड़ी हिचकिचाहट होती है, लेकिन उनकी महानता यह है कि उन्होंने कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह 'सनी देओल' हैं. वह बहुत सॉफ्ट स्पोकन और जेंटलमैन हैं. कैमरे के सामने उनकी पावर दिखती है, मुझे उनके साथ काम करते हुए हमेशा सुरक्षित महसूस हुआ. एक्शन करते वक्त भी मैं जानता था कि अगर मैं गलती करता हूँ, तो वह संभाल लेंगे. उनके पास बहुत कंट्रोल है.
आजकल का सिनेमा एक अलग युग है. आज लोग आपकी मेहनत और प्रतिभा की सराहना करते हैं. आज के अभिनेता की अपनी अलग पहचान है. इस बारे में आप सभी क्या कहेंगे?
सनी देओल- मुझे लगता है यह बहुत अच्छा समय है क्योंकि टैलेंट उभर रहा है. यह सही समय है और हमेशा ऐसा होना चाहिए. मेरी उम्मीद है कि सिर्फ टैलेंट ही हमेशा आगे आएगा, क्योंकि यह एक कला है और कला को दबाना नहीं चाहिए. लोग सामने आकर अपना टैलेंट दिखाएं, मैं इस समय के लिए बहुत खुश हूँ.
रणदीप हुड्डा- मुझे लगता है कि यह एक अच्छा समय है. मुखरी, असरानी जैसे कलाकारों के लिए भी अब ज्यादा रास्ते हैं, अब सिर्फ सिनेमा ही नहीं, ओटीटी भी है. यह सिनेमा, सेंसिबिलिटी और टीवी फॉर्मेट के बीच एक अच्छा ब्रिज बन गया है. बहुत सारे नए अवसर हैं, जैसे कास्टिंग डायरेक्टर्स, मैनेजर्स, और टीम्स जो कई चीजों को आसान बनाती हैं. सोशल मीडिया ने भी बहुत कुछ बदल दिया है. यह टैलेंट के लिए ज्यादा अवसर देता है.
विनीत कुमार सिंह- मुझे लगता है, यह वह समय है, जहां पिछले 7-8 सालों में कई ऐसे अभिनेता, तकनीशियन, लेखक और निर्देशक हैं जो काम नहीं कर रहे थे, अब वे व्यस्त हैं और काम कर रहे हैं. अचानक से मांग बढ़ गई है. यह एक भ्रम का समय है, लेकिन अगर हम सही दिशा में जाएं तो यह एक अच्छा समय है. हर इंडस्ट्री अपने एक फेज से गुजरती है और फिल्म इंडस्ट्री में अभी यहीं समय चल रहा है. इस समय में जो उभरता है, वही महत्वपूर्ण होता है. जब भी एक अच्छी फिल्म आती है, लोग थिएटर में आकर उसे देखते हैं. हमें आत्ममंथन करना चाहिए और लेखकों को पोषित करना चाहिए, क्योंकि वे कहानी का बीज हैं.
मायापुरी को 50 साल पूरे हो रहे हैं, आप इस बारे में क्या कहेंगे?
सनी देओल- मायापुरी 50 साल पुरानी है. यह एक लंबा सफर रहा है, और आज भी प्रासंगिक है. जाहिर तौर पर, चीजें बदल चुकी हैं. हम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं, लेकिन फॉर्मेट वही है अच्छी खबरें, मुख्य रूप से सिनेमा की दुनिया से जुड़ी हुई छापना. मैं मायापुरी को 50 साल पूरे होने पर बहुत- बहुत शुभकामना देता हूँ.
रणदीप हुड्डा- मायापुरी को 50 शानदार और सफल सालों की ढेर सारी शुभकामनाएं. यह सच में एक बड़ा सफर है, और इस दौरान आपने न केवल सिनेमा की दुनिया से जुड़ी अहम खबरें दीं, बल्कि पाठकों का दिल भी जीता. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप उसी तरह हमें एंटरटेन करते रहेंगे, जैसे आपने प्रिंट मीडिया में किया था.
विनीत कुमार सिंह- 50 साल वाकई एक लंबा सफर होता है. आजकल तो चीजें 3-5 सालों में ही बदल जाती हैं, लेकिन मायापुरी ने 50 सालों तक अपनी पहचान बनाई रखी है, जो एक बड़ी बात है. मैं आपको और आपकी पूरी टीम को ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूँ. आपकी पत्रिका में हमेशा ही बेहतरीन पोस्टर्स होते थे, जिन्हें हम बड़े चाव से निकालकर अपने होस्टल के कमरों में लगाते थे. वह हमारे लिए एक खास अनुभव था. आपके काम ने हमेशा लोगों को जुड़ा और प्रभावित किया है. इस सफर के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद और भविष्य के लिए शुभकामनाएं.
आपको बात दें कि सनी देओल और रणदीप हुड्डा की ‘जाट’ 10 अप्रैल 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.
WRITTEN BY PRIYANKA YADAV
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