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बॉलीवुड से हॉलीवुड तक अपने हुनर का लोहा मनवा चुकीं प्रियंका चोपड़ा जोनस (Priyanka Chopra Jonas) एक बार फिर ग्लोबल स्क्रीन पर अपनी दमदार मौजूदगी से दर्शकों का दिल जीत रही हैं. इस बार वह नजर आ रही हैं हाई-ऑक्टेन एक्शन और ह्यूमर से भरपूर हॉलीवुड फिल्म ‘हेड्स ऑफ स्टेट’ (Heads of State) में, जिसमें उनके साथ पहली बार स्क्रीन शेयर कर रहे हैं डब्लू.डब्लू.ई. सुपरस्टार और अभिनेता जॉन सीना (John Cena). प्रियंका ने इस फिल्म से यह साबित कर दिया है कि वह किसी भी जॉनर में सहज हैं. प्राइम वीडियो पर ग्लोबली रिलीज हुई यह फिल्म दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. इसी सिलसिले में फिल्म की स्टारकास्ट प्रियंका, जॉन सीना और ‘नोबडी’ से प्रसिद्ध निर्देशक इल्या नैशुल्लर ने मीडिया हाउस से बात की. इस दौरान उन्होंने फिल्म से जुड़ी दिलचस्प बातें, शूटिंग के मजेदार पल और ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को लेकर अपने अनुभव साझा किए.
आपने हमेशा सशक्त महिला किरदारों को तरजीह दी है. 'हैड्स ऑफ स्टेट' जैसी एक्शन-कॉमेडी फिल्म को करने के पीछे आपकी सोच क्या थी?
प्रियंका : मैं जो भी काम करती हूँ उस पर गर्व महसूस करना चाहती हूँ, इसलिए मैं ऐसे किरदारों को चुनती हूँ जिनमें गहराई हो, जो सिर्फ दिखावे के लिए न हों, बल्कि फिल्म की कहानी में कुछ ठोस योगदान दे सकें. ‘हेड्स ऑफ स्टेट’ मुझे इसलिए भी खास लगी क्योंकि ये फिल्म न सिर्फ मजेदार है, बल्कि आज की दुनिया में—जो कई मायनों में एक मुश्किल दौर से गुजर रही है—हमें थोड़ी राहत देने, हँसाने और एंटरटेन करने की भी ज़रूरत है. मुझे खुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ, जो आपको एक्शन के साथ-साथ मुस्कान भी देती है.
फिल्म में एक के बाद एक हाई ऑक्टेन सीक्वेंस हैं — क्या कोई ऐसा सीन है जिसे शूट करना आपके लिए सबसे चुनौतीपूर्ण या सबसे यादगार अनुभव रहा हो?
प्रियंका : मैं एयरफोर्स वन वाले शूट का हिस्सा नहीं थी लेकिन जब पहली बार स्क्रिप्ट पढ़ी तो सोचा ये लोग इसे करने वाले कैसे हैं? और देखो, उन्होंने कमाल का सैट बना भी लिया लेकिन मुझे 'द बीस्ट' भी बहुत पसंद आया. हमने उस पर लंबा शूट किया और मुझे फिल्मों में कार चेज बहुत पसंद है. फिर टोमाटीना, उस वक्त लगा कि क्या हम सच में टोमाटीना फैस्टिवल (टमाटरों का पर्व, जो स्पेन में होता है) जा रहे हैं? वो अनुभव कैसा होगा? इस फिल्म में इतने सारे शानदार सैट पीस थे, शूट करना वाकई में बहुत मजेदार था.
‘क्वांटिको’ से लेकर ‘सिटाडेल’ तक आपने हमेशा दमदार और स्वतंत्र महिला किरदार निभाए हैं. ‘हैड्स ऑफ स्टेट’ में भी आप दो पुरुष लीड्स के बीच अपने किरदार को एक मजबूत उपस्थिति देती हैं. इस बारे में आप क्या कहेंगी?
प्रियंका : बिल्कुल, मुझे लगता है कि यही इस फिल्म को खास बनाता है. हेड्स ऑफ स्टेट जानबूझकर इस तरह से लिखी गई थी कि मेरा किरदार, जो दो पावरफुल मेल कैरेक्टर्स के बीच है, फिर भी अपनी एक स्पष्ट और ठोस पहचान बनाए रखता है. मैं इस बात पर सचमुच गर्व महसूस करती हूँ कि मैं आज अपने करियर के उस मुकाम पर हूँ जहाँ मेरे लिए ऐसे किरदार चुने जाते हैं, जिनमें ताकत, स्वतंत्रता और एक उद्देश्य हो. यह कोई संयोग नहीं है—इसके पीछे ढेर सारी बातचीत, समझ और संवेदनशीलता शामिल रही है, चाहे वो निर्देशक हों, लेखक या प्रोड्यूसर. मुझे खुशी है कि मैं एक ऐसी फिल्म का हिस्सा बनी जिसमें शुरुआत से मेरे किरदार की दिशा बहुत साफ़ थी और सबने उसे उतनी ही गंभीरता से लिया जितनी बाकी किरदारों को.
‘हैड्स ऑफ स्टेट’ में एक्शन और कॉमेडी दोनों का जबरदस्त तालमेल है—आप दोनों के लिए साथ में शूट किया गया सबसे चुनौती भरा या सबसे मजेदार पल कौन-सा था?
जॉन सीना : मैं इसके जवाब का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूँ, क्योंकि मुझसे ये सवाल कई बार पूछा गया है लेकिन इस वक्त मैं उस शख्स के साथ बैठा हूँ, जिसकी नजर लैंस के पीछे थी. मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती थी एयरफोर्स वन के सैट पर शूट करना और उस शानदार प्रैक्टिकल सैट को एक्शन के हिसाब से असली दिखाना लेकिन ये तो मेरी छोटी-सी जिम्मेदारी थी. असली मास्टरमाइंड तो यहीं बैठे हैं, जिनके पास पूरी चेस बोर्ड की चालें थीं.
आप बेहतरीन कॉमिक टाइमिंग और फिजिकल परफॉर्मेंस के लिए जाने जाते हैं. इस फिल्म में ऐसा क्या था, जिसने इसे आपके लिए बाकी प्रोजेक्ट्स से अलग बना दिया?
जॉन सीना : इस फिल्म की कहानी का आइडिया असल में उस कैमिस्ट्री से जुड़ा है, जो इद्रिस और मैंने 'द सुसाइड स्क्वाड' में दिखाई थी. हमने ऐसी स्क्रिप्ट ली जो असल में दो टफ लोगों के बारे में थी, जो दुनिया के हंगामे में जाकर धूम मचाते हैं लेकिन हम दोनों को ईमानदारी से लगा कि किरदारों में कुछ कमियां भी होनी चाहिए. जब आप खुद पर हंसने के लिए ईमानदार और थोड़े से वल्नरेबल होते हैं, तभी असली मजा आता है. इस फिल्म की कॉमेडी एक्शन में है. एक्शन कॉमेडी दुनिया की भाषा है. जितना ज्यादा हम ऐसे पलों पर फोकस करेंगे, उतना ही ज्यादा ऑडियंस तक पहुंच पाएंगे और ज्यादा लोगों का मनोरंजन होगा. हमने सबसे टफ कैरेक्टर बनने से ज्यादा अच्छी फिल्म बनाने पर ध्यान दिया. अगर मैं फिल्म में बहुत टफ हूँ लेकिन कोई फिल्म देखे ही नहीं, तो फायदा क्या? मैं चाहूंगा कि लोग मेरे साथ हंसे और मुझे अगली फिल्म का मौका मिले.
क्या कोई ऐसा किरदार, फिल्म या कलाकार है जिसने आपके करियर की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाई हो—जिसने आपको सोचने पर मजबूर किया कि, ‘मुझे भी ऐसा करना है’?
जॉन सीना : नहीं! 'प्रेजिडेंट ऑफ द यूनाइटेड स्टेट्स' - हैं, जैसे किरदार की खासियत यही है कि हर इंसान के दिमाग में इसकी इमेज ही पहले से बनी होती है. अक्सर फिल्मों में जब किसी अनजाने कैरेक्टर को दिखाते हैं, तो बड़ा हिस्सा उसके बारे में बताने में चला जाता है लेकिन जब 'अमरीकी राष्ट्रपति' जैसे किरदार से शुरू करते हैं तो कैरेक्टर की परिभाषा पहले से ही बनी होती है. हमारी स्क्रिप्ट इतनी अच्छी लिखी गई थी कि मेरे लिए कुछ कैरेक्टर ट्रेट्स भी थे जैसे थोड़ी लापरवाह-सी पॉजिटिव सोच, जिद्दीपन, लोगों की तारीफ पाने की चाहत, पब्लिक इमेज की फिक्र वगैरह-वगैरह.
जब आपने इस फिल्म की कल्पना की थी, तो क्या शुरुआत से ही दिमाग़ में यही कास्ट थी? कब आपको ये एहसास हुआ कि प्रियंका, जॉन और बाकी सितारे इस कहानी के लिए एकदम परफेक्ट हैं? और इतने बड़े नामों के साथ काम करना आपके लिए कैसा अनुभव रहा?
निर्देशक नैशुल्लर : मुझे याद है ट्रेन वाला सीन... जॉन सोफे पर लेटे खर्राटे मार रहे थे, प्रियंका और इद्रिस अपने-अपने किरदार में पूरी तरह ढल चुके थे. कैमरे रोल कर रहे थे और मैं बस एक ही बात सोच रहा था—'ये तो आसान होगा!' लेकिन असली मेहनत पहले ही हो चुकी थी—प्रेप, फिजिकल ट्रेनिंग, कैरेक्टर वर्क... इन तीनों कलाकारों की तैयारी और प्रोफेशनलिज़्म अद्भुत था. कोई भी फिल्म बनाना आसान नहीं होता, लेकिन जब ऐसे टैलेंट्स साथ हों तो डायरेक्टर का काम सच में जादू जैसा लगने लगता है. बीते तीन सालों में मैंने जितनी संतुष्टि और खुशी महसूस की है, वो बहुत हद तक इनकी वजह से है.
आपकी फिल्म में जो थ्रिल, ह्यूमर और स्टाइल है, वो कहीं न कहीं 80s-90s की क्लासिक एक्शन- स्पाई फिल्मों की याद दिलाती है. क्या कोई ऐसी फिल्म या किरदार था जिससे आप इस प्रोजेक्ट के लिए इंस्पायर हुए?
नैशुल्लर : मुझे 80 और 90 के दशक की बड़ी जॉनर की फिल्में बेहद पसंद हैं. जब ‘हेड्स ऑफ स्टेट’ मेरे पास आई, तब ये एक सीरियस एक्शन थ्रिलर थी. लेकिन मैंने पूछा क्यों न इसे थोड़ा अलग मोड़ दें? क्यों न हमारे हीरोज़ को सुपरकाबिल एक्स-मिलिट्री की बजाय थोड़ा कम परफेक्ट दिखाया जाए? जॉन का किरदार, जो एक एक्स-मूवी स्टार से राष्ट्रपति बनता है, हर चीज़ में खुद को एक्सपर्ट समझता है—लेकिन असलियत में नहीं है. यही कॉमिक टोन फिल्म की आत्मा बन गई. उस संतुलन को पाना आसान नहीं था. मैं म्यूज़िक सुनते हुए सोफे पर लेटा रहता और दिमाग में पूरी फिल्म रंगों में देखता. मुझे थोड़ी-सी सिनेस्थेसिया है, तो हर सीन मेरे लिए एक रंग था. इस फिल्म का रंग ‘ऑरेंज’ है—और इसलिए टाइटल का फॉन्ट और पैलेट भी वही रखा. किसी भी फिल्म को बनाना सिर्फ आइडिया तक सीमित नहीं होता. जब मैंने देखा कि इस प्रोजेक्ट पर करीब 2600 लोगों ने काम किया है, तो एहसास हुआ कि ये एक सामूहिक यात्रा है. हम सब एक ही नाव में थे, एक विजन की ओर. और हाँ, ये मुश्किल ज़रूर था, लेकिन नामुमकिन नहीं.
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