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Special Interview Richa Chadha and Ali Fazal
Special Interview Richa Chadha and Ali Fazal: Richa Chadha और Ali Fazal, 2025 के फिल्म इंडिपेंडेंट स्पिरिट अवार्ड में अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद, गर्व और अपेक्षा के साथ भविष्य में इस तरह की और भी फिल्में बनाने के बारे में सोच रहे हैं. 'Girls Will Be Girls' ने 2025 फिल्म इंडिपेंडेंट स्पिरिट अवॉर्ड्स में प्रतिष्ठित जॉन कैसावेट्स अवॉर्ड जीतकर इतिहास रच दिया है. यह सम्मान पाने वाली यह पहली भारतीय फिल्म बन गई है, जो स्वतंत्र सिनेमा की दुनिया के सबसे प्रेस्टीजियस अवॉर्ड्स में से एक माना जाता है और भारतीय सिनेमा के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है. यह अवॉर्ड हर साल उन सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को दिया जाता है, जिनका बजट 1 मिलियन डॉलर से कम होता है, और Girls Will Be Girls ने सभी दावेदारों के बीच अपनी खास जगह बनाई.
Richa और Ali की यह खूबसूरत जोड़ी अपने साझेदारी और स्वतंत्र सिनेमा की ताकत का एक प्रमाण हैं. आइए देखते हैं कि उनके दिल में क्या चल इस वक्त और वे क्या कह रहे हैं.
आप दोनों की साझा मेहनत से बनी फ़िल्म 'Girls Will Be Girls वो पहली भारतीय फ़िल्म है जिसने 2025 फ़िल्म इंडिपेंडेंट स्पिरिट्स अवार्ड में प्रेस्टिजीअस जॉन कैसावेट्स अवार्ड जीतकार एक इतिहास रच दिया है यह कैसा महसूस होता है?
Richa: सच में, यह जीत किसी सपने के सच होने जैसी है. मैं बेहद गर्व महसूस कर रही हूं कि हमने Girls Will Be Girls जैसी फिल्म बनाई. यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि पूरी टीम की जीत है, जिन्होंने इस कहानी पर भरोसा किया. एक स्वतंत्र सिनेमा निर्माता और भारतीय कलाकार के रूप में यह सम्मान पाना मेरे लिए बहुत खास है. यह इंडीड एक अचीवमेंट है, यह अवार्ड हर वर्ष उन सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को दिया जाता है जिनका बजट एक मिलियन डॉलर से कम हो और Girls Will Be Girls ने सभी दावेदारों के बीच अपनी खास जगह बनाई है. आप सब जानते हैं. हम मेहनत करते हैं, कहानी में विश्वास करते हैं. बाकी देखने वालों पर छोड़ देते हैं. हम बस यही उम्मीद कर रहे थे कि लोग 'Girls Will Be Girls' की सार को आत्मसात कर पाएं और जो रिस्पॉन्स मिला वो अभिभूत करने वाला था. यह ऐसा रिस्पॉन्स था जैसे दुनिया ने कहा, "हम आपको देख रहे हैं, हम आपको समझते हैं."
Ali: हाँ, यह जीत हमारे लिए और भारतीय सिनेमा के लिए बहुत अहम है. स्वतंत्र सिनेमा का असली सार यह है कि आप बिना किसी डर के सच्चाई को पेश करें, चाहे वह कितनी भी कठिन क्यों न हो. Girls Will Be Girls ठीक यही करती है. यह सीमाओं को तोड़ने, लिबरल महसूस करने और इतिहास बनाने की कोशिश की कहानी है, और मैं इस फिल्म का हिस्सा बनकर गर्व महसूस कर रहा हूं. यह ऐसा है जैसे, आप एक नन्हा सा बीज लगाते हैं, और देखते ही देखते , वह एक खूबसूरत विशाल पेड़ के रूप में परिवर्तित हो जाता है. हम जानते थे कि शुची (तलाती, निर्देशक) की विजन खास थी, लेकिन इसे इस तरह खिलते हुए देखना... यह जादुई है.
तो, यह 'जॉन कैसावेट्स अवार्ड,' यह छोटे बजट में बनी फिल्मों के लिए है, है ना? एक मिलियन डॉलर से कम. ऐसा फिल्म बनाना कैसा था?
Richa: (मुस्कुराते हुए) यह जैसे सीमित रंगों से एक दिव्य पेंटिंग बनाना है. आपको रचनात्मक और संसाधनपूर्ण दोनों होना पड़ता है. हमारे पास एक अद्भुत टीम थी, हर कोई बहुत उत्साही था. हमने खूबसूरत स्थानों पर शूट किया, लेकिन हमेशा आसान नहीं था. हमें हर रुपया स्मार्ट तरीके से खर्च करना पड़ा.
Ali: बिल्कुल. यू नो, यह दिल की बात है, महंगे उपकरणों की नहीं. हमने कहानी, पात्रों पर ध्यान केंद्रित किया. हमारे पास कानी कुशरुति, प्रीति पाणिग्रही और केशव बिनॉय किरण जैसे धुरंधर कलाकार हैं, और वे सभी मुख्य भूमिकाओं में अद्भुत थे. उन्होंने अपने रोल में इतनी सच्चाई भर दी.
Richa, आप इस अवार्ड को जीतने वाली पहली भारतीय अभिनेता और निर्माता हैं. यह बहुत बड़ी बात है, राइट?
Richa: (Richa मुस्कुराती है, मुस्कुराते हुए वे बड़ी हसीन दिख रही थी ) यह... अभिभूत करने वाला अवश्य है. लेकिन यह सिर्फ मेरी जीत नहीं है. यह हर storyteller, हर filmmaker के लिए है जो सीमित संसाधनों के साथ बड़े सपने देखने की हिम्मत करता है. यह उन सभी महिलाओं के लिए है जो अपनी कहानियाँ बताना चाहती हैं.
आपने और Richa ने इस फिल्म का निर्माण किया. कैमरे से बाहर कदम रख कर काम करना कैसा था?
Ali: यह अलग सा एहसास है, एक अभिनेता के रूप में, आप अपने पात्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं. एक निर्माता के रूप में, आप बड़े कैनवास की ओर ध्यान देते हैं. आप यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि इसे भारत की बेहतरीन कमिंग-ऑफ-एज और महिला केंद्रित फिल्मों में से एक साबित हो , इसकी हर फ्रेम की दृष्टि सत्य बनी रहे. यह एक सीखने का अनुभव था, और यह बेहद संतोषजनक भी था.
"Girls Will Be Girls" एक युवा लड़की की कहानी है जो एक बोर्डिंग स्कूल में अपनी पहचान और इच्छाओं की खोज कर रही है. यह एक बहुत वास्तविक, ईमानदार कहानी है. आपने यह कहानी बताने का निर्णय क्यों लिया?
Richa: क्योंकि ये कहानियाँ बताई जानी चाहिए. हमें किशोरावस्था, बड़े होने, और एक महिला होने की जटिलताओं के बारे में बात करने की ज़रूरत है. हम यह दिखाना चाहते थे कि ये अनुभव सार्वभौमिक हैं, कि दुनिया भर की लड़कियाँ समान चीजों का सामना करती हैं.
Ali: यह रूढ़ियों को समझने और सही गलत का वाजिब निर्णय लेने की कहानी है. यह कहानी भारतीय सिनेमा के विकसित होने की निशानी है. हम वास्तविक, प्रासंगिक कहानियाँ बता रहे हैं.
आप "Girls Will Be Girls" से क्या उम्मीद करते हैं कि लोग क्या सीखें?
Richa: मैं आशा करती हूँ कि वे इसे देखे, इसपर विचार करें, सुने. मैं आशा करती हूँ कि वे समझें कि अपूर्ण होना ठीक है, गलतियाँ करना ठीक है. मैं चाहती हूँ कि यह बातचीत को प्रोत्साहित करे, विशेषकर माताओं और बेटियों के बीच.
Ali: मैं आशा करता हूँ कि यह युवा filmmakers को अपनी कहानियाँ बताने के लिए प्रेरित करे, चाहे कितनी भी छोटी या बड़ी हों. मैं आशा करता हूँ कि यह फ़िल्म यह दिखा सके कि भारतीय सिनेमा का विश्व मंच पर क्या स्थान है.
तो, आपके हाउस प्रोडक्शन, 'पुशिंग बटन स्टूडियोज' के लिए अगला कदम क्या है?
Richa: (मुस्कुराते हुए) हमारे पास कुछ नई योजनाएँ हैं. हम अर्थपूर्ण, प्रभावशाली कहानियाँ बताना जारी रखना चाहते हैं. हम नए आवाज़ों, नए प्रतिभाओं का समर्थन करना चाहते हैं.
Ali: हमने शुरुआत कर दी हैं. हम भविष्य के प्रति उत्साहित हैं.
यह जीत भारतीय सिनेमा के लिए एक बहुत बड़ा पल है. स्वतंत्र फिल्मों के भविष्य के लिए इसका क्या मतलब है?
Richa: इसका अर्थ है कि अगर विजन सही हो कहानी में दम हो, स्टोरी टेलिंग पावरफुल हो, बेहतरीन ऐक्टर्स हो और निर्माण, निर्देशन सही तरीके से की जाए तो हम दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. इसका मतलब है कि हम अपनी कहानियाँ, अपने तरीके से बता सकते हैं.
Ali: इसका मतलब है कि हम बाधाओं को तोड़ रहे हैं. इसका मतलब है कि हम नए पीढ़ी के filmmakers के लिए दरवाजे खोल रहे हैं. इसका मतलब है फिल्म की ईमानदार और संवेदनशील कहानी ने दर्शकों को गहराई तक छू लिया है. यह सिर्फ एक अवॉर्ड नहीं, बल्कि उस कहानी की पुष्टि है जिसे हम दुनिया के सामने लाना चाहते थे. यह एक प्यार से बनाया गया प्रोजेक्ट था, और इसे इस तरह से सराहा जाना हमारे लिए अविश्वसनीय एहसास है." (उन्होंने यह भी कहा कि वह और उनकी पत्नी Richa लंबे समय से अच्छे दोस्त रहे हैं, और इस दोस्ती का एक कलात्मक रूप में परिणत होना उनके लिए बेहद खास है.
इस बड़ी जीत की घोषणा समारोह की सबसे खास बातों में से एक अन्य बड़ी श्रेणियों के विजेताओं में एनोरा और जेसी आइजनबर्ग की अ रियल पेन भी शामिल रहीं. फिल्म इंडिपेंडेंट स्पिरिट अवॉर्ड्स स्वतंत्र सिनेमा के बेहतरीन काम को सम्मानित करने के लिए जाने जाते हैं, और Girls Will Be Girls की ऐतिहासिक जीत भारतीय सिनेमा को मिल रही वैश्विक पहचान को दर्शाती है. Richa चड्ढा और Ali Fazal की विचारधारा से जुड़े कई पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है. उनकी प्रेरणा और एकता न केवल उनके काम में बल्कि उनके दृष्टिकोण में भी झलकती है. वे उन कहानियों को चुनते हैं जो अक्सर मुख्यधारा की फिल्मों से छूट जाती हैं, और इस प्रक्रिया में वे समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
अगले प्रोजेक्ट्स के लिए उनकी योजनाएं भी उतनी ही दिलचस्प हैं. रिपोर्ट के अनुसार, वे एक नई फिल्म पर काम करने की योजना बना रहे हैं, जो सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों पर आधारित होगी. इसका उद्देश्य न केवल दर्शकों को मनोरंजन करना है, बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर करना है. इसके अलावा, Richa और Ali ने यह सुनिश्चित करने का भी निर्णय लिया है कि वे अपनी फिल्मों के साथ-साथ नए टैलेंट को भी बढ़ावा दें. उनका मानना है कि सिनेमा को सशक्त बनाने के लिए सृजनात्मकता और समर्पण के साथ-साथ नए चेहरों को भी मंच देना आवश्यक है. यही नहीं, वे सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए भी विभिन्न पहल और अभियान शुरू करने का विचार कर रहे हैं. इससे न केवल उनकी फिल्म के प्रति जिम्मेदारी बढ़ेगी, बल्कि इससे उन्हें अपने फैंस के साथ एक गहरा संबंध बनाने का भी मौका मिलेगा.
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