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Sholay 50 Years: भारतीय सिनेमा की सबसे आइकॉनिक फिल्म मानी जाने वाली ‘शोले’ (Sholay) ने 15 अगस्त 1975 को बड़े पर्दे पर दस्तक दी थी. उस दौर में आपातकाल (Emergency) लगा हुआ था, लेकिन इसके बावजूद यह फिल्म दर्शकों के दिलों पर छा गई. निर्देशक रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) और लेखक जोड़ी सलीम-जावेद (Salim-Javed) द्वारा गढ़ी गई इस फिल्म ने कहानी, संवाद, किरदार और संगीत—हर पहलू पर नई मिसाल कायम की. अब, अपनी स्वर्ण जयंती यानी 50 साल पूरे करने के मौके पर, फिल्म का पुनर्स्थापित संस्करण (restored version) 50वें टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (Toronto International Film Festival – TIFF) में प्रदर्शित किया जायगा. यह भव्य प्रीमियर कनाडा के रॉय थॉमसन हॉल (Roy Thomson Hall) में किया जा रहा है, जिसमें 1,800 दर्शकों की उपस्थिति रही. फिल्म को बड़े पर्दे पर एक बार फिर देखने का रोमांच ऐसा था मानो समय की सैर कराई जा रही हो.
‘शोले’ के 50 साल: TIFF में हुआ भव्य प्रदर्शन, दर्शक फिर जी उठे 1975 का जादू
1975 में हटाए गए सीन अब होंगे शामिल
फिल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) ने इस अवसर पर बताया कि 1975 में जब ‘शोले’ रिलीज़ हुई थी, तब आपातकाल की वजह से कुछ अहम सीन हटाने पड़े थे. उस दौर में सरकार के साथ इन दृश्यों को लेकर बहस टाल दी गई थी. लेकिन अब, 50 साल बाद, पुनर्स्थापित संस्करण में वे सभी दृश्य शामिल किए गए हैं. इन दृश्यों के जुड़ने से फिल्म की अवधि करीब 4 मिनट बढ़ गई है और कहानी का रोमांच, एक्शन और रोमांस और भी निखरकर सामने आए हैं.(Salim Javed Sholay)
धर्मेंद्र की पहली पसंद: गब्बर या ठाकुर
‘शोले’ की कास्टिंग से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी भी है. धर्मेंद्र (Dharmendra), जिन्होंने वीरू का रोल निभाया था, शुरुआत में इस किरदार को करने के इच्छुक नहीं थे. उनका मानना था कि वीरू का रोल उनके स्टारडम के हिसाब से छोटा है. वे गब्बर सिंह (Gabbar Singh – अमजद खान/Amjad Khan) या ठाकुर बलदेव सिंह (Thakur Baldev Singh – संजीव कुमार/Sanjeev Kumar) का किरदार निभाना चाहते थे.
लेकिन जब रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) ने मजाक में कहा—“धर्म जी, आप चाहें ठाकुर बन जाइए या गब्बर… लेकिन फिर बसंती यानी हेमा मालिनी (Hema Malini) आपको कभी नहीं मिलेगी.” बस, इतना सुनते ही धर्मेंद्र मुस्कुरा दिए और तुरंत वीरू का किरदार निभाने के लिए तैयार हो गए. यही मजाकिया अंदाज़ फिल्म की किस्मत बदल गया.
क्या है कहानी
फिल्म की कहानी काल्पनिक रामगढ़ गाँव (Ramgarh) पर आधारित है, जहाँ सेवानिवृत्त पुलिस अफ़सर ठाकुर बलदेव सिंह (Sanjeev Kumar) अपने परिवार का बदला लेने के लिए दो अपराधियों, जय (Amitabh Bachchan) और वीरू (Dharmendra) को नियुक्त करते हैं. उनका लक्ष्य होता है खूँखार डाकू गब्बर सिंह (Amjad Khan) को पकड़ना. गाँव पहुँचने पर जय और वीरू को गब्बर की क्रूरता और आतंक का अहसास होता है. इसके बावजूद दोनों ठाकुर के साथ खड़े रहते हैं. फिल्म में जया भादुरी (Jaya Bhaduri – अब जया बच्चन (Jaya Bachchan) ने जय की प्रेमिका राधा का किरदार निभाया था, वहीं हेमा मालिनी (Hema Malini) ने बसंती के रूप में दर्शकों का दिल जीत लिया.
‘शोले’ केवल कहानी और किरदारों तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसके संवाद और गाने भी इतिहास बन गए. “कितने आदमी थे?”, “ये हाथ हमको दे दे ठाकुर”, “जो डर गया, समझो मर गया” जैसे डायलॉग आज भी आम बातचीत का हिस्सा हैं.(Sholay Indian Cinema Classic)
गाने है यादगार
फिल्म के गाने—“ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे”, “महबूबा महबूबा”, “हां जब तक है जान” और “होली के दिन दिल खिल जाते हैं” आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं जितने 50 साल पहले थे. इन गानों को आर.डी. बर्मन (R.D. Burman) ने संगीतबद्ध किया और आनंद बक्शी (Anand Bakshi) ने लिखा था.(Bollywood at TIFF 2025)
1975 में रिलीज़ हुई ‘शोले’ केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा की धड़कन बन गई. इसकी सफलता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह महीनों तक थिएटरों में चलती रही और आज भी इसके डायलॉग, गाने और किरदार लोगों की ज़ुबान पर चढ़े हुए हैं.(Sholay Historic Screening)
अब, 50 साल बाद, टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में इसका भव्य प्रदर्शन भारतीय सिनेमा की उस गौरवशाली यात्रा की याद दिलाता है जिसने हमें जय-वीरू की दोस्ती, ठाकुर की न्यायप्रियता, गब्बर की डरावनी हँसी और बसंती की चंचलता दी. ‘शोले’ ने यह साबित कर दिया कि अच्छी कहानियाँ समय से परे होती हैं. और इस फिल्म का जादू आने वाली पीढ़ियों को भी उतना ही मोह लेगा, जितना उसने 1975 में दर्शकों को किया था.(Dharmendra Amitabh Bachchan Sholay)
FAQ
Q1. ‘शोले’ फिल्म पहली बार कब रिलीज़ हुई थी?
Ans: ‘शोले’ फिल्म 15 अगस्त 1975 को रिलीज़ हुई थी और इसे भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है।
Q2. ‘शोले’ का 50वां साल कहाँ सेलिब्रेट किया जा रहा है?
Ans: ‘शोले’ का स्वर्ण जयंती समारोह 50वें Toronto International Film Festival (TIFF) में मनाया जा रहा है।
Q3. TIFF में दिखाए जाने वाले संस्करण में क्या खास होगा?
Ans: TIFF में प्रदर्शित होने वाला ‘शोले’ का रेस्टोर्ड वर्जन उन सीन के साथ दिखाया जाएगा, जो 1975 में सेंसरशिप के कारण हटाए गए थे।
Q4. ‘शोले’ के निर्देशक और लेखक कौन थे?
Ans: ‘शोले’ का निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था और इसकी कहानी लेखक जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखी थी।
Q5. TIFF में ‘शोले’ की स्क्रीनिंग कहाँ हुई?
Ans: TIFF में ‘शोले’ का भव्य प्रीमियर कनाडा के रॉय थॉमसन हॉल (Roy Thomson Hall) में किया गया।
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