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मशहूरफिल्मकारश्यामबेनेगलका 23 दिसंबर 2024 कीशाममुंबईमेंनब्बेवर्षकीउम्रमेंनिधनहोगया.श्यामबेनेगलनेएडफिल्म, डॉक्यूमेंट्रीवफीचरफिल्मोंकोनिर्माणकरअपनाएकअलगमुकामबनायाथा.उनकेउसमुकामकोछूनासभीकेवषकीबातनहीहै. श्यामबेनेगलनेअपनीफिल्मोंकेमाध्यमसेइसदेशकोनसिरूद्दीनशाह, अमरीशपुरी, शबानाआजमी, सलीमआरिफ, आनंदमिश्रासहितसैकड़ोंप्रतिभाएंदी.श्यामबेनेगलकेनिर्देशनमेंसीरियल ‘‘भारतएकखोज’’ केअलावाफिल्म ‘‘अंतर्नाद’’ मेंअभिनयकरचुकेअभिनेताआनंदमिश्रानेउन्हेअपनीभावभीनीश्रृद्धांजलिदेतेहुएअपनेउद्गारव्यक्तकए, जिन्हेहमयहांउन्हीकीजुबानीज्योंकात्योंपेषकररहेहैं...
आजमैंश्यामबेनेगलजीकोश्रद्धांजलिअर्पितकरनेकेलिएआपसेमुखातिबहूं.जिसदौरमेंसिनेमाबहुतकमर्शियलहोगयाथा.हरफिल्मकारलवस्टोरी, हॉररवएक्शनफिल्मेंबनाराहथा, जिन्हेभरपूरदर्शकभीमिलरहेथे.उसवक्तश्यामबेनेगलकीवजहसेअंकुर, निशांत, भूमिका, मंथनजैसीफिल्मेंदेखनेकामुझेसौभाग्यमिला.जबमैंमुंबईआया, तबवहसीरियल ‘‘भारतएकखोज’’ बनारहेथे.मेेरेमित्ररविकेमूसाहबमुझेउनसेमिलानेलेगएऔरइससीरियलमेंमुझेनसिरूद्दीनशाहवअनंगदेसाईसहितकईबड़ेबड़ेकलाकारोंकेसाथअभिनयकरनेकाअवसरमिलगया.उसकेपश्चातमैंनेस्वामीविवेकानंदस्वामीकेगुरूकाकिरदारनिभाया.फिरमैनेतकरीबनबीसएपीसोडमेंअभिनयकियाथा.उसदौरानश्यामबाबूसेमेरीजोकरीबीबनी, उनकाकलाकारोंकेप्रतिजोप्रेमसम्मानदेखनेकामौकामिला, क्रिएटिवबहुतशांतअपनेकामकेप्रतिबहुतसमर्पितऔरसबसेबड़ीबातयहहैकिउन्होंनेहजारोंकलाकारोंकोएकमंचदिया.सिनेमामेंकामकरनेकाअवसरदिया. श्यामबाबूनेबाॅलीवुडकोबड़े-बड़ेकलाकारमसलन-अमरीशपुरीसाहबस्मितापाटिलशबानाआज़मीअन्नूकपूरसतीशकौशिकसहितसैकड़ोंकलाकारदिए, जिनकेबारेमेंकाफीकुछकहाजासकताहै.इसदेशकेअंदरजोआजमुंबईमेंनहींहै, वहतमामलोगभीउनकेसाथजुड़ेरहे.एकदमसाधारणबहुतसिंपलऔरसबसेबड़ीबातजोउनमेंथीवहयहकिउनकेसिनेमामेंकिसीकलाकारमेंमतभेदनहींहोताथा.ओमपुरीसहितहरकलाकारकेएकहीटेबललगताथाऔरउसीटेबलपरनाश्ताभीसाथमेंलंचभीसाथमेंऔरडिनरभीसाथमेंकरतेथे.मुझेउनकेे साथबहुतव्यवस्थितढंगसेकामकरनेकासौभाग्यमिला.बादमेंमैनेउनकेनिर्देशनमेंफिल्म ‘अंतर्नाद’ भीकी.इसफिल्मकीशूटिंगकेहीदिनोंमेंमेरीजिंदगीकीएकअद्भुतघटनाघटीथी.मेराजन्मदिनपड़ा, तोश्यामजीनेहमारेसाथकुलभूषणखरबंदा, पवनमल्होत्रा, वीरेंद्रसक्सेनासहितकईबड़े-बड़ेकलाकारोंकेसाथमेरेजन्मदिनकीपार्टीदी.डांडियानृत्यभीहुआथा.मुझेबहुतखुशीहुईथी.मुझेऐसालगाथा, जैसेकिमेराभीकुछवजूदहै.श्यामबाबूकीफिल्ममेंकामकरना, श्यामबेनेगलकेसाथकामकरनाकभीऐसालगताहीनहींथाकिहमएककरेक्टरहैं.उसपूरेमाहौलमेंहमजैसेकिरदारहीहोजातेथा.इसफिल्ममेंहमारेसाथशबानाआजमीजीभीथी.इसफिल्मकीशूटिंगकेदौरानहमलोगोंकोऐसालगताहैकिकमालहै, हमएक्टिंगकरनेनहीं, बल्किपिकनिकबनानेकेलिएआएहैं.औरश्यामजीहमेंएकदिनपहलेउसलोकेशनपरहमसभीकोलेजाकरकहतेथेकि, ‘यहवहजगहहै, जहांपरहमेंकलशूटिंगकरनाहै.जाओउनउनचीजोंकेसाथएकअपनापनबनाओ.’ जोबहुतबड़ीबातहोतीहै.एककलाकारकेलिएकिकिसीलोकेशन, जहांपरआपजाकरशूटकरतेहैंऔरउसेजगहकेसाथआपकेतालुकएकदिनपहलेबनजाताहै.अन्यथाकमर्शियलसिनेमाकेसेटपरजबहमकलाकारजातेहैं, तोकुछपताहीनहींहोताहैकिवहांक्याहोगा?
श्यामजीकेसाथबहुतहीअंतरंगतारजुड़ेहुएथे.कहतेहैंकि ‘पितापुत्र’ का, ‘छोटेवबड़ेभाई’ कासंबंध,जैसासभीकेसाथअपनापनरहता.यहमेराअपनाख्यालहै.हमेंलगताहैकिइसबातसेसभीलोगसहमतहोंगे.वहसभीलोग,जिनकलाकारोंनेश्यामबाबूकेसाथकभीभीकामकियाहो, चाहेवहएकदिनकामकियाहोयापूरावक्तगुजाराहोसिनेमाका.लेकिनवहआजभीश्यामबाबूकोभुलानहींसकता. भूलहीनहींसकता.मुझेतोश्यामबाबूकेसाथफिल्म ‘सरदारपटेल’ करनेकाअवसरमिला.मैनेइसफिल्ममेंराजगोपालाचारीकाकिरदारनिभायाथा.इसफिल्मकानिर्देशनकेतनमेहताजीनेकियाथा, मगरइसके क्रएटिबनिर्देशकश्यामबेनेगलहीथे.श्यामबबाूकेसाथकामकरतेहुएहमेंकभीऐसानहींलगताथाकियहहमकिसीकंपनीकेलिएकामकररहेहैंबल्किऐसालगताथाकिहमाराघरहै.हमाराअपनाप्रोजेक्टहै.हमइसमेंकामकररहेहैंपुरीशिद्दतकेसाथपूरीलगनकेसाथ.मैनेश्यामबाबूकेसाथलंबावक्तगुजाराहै,परमैंनेकभीनहींदेखाकिकिसीभीकलाकारयाअन्यकर्मीकोथोड़ासाभीहीनमहसूसहुआहो.
श्यामबेनेगलजीअपनेहरकलाकारकोअपनेपरिवारकासदस्यहीसमझतेथे.आपसेटपरहैंऔरआपकासीननहीफिल्मायाजारहाहे, तोउसवक्तआपफ्रीहैंतोभीआपकैरम, बैडमिंटन, फुटबॉलसेलेकरक्रिकेटतककुदभीसकतेहै.सेटपरसारासामानमौजूदरहताथा.
श्यामबाबूकाइससंसारकोअलविदाकहनामतलबऐसालगताहैकिजैसेअपनेहीपरिवारकीएकक्षतिहोगई.सिनेमानेएकऐसाशख्सखोदिया, जिन्होंनेइतनीफिल्मेंबनाई, जोदूसरेनहींकरपातेहैं.इतनेपुरस्कारइतनासम्मानइतनासबकुछउन्हेंमिला, अद्भुतहै.मेराख्यालहैकिकोईभीशख्सजोउनकादर्शकरहाहैयहकलाकारहा, कैमरामैनहो, स्पाॅटब्वाम्यहो, कोईभी, सभीकोलगताहैकिहमनेकुछबड़ाखोदिया.यहसिनेजगतकेलिएअपूर्णीयक्षतिहै.
सिनेमाकीसंगोष्ठियोंमेंश्यामबाबूपरजबचर्चाहोतीथी, तोविचारविमर्शहोताथाकिउनकीफिल्मोंकानजरियाक्याहै? तबकुछलोगकहतेथेकिवहसामंतवादकीकुरीतियोंकेखिलाफबातकरतेरहेहै.आपउनकीफिल्म ‘अंकुर’ कोलीजिए.सामंतवादकेखिलाफएकमिशनथा.इसीवजहसेकुछलोगोंकामाननाथाकिशायदवहकम्युनिस्टविचारधाराकेहैं? परवहींआपफिल्म ‘मंथन’ कोलीजिए.दूधजैसीसमस्यापरकिसतरहसेएकआंदोलनखड़ाहोताहैऔरउसेआंदोलनकोलेकरसमाजमेंसामंतवादतथाजातिवादआदिकोहटाकरएकऐसीविचारधाराकीबातकीजो ‘सबकासाथ’ कीबातकरतीहै.सबकासाथमिलकरएकदिशाबनातेहैं.प्रयासकरतेहैं.फिर ‘सरदारपटेल’ फिल्मभीबनाई.सरदारपटेलकहांकम्युनिस्टथे? सरदारपटेलइसदेशकेलिएएकप्रमुखव्यक्तिथे.वहकभीकिसीएकविचारधाराकापोषकयाएकसत्ताकापोषकनहोकरसर्वहाराकीबातकरतेरहे.समाजकेअंदरविचारधाराकोलेकरजोबहसहोतीहै, उसमेंअगरआपकिसीफिल्मफिल्मनिर्देशककीबातकरतेहैं, तोउसेकिसीखासतमगेमेंनहीबांधनाचाहिए.उसदौरमेंतोएककमर्शियलसिनेमाथाऔरदूसरापैरललसिनेमायासमानांतरसिनेमाथा, जिसमेंयथार्थवादीसमस्याओंकोउठायाजातारहा.उन्होंनेअपनीफिल्मोंमेंराजनीतिकदृष्टिकोणकोबहुतगहराईसेसमझतेहुएअपनेविचारफिल्मकेमाध्यमसेजनमानसतकरखें.सरदारपटेलआजकीतारीखमेंइतिहासकेप्रमुखकिरदाररहेहैं, तोवहींश्यामबेनेगलनेहीदेशकीसभ्यतावसस्कृतिकीबातकरनेवाला 54 एपीसोडकासीरियल ‘‘डिस्कवरीऑफइंडिया’’ यानीकि ‘भारतएकखोज’ बनाया.भारतएकखोजमेंभारतकीसंस्कृतिभारतकाइतिहासकोपंडितनेहरुजीकीकिताब ‘डिस्कवरीऑफइंडिया’ केमाध्यमसेसमाजमेंरखागया.इसमेंउनसारीचीजोंकासमावेशहैहमारानजरियाहमारीसंस्कृति.हमारीसंस्कृतिकोजीवितरखनेकीजोलालसाहै, आधुनिकरणऔरसंस्कृति.हमअपनीसंस्कृतिपरअगरआघातहोनेदेतेहैंऔरहमआयातितसंस्कृतिकीराहपरचलपड़तेहैं, तोआपयकीनमानिएकेकिसीमुल्ककोअगरबर्बादकरनाहोतोसबसेपहलेउसकीसंस्कृतिपरप्रहारकरनाचाहिए.अयातितसंस्कृतिमेंविज्ञानबिल्कुलजरूरीहै.विज्ञानमेंजोचीजेंदुनियामेंहोरहीहै, वहहमारेपासभीआनीचाहिएऔरहमारेदेशकाभीविकासहोनाचाहिए.मगरहमारीअपनीसंस्कृतिकोनष्टकरनेवालीआयातितसंस्कृतिकाफिल्मोंकेमाध्यमयेविरोधभीजरुरीहै.
अबआपदेखिएकिजहांएकगांवकीवेशभूषा, वहांकेकिरदार, वहांकीसमस्याएंहैं, उनसमस्याओंकानिदानकैसेहोसकताहै? अगरइसबातपरहमविचारकरतेहैंऔरफिल्मकेमाध्यमसेयहबातबतातेहैं, तोक्यागलतहै? सिनेमामनोरंजनकामाध्यमहै, लेकिनउसकेभीतरएकशिक्षाभीहोतीहै.लोगउससेप्रभावितभीहोतेहैं.तोअगरश्यामबाबूनेकिसीफिल्ममेंएकप्रहारकियाहैतोउन्होंनेकहींनाकहींव्यवस्थाकेखिलाफभीबातकी.आपउन्हेंकिसीबॉक्समेंकिसीखातेमें, किसीदर्जेमेंनहींबांधाजासकता.सिनेमामेंएककहानीहोतीहैऔरउसेकहानीकेमाध्यमसेनिर्देशकअपनीबातकहताहै.जैसेआपश्यामबाबूकीहालफिलहालकीफिल्म ‘वेलकमटूसज्जनपुर’ कोहीलीजिए.यहकहानीएकमिथहैकिदुल्हेपरपंडितोंकेहिसाबसेकहदियागयाकिइसपरकोईदोषहै,तोउसकीकुत्तेसेशादीकरदोयाझाडसेशादीकरदो.बहुतसेलोगसमाजमेंझाडसेपहलेअपनीहोनेवालीपत्नीकीशादीकरादेतेहैं, उसकेबादउसपत्नीकेसाथखुदविवाहकरतेहैं.बहुतसेलोगकुत्तोंकेसाथविवाहकरदेतेहैं.उसकेबादअपनीहोनेवालीपत्नीसेविवाहकरतेहैं.तोवहींसमाजमेंएकव्यवस्थाहैजहांसरकारीफंडदियाजाताहै.गांवमेंएकआदमीकुआंखुदवानचाहताहै.जिसकेलिएवहसरकारीकार्यालयमेंजाकरअपनीफाइलदेताहैकिभाईमुझेकुआंखुदवानाहै. इसकेलिएसाथमेंउसेटेबलपररिश्वतदेनीपड़तीहैऔररिश्वतदेतेदेतेजोमूलधनउसेकुआंबनवानेकेलिएमिलनाहै, वहपूराकापूरारिश्वतमेंचलाजाताहै.फिरउसकीसारीफाइलोंमेंलिखदियाजाताहैकिकुआंखुदगयाऔरसबकुछहोगया.औरमैंवैसेभीशहरमेंप्रतिदिनइसीतरहकेकारनामेदेखतारहताहॅूं.कुछसमयपहलेकीबातहै.एककॉलोनीमेंएकरोड़बना.जिसकाउद्घाटनभीहोगया.फोटोछपगए.दूसरेदिनदूसरेसरकारीकार्यालयकाआदमीआयाउसनेअपनाविरोधजताकररोडखुदवादिया.तोहमारीजोव्यवस्थाहैउसव्यवस्थाकीखामियोंकोअगरश्यामबाबूनेसमाजकेसामनेरखा, तोइसेकिसीविचारधाराकानामदियाजानासहीनहीहै.यहकोईविचारधरानहींबल्किसमाजकायथार्थहै.दोषहै.पूरेशहरमेंसड़कपरकिसीनकिसीबहानेसड़ककीखुदाईहोरहीहै,तोइसकेराजनीतिकफायदेभीहैंऔरआर्थिकफायदेभीहैं.जबहमफिल्मबनातेहैं, तोहमेंसमाजमेंयहदेखनापड़ेगाकिअगरहमनेकॉलोनीबनादीऔरकॉलोनीबनगईलोगोंनेवहांघरलेलिएऔरउसकेबादमेंवहांपीनेकापानीनहींहैलोगटैंकरमांगतेहैंटैंकरकापानीपीतेहैंवहखड़ीकागंदाकुएकापानीलाकरसप्लाईकरतेहैंलोगबीमारहोतेहैंउसकेबारेमेंअगरकोईबातकरताहैतोवहखामियांनहींहैवहसमाजकीखामियोंकोदर्शाताहै.तोजबहमश्यामबाबूपरचर्चाकरतेहैंतोकईबारमेरेसाथकेलोगोंनेकहा, तबमेनेउन्हेजवाबदियाकिभाईऐसीबातनहींहै.समाजहमारादेशहै, उसकाकल्चरहै.उसकीजोसमस्याएंहैं.पानीकीसमस्या, सड़ककीसमस्या, बिजलीकीसमस्या.जातिभेदकीकुरातीयाआदि.डाॅक्टरअंबेडकरसाहबनेभीइनसमस्याओपरबातकी.उन्हीपरबातकरतेहुएसरदारपटेलनेदेशकोजोड़नेकाकामकिया.तोकहींनाकहींचीजोंकोबैलेंसकरतेहुएएकवैचारिकफिल्मबनानाकम्यूनीजमनहींहै.मेरेहिसाबसेएकनिर्देशकसमस्यापरउंगलीरखकरआपकोएहसासदिलारहाहै, तोइसकाअर्थयहहैकिसमस्याकानिदानकियाजानाआवष्यकहै.मेरामाननाहैकिसिनेमासमाजकाआईनाहै.एककहानीकेमाध्यमसेहमसमाजकोजागरुककरतेहैं.कमर्शियलफिल्मेंतोबहुतसीबनतीहै.हीरोआयाउसनेबहुतसीचीजकीबड़ाआदमीबनगया.दर्शककेतौरपरहमएकफैंटसीमें, काल्पनिकसंसारमेंचलेजातेहैं.औरफिल्मदेखकरखुशहोकरघरचलेआतेहैंऔरकल्पनाकरतेहैंकिकलबूटपॉलिशकररहाथाआजमैंकारमेंबड़े-बड़ेरेस्टोरेंटहोटलऔरफ्लाइटमेंघूमरहाहूं.यहएककाल्पनिकदुनियाहै.सिनेमाकल्पनाकाव्यवसायहै.लेकिनकभी- कभीऐसेनिर्देशकभीहैं, जोयथार्थकोछूतेहैं.मसलनश्यामबाबूकीफिल्म ‘‘सरदारपटेल’’, जिसमेंमैंनेभीअभिनयकिया.अतिमहत्वपूर्णव्यक्ति,हमारेदेशकीआजादीकेलिएहमारेदेशकेनिर्माणकेलिएबहुतबड़ायोगदानहै.तोराजनीतिकविरोध, राजनीतिकसोच, इनकाअपनाएकहिस्सासिनेमामेंहोनास्वाभाविकहै.अगरकोईइंसानसिनेमादेखकरबाहरनिकलताहैऔरवहसोचताहैकिउसेयहबातसीखनेयासमझनेकाअवसरमिला, जोसमाजकीसमस्याहै. तोयहएकबड़ीबातहै.
मैंश्यामबाबूकेअंतिमसंस्कारमेंभीगयाथा.वहांबड़े-बड़ेकलाकारलेखकसबलोगमौजूदथे.सभीकीआंखेंनमथी.श्यामबाबूकाजानाहरकिसीकोखलरहाथा.नासिरभाईथे, कुलभूषणखरबंदाथे.सभीलोगवहांमौजूदथेऔरसबकीआंखोंमेंएकबिछड़नेकागमथा.हिंदीसिनेमाकेलिएश्यामबाबूएकमीलकापत्थरकेथे.उनकेजैसानिर्देशक,जोनएकलाकारोंकोऐसामौकादें,जिससेवहअपनीकाबिलियतकोसाबितकरपाए,बहुतमुश्किलबहुतमुश्किलहै.श्यामबाबूनेकभीकिसीकलाकारकाचयनउसकाऑडिशनलेकरनहींकियाश्यामबाबूकलाकारसेमिलतेथे, 5 मिनटबातकरतेथे.उससेउसकेबारेमेबातकरतेथेऔरफिरउसकीयोगयतासमझकरउसेअपनीफिल्ममेंकिरदारनिभानेकाअवसरदेदेतेथे.कभीमनानहींकरतेथे.उनकामाननाथाकिआदमीदेखसकताहै, बोलसकताहै, सुनसकताहै, चलसकताहै, अपनेहाथपैरहिलासकताहै, तोउसेसकामकरवायाजासकताहै. वहपारखीनजरवालेनिर्देशकथे.पतानहीकैसेसिर्फपांचमिनटकीबातकरवहसमझजातेथेकियहइंसानइसकिरदारकोनिभापाएगायानहीं.संवादबोलपाएगायानहीं... इतनाविश्वासथाउन्हेंकलाकारोंपर.वरनाआपसोचिएस्मितापाटिलजी, अमरीशपुरीजी, ओमपुर, शबानाआज़मीजीसहितकितनेबड़े-बड़ेकलाकार,उन्हीकीदेनहैं.मैंनेकहानाहजारोंहजारकलाकारश्यामबाबूकीदेनहै.मैंतोचाहताहूंकिफिरकोईश्यामबाबूआएऔरफिरआनेवालीपीढ़ीकोमौकादे.यहीमेरेश्रद्धासुमनहैं.मेरीश्रद्धांजलिहै.मैंतोउनकोसाधुसन्यासी, बाबा, एककलाकार, एकचित्रकार, एकमूर्तिकार, एकफकीर, साधारणसाविद्वानव्यक्ति, सिनेमाकेबूंदबूंदकोजाननेवाला, पूराएकदरियाहमेंछोड़करचलागया.बसइसकेसाथहीमैंश्यामबाबूकीआत्माकोनमनकरताहूं.वहजहांरहेंखुशरहेऔरफिरइससंसारमेंजन्मलेऔरफिरआनेवालीपीढ़ीकोआनेवालेनएकलाकारोंकोएकबारफिरमौकादे.
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