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इन दिनों सोशल मीडिया पर जीत अडानी सुर्खियों में हैं, जो 7 फरवरी, 2025 को दिवा शाह के साथ शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. इनमें से ज़्यादातर लोगों का अनुमान है कि यह आयोजन बेहद भव्य होगा, जिसमें कई जाने-माने सेलिब्रिटी अपनी मौजूदगी से समारोह की शोभा बढ़ाएंगे. परंतु गौतम अडानी ने इन सभी अटकलों को दरकिनार करते हुए कहा कि, यह विवाह बेहद पारंपरिक और निजी समारोह होगा जिसमें परिवार के रिश्तेदार और करीबी दोस्त शामिल होंगे, जो स्वागत योग्य कदम है. अडानी परिवार ने समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने और समुदाय की भलाई के नेक काम को इस उत्सव का हिस्सा बनाया है, और यही बात इस विवाह को सही मायने में अनोखा बनाती है.
यह बात जगजाहिर है कि, जीत हमेशा से ही दिव्यांगजनों (PwDs) के उत्थान के बड़े हिमायती रहे हैं, जिन्होंने इस सामाजिक ज़िम्मेदारी को अपने विवाह के जश्न का हिस्सा बनाने का फैसला किया है. वे मानते हैं कि यह सिर्फ़ स्नेह भरा मिलन नहीं है, बल्कि इसका नाता दिव्यांगजनों के उस हुनर और काबिलियत से है, जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है. इस नेक पहल के ज़रिये उन्होंने सही मायने में विवाह के आयोजन की एक नई मिसाल कायम की है, जिसमें उत्सव पारिवारिक सीमाओं के दायरे से निकलकर सामाजिक हो जाता है.
जनकल्याण की भावना हमेशा से ही अडानी परिवार के दिल में बसी है. अडानी फाउंडेशन की ग्रीनएक्स टॉक्स (GreenX Talks) उनके इसी संकल्प की एक मिसाल है. यह बदलाव लाने वाले ऐसे लोगों को सक्षम बनाने की पहले है, जो अपने कार्यों में समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को मुनाफ़े से ज़्यादा अहमियत देते हैं. ग्रीनएक्स के ज़रिये, यह फाउंडेशन 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को बढ़ावा देता है और इसने पहले ही देश भर के 9 मिलियन से अधिक लोगों, खास तौर पर समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.
परंतु, जीत की समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिशें सिर्फ़ फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्यों तक ही सीमित नहीं हैं. उन्होंने शार्क टैंक में भी समाज के सबसे कमजोर तबके के लोगों के उत्थान के बारे में बात की थी, और कहा था कि दिव्यांगजनों की काबिलियत को सीमाओं में बांधना उचित नहीं है. मिट्टी कैफे और फैमिली फॉर डिसेबल्ड जैसे NGOs के साथ साझेदारी के माध्यम से, जीत इस बात की हिमायत करते हैं कि रोजगार ही व्यक्ति को सम्मान दिलाने और सक्षम बनाने का सबसे बड़ा साधन है. उनकी ये मुहिम अडानी समूह के उस आदेश से मेल खाती है, जिसके अनुसार समूह के कर्मचारियों में 5% दिव्यांगजन शामिल होने चाहिए.
जीत निजी तौर पर समाज में बदलाव लाना चाहते हैं, और उनका यह संकल्प मिट्टी कैफ़े विजिट के बाद स्पष्ट रूप से सामने आया. गौरतलब है कि, यह दिव्यांगजनों को रोजगार देने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था है. इस संस्था की संस्थापक अलीना से प्रेरित होकर, उन्होंने मुंबई एयरपोर्ट पर मिट्टी कैफ़े के उद्घाटन में अपना सहयोग दिया. उनकी इस विजिट से यह जाहिर होता है कि, अडानी समूह भी समावेशी रोजगार को बढ़ावा देने के अपने इरादे पर अटल है.
इसके अलावा, मशहूर डिजाइनर मनीष मल्होत्रा और FOD के बीच की साझेदारी भी बड़ा बदलाव लाने वाली है, जो यकीनन अव्वल दर्जे के फैशन और समाज की भलाई के नेक काम की बेजोड़ जुगलबंदी साबित होगी. साथ ही, मनीष मल्होत्रा को जीत और दिवा की शादी के लिए शॉल डिजाइन करने की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें बेमिसाल कारीगरी और दिव्यांगजनों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के मिशन का शानदार संगम दिखाई देगा.
इसके अलावा, इस शादी में FOD और काई रस्सी जैसे एनजीओ के साथ देश भर के हुनरमंद कारीगरों के कौशल एवं उनकी कारीगरी का प्रदर्शन किया जाएगा. इस मामले में, निकिता जी और प्रकाश जी ने बहुत अच्छा काम किया है और उन्होंने बेमिसाल आभूषणों और नेल आर्ट की कलाकृतियों को बेहद खूबसूरती से सजाया है, साथ ही फिरोजाबाद के कांच के कारीगरों ने भी बड़ी ही मनमोहक कलाकृतियां तैयार की हैं. ये सभी दिव्यांग कारीगर हैं, जिन्हें उनके हुनर और उनकी कलाकारी के लिए यह सम्मान दिया जा रहा है, साथ ही यह विवाह के आयोजन के ज़रिये लोगों को सक्षम बनाने के मिशन में भी योगदान देता है.
शादी से पहले शुरू की गई इस पहल को 'मंगल सेवा' नाम दिया गया है. इसके तहत, हर साल 500 नवविवाहित दिव्यांग महिलाओं को आर्थिक सहायता दी जाएगी, साथ ही उन्हें विवाह के बाद आत्मसम्मान और आत्मविश्वास के साथ अपने जीवन की शुरुआत करने के लिए सक्षम बनाया जाएगा. उन्हें गरिमा और बुलंद हौसले के साथ नई ज़िंदगी शुरू करने के लिए हर साल 10 लाख रुपये दिए जाएंगे. जीत ने 25 नवविवाहित दिव्यांग महिलाओं और उनके पतियों से निजी तौर पर मुलाकात करके उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की, जो समाज के हर तबके के लोगों को साथ लेकर चलने के उनके संकल्प को दर्शाता है. जीत के पिता, श्री गौतम अडानी ने कहा कि उन्हें मंगल सेवा पर गर्व है, साथ ही वे इसे इस दुनिया को और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा योगदान मानते हैं. उनका मानना है कि, इस पहल से कई दिव्यांग महिलाओं के लिए आजीवन खुशहाली और सम्मानजनक तरीके से ज़िंदगी बिताने की राह आसान हो जाएगी.
सही मायने में अडानी परिवार की यह नेक पहल बड़ी गहरी बात बयां करती है, जिसमें प्यार और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश का मेल दिखाई देता है. अडानी परिवार ने गैर-सरकारी संगठनों और कारीगरों के साथ मिलकर विवाह का जश्न मनाने, साथ ही इस आयोजन के ज़रिये दिव्यांगजनों को सक्षम बनाने और स्थानीय शिल्पकला को सम्मानित करने की तैयारी की है.
समाज के हर तबके को साथ लेकर चलने की यह भावना, सादगी भरे विवाह के आयोजन को एकजुटता और नेक इरादे की घोषणा में बदल देती है. यह इस परिवार के दिल में बसे आदर्शों पर सकारात्मक प्रभाव डालने और उन्हें लंबे समय तक कायम रखने की कोशिश है. इसके ज़रिये वे इस सिद्धांत को जीवन में उतारते हैं कि जश्न मनाने का सही मतलब सिर्फ़ का मौज-मस्ती करना और आनंद लेना नहीं होता है; बल्कि ऐसे आयोजन जीवन को भी प्रभावित करते हैं और ऊंचे आदर्शों वाले नेक काम में सहयोग देते हैं.
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