कल ही, लीजेंडरी प्लेबैक सिंगर, एक्टर, म्यूजिक कंपोज़र द ग्रेट अमित कुमार को महाकवि कालिदास नयनमंदिर मुलुंड में मंच पर अपनी पूरी ठसक के साथ गाते देखा, जो एक शानदार इवेंट था. जब प्रशंसक अपने इस पसंदीदा सितारे को लाइव देखने के लिए इकट्ठा हुए तो माहौल जोशपूर्ण चीयरिंग से भर उठा. कार्यक्रम स्थल, हर उम्र के लोगों से खचाखच भरा हुआ था जिनमें युवा प्रशंसक जो उनके सुपर हिट फ़िल्म सॉंग्स सुनकर बड़े हुए थे और वो अस्सी नब्बे दशक के लोग जिन्होंने बॉलीवुड संगीत जगत में अमित कुमार का जलवा देखा था सब मौजूद थे. जैसे ही अमित ने मंच पर कदम रखा, भीड़ खुशी से चीखने लगे. उन्होंने अपने कुछ क्लासिक हिट्स के साथ शुरुआत की, जिसमें हर कोई झूमने पर मजबूर हो गए, वो ऊर्जा संक्रामक थी. आप उस संगीतमय महफिल के हवा में उत्साह महसूस कर सकते थे. लोग नाच रहे थे, तालियाँ बजा रहे थे और उसके गाए हर नोट का जश्न मना रहे थे. यह एक बड़ी संगीत पार्टी थी. शो का एक मुख्य आकर्षण वह था जब उन्होंने "याद आ रही है" प्रस्तुत किया. भीड़ क्रेज़ी हो गई. यह एक जादुई क्षण जैसा महसूस हुआ जहां समय ठहर गया और हर कोई संगीत के प्रेम से एकजुट हो गया. अपने पिता लीजेंडरी आलराउंडर स्टार किशोर कुमार की तरह ही अमित का करिश्मा और मंच पर उपस्थिति निर्विवाद थी. उन्होंने गानों के बीच दर्शकों के साथ बातचीत की, अपने जीवन और करियर की कहानियां साझा कीं, जिससे एक अजब समा बंध गया. हमेशा की तरह, यह उनके शानदार करियर में एक और सफल इवेंट था. भीड़ से जुड़ने की उनकी अद्भुत क्षमता वैश्विक स्तर पर एक संगीत आइकन के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करती रही है. अमित कुमार भारतीय संगीत परिदृश्य में सिर्फ एक नाम नहीं है, वह एक विरासत है. 3 जुलाई 1952 को जन्मे, अमित कुमार गांगुली बॉलीवुड इतिहास के सबसे प्रिय मेल पार्श्व गायकों में से एक, महान किशोर कुमार के बेटे हैं, यह तो सब जानते हैं. अमित ने एक प्रतिभाशाली गायक, संगीत निर्देशक और लेखक के रूप में संगीत जगत में अपनी अलग पहचान बनाई है. उनकी मखमली आवाज़, अविश्वसनीय गीतों, अविस्मरणीय प्रदर्शनों और संगीत के प्रति जुनून से भरी हुई उनके जज़्बात, दुनिया भर के प्रशंसकों के जुबान पर है. अमित ऐसे परिवार में पले-बढ़े थे जहां संगीत जीवन का एक तरीका था, अमित बहुत छोटी उम्र से ही गीत, संगीत, धुनों से घिरे हुए थे. उनके विश्वप्रसिद्ध गायक पिता किशोर कुमार सिर्फ गायक ही नहीं बल्कि अभिनेता, निर्देशक, लेखक और निर्माता भी थे. इतनी समृद्ध संगीत विरासत के साथ, यह स्वाभाविक था कि अमित अपने पिता के नक्शेकदम पर चलेंगे. उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही गाना शुरू कर दिया था. पहले कोलकाता के दुर्गा पूजा उत्सव या फिर लोकल उत्सवों में बाल गायक के रूप में गाने लगे, और जल्द ही अपनी अनोखी आवाज और शैली के लिए जाने जाने लगे. बंगाली सिनेमा जगत के महानायक उत्तम कुमार द्वारा आयोजित ऐसे ही एक कार्यक्रम में बालक अमित कुमार को लोगों ने गाते देखा तो दर्शक चमत्कृत रह गए. पिता किशोर कुमार ने भी बच्चे की प्रतिभा को समझा और अपने साथ मुंबई ले आए. किशोर कुमार ने अपने बेटे को लेकर दो फ़िल्में बनाई 'दूर गगन के छाँव में' और 'दूर का राही' जिसमें अमित ने एक गाना 'मैं एक पंछी मतवाला' गाया था जो एडिटिंग में कट गया लेकिन अमित की आवाज़ में, उस ज़माने के संगीतकारों ने विशाल संभावनाएं देखी. अमित कुमार ने सत्तर अस्सी और नब्बे के दशक के दौरान संगीत उद्योग में अपनी बुलंद पहचान बनाना शुरू किया. उनके गाए गाने, नज़र लगे ना साथियों' बड़े अच्छे लगते हैं, आती रहेंगी बहारें, तेरी याद आ रही है, तू रूठा तो मैं, क्या हुआ एक बात पर, देखो मैंने देखा है एक सपना, ये ज़मीन गा रही है, ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा ,पहले पहले प्यार की, यह लड़की ज़रा सी दीवानी लगती है, जीना नहीं मुझे है मरना, तिरछी टोपी वाले, कैसा लगता है, लैला ओ लैला, बोले चूड़ियाँ, गब्बर सिंह ये कहकर गया, डोंट से नो, और भी ढेर सारे गाने एक के बाद एक हिट होने लगे. अपने गायन के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की उनकी क्षमता ने दर्शकों के दिल में उनके लिए एक अलग जगह बनाई. प्रत्येक गीत एक कलाकार के रूप में उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है, चाहे वह रोमांटिक गीत हों या उत्साहित नृत्य संख्याएँ. लेकिन अमित उन सिंगर्स में से नहीं थे, जो ज्यादा से ज्यादा गानें पाने के लिए बड़े संगीतकारों से मिलते रहे. वे सिर्फ उन्ही म्यूजिक डाइरेक्टरस् के साथ काम करते थे और आज भी करते हैं जिन्हे वे पसंद करते हैं और जो उनके प्रतिभा के स्तर के गीत उन्हे ऑफर करते रहें हैं. आर डी बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जतिन ललित उनके पसंदीदा संगीतकार रहे हैं. आर डी बर्मन के निधन के बाद अमित कुमार ने कम गाने स्वीकार करना शुरू किया. उनके अनुसार अब क्वालिटी गाने ज्यादा कहाँ बनते हैं. अब तो अगर आपका गाना रील्स में ट्रेंड नहीं कर रहे हैं तो वो हिट नहीं है. वे अपने को किसी रैट रेस में शामिल करना पसंद नहीं करते. अमित कुमार की प्रतिभा भारत तक ही सीमित नहीं है, उन्होंने दुनिया भर के सभी देशों में सैकड़ों संगीत समारोहों में परफॉर्मेंस किया है. उत्तरी अमेरिका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक, उनके शो ने उनके संगीत के दीवाने दर्शकों को आकर्षित किया है. उनके पास प्रशंसकों से जुड़ने का एक विशेष तरीका है, जिससे प्रत्येक संगीत कार्यक्रम सिर्फ एक सामान्य प्रदर्शन के बजाय एक अंतरंग सभा जैसा महसूस होता है. अमित कुमार को क्या खास बनाता है? यह सिर्फ उनकी अद्भुत आवाज नहीं है, यह उनका वास्तविक व्यक्तित्व भी है. वह अपनी तमाम सफलताओं के बावजूद विनम्र और जमीन से जुड़े रहने के लिए जाने जाते हैं. वैसे वे काफी रिजर्वड हैं, लेकिन प्रशंसक इस बात की सराहना करते हैं कि कैसे वह उनसे जुड़ने के लिए समय निकालते हैं, चाहे वह सोशल मीडिया के माध्यम से हो या संगीत कार्यक्रमों के दौरान. वे अक्सर संगीत में अपना रास्ता बनाने के साथ-साथ अपने पिता की विरासत को भी श्रद्धांजलि देते हैं. जैसे-जैसे अमित अपनी संगीत यात्रा जारी रख रहे हैं, प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार है कि वह आगे क्या करेंगे. चाहे वह नए गाने हों या अविस्मरणीय लाइव प्रदर्शन, एक बात निश्चित है, अमित कुमार का हमारे दिलों में हमेशा एक विशेष स्थान रहेगा! वे इन दिनों अपना खुद का म्यूजिक कंपोज़ करने में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हे ना पुराने जमाने के फिल्मी गीत सुनने की फुर्सत मिलती है, ना नए ज़माने की. जब तक उन्हे कोई बहुत बढ़िया ऑफर ना मिले वे फिल्मों के लिए गाना पसंद नहीं करते. वे देश विदेश में लाइव शो करते हैं, खुद के बनाए गीत और अपने या पिता किशोर कुमार के हिट फिल्मी गीत सुनाकर दर्शकों को दीवाना बना देते हैं. उन्होने हाल ही में राज चक्रवर्ती की बंगाली फ़िल्म में मिथुन चक्रवर्ती के लिए गाना 'बंधु रे' गीत गाया और हिंदी फिल्मी गीत के लिए भी ओपन है बशर्ते वो बेस्ट हों. अमित कुमार, अपनी प्यारी खूबसूरत पत्नी रीमा गांगुली और सुंदर प्रतिभाशाली बेटी मुक्तिदा गांगुली के साथ अपने स्वतंत्र करियर में मस्त हैं. 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