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Lata Mangeshkar legacy: 25 रुपए से 500 और 500 रुपये से लेकर लाखों तक: लता मंगेशकर की आवाज़ का अमूल्य सफर

भारतीय प्लेबैक सिंगिंग की आइकॉन लता मंगेशकर ने अपने करियर की शुरुआत एक गाने के 500 रुपये से की थी। वर्षों की मेहनत और प्रतिभा ने उनकी फीस को लगभग 9900% बढ़ा दिया,

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Lata Mangeshkar legacy
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Lata Mangeshkar legacy: भारतीय संगीत की स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी के करियर में उनकी शुरुआती फीस सिर्फ 500 रुपये रही थी, लेकिन बाद के दौर में यह रकम 9900% तक बढ़ गई थी। यानी उनकी अंतिम दौर की प्रति गाने की फीस लाखों में पहुंच चुकी थी

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भारतीय संगीत की दुनिया अगर किसी एक आवाज़ के बिना अधूरी लगती है, तो वो हैं लता मंगेशकर। उन्हें सिर्फ एक गायिका कहना उनके साथ नाइंसाफी होगी। दरअसल वे एक संस्था थीं। उनकी आवाज़ ने ना सिर्फ सैकड़ों फिल्मों को अमर बनाया बल्कि हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गई।  (Lata Mangeshkar awards and achievements)

Lata Mangeshkar

Lata Mangeshkar Death Annive

लता मंगेशकर की फीस का सफर: शुरुआती 500 रुपये से लेकर लाखों तक

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी बड़ी शख्सियत को शुरुआती दिनों में कितनी फीस मिलती होगी? सुनकर आपको शायद हैरानी हो कि अपने करियर के शुरू में लता जी को एक गाना गाने के सिर्फ 500 रुपये मिलते थे। और जीवन के उत्तरार्ध में यही रकम लाखों में पहुंच गई। रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी अंतिम दौर की प्रति गाने की फीस शुरुआती दौर की तुलना में करीब 9900% ज्यादा थी।  (Lata Mangeshkar Bharat Ratna and Padma Vibhushan)

Lata Mangeshkar

शुरुआती दौर की कहानी  

लता मंगेशकर का फिल्मी सफर आसान नहीं था। पिता के निधन के बाद जिम्मेदारियां उनके कंधों पर आ गईं। उस वक्त फिल्मों में उनकी एंट्री महज घरेलू हालात की मजबूरी थी। 1940 के दशक में जब उन्होंने गाना शुरू किया, तब इंडस्ट्री में पुरुष गायकों का दबदबा था। साथ ही शम्शाद बेग़म जैसी स्थापित महिला गायिकाएं पहले से मौजूद थीं।  (Lata Mangeshkar fees and royalties)

Lata Mangeshkar

उन दिनों संगीत निर्देशक भी नए गायक को ज्यादा फीस नहीं देते थे। पहले जब वे एकदम नई थी और मात्र १३ साल की थी तब उन्हें एक गाने के लिए सिर्फ २५ रुपए दिए जाते थे। धीरे धीरे उनकी आवाज निखरती रही और वे बड़ी बड़ी नायिकाओं और बड़ी बड़ी फिल्मों के लिए गाने लगी। तब जाके उनके शुरुआती सदाबहार गानों के लिए उन्हें सिर्फ 500 रुपये दिया जाने लगा। सोने की कीमत और महंगाई के हिसाब से ये रकम उस दौर में भी बहुत बड़ी नहीं थी। लेकिन उन्होंने कभी पैसों को लेकर शिकायत नहीं की। उनके लिए गाना पूजा थी। (Lata Mangeshkar dedication to music)

लता मंगेशकर की फीस और लोकप्रियता का सफर: 500 रुपये से लेकर लाखों तक

1949 में फिल्म महल का गाना "आएगा आने वाला" जब सुपरहिट हुआ, तो लता मंगेशकर का नाम घर-घर गूंजने लगा। इसके बाद तो जैसे कामयाबी उनकी राह देखने लगी। नौशाद, शंकर-जयकिशन, मदन मोहन और एस.डी. बर्मन जैसे बड़े संगीतकारों के साथ उन्होंने दर्जनों गाने गाए।  

जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी, वैसे-वैसे उनकी फीस भी बढ़ने लगी। 1960 से 80 के दशक में तो उन्होंने गाने की दुनिया पर राज किया। उस समय इंडस्ट्री में यह माना जाने लगा कि अगर फिल्म में लता मंगेशकर का गाना नहीं है, तो फिल्म अधूरी है। 

Lata Mangeshkar's fees and rise to fame: From Rs 500 to lakhs

यही वजह थी कि धीरे-धीरे उनकी शोहरत इतनी बढ़ी कि प्रोड्यूसर उन्हें साइन करने के लिए मोटी फीस देने के लिए लाइन लगाने लगे। शुरुआती दौर की 500 रुपये की फीस 80-90 के दशक में बढ़कर हजारों में पहुंच चुकी थी। और 2000 के बाद तो ये रकम लाखों रुपये प्रति गीत तक जा पहुंची। 

रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उनकी अंतिम दौर की प्रति गाने की फीस शुरुआती रकम से 9900% ज्यादा थी। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि इस बात की गवाही है कि किस तरह एक कलाकार मेहनत, जुनून और हुनर से अपनी कीमत तय करता है।  

आज के जमाने में जब बड़े-बड़े सिंगर्स एक गाने के लिए करोड़ों रुपये मांगते हैं, वहां लता मंगेशकर का सफर मिसाल है। उन्होंने कभी पैसों के पीछे भागने की बजाय अपने गाने और कला को प्राथमिकता दी। यही वजह है कि उनकी आवाज़ आज भी अमर है।  

Lata Mangeshkar

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उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि पाकिस्तान से लेकर लंदन और न्यूयॉर्क तक कॉन्सर्ट्स में उनके गाने बजीं। दुनिया भर की महिलाएं उनकी आवाज़ को अपने जीवन का हिस्सा मानती थींl (Lata Mangeshkar fight for singer community)

लता मंगेशकर का संगीत और मानवता का समर्पण: फीस से आगे का जुनून

हालांकि फीस का बढ़ना एक उपलब्धि है, लेकिन उनके लिए असली पुरस्कार लोगों का प्यार था। उन्होंने अपने करियर में पांच राष्ट्रीय पुरस्कार, फिल्मफेयर अवॉर्ड्स, पद्मविभूषण और भारत रत्न हासिल किए। म्यूजिक डायरेक्टर्स अकसर कहते थे कि लता जी का गाना रिकॉर्ड करना उनके लिए सबसे आसान काम होता था, क्योंकि वो नोट्स इतनी सफाई से पकड़ती थीं कि गाने में कोई कमी ढूंढना ही मुश्किल हो जाता था। एक किस्सा मशहूर है कि मदन मोहन साहब जब लता जी को गाना सुनाते थे, तो कहते थे – “अब इसके आगे मुझे कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं, ये गाना आपकी आवाज़ खुद पूरा कर देगी।”  

Lata Mangeshkar

भले ही उनकी फीस लाखों में पहुँच गई थी, पर लता जी ने कभी पैसे को गाने पर हावी नहीं होने दिया। हां उन्होंने गायकों के रॉयल्टी के लिए खूब लड़ाई की और जीत भी गई लेकिन ऐसा उन्होंने अपने लिए नहीं, पूरे गायक समुदाय के लिए किया l कभी-कभी जब किसी गरीब प्रोड्यूसर की फिल्म होती और बजट कम रहता, तो वो बहुत कम फीस में या कभी-कभी मुफ्त में भी गा देती थीं। उनके लिए गाना सिर्फ एक पेशा नहीं था, बल्कि पूजा थी। (Lata Mangeshkar music and humanity)

एक बार एक छोटे निर्माता ने उनसे कहा कि उनके पास पूरा पैसा नहीं है, तो लता जी ने मुस्कुराकर कहा – “गाना अच्छा होना चाहिए, पैसा बाद में भी आ जाएगा।” यही वजह थी कि उनका रिश्ता इंडस्ट्री के साथ सिर्फ प्रोफेशनल नहीं, बल्कि पारिवारिक बन गया।  

Lata Mangeshkar

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  लता मंगेशकर ने सारे चोटी की नायिकाओं के लिए अपनी आवाज दी ।राज कपूर ने तो कई बार कहा था कि “अगर मेरी फिल्मों में लता के गाने न हों, तो मेरी कहानी अधूरी लगती है।”  

देशभक्ति गीत "ए मेरे वतन के लोगों" ने पूरे हिन्दुस्तान को रुला दिया था। वो गाना जब पहली बार पंडित नेहरू ने सुना, तो उनकी आंखें भर आई थीं। ऐसे गाने पैसों से नहीं, दिल से गाए जाते हैं – और यही लता जी की ताकत थी।वे कहती थीं – “पैसा ज्यादा या कम होना मायने नहीं रखता, असली दौलत लोगों का प्यार है।”    

Lata Mangeshkar

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इस तरह 500 रुपये से शुरू हुआ उनका सफर लाखों रुपये तक पहुंचा, पर असली कीमत उनकी आवाज़ की थी – जो किसी भी रुपये-दौलत से कहीं ज्यादा अनमोल थी।  

Q1. लता मंगेशकर कौन थीं?

लता मंगेशकर भारतीय प्लेबैक सिंगिंग की आइकॉनिक आवाज़ थीं, जिनकी आवाज़ भारतीय संगीत का अहम हिस्सा बन गई और करोड़ों लोगों के जीवन को छू गई।

Q2. करियर के शुरुआती दौर में लता मंगेशकर को कितनी फीस मिलती थी?

करियर की शुरुआत में उन्हें एक गाना गाने के लिए सिर्फ़ 500 रुपये मिलते थे।

Q3. समय के साथ उनकी फीस कितनी बढ़ी?

करियर के अंतिम दौर में उनकी प्रति गाने की फीस शुरुआती रकम से लगभग 9900% बढ़कर लाखों रुपये तक पहुंच गई।

Q4. लता मंगेशकर को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?

उन्हें पाँच राष्ट्रीय पुरस्कार, कई फिल्मफेयर अवॉर्ड्स, पद्मविभूषण और भारत रत्न सम्मान प्राप्त हुए।

Q5. क्या उन्होंने कभी मुफ्त में गाया?

हाँ, कभी-कभी वे कम बजट वाली फिल्मों के लिए या मुफ्त में भी गाती थीं, पैसों से पहले अपने संगीत को प्राथमिकता देती थीं।

Q6. लता मंगेशकर को संगीत की दुनिया में महान क्यों माना जाता है?

उनकी पूर्णता, मेहनत, गानों को जीवंत करने की क्षमता और गायक समुदाय के लिए उनके प्रयास उन्हें संगीत की दुनिया में एक महान कलाकार बनाते हैं।

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