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टीवी और फिल्म इंडस्ट्री की जानी-मानी अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा (Tisca Chopra) ने अपनी नई क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज़ ‘साली मोहब्बत’ (Saali Mohabbat) के ज़रिए निर्देशन में कदम रखा है, जो अब ज़ी5 (ZEE5) पर रिलीज़ हो चुकी है. इस सीरीज़ में राधिका आप्टे (Radhika Apte), दिव्येंदु शर्मा (Divyendu Sharma), अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap), अंशुमान पुष्कर (Anshuman Pushkar) और सौरसेनी मित्रा (Sauraseni Maitra) अहम भूमिकाओं में नज़र आ रहे हैं. सीरीज़ की रिलीज़ के बाद हाल ही में टिस्का चोपड़ा (Tisca Chopra) ने इसे लेकर एक इंटरव्यू भी दिया, जिसमें उन्होंने निर्देशन के अपने अनुभव और इस कहानी से जुड़े पहलुओं पर खुलकर बात की. पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश.... (Tisca Chopra directorial debut web series)
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वेब सीरीज़ ‘साली मोहब्बत’ (Saali Mohabbat) आपके करियर का पहला डायरेक्टोरियल प्रोजेक्ट है. क्या निर्देशन की ओर झुकाव शुरू से ही था, या यह सफर अनुभवों के साथ खुद-ब-खुद तय होता गया?
ऐसा कोई खास मोड़ नहीं था जब मैंने तय किया कि अब निर्देशन ही करना है. दरअसल, मेरे भीतर कहानियां लगातार आकार ले रही थीं और वही मुझे कैमरे के पीछे ले गईं. इसी सफर में मैंने ‘चटनी’, ‘चूरी’ और ‘रूबरू’ जैसी तीन शॉर्ट फिल्में निर्देशित कीं, जिनमें ‘चटनी’ दुनिया की सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली शॉर्ट फिल्मों में शामिल हो गई. डायरेक्शन की सबसे खूबसूरत बात यही है कि एक आइडिया कागज़ से निकलकर पर्दे तक पहुंचता है—शूटिंग से लेकर एडिटिंग तक, और फिर दर्शकों के साथ एक संवाद शुरू होता है, जैसे विचारों का ‘पिंग-पोंग’. ‘साली मोहब्बत’ के साथ भी मेरी यही चाह है कि हर दर्शक इसमें अपना-अपना मतलब खोजे. यह पूरा अनुभव मुझे हर बार और ज़्यादा विनम्र बना देता है. (Saali Mohabbat ZEE5 crime thriller series)
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इतने सारे टैलेंटेड एक्टर्स और क्रिएटिव माइंड्स के साथ इस प्रोजेक्ट की शुरुआत कैसे हुई? कास्टिंग की पहली चिंगारी कहां से भड़की और कैसे यह एक पूरी टीम बन गई?
कई बार फिल्म की शुरुआत किसी और आइडिया से होती है और वो कहीं और जाकर पूरी होती है. लेकिन फिल्मों का अपना एक चुंबकीय आकर्षण होता है जो लोग इससे जुड़ने चाहिए, वो खिंचकर आ ही जाते हैं. दिव्येंदु हमारे पहले चॉइस थे ‘रतन’ के किरदार के लिए. उनसे बातचीत हुई कुछ पॉइंट्स पर डिस्कशन चला और आखिर में हम एक बेहतरीन जगह पर पहुंचे. राधिका के लिए भी हमने कुछ और एक्टर्स से मुलाकात की, लेकिन हमें लगा कि इस फिल्म को उनकी ही काबिलियत चाहिए. मनीष बतौर क्रिएटिव प्रोड्यूसर फिल्म को लेकर बेहद पैशनेट थे. उनका विजन और उनका जुनून इस प्रोजेक्ट को बहुत मजबूत बनाता है. (Radhika Apte Divyendu Sharma web series)
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अक्सर कहा जाता है कि डायरेक्टर और प्रोड्यूसर का काम सबसे ज़्यादा मेहनत भरा होने के बावजूद ‘थैंकलेस’ होता है. क्या आप इस सोच से सहमत हैं?
डायरेक्टर का काम बिल्कुल भी थैंकलेस नहीं होता. हां, प्रोड्यूसर का काम थोड़ा थैंकलेस हो सकता है, क्योंकि ग्राउंड लेवल पर आने वाली ज़्यादातर समस्याएं उन्हीं तक पहुंचती हैं. लेकिन हमारी तरह की फिल्मों में, जहां हर विभाग का योगदान बेहद अहम होता है, मैं इस काम को बिल्कुल भी थैंकलेस नहीं मानती. यह काम चुनौतीपूर्ण होने के साथ-साथ बेहद रिवॉर्डिंग भी है.
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आपके लिए किसी भी प्रोजेक्ट में क्या पूरी तरह ‘नॉन-नेगोशिएबल’ है? ऐसी कौन-सी बात या शर्त है, जिसकी मौजूदगी में आप बिना हिचक किसी स्क्रिप्ट या प्रोजेक्ट से अलग हो जाएंगे?
मेरे लिए किसी भी प्रोजेक्ट में सबसे अहम चीज़ होती है—डायरेक्टर का साफ़ विज़न. कहानी क्या कहना चाहती है, उसका मकसद क्या है और उसे कैसे पूरा करना है, ये सब शुरू से बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए. साथ ही फाइनेंसिंग में भी कोई असमंजस नहीं होना चाहिए. जब किसी को खुद ही नहीं पता होता कि वह क्या बनाना चाहता है, तो उसका असर सीधे सेट पर दिखता है—बार-बार ‘एक और टेक’ का सिलसिला चल पड़ता है, जो पूरी टीम के लिए थकाऊ हो जाता है. ज़िंदगी इतनी लंबी नहीं है कि बिना तैयारी और अधूरे प्लान के साथ बनी फिल्मों में समय बर्बाद किया जाए. (Saali Mohabbat cast and story details)
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जब शूटिंग पूरी हो जाती है, तो क्या उस किरदार और कहानी से खुद को डिटैच कर पाना आसान होता है? अब जब फिल्म रिलीज़ के करीब है, तो इस पूरे सफ़र को लेकर आपकी भावनाएं कैसी हैं?
मैं सेट से बिल्कुल भी डिटैच नहीं हो पाती. मैं लोगों, लोकेशन, सुबह की ड्राइव हर चीज़ से जुड़ जाती हूं. फिल्म खत्म होते ही मैं बाथरूम में जाकर बैठ जाती हूं क्योंकि अलग होना बहुत मुश्किल होता है. लेकिन फिल्म बनने के बाद जो रिश्ता बन जाता है वो ‘कार्मिक’ होता है. अब दिव्येंदु, राधिका, मनीष ये सब मेरी जिंदगी का हिस्सा हैं. (Latest ZEE5 original crime thriller)
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