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जिसका नाम ही हो खुशाली, तो जाहिर है उनके व्यक्तित्व की गरिमा की खूबसूरती अपनी कहानी खुद रचती है. मैं बात कर रही हूं म्यूजिक लेबल किंग स्वर्गीय गुलशन कुमार की बेटी खुशाली कुमार की, जिनका जीवन, कला और संगीत की दुनिया में उस समय से जुड़ी हुई है जब वो नन्ही सी बच्ची थी.
19 दिसंबर, 1988 को मुंबई में जन्मी, खुशाली, एक ऐसे परिवार की बेटी है , जिनके घर के एक एक सदस्य संगीत और कला में हमेशा डूबे हुए रहे. उनके पिता, गुलशन कुमार, जिन्होने टी-सीरीज़ की स्थापना की थी, भारतीय संगीत उद्योग में एक असमान छूते बड़ी हस्ती थे. लेकिन खुशाली सिर्फ़ एक दिग्गज की बेटी का खिताब ओढ़े नहीं है, वह शुरू से ही खुली आँखों से सपने देखने वाली लड़की रही है , जिन्होंने अपना रास्ता खुद बनाया.
बचपन के दिनों में, घर का माहौल खुशाली ने बहुत ही संगीतमय पाया. उस समय वो धुनों और लय से घिरी हुई थीं, जिसने उनकी दुनिया को संगीतमय बनाया . पिता गुलशन ने उन्हे कहानी सुनाई थी कि कैसे उन्होने अपनी जिंदगी, कितनी सारी अभावों को झेलकर और कठिन मेहनत करके संवारा था. कैसे उन्होने एक जूस के छोटे से ठेले से लेकर कैसेट की छोटी सी दुकान स्थापित की और कैसे रात दिन बिना थके, बिना रुके, सोलह, अठारह घंटे काम करते हुए उन्होने इसी सुपर कैसेट की दुकान को टी सीरीज़ साम्राज्य के रूप में बदल दिया. खुशाली, पिता के जीवन की यह सत्य घटनाएं सुनकर खूब प्रेरित होती थी. खुशी और धन धान्य से उनका घर भरा हुआ था.
लेकिन वक्त बदलते देर कहाँ लगती है? वर्ष 1997, बारह अगस्त की वो काली सुबह जब खुशाली के पिता की हत्या हुई, तो जैसे पूरे परिवार की दुनिया ही उजड़ गई. अचानक जीवन में आई इस त्रासदी से सब स्तब्ध रह गए. यह एक ऐसी क्षति थी जिसने उनके जीवन को कुछ समय के लिए स्टैंड स्टिल पर ला खड़ा कर दिया. वक्त के इस कठोर थपेड़े को माँ सुदेश कुमारी ने किसी तरह संभाला. धीरे धीरे जिंदगी की गाड़ी फिर से पटरी पर आने लगी. माँ, भाई, बहन और वो खुद, एक दूसरे का सहारा बन गए. पिता की दी हुई सीख, "हर हाल में, द शो मस्ट गो ऑन." ने पूरे परिवार को हिम्मत दी और फिर से मेहनत, लगन का मंत्र लेकर माँ, भाई भूषण कुमार, बहन तुलसी कुमार और खुद खुशाली एक नई दुनिया को खड़ी करने में व्यस्त हो गए. माँ के साथ मिलकर, खुशाली का उन्नीस वर्षीय भाई भूषण कुमार ने पिता के संगीत साम्राज्य, 'टी सीरीज़' को ना सिर्फ संभाला बल्कि उसे विश्व पैमाने पर टॉप पर पहुंचाते हुए उसे डिजिटल दुनिया में भी शीर्ष पर ला खड़ा किया और साथ ही भूषण एक सफल फ़िल्म निर्माता भी बन गए और बहन तुलसी कुमार, बॉलीवुड की एक सुप्रसिद्ध गायिका बन गई.
उधर खुशाली कुमार का सफ़र रचनात्मकता और महत्वाकांक्षा की एक आकर्षक कहानी बनने के लिए तैयार हो रही थी. हालांकि खुशाली एक ऐसे परिवार की बेटी थी जो भारतीय मनोरंजन जगत के चोटी पर राज कर रही है लेकिन फिर भी खुशाली की सफलता का मार्ग बिल्कुल भी सीधा और आसान नहीं था. बस पिता की प्रेरणा हर कदम पर उनके काम आई.
खुशाली ने कहा था "मुझे अभी भी उनकी आवाज़ याद है, और यही वह चीज़ है जो मुझे हर दिन प्रेरित करती रहती है."
खुशाली अपने करियर की शुरुआत से पहले, पढ़ाई पूरी करने के लिए मुंबई से दिल्ली शिफ्ट हो गई थी. वहां उन्होने अपनी शिक्षा पूरी की. घर का माहौल जाहिर तौर पर पहले जैसा नहीं था, सबके दिल टूटे हुए थे, ऐसे में खुशाली ने अपनी रचनात्मकता में सांत्वना पाई और फ़ैशन डिज़ाइन को आगे बढ़ाने का फ़ैसला किया. NIFT दिल्ली से स्नातक करने के बाद, खुशाली ने 2005 में अपना लग्जरी लेबल "रेव बाय खुशाली कुमार" लॉन्च किया. जिसने जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर ली. उनकी डिज़ाइन की गई कृतियां अद्भुत थे जिसे सिर्फ़ डिज़ाइन्ड पोशाक नहीं कहा जा सकता था , वे खुशाली के मुखर बयान थे. उनके द्वारा डिज़ाइन किए गए आउटफिट्स सिर्फ़ फ़ैशन शो के शो स्टॉपर नहीं थे, बल्कि वे कलाकृतियाँ थीं जो खुशाली के अनूठे दृष्टिकोण को दर्शाती थीं.शकीरा और जस्टिन बीबर जैसे अंतर्राष्ट्रीय सितारों ने उनके बनाए कपड़े पहनने का गर्व पाया. लंदन फैशन वीक और प्रेट-ए-पोर्टर पेरिस जैसे वैश्विक मंचों पर खुशाली ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया. शोहरत की मंजिले उनके कदम चूमने को तैयार थी. फैशन ने उन्हें पहचान तो दिलाई, लेकिन कुछ अलग करने को बेचैन आत्मा वाले व्यक्ति के लिए यह पर्याप्त नहीं था. खुशाली वो करना चाहती थी जो किसी ज़माने में उनके पिता गुलशन कुमार की आंखों में चमक रही थी. फैशन में अपनी सफलता के बावजूद, खुशाली को अभिनय की तलाश करने की एक अधूरी इच्छा महसूस हुई, एक जुनून जो उसने बचपन से ही पाला था. वो एंटरटेनमेंट की दुनिया में अपना रंग भरना चाहती थी, वो अभिनय करना चाहती थी.
2015 में, खुशाली ने "मैनू इश्क दा" के साथ संगीत वीडियो की दुनिया में कदम रखा. उनकी 'जीवन से भरपूर' व्यक्तित्व और खुद को शानदार तरीके से कैरी करने की अदा ने तुरंत युवाओं का दिल जीत लिया. इसके बाद उन्होंने "हाईवे स्टार", "रात कमाल है" और "मेरे पापा की याद पुरानी '" जैसे गाने गाए, जिनमें से' मेरे पापा - - ', वाला गाना उनके पिता को एक मार्मिक श्रद्धांजलि थी. खुशाली ने बताया कि ये सब उनके लिए सिर्फ प्रदर्शन नहीं थे, ये उनकी आत्मा की झलकियां थी जिन्हें उन्होने दुनिया के साथ साझा किया.
म्यूजिक वीडीओ से अभिनय की ओर रुझान और करियर में उनका यह बदलाव कोई सीधा रास्ता नहीं था. पहले आर. माधवन के साथ 'दही चीनी' में डेब्यू करने वाली थीं, लेकिन इस प्रोजेक्ट में देरी हुई और स्क्रिप्ट में बदलाव हुए. लेकिन खुशाली ने हार नहीं मानी. 2022 में, उन्होंने आखिरकार 'धोखा: राउंड डी कॉर्नर' से अपनी फ़िल्मी करियर की शुरुआत की, जिसमें उनके अभिनय के लिए प्रशंसा मिली और IIFA में स्टार डेब्यू ऑफ़ द ईयर-फीमेल का पुरस्कार भी जीता. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, "अभिनय मेरे लिए सांस लेने जैसा है. यह वह जगह है जहाँ मैं जीवित महसूस करती हूँ."
अभिनय की शुरुआत के साथ उनके कदम आगे बढ़ते गए, डेढ़ बीघा ज़मीन (2024) में उनकी प्रशंसा हुई. अभिनय जगत की ऊंचाइयां छूने और अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ने के लिए वो कमर कस चुकी है है. उनकी यह करियर छलांग, आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए बेताब होती गई जो 'हाइड' और 'क्रॉसफ़ायर' जैसी आगामी परियोजनाओं के साथ जारी है . प्रत्येक भूमिका के साथ खुशाली खुद से खुद की चुनौतियाँ पेश करती रही, चाहे वह शूटिंग के दौरान माइनस डिग्री कड़ाके की ठंड को सहना हो या भावनात्मक रूप से थका देने वाले किरदारों में डूबना हो. लेकिन खुशाली ने उन सभी मुश्किलों को हिम्मत से स्वीकार किया.
खुशाली के इस प्रसिद्धि और ग्लैमर के पीछे एक ऐसी महिला छिपी है जिसने अपने जिंदगी में बार बार आने वाले तरह तरह के निजी संघर्षों का डटकर मुकाबला किया है. कठिन और तकलीफ देने वाले हालात के बावजूद वो लगन और मेहनत से आगे बढ़ती रही. दिल कचोटने वाली घटनाओं की उनके जीवन में कमी नहीं थी लेकिन वह रुकी नहीं, झुकी नहीं और हर परिस्थिति में जमीन से जुड़ी हुई रही. पापा ने कहा था, "अपने लक्ष्य और अपने काम पर ध्यान केंद्रित रखना." खुशाली ने ठीक वैसा ही किया. वह खुलकर स्वीकार करती हैं, "जीवन परिपूर्ण नहीं है, लेकिन यही खामियां हैं जो हमें इंसान बनाती हैं."
खुशाली अपने परिवार से गहराई से जुड़ी हुई हैं. उनके भाई-बहन- भूषण कुमार और तुलसी कुमार- उनके जीवन में मजबूत स्तंभ की तरह हैं. सब साथ मिलकर, टी-सीरीज़ के ज़रिए अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हैं और पापा की तरह अपनी अलग पहचान बनाते जा रहे हैं.
खुशाली के बारे में कई सारी जानी अनजानी तथ्य उनके व्यक्तित्व में चार चांद लगाते हैं हैं. क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने नाम में एक अतिरिक्त "आई" अंकशास्त्रीय कारणों से जोड़ा है? खबरों के मुताबिक उन्होंने जस्टिन बीबर के म्यूज़िक वीडियो "वेट फ़ॉर ए मिनट" के लिए वो पोशाकें डिज़ाइन की हैं जो बीबर के लिए एक एतिहासिक यादगार बन गई?
खुशाली एक बेहद एक्टिव सोशल मीडिया व्यक्तित्व भी हैं जिनके लाखों फॉलोअर्स हैं जो उनकी बेबाक, निडर और मुखर पोस्ट को पसंद करते हैं.
उनकी उपलब्धियाँ बहुत हैं- चाहे वह पुरस्कार हों, ब्लॉकबस्टर गाने हों या यादगार भूमिकाएँ- लेकिन खुशाली को जो चीज़ सही मायने में परिभाषित करती है, वह है उनका जज्बा जो हमेशा पॉज़िटिव रहता है, जो बेहद इमोशनल है, लेकिन पर्वत की तरह मजबूत है. वह अक्सर कहती हैं, "मेरे पिता की दूरदर्शिता और रचनात्मकता के प्रति जुनून मुझे हर दिन प्रेरित करता है."
खुशाली केवल एक अभिनेत्री या डिज़ाइनर नहीं हैं वह अपने स्वप्नों को रूप देने वाली कहानीकार हैं जो लोगों से जुड़ने के लिए अपने पास मौजूद हर माध्यम का इस्तेमाल करती हैं.
इस कम उम्र में खुशाली कुमार की अब तक की उपलब्धियाँ इस बात का सबूत है कि सपने राख से फिर से जन्म ले सकते हैं और जुनून दर्द को कला में बदल सकता है. चाहे आप उन्हें स्क्रीन पर देखें या उनके डिज़ाइन की गई पोशाकों की प्रशंसा करें, आप एक ऐसी महिला को देख रहे हैं जो स्वयं को सीमाओं से परिभाषित होने से इनकार करती है. हर मायने में वो एक सच्ची स्टार.
प्रत्येक प्रोजेक्ट्स की चुनौतियों के बावजूद, वह अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करती हैं. वह अपना समय मुंबई और दिल्ली के बीच बांटती हैं, जबकि अपने परिवार के साथ मजबूत संबंध बनाए रखती हैं. खुशाली की उपलब्धियां अभिनय और फैशन से आगे भी हैं. उनका संगीत वीडियो धोखा एक सनसनी कही जाती है , जिसने तेजी से 100 मिलियन व्यूज पार कर लिए और एक महीने से अधिक समय तक ट्रेंड करता रहा. इसी तरह, 'खुशी जब भी तेरी' को 120 मिलियन से अधिक व्यूज और लाखों लाइक्स मिले. खुशाली ने 'स्टारफ़िश' में भी अपना जलवा दिखाया.
खुशाली कुमार एक अभिनेत्री है, एक डिज़ाइनर हैं, एक कलाकार हैं जो खुद को अभिव्यक्त करने के लिए हर माध्यम का इस्तेमाल करती हैं. उनकी कहानी दर्द को उद्देश्य में बदलने और सपनों को हकीकत में बदलने की है - जो हर मुश्किल के बावजूद अपने जुनून का पीछा करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक सच्ची प्रेरणा है.
आगे की ओर देखते हुए, खुशाली के पास तीन रोमांचक प्रोजेक्ट हैं जिसमें वह बोल्ड और साहसी किरदार निभा रही हैं. यह फिल्में रोमांस, अपराध और हास्य का दिलचस्प मिश्रण है, जिससे खुशाली को अपना हल्का फुल्का और अधिक चंचल पक्ष दिखाने का मौका मिलता है. इसके अलावा एक सस्पेंस स्टोरीटेलिंग वाली फिल्म भी है जो उनके कौशल का परीक्षण करेगी.
अपने शब्दों में, खुशाली ने कहा था कि अभिनय "साँस लेने" जैसा लगता है.