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कैसे रची जाती है Sanjay Leela Bhansali की फिल्मों की भव्य दुनिया? सिनेमैटोग्राफर Sudeep Chatterjee ने किया खुलासा

संजय लीला भंसाली भारतीय सिनेमा के उन जादूगरों में से हैं, जिनकी हर फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक अद्भुत कला का अनुभव होती है. उनकी फिल्मों में जो बारीकी, भव्यता और भावनाओं की गहराई देखने को मिलती है...

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कैसे रची जाती है Sanjay Leela Bhansali की फिल्मों की भव्य दुनिया सिनेमैटोग्राफर Sudeep Chatterjee ने किया खुलासा
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संजय लीला भंसाली भारतीय सिनेमा के उन जादूगरों में से हैं, जिनकी हर फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक अद्भुत कला का अनुभव होती है. उनकी फिल्मों में जो बारीकी, भव्यता और भावनाओं की गहराई देखने को मिलती है, वो किसी और के बस की बात नहीं. गंगूबाई काठियावाड़ी जैसी फिल्में इस बात का सबूत हैं कि भंसाली सिर्फ फिल्म नहीं बनाते, वो हर सीन को जीते हैं—हर फ्रेम ऐसा लगता है जैसे किसी पेंटिंग को ज़िंदा कर दिया गया हो.

एक बातचीत में मशहूर सिनेमैटोग्राफर सुदीप चटर्जी ने गंगूबाई काठियावाड़ी के सेट पर काम करने का अनुभव शेयर किया. उन्होंने खासतौर पर उस बारीक लाइटिंग का ज़िक्र किया, जिसने भंसाली की सोच को ज़मीन पर उतारने में बड़ी भूमिका निभाई.

Cinematographer Sudeep Chatterjee

सुदीप चटर्जी ने बताया, “संजय लीला भंसाली की गंगूबाई काठियावाड़ी (2022) के लिए मैंने पूरे सेट को आर्टिफिशियली लाइट किया, सिर्फ रात ही नहीं, दिन के सीन के लिए भी. यानी असली सूरज की बजाय हमने अपना खुद का सूरज और एक खास दिन की रौशनी वाला माहौल तैयार किया.”

उन्होंने इस तकनीक को लेकर और भी जानकारी दी, जिससे लाइटिंग ने नैचुरल लुक पाया. सुदीप ने कहा, “बहुत सारी चीज़ों का ध्यान रखना पड़ा. सबसे पहले, मुंबई की फिल्म सिटी में बने पूरे सेट को छत से कवर किया गया ताकि वहां से लाइट्स को बाउंस किया जा सके. मैंने आसमान के लिए ग्रीन स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि एक सफेद स्क्रीन लगाई जिसे हम लूमा की कहते हैं. जब इसे बाद में आसमान से रिप्लेस किया जाता है, तो जो हल्की चमक (halation) बनती है वो ज्यादा असली लगती है. क्योंकि आमतौर पर शूटिंग के वक्त आसमान थोड़ा जला-जला सा दिखने लगता है.”

Cinematographer Sudeep Chatterjee sanjay leela

संजय लीला भंसाली की सोच के साथ कदम से कदम मिलाना आसान नहीं होता. गंगूबाई काठियावाड़ी एक ऐसी फिल्म है जो हर मायने में बेमिसाल है, चाहे वो उस दौर को हूबहू दिखाने वाला सेट हो या भावनाओं को उभारने वाली लाइटिंग. जो रौशनी पर्दे पर दिन-रात की तरह नैचुरल लगी, वो दरअसल गहरी प्लानिंग और बेमिसाल तकनीकी काबिलियत का नतीजा थी.

ये पहला मौका नहीं है जब भंसाली की कमाल की कला देखने को मिली हो. वो बार-बार ऐसी फिल्में लेकर आए हैं जो भव्यता और भावनाओं से भरपूर होती हैं. अब जब लव एंड वॉर की तैयारियां जोरों पर हैं, दर्शक एक बार फिर उनकी अगली शानदार दुनिया में खो जाने को बेताब हैं.

Cinematographer Sudeep Chatterjee sanjay leela

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Tags : Sanjay Leela Bhansali | about Sanjay Leela Bhansali 

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