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वेस्टर्न इंडिया फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (WIFPA) की 64वीं वार्षिक आमसभा (AGM) बुधवार को अंधेरी (पश्चिम) के माहेश्वरी हॉल में संपन्न हुई. कार्यक्रम की शुरुआत दो दिवंगत कार्यकारिणी सदस्यों—श्री राजेश मित्तल और श्री रविन्द्र अरोड़ा—को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए की गई.
बैठक में मुंबई, लखनऊ, अहमदाबाद और गोवा स्थित कार्यालयों के वित्तीय विवरण प्रस्तुत कर पारित किए गए. अध्यक्ष संग्राम शिर्के का पूर्व प्रकाशित भाषण भी सदस्यों की सहमति से स्वीकृत हुआ.
कार्यकारिणी में 17 सदस्य? सवाल बना रहस्य
AGM के दौरान वितरित वार्षिक पुस्तिका में WIFPA की कार्यकारिणी समिति के 17 सदस्यों के नाम और चित्र प्रकाशित हैं. जबकि दो सदस्य दिवंगत हो चुके हैं और एक सदस्य विदेश में जेल में है, तब सवाल यह उठता है कि 18 सदस्यीय समिति में 17 नाम कैसे पूरे हुए?
जब एक निर्माता ने यह प्रश्न मंच से उठाया, तो सभा में मौन छा गया. किसी पदाधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि रिक्त स्थान की पूर्ति कैसे हुई और क्या नए सदस्य गुपचुप तरीके से नामित किए गए?
अध्यक्ष श्री शिर्के ने केवल इतना कहा कि संस्था में चुनाव से ही सदस्य चुने जाते हैं और रिक्त पद भरने की कोई प्रक्रिया नहीं है. बैठक संचालन के लिए पर्याप्त संख्या बनी रहती है. सेक्रेटरी श्री दिलीप दलवी ने यह बताया कि जेल में बंद सदस्य रामा मेहरा को निलंबित कर दिया गया है, हालांकि उनके खिलाफ दोष अभी सिद्ध नहीं हुआ है.
चुनाव की घोषणा, लेकिन प्रक्रिया पर सवाल
WIFPA की कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है. AGM में जानकारी दी गई कि आगामी चुनाव 23 अगस्त 2025 को होंगे. लेकिन इस पर भी कई सदस्यों ने शंका जताई कि उन्हें नामांकन पत्र भरने की तिथि, प्रक्रिया, और जरूरी सूचना समय पर दी जाएगी या नहीं?
कुछ सदस्यों का कहना है कि AGM की सूचना भी उन्हें समय पर नहीं मिली थी. ऐसे में उन्हें आशंका है कि चुनाव प्रक्रिया भी सिर्फ़ औपचारिकता बनकर न रह जाए और वर्तमान पदाधिकारी स्वयं ही फिर से चुने न जाएं.
क्या संस्था पारदर्शिता के मानदंडों पर खरी उतर रही है?
लगभग 8,000 सक्रिय सदस्यों वाली इस संस्था में, जब सूचना संचार की पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगने लगें, तो संस्था की कार्यप्रणाली पर गंभीर पुनर्विचार की आवश्यकता महसूस होती है.
अब यह देखना बाकी है कि WIFPA नेतृत्व इन सवालों का जवाब देकर सदस्यता में विश्वास कायम करता है या फिर यह भी सिर्फ़ "चुनिंदा" सदस्यों की संस्था बनकर रह जाएगी.
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