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भारतवासियों में देशभक्ति की लौ जलाए रखने वाली फिल्में

वर्ष 1943 में, भारत में स्वतंत्रता का जद्दोजहद शुरू हो चुका था. उस दौरान, जब गांधीजी का भारत छोड़ो आंदोलन उफान पर था तब एक देशभक्ति से ओतप्रोत फ़िल्म 'किस्मत' रिलीज़ हुई थी...

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वर्ष 1943 में, भारत में स्वतंत्रता का जद्दोजहद शुरू हो चुका था. उस दौरान, जब गांधीजी का भारत छोड़ो आंदोलन उफान पर था तब एक देशभक्ति से ओतप्रोत फ़िल्म 'किस्मत' रिलीज़ हुई थी, उस फ़िल्म का वो प्रसिद्ध गाना 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है' उन तमाम भारतीय लोगों की जुबान थी जो ब्रिटिश शासन के प्रति अपना विरोध मुखर करना चाह रहे थे. उस दौरान, भारतीय फ़िल्में ब्रिटिश सेंसर बोर्ड सेंसरशिप के अधीन थीं. सबसे दिलचस्प बात यह थी कि सेंसरशिप की कुर्सी पर बैठे ब्रिटिश अधिकारियों को हिंदी नहीं आती थी, इसलिए इस फ़िल्म को और इस देशभक्ति गीत को काटा ही नहीं गया और यह फिल्म बॉलीवुड की पहली देशभक्ति गीत के रूप में अमर हो गई.

झांसी की रानी (1953)

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हमारा इतिहास वीर नारियों की कहानियों से भरा पड़ा है और ऐसी ही एक वीरांगना हैं 'रानी लक्ष्मीबाई'. कई अनकही कहानियों के बावजूद, ग्रेट फ़िल्म मेकर सोहराब मोदी ने 1953 में रानी लक्ष्मीबाई की अमर वीर कहानी पर फ़िल्म बनाई.

हकीकत (1964)

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चेतन आनंद द्वारा निर्देशित, इस फिल्म में बलराज साहनी और धर्मेंद्र मुख्य भूमिका में हैं और यह 1962 के भारत-चीन युद्ध पर केंद्रित है. यह भारत की सर्वश्रेष्ठ युद्ध फिल्मों में से एक के रूप में बॉलीवुड के इतिहास में दर्ज है और इस खूबसूरत फ़िल्म ने 1965 में राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता.

शहीद (1965)

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बहुमुखी प्रतिभा के धनी मनोज कुमार अभिनीत यह फिल्म श्रद्धेय क्रांतिकारी भगत सिंह की बहादुरी की कहानी बताती है. 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि के दौरान यह फ़िल्म रिलीज़ हुई, यह फिल्म भगत सिंह के जीवन और संघर्षों को समर्पित पहली फीचर फिल्म थी. इस फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीता.

पूरब और पश्चिम (1970)

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द ग्रेट बॉलीवुड देश भक्त जिन्हे भारत कुमार भी कहा जाता है, ने उस दौर में एक ऐसी फिल्म बनाई जो पारंपरिक भारतीय मूल्यों और पश्चिमी संस्कृति के बीच टकराव का जमकर तुलना और आलोचना करता है. यह एक युवा भारतीय व्यक्ति भरत की कहानी बताती है जो उच्च शिक्षा के लिए लंदन जाता है. वहां, उन्हें सांस्कृतिक मतभेदों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि वह ब्रिटेन में भारतीयों को उनकी जड़ों से फिर से जोड़ने की कोशिश करते हैं. फिल्म अपनी सांस्कृतिक पहचान, देशभक्ति और पारिवारिक मूल्यों के विषयों पर प्रकाश डालती है, साथ ही विदेशी दर्शकों के लिए, यह फिल्म भारतीय संस्कृति की सुंदरता को भी प्रदर्शित करती है.

क्रांति (1981)

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भारत कुमार उर्फ मनोज कुमार निर्मित 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान स्थापित यह एक ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म है. यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारियों के संघर्ष और बलिदान को दर्शाती फ़िल्म है. फिल्म में बड़े पैमाने पर स्टार कलाकार शामिल हैं और भारत छोड़ो आंदोलन और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह, के बाद की घटनाओं को चित्रित करता है. यह भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के लिए एक सशक्त और भावपूर्ण श्रद्धांजलि है.

गांधी (1982)

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यह विश्व प्रसिद्ध फिल्म महात्मा गांधी के बारे में सबसे प्रशंसित फिल्म है जो किसी भारतीय ने नहीं बल्कि विदेशी फिल्म निर्माताओं द्वारा बनाई है . ऑफकोर्स फिल्म के निर्माण में भारत सरकार और स्थानीय कलाकारों का सहयोग शामिल था. फिर भी, अधिकांश रचनात्मक निर्देशन, पटकथा और अभिनय विदेशी थी. इस फिल्म को 11 ऑस्कर नामांकन मिला, 8 ऑस्कर जीते, जिनमें सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक और सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम पुरस्कार भी शामिल थे. इसके अतिरिक्त, इस फ़िल्म ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समारोहों में कई प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल किए.

प्रहार (1991)

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बेहतरीन अभिनेता नाना पाटेकर अभिनीत, यह देशभक्ति से भरपूर फिल्म, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बाहरी और आंतरिक दोनों खतरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक अलग परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करती है. इसकी कहानी एक सैनिक के इर्द-गिर्द घूमती है जो देश की अखंडता को खतरे में डालने वाले दुश्मनों का सामना कर रहा है.

सरदार (1993)

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यूनाइटेड भारत के निर्माता सरदार वल्लभभाई पटेल के जीवन पर आधारित इस फिल्म में परेश रावल ने सराहनीय अभिनय किया. इसमें देश की आजादी से लेकर महात्मा गांधी की हत्या के बाद नेहरू के साथ वल्लभभाई के संबंधों की यात्रा को दर्शाया गया है.

बॉर्डर (1997)

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वेटेरन फ़िल्म मेकर जेपी दत्ता द्वारा निर्देशित, यह बहुचर्चित फिल्म भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 युद्ध के दौरान सच्ची घटनाओं पर आधारित एक दिल छूने वाली प्रस्तुति है. कहा यह भी गया कि इस तरह की फ़िल्म बनाना दत्ता के ही हुनर का कमाल है. इसके गीत और भारतीय सैनिकों की बहादुरी का वीरतापूर्ण चित्रण आज भी दर्शकों के दिल को सहला जाती है.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस: द फॉरगॉटन हीरो (2004)

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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे महान और महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की महान गाथा को इस फ़िल्म में उजागर किया गया है. प्रतिभाशाली निर्देशक श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित 2004 की यह फिल्म, महान नेता बोस के जीवन और ब्रिटिश कोलोनिअलिस्म का मुकाबला करने में आजाद हिंद फौज की भूमिका का वर्णन करती है. हालांकि यह फ़िल्म व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रही, लेकिन इसे समीक्षकों द्वारा खूब सराहा गया और इसने बोस की विरासत के बखूब चित्रण के लिए भूरी भूरी सराहना अर्जित करते हुए दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते.

लक्ष्य (2004)

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ऋतिक रोशन, प्रीति जिंटा और अमिताभ बच्चन अभिनीत यह अविस्मरणीय फिल्म, 'कारगिल युद्ध' की पृष्ठभूमि पर आधारित है. ऑल राउंडर हस्ती फरहान अख्तर द्वारा निर्देशित, यह फिल्म अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए सशस्त्र बलों में शामिल होने वाले हमारे देश के बहादुर युवाओं पर एक दिलचस्प कहानी प्रस्तुत करता है.

मंगल पांडे: द राइजिंग (2005)

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जैसा कि नाम से ही विदित है, यह फिल्म विशिष्ट रूप से हमारे देश के एक निडर नौजवान मंगल पांडे की वीर गाथा पर पर केंद्रित है, जिन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 के विद्रोह में एक मुख्य नायक के रूप में याद किया जाता है. केतन मेहता द्वारा निर्देशित और पर्फेक्शनिष्ट आमिर खान की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म हालाँकि बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन यह आज की पीढ़ी के युवाओं के लिए एक ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेज वाली कथा के रूप में काम करती है, जो उन्हें भारत के क्रांतिकारी अतीत से जुड़ने में मदद करती है.

रंग दे बसंती (2006)

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राकेश ओमप्रकाश मेहरा द्वारा निर्देशित, यह फिल्म रचनात्मक रूप से अतीत को वर्तमान के साथ जोड़ती है, स्वतंत्रता सेनानियों की क्रांतिकारी भावना को चित्रित करके यह आज के समय में युवाओं को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है. 

युद्ध को हमेशा देशभक्ति के साथ जोड़ा गया है, और भारतीय फिल्में अक्सर इस पूरक संबंध को दर्शाती हैं. यहां कुछ उल्लेखनीय युद्ध-आधारित फ़िल्मों पर नज़दीकी नज़र डाली गई है:

1971 (2007)

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मनोज बाजपेयी और रवि किशन जैसे निपुण अभिनेताओं द्वारा अभिनीत, यह फिल्म '1971' के युद्ध के दौरान पकड़े गए छह भारतीय सैनिकों और कैद से भागने के उनके प्रयासों की मनोरंजक कहानी बताती है. इस फ़िल्म ने सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था.

स्वदेस (2004)

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शाहरुख खान की स्टाइल और खासियत वाली यह फिल्म एक एनआरआई की प्रेरक कहानी पर आधारित है जो विदेश जाता है और वहां के अनुभव के बाद भारत वापस आता है और अपने गांव के विकास के लिए प्रतिबद्ध रूप से कम करता है. इसका संगीत स्कोर और खान का भावनात्मक प्रदर्शन इस फ़िल्म को दर्शकों के बीच पसंदीदा बनाता है.

वन वेडनेसडे (2008)

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यह फिल्म एक सामान्य व्यक्ति की दिल छूने वाली कहानी बताती है जो आतंकवाद के खिलाफ एक ऐसा कदम उठाता है जिसे चरम कहा जा सकता है. अनुपम खेर और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं के अद्वितीय अभिनय के साथ यह कहानी इस बात पर जोर देती है कि भारतीय सेना ही क्यों, अगर आम नागरिक चाहे तो वह भी अपने देश के खतरों के खिलाफ खड़े हो सकते हैं.

केसरी (2019)

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सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित, यह देश प्रेम से ओतप्रोत फ़िल्म 'केसरी' अक्षय कुमार अभिनीत एक लीक से हटकर, चुनौतीपूर्ण लेकिन शानदार फिल्म है, जो भारी बाधाओं के बावजूद सिख सैनिकों की बहादुरी को उजागर करती है.

पठान (2023)

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देशभक्ति पर आधारित एक्शन थ्रिलर फिल्म 'पठान', सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित और यशराज फिल्म्स के तहत आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्मित है. इसमें दीपिका पादुकोण और जॉन अब्राहम के साथ शाहरुख खान मुख्य भूमिका में हैं, और डिंपल कपाड़िया और आशुतोष राणा सहायक भूमिकाओं में हैं. 'पठान' एक भारतीय जासूस की कहानी है जो एक आतंकवादी संगठन को भारत को नष्ट करने से रोकने के मिशन पर है. यह फिल्म एक देशभक्तिपूर्ण एक्शन थ्रिलर है जिसे इसके प्रदर्शन, निर्देशन, एक्शन दृश्यों और संगीत के लिए सराहा गया है. यह 2023 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक थी.

हाल ही में भारतीय सिनेमा में एक नया चलन सामने आया है जो देशभक्ति को खेल से जोड़ता है. यहां कुछ फिल्में ऐसी भी बनी हैं जो देश प्रेम की इस भावना को दर्शाती हैं: निश्चित रूप से! यहां रिलीज के वर्ष के साथ पैराग्राफ शामिल हैं:

लगान (2001)

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आशुतोष गोवारिकर द्वारा निर्देशित और 2001 में रिलीज़ हुई यह फ़िल्म लगान ब्रिटिश शासित भारत के एक छोटे से गाँव की कहानी दिखाती है जो भयंकर अकाल का सामना कर रहा है. इस त्रासदी के बावजूद उन्हे ब्रिटिश सरकार को जबर्दस्त टैक्स देना पड़ता है. ब्रिटिशों को भारी टैक्स ('लगान') देने से बचने के लिए, एक ग्रामीण युवक क्रिकेट खेल के प्रति एक बेहद अहंकारी ब्रिटिश कप्तान को चुनौती देते हैं कि अगर ग्रामीण दल जीत जाए तो उन्हे लगान माफ कर दिया जाय. यह असंभव उपलब्धि सारे ग्रामीणों को एकजुट करती है और उन्हें कठोरता से प्रशिक्षण लेने और उन्हे करो या मरो वाली युद्धस्तर भावना के साथ खेलने के लिए प्रेरित करती है. आमिर खान ने गांव के मुख्य खिलाड़ी भुवन के रूप में एक शानदार प्रदर्शन किया है, जो अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभालता है. यह फिल्म स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, एकता की शक्ति, हजार बाधाओं के खिलाफ आत्म-विश्वास का महत्व.

चक दे इंडिया (2007)

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इस फिल्म में शाहरुख खान एक महिला हॉकी टीम के कोच की भूमिका निभाते हैं जो अपने देश का नाम सबसे ऊपर रोशन करने के लिए अपना जी जान लगाकर नए, युवा खिलाड़ियों को विश्व चैम्पियनशिप में जीत हासिल करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं. यह फिल्म, बॉलीवुड फिल्मों में खेलों के माध्यम से देशभक्ति की भावना का पर्याय बन गई और अपने प्रेरक गीत, "चक दे" के लिए खूब प्रसिध्द हुई.

भाग मिल्खा भाग (2013)

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यह जीवनी पर आधारित फिल्म 'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर महान एथलीट मिल्खा सिंह के इर्द-गिर्द घूमती है. यह भारतीय युवाओं के मन में खेल की प्रतिस्पर्धा भावना और राष्ट्रीय गौरव के विषयों को छूने वाली कहानी है, खासकर जब मिल्खा एक पाकिस्तानी एथलीट के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करता है.

मैरी कॉम (2014)

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देसी गर्ल प्रियंका चोपड़ा भारत की एक प्रसिद्ध मुक्केबाज और ओलंपिक पदक विजेता मैरी कॉम का किरदार निभाती हैं. यह फिल्म खेलों के प्रति भारतीय महिलाओं की दृढ़ता को शानदार ढंग से प्रदर्शित करते हुए उनकी यात्रा, संघर्ष और अंततः जीत को दर्शाती है.

दंगल (2016)

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यह भारत की ब्लॉकबस्टर फोगाट बहनों की कहानी बताती है, जो अपने पिता के मार्गदर्शन में विश्व स्तरीय पहलवान बनीं. यह फिल्म पारिवारिक मूल्यों और राष्ट्रीय गौरव दोनों का उदाहरण देती है, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. 

देशभक्ति में महिलाओं की सशक्त भूमिका का जश्न

हाल के वर्षों में, फिल्मों ने देशभक्ति के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को उजागर किया है, उनके सशक्तिकरण को प्रदर्शित किया है:

तेजस 

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इस गणतंत्र दिवस पर, फिल्म तेजस देखने पर विचार करें, जो एक महिला की यात्रा को दर्शाती है जो साहस और महत्वाकांक्षा के माध्यम से एक आदर्श बन जाती है. कंगना रनौत का प्रदर्शन उल्लेखनीय है और नारी सशक्तिकरण और राष्ट्रीय गौरव के विषयों के अनुरूप है.

गुंजन सक्सेना: द कारगिल वॉर

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भारतीय वायु सेना में एक पहली महिला पायलट की सच्ची कहानी पर आधारित है. जान्हवी कपूर ने गुंजन सक्सेना का किरदार निभाया है. कथा मुख्य रूप से पुरुष क्षेत्र में महिलाओं द्वारा सामना किए गए संघर्षों और उनकी असाधारण उपलब्धियों पर जोर देती है. यह फ़िल्म यह साबित करती है कि बात जब देश सेवा की आती है तो भारत की बेटियां, भारत के बेटों से कम नहीं है.

राज़ी

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यह देश प्रेम की तीव्र भावना जगाती एक थ्रिलर फ़िल्म है जो एक युवा भारतीय देश प्रेमी महिला की कहानी है जो 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जासूस के रूप में काम करने के लिए पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी में शादी कर लेती है. मुख्य भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री आलिया भट्ट का प्रदर्शन, भारतीय महिला द्वारा राष्ट्र की रक्षा में बलिदान और बहादुरी के घटनाओं को जीवंत करता है.

नीरजा

लोकप्रिय मलयालम टीवी स्टार रमेश

इस फिल्म में सोनम कपूर ने नीरजा भनोट का किरदार निभाया है, जो एक आतंकवादी द्वारा उनके प्लेन का अपहरण कर लिए जाने के दौरान अपनी जान की बाजी लगाकर साहसपूर्वक यात्रियों को बचाती है. कहानी सशक्त रूप से बताती है कि नारी सशक्तिकरण न केवल मानदंडों को तोड़ने से बल्कि निस्वार्थ कार्यों से भी आता है.

मणिकर्णिका

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कंगना रनौत और कृष द्वारा निर्देशित और 2019 में रिलीज़ हुई फिल्म 'मणिकर्णिका' भारत की एक बहादुर बेटी, झाँसी की बहादुर रानी, रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित एक्शन फिल्म है, जो फिल्म में भारतीय युद्ध के दौरान ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ उनके उग्र प्रतिरोध को दर्शाती है. 1857 के विद्रोह में रानीलक्ष्मीबाई का साहस उनकी अटूट देशभक्ति के प्रतीक के रूप में उभरती हैं. कंगना रनौत ने उग्र रानी के रूप में एक शक्तिशाली और शारीरिक रूप से कठिन प्रदर्शन किया है. यह फिल्म एक महान योद्धा रानी को एक सशक्त सम्मान है जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है.

उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक

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2019 में आई आदित्य धर द्वारा निर्देशित यह फिल्म आतंकवाद के खिलाफ भारत की सर्जिकल स्ट्राइक को दर्शाती है. विक्की कौशल को एक सेना प्रमुख के रूप में पेश करते हुए, यह भारतीय सैनिकों के साहस को दर्शाता है.

भारत में देशभक्ति, वीरता और अन्याय के खिलाफ लड़ाई को प्रदर्शित करने वाली फिल्मों की सूची बहुत लंबी है. भारतीय सिनेमा ने राष्ट्र प्रेम की भावना पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कैसे आम लोग, पुरुष और महिला दोनों, अपने देश की कहानी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं. चाहे वे ऐतिहासिक वृत्तांत हों या समकालीन कहानियाँ, ये फ़िल्में हमें राष्ट्र के लिए किए गए बलिदानों को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए प्रेरित करती हैं.

ये फ़िल्में इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे भारतीय सिनेमा ने भारत की आज़ादी के लिए विभिन्न व्यक्तियों और आंदोलनों को चित्रित किया है. यह फिल्में हमें आज़ादी के लिए किए गए बलिदानों और राष्ट्रीय पहचान के लिए चल रही लड़ाई की याद दिलाते हैं.

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