Hridaynath Mangeshkar की Lata Didi को भावभीनी श्रद्धांजलि

"ते श्री शारदा विश्वमोहिनी लता दीदी" की शाम एक दिव्य सिम्फनी की तरह सामने आई, जिसमें भारत रत्न लता मंगेशकर की शाश्वत विरासत को श्रद्धांजलि दी गई. यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम...

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Hridaynath Mangeshkar की Lata Didi को भावभीनी श्रद्धांजलि
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"ते श्री शारदा विश्वमोहिनी लता दीदी" की शाम एक दिव्य सिम्फनी की तरह सामने आई, जिसमें भारत रत्न लता मंगेशकर की शाश्वत विरासत को श्रद्धांजलि दी गई. यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में आयोजित यह कार्यक्रम महज श्रद्धांजलि की सीमाओं से आगे बढ़कर एक अलौकिक संगीतमय यात्रा बन गया, जिसने भारत की स्वर कोकिला के सार को पकड़ लिया.

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इस शाम का मुख्य आकर्षण प्रतिष्ठित "दीदी" पुरस्कार था, जो प्रतिभाशाली पार्श्व गायिका संजीवनी भेलांडे को श्रद्धेय तालयोगी पंडित सुरेश तलवलकर द्वारा प्रदान किया गया, इस अवसर पर उपस्थित प्रतिष्ठित लोगों में शरद पोंक्षे, सोनाली कुलकर्णी, सोनू निगम, श्रीमती भारती मंगेशकर और पंडित हृदयनाथ मंगेशकर जैसे दिग्गज शामिल थे.

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संगीत जगत में लता मंगेशकर की अमिट छाप के सम्मान में प्रदान किए जाने वाले "दीदी" पुरस्कार के इस तीसरे संस्करण में एक शॉल, एक स्मृति चिन्ह और एक नकद पुरस्कार दिया जाता है - गायन की उत्कृष्टता की विरासत को जारी रखने वालों के प्रति सम्मान का एक प्रतीकात्मक संकेत. पंडित सत्यशील देशपांडे और विभावरी आप्टे जोशी सहित पिछले प्राप्तकर्ताओं की प्रतिष्ठित सूची को संजीवनी भेलांडे की भावपूर्ण कलात्मकता की मान्यता से और समृद्ध किया गया.

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कार्यक्रम की शुरुआत में माहौल आध्यात्मिकता से भर गया, क्योंकि एमआईटी के छात्रों ने मनमोहक गणेश वंदना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने अपने तरल नृत्य से दिव्य आशीर्वाद का आह्वान किया. इसके बाद संजीवनी भेलांडे, अजीत परब, डॉ. श्रेयसी पावगी, मनीषा निश्चल, डॉ. उन्मेष करमरकर और विभावरी जोशी ने संगीत की एक भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसमें उनकी आवाज़ ने एक भावपूर्ण ताना-बाना बुना, जो लता दीदी के कालातीत प्रभाव से गूंज उठा.

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समय की सीमा लांघने वाले एक क्षण में, पंडित हृदयनाथ मंगेशकर ने अपनी बहन लता मंगेशकर की दुर्लभ, अंतरंग यादों को साझा करने के लिए मंच की शोभा बढ़ाई. उनके शब्दों ने उनकी साधारण शुरुआत, उनकी दृढ़ता और संगीत के साथ उनके दिव्य जुड़ाव को जीवंत कर दिया, जबकि लता दीदी की दुर्लभ और अनमोल तस्वीरों ने स्क्रीन को रोशन कर दिया. जब विभावरी जोशी ने इन यादों को समेटने वाले गीतों को अपनी आवाज़ दी, तो ऑडिटोरियम पुरानी यादों और गहरे भावनात्मक जुड़ाव के दायरे में पहुँच गया.

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संगीत को विवेक परांजपे के नेतृत्व में एक शानदार कलाकारों की टुकड़ी ने खूबसूरती से समर्थन दिया, जिसमें सिंथेसाइज़र पर केदार परांजपे और दर्शन जोग, गिटार पर विशाल थेलकर, बांसुरी पर नीलेश देशपांडे, तबला और एकतारा पर विक्रम भट्ट, तबला और ढोलक पर विशाल गंद्रतवार, रिदम मशीन पर अजय अत्रे और पर्क्यूशन पर पद्माकर गूजर शामिल थे. अयान मोमिन की सहज ऑडियो महारत ने प्रदर्शन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि प्रत्येक नोट स्पष्टता और भावना के साथ गूंजता रहे.

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पंडित हृदयनाथ मंगेशकर द्वारा परिकल्पित यह श्रद्धांजलि केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक अनुभव था - संगीत की देवी को एक पवित्र भेंट. मनोरंजन के शिरीष रायरिकर द्वारा पूरी तरह से व्यवस्थित की गई व्यवस्था ने शाम की भव्यता को और बढ़ा दिया, जिससे सभी उपस्थित लोगों के लिए एक शानदार नजारा सुनिश्चित हुआ.

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श्रोताओं को लता दीदी के कुछ पसंदीदा व्यंजनों से युक्त एक शानदार थाली भी परोसी गई, जिससे उनकी विरासत के जश्न में एक हार्दिक और व्यक्तिगत स्पर्श जुड़ गया. जैसे-जैसे रात समाप्त हुई, श्रोतागण संगीत और यादों से भरे दिलों के साथ वापस चले गए, यह जानते हुए कि वे एक ऐसे कार्यक्रम का हिस्सा थे, जिसने वास्तव में लता दीदी की आवाज के शाश्वत सार को पकड़ लिया था, जो भारतीय संगीत के इतिहास में गूंजता रहता है.

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