फिल्म 'फूले' में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा की केमिस्ट्री देखे फिल्म "फुले" भारत के दो सबसे प्रभावशाली समाज सुधारकों, महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी, सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्ष का एक दिल छूने वाली सशक्त सिनेमैटिक चित्रण है... By Sulena Majumdar Arora 07 Jan 2025 in एंटरटेनमेंट New Update Listen to this article 0.75x 1x 1.5x 00:00 / 00:00 Follow Us शेयर फिल्म "फुले" भारत के दो सबसे प्रभावशाली समाज सुधारकों, महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी, सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्ष का एक दिल छूने वाली सशक्त सिनेमैटिक चित्रण है जो 11 अप्रैल 2025, को महात्मा फूले के 197 जयंती पर रिलीज़ होने वाली है. 19वीं सदी के भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित, यह फिल्म इस उल्लेखनीय जोड़े की असाधारण यात्रा पर प्रकाश डालती है, जिन्होंने उस समय की कुरीतियों और व्यवस्था को चुनौती देने का साहस किया. यह वो जमाना था जब गहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक वर्ड ऑर्डर बड़े पैमाने पर असमानता से भरा हुआ था. ज्योतिराव फूले , एक प्रतिभाशाली विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता थे , और उनकी पत्नी सावित्रीबाई, एक साहसी और दृढ़ महिला थी. दोनों ने दमनकारी जाति व्यवस्था को खत्म करने और हाशिए पर रहने वाले कम्यूनिटी, विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. ऐसे समाज में जो महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखता था, उन्होंने भारत में लड़कियों के लिए पहला स्कूल 1848 को पुणे में स्थापित करके उस कुपरंपरा का उल्लंघन किया. इस क्रांतिकारी कदम ने आशा की एक चुनौतीपूर्ण चिंगारी जलाई और एक ऐसे आंदोलन को प्रज्वलित किया जिसने भारतीय इतिहास की दिशा को हमेशा के लिए बदल के रख दिया. आने वाली फ़िल्म 'फूले' महान समाज सुधारक ज्योतिराव फूले के सामाजिक न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के सार को उत्कृष्टता से दर्शाती है. यह शिक्षा की गुणवत्ता शक्ति में उनके अटूट विश्वास और शिक्षा से वंचितों के उत्थान के लिए उनके अथक प्रयासों को दर्शाता है. "फुले" न केवल उनकी विजयों का वर्णन करता है, बल्कि उनके सामने आने वाली अपार चुनौतियों का भी निडरता से चित्रण करता है. यह फिल्म स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि उन्हें सामाजिक व्यवस्था में किस तरह के कठोर उग्र विरोध का सामना करना पड़ा, उन्हे किस किस तरह का बहिष्कार सहना पड़ा और उनकी सुरक्षा को लगातार किस तरह ख़तरे का सामना करना पड़ा. प्रतीक गांधी ने ज्योतिराव के रूप में एक शक्तिशाली प्रदर्शन किया है, जिसमें उनकी बौद्धिक प्रतिभा, उनके अटूट संकल्प और हाशिए पर मौजूद लोगों के प्रति उनकी गहरी संवेदना को दर्शाया गया है. सावित्रीबाई फूले की भूमिका में पत्रलेखा भी उतनी ही प्रभावशाली हैं, जो महिला सशक्तीकरण के लिए अपनी ताकत, और अटूट समर्पण का प्रतीक हैं. पत्रलेखा ने कहा, "सावित्रीबाई फूले की भूमिका करते हुए मैं डीपली ऑनर्ड महसूस कर रही हूं. जाने माने फिल्म निर्माता अनंत महादेवन द्वारा निर्देशित, "फुले" एक फ़िल्म के रूप में आश्चर्यजनक और भावनात्मक रूप से गूंजने वाला सिनेमेटिक अनुभव है. वे बोले," हमने हिस्टॉरिकल फैक्ट्स को बरकरार रखा लेकिन यह कोई साधारण हिस्टॉरिकल कहानी नहीं है, उससे भी आगे है. यह फिल्म दर्शकों को गुज़रे युग में ले जाने के लिए अपनी विचारोत्तेजक कल्पना और मार्मिक कहानी का उपयोग करती है और साथ ही फुले के संदेश की चिरस्थायी प्रासंगिकता पर प्रकाश डालती है. डांसिंग शिवा फिल्म्स, किंग्समेन प्रॉडक्शन और ज़ी स्टूडियोज़ द्वारा सावित्री बाई फूले के बर्थ एनीवर्सरी पर फ़िल्म के रिलीज़ की तारीख साझा की. एक ऐतिहासिक ड्रामा से कहीं अधिक, यह फ़िल्म "फुले" सबके लिए समान सामाजिक न्याय, लैंगिक समानता तथा शिक्षा की शक्ति के महत्व की एक शक्तिशाली रिमाइंडर के रूप में प्रस्तुत की गई है. यह एक ऐसी फिल्म है जो दर्शकों को यथास्थिति पर सवाल उठाने, अन्याय को चुनौती देने और अधिक न्यायसंगत समावेशी समाज के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है जो ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले की अदम्य भावना का एक प्रमाण है, जिनकी विरासत पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है. Read More एक के बाद एक फ्लॉप फिल्में देने के बाद माधुरी को कहा जाता था मनहूस! अक्षय ने 2024 में अपने निराशाजनक बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर दी प्रतिक्रिया आमिर खान ने की 'लवयापा' में खुशी कपूर और बेटे जुनैद खान की तारीफ जुनैद ने अपने तलाकशुदा माता-पिता संग बड़े होने के अनुभव को किया शेयर हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article