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**रिव्यू: वेब सीरीज**
**‘‘फोर मोर शॉट्स प्लीजः ऊँची दुकान फीका पकवान...’’**
**रेटिंगः ढाई स्टार**
**निर्माता:** प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशन, रंगीता प्रीतिश नंदी और इशिता प्रीतिश नंदी
**लेखक:** देविका भगत
**निर्देशक:** अरुणिमा शर्मा और नेहा पार्टि माटियानी
**कलाकार:** कीर्ति कुल्हारी, सयानी गुप्ता, बानी जे, मानवी गगरू, कुणाल रॉय कपूर, डिनो मोरिया, राजीव सिद्धार्थ, अनसुइया सेन गुप्ता और प्रतीक बब्बर
**अवधिः** सैंतीस से 41 मिनट के सात एपिसोड, कुल लगभग साढ़े चार घंटे
**ओटीटी प्लेटफॉर्म:** प्राइम वीडियो
दोस्ती, रिलेशनशिप और प्यार की अहमियत पर आधारित चार लड़कियों की कहानी बयां करने वाली वेब सीरीज ‘‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’’ का चौथा व अंतिम सीजन 19 दिसंबर से स्ट्रीम हो रहा है। 2019 में जब इसका पहला सीजन आया था, तब यह प्राइम वीडियो की सर्वाधिक लोकप्रिय व चर्चित सीरीज़ बनी थी। मगर चौथा व अंतिम सीजन सबसे अधिक निराशाजनक रहा। ऐसा लगता है कि नई बोतल में पुरानी शराब उड़ेल दी गई हो। कहानी की जगह बोल्ड दृश्यों के नाम पर खुला सेक्स परोसने के साथ समलैंगिकता का ही ढिंढोरा पीटा गया है।
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**स्टोरी:**
सीरीज़ की कहानी के केंद्र में वही चार प्रमुख किरदार दामिनी रिज़वी रॉय (सयानी गुप्ता), अंजना मेनन (कीर्ति कुल्हारी), सिद्धि पटेल (मानवी गगरू) और उमंग सिंह (बानी जे) हैं। ये सभी किरदार अपने रोज़मर्रा के जीवन में मुस्कुराते हुए, काम करते हुए और ‘सब कुछ संभालते हुए’ किसी न किसी इमोशनल बोझ को उठाते हुए नज़र आती हैं। इस सीजन की शुरुआत सिद्धि पटेल की शादी से होती है। सिद्धि अपने लंबे समय के प्रेमी मिहिर (राजीव सिद्धार्थ) से शादी करती है। अंजना तलाक के बाद अपनी बेटी के साथ खुश है और सफल वकील है। दामिनी देश की बड़ी पत्रकार और चर्चित हस्ती बन चुकी है और मैंग्स यानी उमंग एक सफल जिम ट्रेनर बन चुकी है, जिसका उमामी काफी लोकप्रिय है। कहानी वहीं से शुरू होती है, जहाँ तीसरा सीजन खत्म हुआ था। इस सीजन तक पहुँचते-पहुँचते सभी अपनी ज़िंदगी अच्छे से जी रहे हैं। पर समस्याएँ भी हैं। सिद्धि शादी से पहले अंतिम वक्त में कुछ सोच में पड़ जाती है, लेकिन अंततः मिहिर से शादी कर ही लेती है। अंजना को रोहन (डिनो मोरिया) में फिर से प्यार मिला है और अब वह रोहन के साथ नई ज़िंदगी शुरू करना चाहती है। पर सीजन के अंत में पता चलता है कि वह बाइक से पूरी दुनिया घूमने जा रही है। दामिनी का करियर ठीक चल रहा है और अब तो उसने अपना पॉडकास्ट भी शुरू कर लिया है, तो वहीं उसका भाई अशोक आदित्य (कुणाल रॉय कपूर) भी वापस आ गया है। पर वह अभी भी जेह (प्रतीक बब्बर) को भूल नहीं पाई है। उमंग सिंह करियर में सफल है, लेकिन पार्टनर की तलाश है। जिन्हें वह डेटिंग ऐप्स पर भी ढूँढती है। हर बार की तरह इस सीजन में भी जब-जब कोई एक पात्र किसी समस्या से घिरता है, तो बाकी के तीनों पात्र उसकी मदद के लिए पहुँच जाती हैं।
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**रिव्यूः**
इस सीजन में मूल सीरीज़ की ऊर्जा पूरी तरह से गायब है। यह लेखक व निर्देशक दोनों की कमज़ोरी का नतीजा है। यह सीरीज़ का अंतिम सीजन है, तो इसका क्लाइमेक्स काफी दमदार होना चाहिए था। मगर अफसोस पूरा क्लाइमेक्स एकदम शुष्क और निराशाजनक है। इस सीजन की कहानी पूरी तरह से अनुमानित ढंग से ही गढ़ी गई है। कहानी कहीं न कहीं सिद्धि के ही इर्द-गिर्द घूमती है और सिद्धि को लेकर शुरू की गई कहानी का अंत भी किया गया है, मगर गहराई, वास्तविक भावनात्मक प्रभाव और सभी पात्रों के लिए संतोषजनक विकास का अभाव नज़र आता है। भले ही कुछ दमदार अभिनय और दृश्य आकर्षण बरकरार रहे हों। इतना ही नहीं कुणाल रॉय कपूर, डिनो मोरिया और अनसुइया सेन गुप्ता के नए किरदार जोड़े ज़रूर गए हैं, पर लेखकों की टीम इनके किरदारों को ठीक से गढ़ नहीं पाए। कथानक में दोहराव के साथ ही सुविधाजनक, सुव्यवस्थित समाधान को तवज्जो दी गई है, जिसकी वजह से भावनात्मक प्रभाव कमतर हो गया। लेखकों ने अपना सारा ध्यान सिद्धि के विवाह और उसके स्टैंड-अप करियर पर इतना अधिक केंद्रित कर दिया कि वह भूल गए कि इस सीरीज़ में दामिनी और सयानी जैसे अन्य किरदार भी हैं। वह यह भी भूल गए कि इस बार तीन नए किरदार जोड़े गए हैं, जिसकी वजह से सारा गुड़ गोबर हो गया। इस बार नारी सशक्तिकरण महज़ छलावा बनकर रह गया। लेखकों ने अपना सारा ध्यान समलैंगिक संबंधों और सेक्स संबंधों की नुमाइश करने पर ही दिया। बोल्डनेस के नाम पर इंटीमेट सीन, गालियाँ, एडल्ट ग्रेड बातें जबरन ठूँसकर बेवजह सीरीज़ की लंबाई बढ़ाई गई है। दामिनी और उसके भाई अशोक आदित्य के बीच के रिश्ते को भी सही अनुपात में रेखांकित नहीं किया गया। भाई-बहन के संबंधों को लेकर बेहतरीन ड्रामा गढ़ा जा सकता था। लेखकों के लेखन की कमी के चलते ही क्लाइमेक्स सार्थक लगने की बजाय जबरन थोपा हुआ लगता है। कुछ दृश्य एडिटिंग टेबल पर कसे जा सकते थे। इस सीरीज़ की महज़ इस बात के लिए तारीफ की जा सकती है कि यह सीरीज़ नारी मित्रता का जश्न मनाती है।
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माना कि पूरी सीरीज़ का गहन मंथन करने पर अहसास होता है कि यह सीरीज़ एक अच्छा संदेश यह देती है कि अधूरे सपनों का पीछा करने या अनसुलझे सवालों और पुराने जख्मों का सामना करने में कभी देर नहीं होती। लेकिन यह संदेश बहुत सतही तौर पर ही उभर पाया है। दूसरी बात चीज़ों का अंत सही अंदाज़ में नहीं किया गया।
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बतौर निर्देशक अरुणिमा शर्मा और नेहा मटियानी इस बार कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाईं। इस बार किरदारों की ज़िंदगी के अंदर गहराई से उतरने का प्रयास नहीं किया गया। कहानी में कोई नयापन नहीं है।
गोवा, बैंकॉक और मुंबई के कुछ ड्रोन शॉट अच्छे बन पड़े हैं। इसके लिए कैमरामैन बधाई के पात्र हैं।
**एक्टिंग:**
जहाँ तक अभिनय का सवाल है तो कीर्ति कुल्हारी, सयानी गुप्ता, मानवी गगरू और बानी जे ने बेहतरीन अभिनय किया है। कीर्ति कुल्हारी सबसे ज्यादा हॉट और खूबसूरत नज़र आई हैं। शायद इसकी एक वजह यह है कि बोल्ड और इंटीमेट सीन भी उनके ही हिस्से ज्यादा आए हैं। हंसाने के साथ गंभीर बात करने वाले अशोक आदित्य के छोटे किरदार में कुणाल रॉय कपूर अपनी छाप छोड़ जाते हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल है और कई बार सिर्फ उनके एक्सप्रेशन ही उस सीन का इमोशन फील करा देते हैं। डिनो मोरिया हैंडसम लगे हैं। प्रतीक बब्बर और अनसुइया सेन गुप्ता के किरदार ठीक से गढ़े ही नहीं गए।
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FAQ
Q1. ‘फोर मोर शॉट्स प्लीज’ वेब सीरीज का चौथा सीजन कब स्ट्रीम हुआ?
चौथा और अंतिम सीजन 19 दिसंबर से स्ट्रीम हो रहा है।
Q2. इस सीरीज का मुख्य विषय क्या है?
सीरीज दोस्ती, रिश्तों और प्यार की अहमियत पर आधारित चार लड़कियों की जिंदगी की कहानी बयां करती है।
Q3. पहले सीजन की लोकप्रियता कैसी थी?
2019 में जारी पहला सीजन प्राइम वीडियो की सबसे लोकप्रिय और चर्चित सीरीज बन गई थी।
Q4. चौथे सीजन को लेकर दर्शकों की प्रतिक्रिया कैसी रही?
चौथा सीजन कमजोर कहानी और बोल्ड दृश्यों के चलते अधिकांश दर्शकों को निराश कर रहा है।
Q5. चौथे सीजन में कौन-कौन से कंटेंट पर ज्यादा ध्यान दिया गया?
इस सीजन में बोल्ड दृश्य, खुले सेक्स और समलैंगिकता पर अधिक जोर दिया गया है।
Q6. क्या चौथा सीजन पहले सीजन जैसी क्वालिटी प्रदान करता है?
नहीं, आलोचकों के अनुसार यह सीजन पहले सीजन की क्वालिटी और मूल कहानी से काफी पीछे है।
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