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सनी देओल (Sunny Deol) इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘जाट’ (Jaat) को लेकर लाइमलाइट में बने हुए हैं. इसी साल रिलीज हो रही ‘जाट’ की शूटिंग तकरीबन पूरी हो चुकी है. इसी बीच सनी की 28 साल पुरानी फिल्म ‘घातक’ (Ghatak) की चर्चा एक बार फिर शुरू हो गयी है. दरअसल यह फिल्म दोबारा सिनेमाघरों में गदर मचाने आ रही है.
इसकी जानकारी रेड लॉरी फिल्म फेस्टिवल के आधिकारिक इंस्टाग्राम पर शेयर की गई है. खबर शेयर कर लिखा –
“एक कल्ट क्लासिक की वापसी के लिए खुद को तैयार रखें. ‘घातक’ एक बार फिर रेड लॉरी फिल्म फेस्टिवल में बड़े पर्दे पर आ रही है. 21 मार्च 2025 को बड़े पर्दे पर एक्शन का लुत्फ उठाएं.”
आपको बता दें कि साल 1996 में दीवाली के मौके पर रिलीज हुई निर्देशक राजकुमार संतोषी और सनी की एक्शन फिल्म ‘घातक’ की रिलीज को अब 28 साल पूरे गए हैं. ये एक्शन फिल्म अपनी धमाकेदार एक्शन, जबरदस्त डायलॉग्स और कहानी की वजह से फैन्स के बीच खासी पॉपुलर हुई. इस फिल्म में सनी के साथ मीनाक्षी शेषाद्री (Meenakshi Seshadri), अमरीश पुरी (Amrish Puri) और डैनी डेन्जोंगपा (Danny Denzongpa) ने अभिनय किया है. ये सनी देओल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है.
GHATAK FILM SONGS
डायलॉग्स है फिल्म की यूएसपी
इस फिल्म के डायलॉग्स को फिल्म की यूएसपी माना जाता है. जितने बेहतरीन तरीके से इनको अशोक कुमार, विमल कुमार और विजयेंद्र प्रसाद ने लिखा है , उतने ही दमदार तरीके से इसे सनी ने अभिनीत किया है. यहीं वजह है कि इन्हें खासा पसंद भी किया गया.
यहाँ हम आपको इस फिल्म के सनी देयोल द्वारा बोले गए कुछ लोकप्रिय डायलॉग्स बता रहे हैं-
- ये मज़दूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है! ये ताकत ख़ून-पसीने से कमाई हुई रोटी की है. मुझे किसी के टुकड़ों पर पलने की जरूरत नहीं.
2. हलक़ में हाथ डालकर कलेजा खींच लूंगा हरामख़ोर.. उठा उठा के पटकूंगा! उठा उठा के पटकूंगा! चीर दूंगा, फाड़ दूंगा साले!
3. आ रहा हूं रुक, अगर सातों एक बाप के हो तो रुक, नहीं तो कसम गंगा मइय्या की, घर में घुस कर मारूंगा, सातों को साथ मारूंगा, एक साथ मारूंगा, अरे रुक!!
4. पिंजरे में आकर शेर भी कुत्ता बन जाता है कात्या. तू चाहता है मैं तेरे यहां कुत्ता बनकर रहूं. तू कहे तो काटूं, तू कहे तो भौंकू.
5. डरा के लोगों को वो जीता है जिसकी हडि्डयों में पानी भरा हो. इतना ही मर्द बनने का शौक है न कात्या, तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे.
6. जो दर्द तुम आज महसूस करके मरना चाहते हो, ऐसे ही दर्द लेकर हम रोज़ जीते हैं.
7. क्यों? अंहिसा से अपना हक मांगने वाला सचदेव सरे-बाज़ार काट कर फेंक दिया गया.. क्यों? उसकी बीवी मालती तुम्हारे ही पुलिस स्टेशन में सर पटक-पटक कर पागल हो गई और उसे इंसाफ नहीं मिला.. क्यों? एक बुज़ुर्ग को चौराहे पर कुत्ता बनाया जाता है, उसका तमाशा बनाया जाता है. पुलिस मुंह फेरकर चली जाती है.. क्यों? 150 परिवार अपनी ज़मीन के लिए, अपनी रोज़ी-रोटी के लिए कभी किसी मिनिस्टर के सामने गिड़गिड़ाते हैं, तो कभी कात्या के दरवाज़े पर अपना माथा टेकते हैं तो कभी तुम्हारी जेबें गरम करते हैं, फिर भी उनके घर में चूल्हे ठंडे पड़े हैं. जानते हो क्यों? क्योंकि कानून और इंसान ताकतवर के घर ग़ुलाम बनकर बैठे हैं. और जब तक ऐसा रहेगा ख़ून यूं ही बहेगा. इस ख़ून के जिम्मेदार तुम हो. तुम जैसे ग़ैर-जिम्मेदार पुलिसवाले एक आम आदमी को घातक बनने पर मजबूर करते हैं. तुम्हारे पापों की कीमत चुकाई है तुम्हारी बेटी ने.
8. हां हां, जानता हूं. नामर्दों का शहर है ये. बीच बाज़ार में एक औरत को घसीटा जाता है, मारा जाता है, बस खड़े होकर तमाशा देखो.. जो मदद करे वो गधा, बेवकूफ.
9. फिर मारूंगा, मैं फिर मारूंगा उन्हें, अगर मेरी आंखों के सामने होगा तो मैं फिर मारूंगा उन्हें. मैं नहीं देख सकता ये सब कुछ. नहीं देख सकता. कल अगर बाज़ार में भाभी का कोई हाथ पकड़ ले, तब भी आप मुझसे यही कहेंगे.
10. अब पुलिस नहीं, पुलिस नहीं. अगर मदद करना चाहते हो तो बाहर रहो. इस लड़ाई से बाहर रहो. मार देंगे उसे (मुन्ना को), मर जाने दो. मार देंगे दुकान वालों को, उन्हें भी मर जाने दो. लेकिन अब पुलिस का सहारा नहीं चाहिए. अब जो जिएगा वो अपने पैरों पर चलेगा, पुलिस की बैसाखी लेकर नहीं. इस लड़ाई में हमारी पूरी जीत होगी, या पूरी हार. जो गुर्दा रखता है, उसे ही जीने का हक़ है. वही जिएगा.
इस फिल्म को आप आगामी शुक्रवार यानी 21 मार्च को एक बार फिर बड़े परदे पर देख सकते हैं.
BY PRIYANKA YADAV
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