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तीस अप्रैल को, सिनेमा जगत के दिग्गज, वरिष्ठ कोरियोग्राफर मास्टर पप्पू खन्ना को तीसरी बार दादासहेब फाल्के भारत गौरव सम्मान अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया। भारतीय मानव सेवा संगठन, इन असोसिएशन विद राजश्री फ़िल्म प्रोडक्शन एंड अकडमी एंड कोहिनूर एंटरटेनमेंट एंड सी ए (चैरिटी फॉर कैंसर पेशेंट, ब्लाइंड एंड नीडी पीपल) द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में, सिनेमा जगत के गौरव पप्पू खन्ना, वी वी आई पी गेस्ट तथा अवार्डी के तौर पर शामिल हुए। इस शो के ऑर्गनाइजर तथा शो डाइरेक्टर रहे राजश्री वर्मा।
ऐसे मौके पर जब मेरी मुलाकात पप्पू खन्ना जी से, हमारे मायापुरी पत्रिका के संपादक श्री प्रमोद कुमार बजाज जी के सौजन्य से हुआ तो मेरी उनसे ढेर सारी बातें हुई। वे हाल ही में कश्मीर से एक शूटिंग करके लौटे थे और अन्य कई फिल्मों तथा शोज़ में व्यस्त हैं। हाल ही में उनका एक गाना, 'ईद मुबारक', (सलमान अली) हिट हुआ है। प्रस्तुत है गुरुजी मास्टर पप्पू खन्ना से हुए बातचीत के कुछ मुख्य अंश।
आप, आज एक दिग्गज कोरियोग्राफर के रूप में जाने जाते हैं, यहां तक पहुंचना निश्चित रूप से आसान नहीं था। काफी संघर्षों से गुज़र कर आप यहां तक पहुंचे हैं। तो जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो क्या इसे worth पातें हैं?
पप्पू खन्ना---- पहली बात तो मैं पीछे मुड़कर देखता ही नहीं। पीछे मुड़कर वे देखते हैं जो रिटायर हो चुके हैं, जिन्हे कोई काम नहीं है। मैं इतना व्यस्त हूँ कि मुझे पीछे मुड़कर देखने का वक्त नहीं मिलता। कई फिल्मों की कोरियोग्राफी से लेकर एल्बम, सब कर रहा हूं। हां, यह सही है कि पहले की तरह अब मुझे काम मांगने प्रोड्यूसर के पास बिल्कुल जाना नहीं पड़ता। खुद प्रोड्यूसर मेरे पास काम लेकर आते हैं। जहां तक संघर्ष और worth का सवाल है, तो हां, सबकुछ worth है। संघर्ष से ही इंसान तपकर सोना बनता है।
मुंबई में जन्मे और पले-बढ़े पप्पू खन्ना की कहानी अथक जुनून, अनुशासन और नृत्य के प्रति उनके आजीवन प्रेम की कहानी है। छोटी उम्र से ही पप्पू खन्ना भारतीय सिनेमा को परिभाषित करने वाली लय और धुनों की ओर आकर्षित हुए थे। उनके पिता मास्टर सोहनलाल खन्ना भी सिनेमा जगत के जाने माने कोरियोग्राफर थे। पप्पू खन्ना ने गुरु बद्री प्रसाद अवस्थी के मार्गदर्शन में कथक से औपचारिक प्रशिक्षण शुरू किया, जिसमें उन्होंने शास्त्रीय रूप में महारत हासिल करने के लिए 11 साल से अधिक समय समर्पित किया। उन्होंने स्थानीय अकादमी और कई फिल्मों में ग्रुप नर्तक के रूप में अपने कौशल को और निखारा, जिससे कोरियोग्राफी में एक उल्लेखनीय करियर की नींव रखी।
पप्पू खन्ना को पढ़ने लिखने का शौक नहीं था, लेकिन नृत्य में वे कुशल थे। 16 साल की उम्र में पप्पू खन्ना की बतौर कोरियोग्राफर, यात्रा आश्चर्यजनक रूप से शुरू हुई। 16 साल की उम्र में ही वे पंजाबी फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी कर रहे थे। उन्होंने अपनी शुरुआत “लम्बारदारनी” (1976) और बाद में “सरपंच” (1982) से की। क्षेत्रीय सिनेमा में उनके शुरुआती काम ने फिल्म निर्माताओं का ध्यान जल्दी ही उनकी ओर आकर्षित कर लिया और जल्द ही उन्हें बॉलीवुड के लिए समूह नृत्य में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
उन्ही दिनों क्लासिक फिल्म “डॉन” (1978) में उनकी एक यादगार उपस्थिति भी शामिल थी, जहाँ उन्होंने प्रतिष्ठित गीत 'ई है बंबई नगरिया तू देख बबुआ' में अपनी हुनर से सबको चौंका दिया था। 1980 के दशक में पप्पू खन्ना का हिंदी फिल्म उद्योग में लगातार और तेजी से उदय हुआ। उन्होंने समूह नर्तक से निकलकर मुख्य कोरियोग्राफर के रूप में काम करना शुरू किया और कई सफल फिल्मों में अपनी कुशल कोरियोग्राफी का जादू चलाया। मास्टर पप्पू खन्ना की कोरियोग्राफी शास्त्रीय कला और समकालीन स्टाइल के मिश्रण के लिए प्रसिद्ध थी, जिसने उन्हें निर्माता निर्देशकों और सुपर स्टार्स के बीच समान रूप से सब से पसंदीदा कोरियोग्राफर बना दिया।
अपने शानदार 46 साल के करियर में, पप्पू खन्ना ने हिंदी, पंजाबी, बंगाली, मराठी और भोजपुरी सिनेमा में 600 से ज़्यादा फ़िल्मों में कोरियोग्राफी की।
उनकी कुछ सबसे हिट और मशहूर फिल्में इस प्रकार हैं:
दामिनी: अपनी दमदार कहानी के लिए मशहूर, खन्ना की कोरियोग्राफी ने फ़िल्म के यादगार गीतों में भावनात्मक गहराई जोड़ दी।
गुड्डडू: शाहरुख़ ख़ान अभिनीत, फ़िल्म के डांस सीक्वेंस ने खन्ना की बहुमुखी प्रतिभा को खूब दर्शाया।
घातक: इस एक्शन ड्रामा में उनकी कोरियोग्राफी आज भी उनके करियर का मुख्य आकर्षण बना हुआ है।
निकाह: एक ऐसी फ़िल्म जिसमें रोमांस और ड्रामा का मिश्रण था, जिसे मास्टर पप्पू खन्ना की शानदार कोरियोग्राफी ने और भी बेहतरीन बना दिया।
जय किशन और लाल बादशाह: दोनों फिल्मों में हाई एनर्जी और अभिनव नृत्य संख्याएँ शामिल थीं।
तेरे पायल मेरे गीत: यह म्यूज़िकल क्लासिक एक पप्पू खन्ना के आश्चर्यजनक क्लासिकल नृत्य का एक एतिहासिक मिसाल है। हालांकि आम जनता के पल्ले इतना हाई क्लासिक फ़िल्म नहीं पड़ा, जिसका अफसोस सबको है।
बाबूजी एक टिकट बंबई का और मराठी फिल्म काय रे रास्कला (2017) ये हालिया प्रोजेक्ट भारतीय सिनेमा में खन्ना की एवरग्रीन प्रासंगिकता को रेखांकित करते हैं।
उन्होंने तवायफ “सरफ़रोश” “बंद दरवाज़ा” “जीवा” (1986) जैसी प्रशंसित फ़िल्मों में भी कुशल कोरियोग्राफी करके इन्हे यादगार बना दिया। इस तरह अगर फिल्मों के नाम गिनाती रही तो पन्ने के पन्ने भर जाएंगे। उस्ताद कोरियोग्राफर पप्पू खन्ना का काम शैलियों और पीढ़ियों तक फैला हुआ है, उन्होंने राजेंद्र कुमार, आशा पारेख, माला सिन्हा, उनकी बेटी प्रतिभा, राजेश खन्ना,अमिताभ बच्चन, डिंपल कपाड़िया धर्मेंद्र, कमलहासन, सनी देओल, कुमार गौरव बॉबी देओल, जीतेंद्र, रेखा, राकेश रोशन, अक्षय कुमार, आमिर खान, सुनील शेट्टी मीनाक्षी शेषाद्रि, माधुरी दीक्षित, श्रीदेवी, सलमा आगा, शाहरुख खान, शिल्पा शेट्टी, जैसे चोटी के सितारों के लिए कोरियोग्राफी की है।
इन बड़े स्टार्स को नचाने का अनुभव आपका कैसा रहा?
पप्पू खन्ना : मुझे उनके साथ काम करने में जितना आनंद आया, उन्हे भी मेरे साथ काम करने में मजा आया। मुझे यह बताते हुए गर्व का एहसास है कि आज ये जितने भी सुपर स्टार्स हैं सबने अपनी पहली फ़िल्म मेरे कोरियोग्राफी से शुरू की और आज सभी सुपर स्टार है।
पप्पू खन्ना ने बताया कि सलमान खान की पहली फिल्म 'मैंने प्यार किया' की कोरियोग्राफी का ऑफर सबसे पहले उन्हे मिला था लेकिन उनकी एक शर्त थी कि इस दौरान वे किसी और फ़िल्म में काम नहीं करेंगे। पप्पू जी बोले, 'उन दिनों मैं एक साथ दर्जनों फिल्मों में काम कर रहा था, इस तरह के बंधन कैसे मान लेता। इसलिए मैंने वो फ़िल्म छोड़ दी।'
आपने बहुत टॉप के निर्माता निर्देशकों और सुपर स्टार्स के साथ काम किया, आज के निर्माता निर्देशक, और आज के सुपर स्टार्स के बीच उनमें कितना फर्क नज़र आया?
पप्पू खन्ना: जी हाँ, मैंने पिछले 46 वर्षों में बॉलीवुड के सभी क्रीम निर्माता, निर्देशकों के साथ काम किया जैसे बी आर चोपड़ा, हऋषिकेश मुखर्जी, पहलाज निहलानी, राजश्री प्रोडक्शन, राजकुमार संतोषी, के सी बोकाड़िआ, टी सीरीज़ के संस्थापक गुलशन कुमार, बप्पी लाहिड़ी, और इनके साथ काम करना एक स्वर्ण अनुभव रहा। बी आर चोपड़ा जी ने तो यह तक कहा था कि जिस तरह फैमिली डॉक्टर होते हैं उसी तरह से आप हमारे फिल्मों के फैमिली कोरियोग्राफर है। फ़िल्म निकाह से लेकर उनकी हर फ़िल्म को मैंने कोरियोग्राफ किया। पहलाज जी के साथ, हऋषिकेश जी के साथ भी यही रिश्ता था। सबसे खूबसूरत बात ये थी कि किसी ने मुझे कॉन्ट्रैक्ट के बंधन में नहीं घेरा। मैं रीजनल फिल्मों की शूटिंग के लिए कई कई दिनों तक कोलकाता, दिल्ली, पटना, पंजाब में रहता था, मुंबई में सब मेरा बेसब्री से इंतजार करते और मैं भी इग़रली वापस लौटता था। जहां तक स्टार्स की बात है तो सारे टॉप स्टार्स मेरे साथ काम करके बेहद खुश होते रहे। आज जमाना बदल गया है।
पहले वाले लोग या तो रहे नहीं या रिटायर हो गए। अब नया जेनेरेशन काम कर रहा है। उनकी अपनी मोनॉपॉली चलती है। यंग स्टार्स अपने सुविधा अनुसार कोरियोग्राफर चुनते हैं जो उन्हे आसान स्टेप्स बता सके और उनके समय के अनुसार काम कर सके। आज तो ज्यादातर स्टार्स, कोरियोग्राफर को बताते हैं कि उन्हे किस तरह के डांस चाहिए और कोरियोग्राफर उनके अनुसार चलते हैं (हंसते हुए), अब वो गुरु वाली बात ही नहीं रह गई। पहले के जमाने में कोरियोग्राफर को गुरुजी, मास्टरजी, उस्ताद जी कहकर संबोधित किया जाता था, आज सिर्फ कोरियोग्राफर कहा जाता है। अब डांस भी बिना एक्सप्रेशन, सिर्फ उछल कूद, उड़ना, ऐरोबिक करना, फ़िज़िकल ट्रेनिंग, यानी स्कूल की पी टी जैसी रह गई है। मैं जैसे डांस सिखाता था, या जैसे मास्टर पी एल राज, या मास्टर सरोज खान नृत्य डिज़ाइन करते थे, वो अब कहाँ। खैर समय बदलता है तो बहुत कुछ बदलता है। मेरी हुनर मेरे साथ है, इसलिए आज भी मुझे घर बैठे ऑफर्स आते हैं। मेरे शर्तों और मेरे समय के हिसाब से मैं काम करता हूं और बहुत बिज़ी रहता हूँ।
लोग कहते हैं, मैं भी देख रही हूँ कि आपकी सूरत कमल हासन से काफी मिलती जुलती है, इसका आपने फायदा क्यों नहीं उठाया.
पप्पू खन्ना: उन दिनों इसी वजह से पंजाबी फिल्मों, बंगाली फिल्मों, मद्रासी फिल्मों से मुझे हीरो बनने के खूब ऑफर आते थे। लेकिन मैं जानता था कि हीरो की कैरियर लाइफ छोटी होती है जबकि टेक्नीशियन की बहुत लंबी होती है। और फिर मैं खुद अपना बॉस बनना चाहता था। इसलिए कोरियोग्राफी को ही चुना।
बातों बातों में उन्होने कहा
"मायापुरी पत्रिका के साथ मेरे रिश्ते तब से है जब मैं 16 साल का किशोर था। मायापुरी के संस्थापक ए. के. बजाज के साथ मेरे पिता सोहनलाल की बहुत दोस्ती थी। एक तरह से देखा जाय तो मायापुरी के बजाज साहब का भी बहुत हाथ है मुझे खड़ा करने में। आज मेरी दोस्ती उनके पुत्र संपादक प्रमोद कुमार बजाज और प्रमोद जी के पुत्र अमन बजाज से खूब है। मैं जहाँ भी जाता हूँ, जो भी करता हूं, उन्हे खबर करता हूं, उनसे मिलना जुलना लगा रहता है। उनकी बनाई पंजाबी फ़िल्म के दौरान भी हमारा बहुत मिलना जुलना रहा।
पप्पू खन्ना की कोरियोग्राफी आधुनिक बॉलीवुड चालों के साथ शास्त्रीय भारतीय नृत्य के सहज एकीकरण के लिए प्रतिष्ठित है। लय, अभिव्यक्ति और हरकतों के ज़रिए कहानी कहने की उनकी गहरी समझ ने अनगिनत नर्तकों और कोरियोग्राफरों को प्रेरित किया है। खन्ना की अपने शिल्प के प्रति प्रतिबद्धता उनके द्वारा निर्धारित किए गए हर रूटीन की सटीकता और एनर्जी में स्पष्ट है।
नई प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के महत्व को समझते हुए, खन्ना ने अंधेरी, मुंबई में “डांस सेंसेशन” अकादमी की भी स्थापना की । अपनी अकादमी के माध्यम से, उन्होंने महत्वाकांक्षी नर्तकियों को प्रशिक्षित किया है और अपने ज्ञान और जुनून को अगली पीढ़ी तक पहुँचाया है।
भारतीय सिनेमा जगत में पप्पू खन्ना के स्वर्णिम योगदान को कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उनके सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक दादा साहेब फाल्के अकादमी पुरस्कार है, जो उन्हें कोरियोग्राफर के रूप में भारतीय सिनेमा पर उनके उत्कृष्ट प्रभाव के लिए उन्हे तीन बार नवाज़ा गया । यह मान्यता उद्योग के दिग्गज के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत करती है।
अपनी प्रसिद्धि के बावजूद, खन्ना ज़मीन से जुड़े और परिवार-उन्मुख व्यक्ति हैं। 2019 में मिसेज इंडिया क्वीन के रूप में उनकी बेटी प्रिया की उपलब्धि परिवार में चलने वाली कलात्मक भावना का प्रमाण है। अब शादी के बाद प्रिया अपनी दुनिया की रानी है।
अपने खाली समय में (जो उन्हे मुश्किल से मिलता है) पप्पू खन्ना क्रिकेट का आनंद लेते हैं और प्रशंसकों और फिल्म बिरादरी के साथ जुड़ना जारी रखते हैं। 2021 में उन्होने द कपिल शर्मा शो में खूब जलवा बिखेरा था।
सिनेमा जगत में एक युवा नर्तक नृत्य के रूप में करियर शुरू करके, बॉलीवुड के सबसे सम्मानित कोरियोग्राफरों में से एक बनने तक पप्पू खन्ना की यात्रा उनके गुण, हुनर, समर्पण, नवाचार और मेहनत की कहानी है। उनके कोरियोग्राफी ने ने भारतीय सिनेमा की दृश्य भाषा को आकार दिया है, जिससे लाखों लोगों को 46 सालों तक (और आज भी) खुशी मिली है और नर्तकियों की पीढ़ियों को प्रेरणा मिली है।
उन्होने कहा, "नृत्य आत्मा की छिपी हुई भाषा है। हर कदम के माध्यम से, मैं एक ऐसी कहानी कहने की कोशिश करता हूँ जो दिलों को छू जाए।"
जैसा कि वे सिनेमा जगत में चार दशकों से अधिक का जश्न मना रहे हैं, पप्पू खन्ना की लिगेसी बढ़ती जा रही है, जो हमें याद दिलाती है कि जुनून और दृढ़ता के साथ, सपने वास्तव में सिल्वर स्क्रीन पर उड़ान भर सकते हैं।
चलते चलते उन्होने कहा, "सबको काम करते रहना चाहिए और बिंदास होकर खुश रहना चाहिए। मैं आज भी रिटायर नहीं हुआ हूँ। खूब काम करता हूं, शरीर है तो व्याधियां भी हैं। फैमिली डॉक्टर इलाज करते रहते हैं, खाने पीने में परहेज करने को कहते हैं, आराम करने को कहते हैं लेकिन मैं तो वही करता हूँ, वही खाता पिता हूं जो मुझे पसंद है, डॉक्टर अपना काम करते रहे, मैं अपना काम करता रहूं। यही जिंदगी है।"
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