Advertisment

फिल्म 'Raid 2' रिलीज हो चुकी है लेकिन क्या बॉक्स ऑफिस पर यह कमाएगी money money?

मई की पहली तारीख है, सूरज तप रहा है, लेकिन फिर भी उत्साहित भीड़ और फिल्म देखने वालों की चहचहाहट 'रेड 2' देखने के लिए बेचैन देखे जा रहे है. पूरे भारत में सिनेमाघरों के बाहर लंबी लाइनें लग रही हैं...

New Update
g
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मई की पहली तारीख है, सूरज तप रहा है, लेकिन फिर भी उत्साहित भीड़ और फिल्म देखने वालों की चहचहाहट 'रेड 2' देखने के लिए बेचैन देखे जा रहे है. पूरे भारत में सिनेमाघरों के बाहर लंबी लाइनें लग रही हैं, टिकटें तेजी से बिक रही हैं और हर जगह अजय देवगन के पोस्टर हैं जिसमें ' वे भ्रष्ट और शक्तिशाली लोगों से भिड़ने के लिए तैयार हैं. हर किसी के दिमाग में सवाल है ' क्या रेड 2' बॉलीवुड के मनी मिन्टिंग बॉक्स ऑफिस पर मनी मनी की बरसात कर सकेगी?? लेकिन इसका जवाब बॉलीवुड की कहानी के ट्विस्ट जितना ही जटिल है: क्या "रेड 2" बॉक्स ऑफिस पर पैसे बरसाएगी या प्रतिस्पर्धा और दर्शकों की बदलती पसंद के तूफान में बह जाएगी?

आइए तपती मई के महीने में इस सिनेमाई तूफान में गोता लगाते हैं और देखते हैं कि वास्तव में क्या क्या दांव पर लगा है. बॉलीवुड की प्रोबिंग मशीन कहती है कि अजय देवगन की नई फिल्म 'रेड 2' मई फ़र्स्ट को सिनेमाघरों में आने से पहले ही काफी उत्साह पैदा कर रही है.

फिल्म 'रेड 2' की एडवांस बुकिंग जोरदार है. फिल्म ने 1 मई, 2025 को रिलीज होने से ठीक पहले, ब्लॉक की गई सीटों सहित एडवांस टिकट बिक्री में लगभग 5 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है. इसने पूरे भारत में 1.08 लाख से अधिक टिकट बेचे, जिसमें महाराष्ट्र और दिल्ली टिकट बिक्री में सबसे आगे रहे. पीवीआर आईनॉक्स और सिनेपोलिस जैसी टॉप सिनेमा चेंस में, 'रेड 2' ने शुरुआती दिन ही लगभग 82,000 टिकट बेचे है. यह इसे 2025 में बॉलीवुड फिल्म के लिए सबसे अच्छी एडवांस बुकिंग में से एक बनाता है. लेकिन फिर भी यह 'छावा' और 'सिकंदर' जैसी बड़ी फिल्मों से आज की तारीख में तो जरा पीछे ही है.

f

यह लेख लिखते लिखते यह भी खबर लग रही है कि अडवांस बुकिंग की शुरुआती तेजी के बाद थोड़ी सी गिरावट देखी जा रही है.

उधर फिल्मी पंडितगण अपने अपने आँकड़े बाजी से इस बात की चिंता जता रहे है कि अपनी रिलीज की तारीख पर, 'रेड 2' को चंद फिल्मों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है. संजय दत्त अभिनीत हॉरर-कॉमेडी 'द भूतनी'. हालांकि ' द भूतनी' उसी दिन सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है, लेकिन इसने बहुत ज़्यादा उत्साह नहीं पैदा किया है, इसलिए 'रेड 2' पर इसका ज़्यादा असर पड़ने की उम्मीद नहीं है. हॉलीवुड से, मार्वल सुपरहीरो मूवी 'थंडरबोल्ट्स' भी दो मई को भारत में रिलीज़ हो रही है, और यह 'रेड 2' के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है, खासकर बड़े शहरों और युवा दर्शकों के बीच. एक दक्षिण भारतीय फिल्म 'हिट: द थर्ड केस' भी है, जो कुछ दर्शकों को आकर्षित कर सकती है. लेकिन फिर भी, कुल मिलाकर, 'रेड 2' को अपनी मजबूत अग्रिम बुकिंग के कारण एक बेहद अच्छी शुरुआत मिलने की उम्मीद है. जब इस सिलसिले में बात चली तो भूषण कुमार ने 'हिट 3', 'भूतनी' या 'रेट्रो' को 'रेड 2' के लिए कोई वास्तविक खतरा होने के विचार को ही खारिज कर दिया. उन्होने खुलासा करते हुए कहा "ए++ फिल्मों को छोड़कर हमारी फिल्म 'रेड 2' को पूरे देश में लगभग 4000 स्क्रीन मिल रही हैं. हमें सबसे अच्छा प्रदर्शन मिल रहा है. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि हम किसी भी खतरे का सामना कर रहे हैं," उन्होंने जोर देकर कहा.

फिल्म इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि फिल्म की शुरुआती प्रतिक्रिया से पता चलता है कि 'रेड 2' बॉक्स ऑफ़िस पर अच्छा प्रदर्शन कर सकती है.

j

देखा जाय तो, अजय देवगन की पिछली फिल्मों की तुलना में, रेड 2 ने पहले ही फ़िल्म 'मैदान' तथा 'औरों में कहां दम था' की एडवांस बुकिंग संख्या को पीछे छोड़ दिया है. मैदान ने 1.11 करोड़ रुपये की एडवांस बुकिंग की थी तथा 'औरो में कहाँ - - -' ने पहले दिन 2.6 करोड़ का कलेक्शन की थी तथा केवल 49.79 लाख रुपये के टिकट बेचे और 1.85 करोड़ से शुरुआत की.

यही वजह है कि, रेड 2 लोगों का ध्यान आकर्षित कर रही है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सिनेमाघरों में रिलीज होने के बाद यह बहुत अच्छा प्रदर्शन करेगी.

सबसे पहले यह बता दें कि "रेड 2" कोई आम सीक्वल नहीं है. यह 2018 की सबसे आश्चर्यजनक हिट फिल्मों में से एक का सीक्वल है. एक ऐसी फिल्म, जिसने आयकर छापों के नीरस विषय को भी अजब मनोरंजक कहानी बना दिया था. 2018 की "रेड" एक हाई ऑक्‍टेन एक्शन और गीत-नृत्य की दुनिया में ताज़ी हवा का झोंका लेकर आने वाली कहानी थी . यह वास्तविक स्टोरी को रेखांकित करने वाली दमदार फ़िल्म थी और इसने उन दर्शकों को प्रभावित किया जो एक ही तरह की पुरानी कहानियाँ देख- देख कर थक चुके थे.आयकर अधिकारी अमय पटनायक के रूप में उनकी भूमिका ऐसी है जिसे लोग फिर से देखना चाहेंगे. ईमानदार, अधिकारी अमय पटनायक की भूमिका में अजय देवगन ने एक अलग पहचान बनाई थी . लोगों ने उनमें खुद को देखा, या कम से कम खुद को उस रूप में देखा जो वे चाहते थे, यानी निडर, सिद्धांतवादी, और शक्तिशाली लोगों के सामने झुकने को तैयार नहीं.

f

अब, सात साल बाद, "रेड 2" एक मजबूत इरादे के साथ आ गई है. पहले से बड़ा दांव, और बड़ा गहरा भ्रष्टाचार, और खलनायकों का एक नया समूह. चर्चा ज़ोरों पर है. सोशल मीडिया मीम्स, फैन थ्योरी और काउंटडाउन से हर प्लैटफॉर्म भरा पड़ा है. एडवांस बुकिंग आसमान छू रही है, बुकमायशो की रिपोर्ट के अनुसार फिल्म के शुरू होने से पहले ही लगभग 200,000 लोगों ने इसमें रुचि दिखाई है. ट्रेलर को लाखों बार देखा गया है, और जहाँ भी आप जाते हैं, लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं. रिक्शा चालक और चायवाले भी यही राय रखते हैं- "अजय भाई की पिक्चर है, पैसा वसूल होगी!"

लेकिन अभी हम प्रचार से दूर न हो जाएं. 2018 के बाद से दुनिया बहुत बदल गई है. महामारी ने फिल्म व्यवसाय को हिलाकर रख दिया, स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म में उछाल आया और आम दर्शक पहले से कहीं ज़्यादा चुज़ी हो गए हैं. वो दिन चले गए जब किसी बड़े स्टार का नाम ही ब्लॉकबस्टर की गारंटी होता था. अब लोग और भी कुछ चाहते हैं. सबसे पहले एक मनोरंजक कंटेंट - कहानी, बेहतरीन अभिनय और कुछ ऐसा जो ताज़ा लगे.

तो, "रेड 2" में क्या खास है? सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, अजय देवगन. वह सिर्फ़ एक स्टार नहीं हैं, वह एक क्रेज़ हैं. पिछले कुछ सालों में, उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएँ चुनने, कठोर और कई बार कमज़ोर किरदार भी निभाने और फ़िल्मों को अपने कंधों पर उठाने के लिए अपनी व्यापक प्रतिष्ठा बनाई है. अगर "रेड 2" 100 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाती है, तो अजय 100 करोड़ क्लब में सबसे ज़्यादा फ़िल्मों के मामले में सलमान ख़ान के साथ बराबरी कर लेंगे. क्या यह सिर्फ़ एक संख्या है? यह एक बयान है. यह बताता है कि दर्शक उन पर भरोसा करते हैं, कि वे उनकी फ़िल्में देखने आते हैं, और उन्हें पता है कि विजेताओं को कैसे चुनना है.

raid 2

लेकिन अजय भी अकेले ऐसा नहीं कर सकते. "रेड 2" के सभी कलाकार प्रतिभा से भरे हुए हैं. रितेश देशमुख नए खलनायक के रूप में सामने आए हैं, जो कॉमेडी के लिए मशहूर अभिनेता के लिए एक साहसिक कदम है. एक ख़तरनाक खलनायक के रूप में उनके बदलाव ने लोगों को पहले ही चर्चा में ला दिया है. वाणी कपूर ने मुख्य स्त्री के किरदार में ग्लैमर और साहस दिखाई है. इसके अलावा सहायक कलाकारों में कई अनुभवी कलाकार शामिल हैं, जैसे रजत कपूर, सौरभ शुक्ला, सुप्रिया पाठक, तमन्ना भाटिया और जैकलीन फ़र्नांडीज़ की विशेष भूमिकाएँ भी हैं, जिनके डांस नंबर पहले ही वायरल हिट बन चुके हैं. और यो यो हनी सिंह को भी न भूलें, जिनका संगीत आपके दिमाग में बस जाता है, चाहे आपको पसंद हो या नहीं.

लेकिन एक फिल्म सिर्फ़ उसके कलाकारों के कारण भी करोड़ों का बिज़नेस नहीं करता . "रेड 2" को जो चीज़ सबसे अलग बनाती है, वह है इसकी कहानी. एक बार फिर, यह वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है. एक बहुत बड़ा आयकर छापा जिसने सत्ता की नींव हिला दी. एक ऐसे देश में जहाँ भ्रष्टाचार एक रोज़मर्रा की सच्चाई है, जहाँ हर कोई किसी ऐसे व्यक्ति को जानता है जिसने नियमों को समायोजित किया है. एक ईमानदार अधिकारी द्वारा सिस्टम से लड़ने की क्षमता वाली यह फ़िल्म, रोमांचकारी और भावपूर्ण दोनों लगती है. ऐसी फिल्में मनोरंजन से परे है. यह आम दर्शकों की इच्छा पूर्ति है. हम सभी यह विश्वास करना चाहते हैं कि कोई, कहीं, अच्छी लड़ाई लड़ रहा है.

आज का समय इस फिल्म के लिए, इससे बेहतर नहीं हो सकता था. चुनाव नज़दीक हैं और भ्रष्टाचार के घोटाले खबरों में हैं, "रेड 2" राष्ट्रीय मूड को छूती है. लोग नाराज़ हैं, निराश हैं और हीरो की तलाश कर रहे हैं. फ़िल्म की मार्केटिंग स्मार्ट रही है. जिसमें वास्तविक जीवन के पहलू को दिखाया गया है और अजय के किरदार को उम्मीद के प्रतीक के रूप में पेश किया गया है. टैगलाइन- "इस बार, कोई भी सुरक्षित नहीं है"- हर जगह है, और यह कमाल का काम कर रही है. लोग उत्सुक हैं. वे देखना चाहते हैं कि अगली बार किस पर छापा पड़ता है.

k

वैसे फिल्म में इतनी सारी खूबियां के बावजूद इसके जोखिम को न भूलें. सीक्वल बनाना मुश्किल काम है. हर "गदर 2" जो रिकॉर्ड तोड़ती है, उसके लिए एक दर्जन सीक्वल फ्लॉप होते हैं. समस्या उम्मीदों की है. पहली "रेड" नई और अप्रत्याशित थी. अगर "रेड 2" में वही सब कुछ है, तो लोगों की दिलचस्पी खत्म हो सकती है. अगर यह कुछ बहुत अलग करने की कोशिश करती है, तो यह 2018 के ओरिजिनल प्रशंसकों को अलग-थलग कर सकती है. यह एक नाजुक संतुलन है, और यहां तक कि सबसे अच्छे फिल्म निर्माता भी कभी-कभी इसे गलत कर देते हैं और गच्चा खा सकते हैं.

और फिर नई नई प्रतिस्पर्धाएं है. बॉक्स ऑफिस पर पहले से कहीं ज़्यादा भीड़ है. हर हफ़्ते बड़ी फ़िल्में रिलीज़ हो रही हैं, और दर्शकों के पास पहले से कहीं ज़्यादा विकल्प हैं. स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म नई रिलीज़ के अधिकार छीन रहे हैं, और कुछ लोग कुछ हफ़्ते इंतज़ार करके, इन्ही फिल्मों को घर पर ही देखना पसंद करेंगे. आज के नए बने मॉडर्न मल्टी कमोडिटी वाले थिएटर, बेहतर सीटों, बेहतर साउंड और बेहतर स्नैक्स के साथ लोगों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह आसान नहीं है. सफल होने के लिए, "रेड 2" को सिर्फ़ अच्छा होने से ज़्यादा होना चाहिए. इस बात को अनदेखा नहीं किया जा सकता.

और रेटिंग के बारे में क्या? फिल्म को U/A 7/13+ सर्टिफिकेट मिला है, जिसका श्रेय कुछ विवादास्पद संवाद और संभवतः एक गाने को जाता है जिसे कुछ लोग थोड़ा ज़्यादा बोल्ड मानते हैं. इससे छोटे बच्चे वाले ज्यादातर परिवार दूर रह सकते हैं. खासकर छोटे शहरों में जहाँ लोग ज़्यादा रूढ़िवादी हैं. भारत में पारिवारिक दर्शक बॉक्स ऑफ़िस का एक बड़ा हिस्सा हैं, और अगर वे घर पर रहते हैं, तो इससे फिल्म के कलेक्शन पर असर पड़ सकता है.

g

मार्केटिंग एक और वाइल्ड कार्ड है. "रेड 2" का अभियान चतुराईपूर्ण रहा है, लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं. लोगों पर विज्ञापनों की बौछार करने के बजाय, निर्माताओं ने ट्रेलर, गानों और सोशल मीडिया के ज़रिए उत्सुकता पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया है. यह एक डिपेंडेबल दृष्टिकोण है, लेकिन अगर फिल्म प्रचार के मुताबिक नहीं रही तो यह उल्टा पड़ सकता है. आज की दुनिया में, मुंह से मुंह वाली पब्लिसिटी करना तेज़ी से फैलता है. अगर लोगों को फिल्म पसंद आती है, तो यह एक बड़ी हिट बन सकती है. अगर नहीं, तो यह उतनी ही तेज़ी से गायब भी हो सकती है.

आइए संख्याओं की बात करें. "रेड 2" को बनाने में कथित तौर पर मार्केटिंग सहित लगभग 85 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. बड़ी हिट होने के लिए, इसे दुनिया भर में कम से कम दोगुनी कमाई करनी होगी. यह एक उच्च मानक है, लेकिन असंभव नहीं है. पहली "रेड" ने ऐसा किया था, और अजय की हालिया फिल्म "शैतान" ने भी ऐसा किया. विदेशी बाजार मदद कर सकते हैं, खासकर उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय हैं. लेकिन हॉलीवुड की फिल्में भी स्क्रीन के लिए संघर्ष कर रही हैं, और विदेशों में हर कोई भारतीय कर छापों की परवाह नहीं करता है.

फ़िल्म के हिट होने के पीछे निर्देशक राज कुमार गुप्ता भी एक और कारक हो सकते हैं. वे स्मार्ट, यथार्थवादी फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं जो दर्शकों की बुद्धिमत्ता का अपमान नहीं करती हैं. लेकिन कभी-कभी, उनकी फिल्मों को आम जनता की तुलना में आलोचकों द्वारा अधिक सराहा जाता है. अगर "रेड 2" बहुत गंभीर है, तो यह आम पब्लिक के दुखदायक जीवन से, कुछ समय के लिए पलायनवाद की तलाश करने वाले लोगों से जुड़ नहीं सकती है. उधर अगर यह बहुत अधिक व्यावसायिक है, तो यह उस धार को खो सकती है जिसने पहली फिल्म को खास बनाया था.

k

संगीत एक गेम-चेंजर हो सकता है. गाने पहले से ही लोकप्रिय हैं, और कभी-कभी एक हिट ट्रैक लोगों को सिनेमाघरों तक खींच सकता है. याद कीजिए कि कैसे "काला चश्मा" ने "बार बार देखो" को बड़ी शुरुआत दिलाने में मदद की थी? अगर संगीत ने लोगों को आकर्षित किया, तो यह "रेड 2" को अतिरिक्त बढ़ावा दे सकता है.

रिलीज़ की तारीख भी स्मार्ट है. 1 मई को भारत के कई हिस्सों में छुट्टी होती है, जिसका मतलब है कि ज़्यादा लोग फ़िल्म देखने जा सकते हैं. एक दमदार ओपनिंग डे पूरे वीकेंड के लिए माहौल तय कर सकता है. लेकिन उसके बाद, सब कुछ सिर्फ़ लोगों की जुबानी चर्चा पर निर्भर करता है. अगर लोग थिएटर से खुश और उत्साहित होकर बाहर आते हैं और अपने दोस्तों को बताते हैं, तो फ़िल्म लंबे समय तक सफल रह सकती है. अगर नहीं, तो यह जल्दी ही फीकी पड़ सकती है.

अब चलिए, हम भी अब एक पल के लिए रचनात्मक हो जाते हैं. कल्पना करें कि आप ओपनिंग डे पर दर्शकों के बीच हैं. लाइट बंद हो जाती है, संगीत शुरू हो जाता है, और अगले दो घंटों के लिए, आप सस्पेंस, ख़तरे और नैतिक विकल्पों की दुनिया में गोता लगाने लगते हैं. आप देखते हैं कि अजय देवगन का किरदार असंभव बाधाओं का सामना करता है, सब कुछ जोखिम में डालता है, और पीछे हटने से इनकार करता है. जब बुरे लोग पकड़े जाते हैं तो आप खुशी मनाते हैं, जब चीज़ें गलत होती हैं तो आप तनाव महसूस करते हैं, और थिएटर से बाहर निकलते समय आपको ऐसा लगता है कि आपने कुछ अपने जीवन का हिस्सा या कुछ महत्वपूर्ण देखा है. आप अपना फ़ोन निकालते हैं और अपने दोस्तों को संदेश भेजते हैं: "आपको यह देखना ही होगा."

j

यह एक स्वप्निल परिदृश्य है. अगर "रेड 2" इस तरह का अनुभव देती है, तो कोई कारण नहीं है कि यह ब्लॉकबस्टर न हो. इसमें सभी तत्व मौजूद हैं. एक सुपरस्टार जो दर्शकों से जुड़ता है, एक कहानी जो जरूरी और वास्तविक लगती है, एक निर्देशक जो तनाव पैदा करना जानता है और एक नायिका जो आपको अच्छी लगती है.

"रेड 2" को जो चीज़ सबसे अलग बनाती है, वह है इसकी कहानी. यह स्टार पावर का जलवा नहीं है. "रेड 2" कुछ और गहराई से छूती है. भ्रष्ट लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा होते देखने का रोमांच, एक कमजोर व्यक्ति को शक्तिशाली लोगों से लड़ते देखने की संतुष्टि. ऐसे देश में जहाँ घोटाले और काले धन के बारे में सुर्खियाँ लगभग रोज़ ही बनती हैं, फ़िल्म का विषय ज़रूरी और प्रासंगिक लगता है. कहानी वास्तविक जीवन के कर-छापों से प्रेरित है, और यथार्थवाद की यह भावना एक बड़ा आकर्षण है. एक बार फिर, यह वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है. एक बहुत बड़ा आयकर छापा जिसने सत्ता की नींव हिला दी. एक ऐसे देश में जहाँ भ्रष्टाचार एक रोज़मर्रा की सच्चाई बताई जाती है. जहाँ हर कोई किसी ऐसे व्यक्ति को जानता है जिसने नियमों को ताक पर रख कर मनमानी की है किया है और साथ ही एक ईमानदार अधिकारी द्वारा सिस्टम से लड़ने की फ़िल्म रोमांचकारी और भावपूर्ण दोनों लग सकती है. हम सभी यह विश्वास करना चाहते हैं जो हम नहीं कर पा रहे हैं वह कोई हीरो कर रहा है.

लेकिन कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त, किस्सा यहां खतम नहीं होता. यहाँ एक और ट्विस्ट है, दर्शक ही इस कहानी के असली नायक हैं. आज की दुनिया में, अगर लोगों को यह पसंद नहीं आती है तो कोई भी स्टार पावर या मार्केटिंग किसी भी फिल्म को नहीं बचा सकती. सोशल मीडिया ने सभी को आवाज़ दी है, और एक खराब समीक्षा मिनटों में वायरल हो सकती है. "रेड 2" का भाग्य आलोचकों या व्यापार विश्लेषकों द्वारा नहीं, बल्कि उन लोगों द्वारा तय किया जाएगा जो टिकट खरीदते हैं, अंधेरे में बैठते हैं, और तय करते हैं कि फिल्म उनके समय और पैसे के लायक है या नहीं.

d

तो, क्या "रेड 2" बॉक्स ऑफिस पर पैसे बरसाएगी? संकेत अच्छे हैं, लेकिन कुछ भी गारंटी नहीं है. चर्चा वास्तविक है, प्रत्याशा अधिक है, और हिट होने के सभी तत्व मौजूद हैं. लेकिन सिनेमा जगत में आज तक कोई भी किसी फिल्म का भविष्य पहले से तय नहीं कर पाया है. फिल्म व्यवसाय अप्रत्याशित है, और कभी-कभी सबसे अच्छी तरह से बनाई गई योजनाएँ भी गड़बड़ा जाती हैं. अगर "रेड 2" मूल फिल्म के जादू को पकड़ लेती है, अगर यह लोगों को दिलचस्पी लेने का कारण देती है, और अगर यह अपने वादों पर खरी उतरती है, तो यह साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक हो सकती है. अगर ऐसा नहीं होता, तो यह उन सीक्वल की लंबी सूची में शामिल हो सकती है जो प्रचार के मुताबिक नहीं चल पाई.

आज ये फ़िल्म रिलीज़ हो गई है. शुरुआत की रिपोर्ट के मुताबिक लोगों का कहना है कि इस फिल्म का सेकंड हाफ, इस फिल्म को बचाने की ताकत रख सकता कुछ लोगों का यह भी कहना है कि यह एक ग्रीपिंग मूवी है और अजय देवगन रितेश देशमुख ने उत्साह बढ़ रखा है. लोग फ़िल्म देखते हुए ही अपना रीव्यू ट्वीट करके इसे थ्री स्टार रेटिंग देने लगे हैं. थिएटर मालिक बड़ी भीड़ के लिए तैयारी करके खुश हैं, प्रशंसक पहले दिन पहले शो का जश्न मना रहे हैं, और फ़िल्म उद्योग अपनी सांस रोके हुए है. कुछ दिनों में, हमें पता चल जाएगा कि "रेड 2" मानसून है या मृगतृष्णा.

लेकिन शायद यही बात फिल्मों को इतना खास बनाती है. हर फिल्म एक जुआ है, विश्वास की छलांग है या विश्वास का छलावा? यह लोगों से जुड़ने और एक ऐसी कहानी बताने का मौका है जो मायने रखती है. "रेड 2" सिर्फ एक सीक्वल से कहीं बढ़कर है-यह इस बात की परीक्षा है कि क्या दर्शक अभी भी नायकों पर विश्वास करते हैं, अभी भी न्याय की परवाह करते हैं, और अभी भी अच्छे लोगों को जीतते देखना चाहते हैं.

g

तो बस, अगर आपने अभी तक 'रेड 2' पर रेड नहीं मारा है तो एक रोमांचक सवारी के लिए तैयार हो जाएं. रेड शुरू हो चुकी है, और हम केवल इतना जानते हैं कि यह एक बेहतरीन नतीजा देने वाला है. चाहे पैसे की बारिश हो या न हो, "रेड 2" पहले से ही कुछ ऐसा करने में सफल रहा है जो दुर्लभ है, अविश्वसनीय है और अकाल्‍पनीय है. इसने पूरे देश को चर्चा में ला दिया है, सपने देखने को मजबूर कर दिया है, और स्क्रीन पर न्याय की उम्मीद जगा दी है, और शायद, स्क्रीन के बाहर भी एक लौ जगा दी है.

Read More:

Police Complaint Filed Against Sonu Nigam: Sonu Nigam के खिलाफ दर्ज हुई FIR, पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा हैं मामला

Ullu App Row: 'House Arrest' में अश्लील कंटेंट दिखाने के चलते Ajaz Khan और निर्माता के खिलाफ दर्ज हुई FIR

Nirmal Kapoor Death: Boney Kapoor ने अपनी मां Nirmal Kapoor के लिए लिखा इमोशनल नोट, बोले-'उन्होंने एक खुशहाल जीवन जिया'

Raid 2 and The Bhootnii Box Office Collection Day 1: क्या Ajay Devgn की 'Raid 2' और Sanjay Dutt की 'द भूतनी' ने बॉक्स ऑफिस पर बनाया रिकॉर्ड?

Advertisment
Latest Stories