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(Bobby movie 1973 story) जब भी बॉलीवुड के रोमांटिक सिनेमा की बात आती है, तो दर्शकों के दिलों में एक नाम उभरता है – बॉबी। साल 1973 में आई इस फिल्म ने न सिर्फ़ राज कपूर के करियर को नये मोड़ पर ला दिया बल्कि हिन्दी सिनेमा में लव स्टोरीज़ के लिये एक नया ट्रेंड भी सेट कर दिया। बॉबी 70 के दशक में नौजवानों की मोहब्बत, उनकी सोच और समाज में मौजूद बंधनों के खिलाफ खड़े होने की एक इमोशनल तस्वीर भी थी। दिलचस्प बात ये है कि इस फ़िल्म की मेकिंग के पीछे कई किस्से, क्रू और शूटिंग से जुड़े मज़ेदार वाक़ये हैं जिनके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते।
बॉबी (1973) : बॉलीवुड की रोमांटिक क्रांति
राज कपूर की पिछली फिल्म 'मेरा नाम जोकर' (1970) भले ही उनको भारी नुकसान दे गई थी, लेकिन ये नुकसान ही बॉबी के जन्म की असली वजह बना। दरअसल मेरा नाम जोकर के बाद राज कपूर, राजेश खन्ना को लेकर एक सुपर स्टार्स से भरी फिल्म बनाना चाहते थे लेकिन क्योंकि मेरा नाम जोकर फ्लॉप हो गई और राज कपूर कर्ज में डूब गए इसलिए उनके पास सुपर स्टार्स को देने के लिए पेमेंट नहीं थे, तब जाकर कर्ज़ चुकाने के लिए राज कपूर को एक ऐसी फिल्म बनानी थी जिसमें उन्हें कलाकारों को ज्यादा पैसा ना देना पड़े और फिल्म में ताज़गी हो, नया चेहरा हो और जो सीधे नौजवान दर्शकों के दिल को छू ले। इस सोच के बाद राज कपूर ने बतौर हीरो अपने बेटे ऋषि कपूर और एक नई लाडकी डिंपल की जोड़ी को साइन किया। (Behind the story of Raj Kapoor’s Bobby)
फ़िल्म का निर्देशन और निर्माण खुद राज कपूर ने किया। डिंपल कपाड़िया, जो शूटिंग शुरू होने के समय मात्र 14-15 साल की थीं, ने इस रोल से इतनी लोकप्रियता पा ली कि उनकी शादी के बाद भी लोगों ने उन्हें सिर्फ बॉबी गर्ल के नाम से ही जाना। फिल्म के अन्य कलाकारों में फरीदा जलाल और अरुणा ईरानी भी है।
बॉबी का संगीत दिया था लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने और गीत लिखे थे आनंद बख्शी ने। कैमरावर्क राधु कर्माकर का था, जिनकी सिनेमैटोग्राफी ने कश्मीर की वादियों और समुद्र किनारों को यादगार बना दिया। फिल्म को पांच फिल्म फेयर अवार्ड्स मिले। (Rishi Kapoor and Dimple Kapadia first movie)
फिल्म की कहानी अमीर-गरीब की क्लासिक जद्दोजहद दिखाती है। मुंबई में रहने वाले अमीर माता-पिता के बेटे राज नाथ (ऋषि कपूर) को एक गरीब गोवन ईसाई लड़की बॉबी ब्रैगेंज़ा(डिंपल) से प्यार हो जाता है। लेकिन राज के पिता राम नाथ (प्राण) और मां सुषमा (सोनिया साहनी) उनकी खुशी के रास्ते में खड़े हो जाते हैं। समाज की बाधाओं, पैरेंट्स की जिद्द और पैसे के अहंकार के बीच पनपी इस मोहब्बत की दास्तान ने हर दर्शक को रुला दिया। बॉबी के पिता जैक ब्रिगैंजा (प्रेम नाथ) को कदम कदम पर राज के पिता द्वारा अपमानित होना पड़ रहा था, जिससे दुखी होकर वो अपनी बेटी को अपने गाँव गोवा भेज देता है लेकिन राज वहां आकर बॉबी से मिलता है और दोनों अपने अपने घर से भाग जाते हैं। राम उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाता है। तब बॉबी और राज नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश करते है। उसी वक़्त राम और जैक वहां पहुंच जाते हैं और उनके होश ठिकाने आ जाता है। वे अपने बच्चों को बचा लेते हैं और आखिर उन्हें शादी की इजाजत दे देते हैं।
आनंद बख्शी के बोल और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के जादुई संगीत ने सत्तर के दशक में बॉबी के गानों से युवाओं के दिल में आग लगा दी थी। "हम तुम इक कमरे में बंद हो", "मैं शायर तो नहीं", "झूठ बोले कौवा काटे", (Bobby movie songs and stories)
अंखियों को रहने दे, बेशक मंदिर मस्जिद ढा दो, मुझे कुछ कहना है, ए फंसा, ना मांगू सोना चांदी, ये गाने आज भी लोकप्रिय है।
फिल्म की शूटिंग कश्मीर और मुंबई में हुई। डल लेक पर फिल्माए गए कई सीन्स में ठंड से कांपते कलाकारों को कंबल ओढ़ाकर रखा जाता था और कैमरे के रोल होते ही कह दिया जाता था,"अब चादर, स्वेटर उतार कर छोटे कपड़ों में आ जाओ, मुस्कुराओ, रोमांस करो।" ऐसे में ऋषि कपूर और डिंपल की कनफ्यूज्ड लेकिन मासूम केमिस्ट्री उसी माहौल की वजह से सही बैठी।
एक मजेदार वाकया ये भी है कि जब ऋषि कपूर "मैं शायर तो नहीं" गा रहे थे, उस सीन की शूटिंग के दौरान उनको असल में हिचकियां आ रही थीं और कई टेक्स बार-बार रिपीट हुए।तब राज कपूर ने ऋषि को डांटते हुए कहा – "हीरो है या बच्चा है?" उसी गुस्से और प्यार के बीच असली मासूमियत को स्टोरी में पकड़ा गया। (Raj Kapoor family financial struggle and Bobby movie)
फिल्म ने रिलीज़ के साथ ही धमाका कर दिया। 'बॉबी' ने न सिर्फ़ ऋषि कपूर को सुपरस्टार बना दिया बल्कि राज कपूर को आर्थिक संकट से निकाल कर दोबारा फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया।
कहा जाता है कि बॉबी वह फिल्म है जिसने 70 के दशक में बॉलीवुड को फिर से नौजवान दर्शकों के लिए आकर्षक बना दिया। (Prithviraj Kapoor last memories with Bobby movie)
- डिंपल कपाड़िया की शादी फिल्म की शूटिंग के दौरान ही राजेश खन्ना से हो गई थी। इससे दर्शकों को झटका लगा, लेकिन शादी के बाद भी लोगों में बॉबी की दीवानगी कम नहीं हुई।
शूटिंग के दौरान ऋषि कपूर डिंपल को चिढ़ाते रहते थे क्योंकि डिंपल बहुत नर्वस थी। लेकिन एक बार राज कपूर ने खुद डिम्पल से कहा – "डर मत, तू ही इस फिल्म की जान है।"
- "झूठ बोले कौवा काटे" गाने का आइडिया असल में राज कपूर ने किसी पुराने लोकगीत से लिया था। (When was Bobby movie first telecast on Doordarshan
बिजनेस रिपोर्ट्स कहती हैं कि बॉबी ने उस वक्त विदेशों में भी भारतीय सिनेमा की पहचान बदली। खासकर रूस और अफ्रीका में यह फिल्म सुपरहिट रही।
बॉबी सिर्फ़ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक कल्चर
इस फिल्म के बाद हिंदी सिनेमा में यंग लव स्टोरीज़ की बाढ़ आई। इसके बाद "एक दूजे के लिए", "लव स्टोरी", "कयामत से कयामत तक" जैसी फिल्में बनीं जिन्होंने नई पीढ़ी को टार्गेट किया। दूसरी बड़ी बात ये रही कि इस फिल्म ने दिखा दिया कि नए चेहरे और नए किरदार भी सुपरस्टार बना सकते हैं।
बॉबी सिर्फ एक फिल्म नहीं रही, बल्कि एक कल्चर बन गई। (How Bobby movie changed Bollywood romance)
फिल्म बॉबी की सफलता से राज कपूर और उनका परिवार हमेशा के लिए आर्थिक रूप से सुरक्षित हो गए ।
पृथ्वीराज कपूर अपने बेटे राज कपूर की बॉबी की सफलता देखने के लिए बेकरार थे लेकिन बॉबी के रिलीज से पहले ही उनकी डेथ हो गई।
बॉबी बनाने से पहले राज कपूर ने अपने परिवार के साथ खाने की मेज पर अपनी पत्नी कृष्णा से पूछा कि क्या उन्हें ऋषि कपूर को फिल्म के नायक के रूप में लेना चाहिए? कृष्णा राज कपूर के हाँ कहते ही ऋषि कपूर खाना छोड़कर अपने कमरे में चले गए और ऑटोग्राफ साईन करने का अभ्यास करने लगे।
इस फिल्म के निर्माण के लिए धन जुटाने हेतु राज कपूर को अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखने पड़े। (How Raj Kapoor made Bobby movie)
यह फिल्म, पहली बार 6 फरवरी 1977 को दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था।
राज कपूर ने लोअर परेल के एक स्टूडियो में "मैं शायर तो नहीं" गीत रिकॉर्ड किया था, जिसके बाद उन्होंने एक पार्टी रखी थी। आमंत्रित लोगों में शम्मी कपूर और फिरोज खान भी थे। बातों बातों में फिरोज खान ने शम्मी की बढ़ी हुई दाढ़ी और बढ़े हुए वजन देखकर उनका मजाक उड़ाया था जिसकी वज़ह से पार्टी में दोनों के बीच झड़प हो गई थी।
यह फिल्म शीर्ष 20 सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्मों में से एक के रूप दर्ज है।
जब राज कपूर इस फिल्म पर काम कर रहे थे, तो वे युवा पीढ़ी की सोच जानने के लिए किशोर प्रेम कहानी और युवाओं से संबंधित किताबें पढ़ते थे।
जुहू के चंदन सिनेमा हॉल का उद्घाटन राज कपूर के हाथों इस फिल्म के साथ हुआ था।
ख़बरों के अनुसर पहले राज कपूर बॉबी की भूमिका के लिए रेखा की बहन राधा को लेना चाहते थे जो 1970 के दशक में एक प्रसिद्ध मॉडल थीं लेकिन उसके मना करने पर डिंपल को लिया गया।
अफवाहों की माने तो उस गीत 'अक्सर कोई लड़की' के दौरान डिम्पल गर्भवती थीं।
बॉबी के कई हिस्सों की शूटिंग राजबाग में कपूर परिवार के एक बंगले में हुई थी, जहां अब महाराष्ट्र में पुणे से 30 किमी पूर्व में लोनी कालभोर गांव में मुला-मुथा नदी के तट पर एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (एमआईटी डब्ल्यूपीयू) के अंदर राज कपूर का स्मारक है।
प्राण सिकंद ने राज कपूर के साथ 'जिस देश में गंगा बहती है' में काम करने के बाद 'बॉबी' में काम किया। उन्होंने 'बॉबी' में अभिनय के लिए अपनी फीस लेने से इनकार कर दिया।
मुंबई में मेट्रो सिनेमाघर (धोबीतलाओ) , जो अंग्रेजी फिल्मों के प्रदर्शन के लिए जाना जाता है, ने 'बॉबी' के साथ हिंदी फिल्मों का प्रदर्शन शुरू किया।
नीतू सिंह का भी इस फिल्म के लिए ऑडिशन हुआ था। हालाँकि उन्हें यह भूमिका नहीं मिली, लेकिन उन्होंने उसी साल ऋषि के भाई रणधीर कपूर के साथ फिल्म रिक्शावाला (1973) में काम पाया। बाद में वह ऋषि कपूर की लगातार हिरोइन बनीं और अंततः 1980 में दोनों ने विवाह कर लिया।
इस फिल्म के दो अंत लिखे और फिल्माए गए थे। एक सुखद अंत और एक दुखद अंत। निर्देशक राज कपूर ने आखिर सुखद अंत को चुना।
जब राज कपूर नए अभिनेता थे, तब वे एक बार लेखिका/निर्देशक/अभिनेत्री जद्दनबाई के घर गए। उनकी बेटी नरगिस पकौड़े बना रही थीं। नर्गिस ने अपने बालों को चेहरे से हटाते हुए दरवाजा खोला था, जिस कारण नर्गिस के बाल और माथे पर बेसन लग गया था। इस दृश्य से राज उन पर मोहित हो गए और उन्होंने अपनी फिल्म बॉबी में 'बेसन' के आटे की घटना को रखा।.
FAQ
प्र.1: फिल्म बॉबी कब रिलीज़ हुई थी?
उ. बॉबी फिल्म 1973 में रिलीज़ हुई थी और रिलीज़ होते ही ब्लॉकबस्टर बन गई।
प्र.2: बॉबी के मुख्य कलाकार कौन थे?
उ. फिल्म में ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया पहली बार मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए थे।
प्र.3: बॉबी का निर्देशन किसने किया था?
उ. इस फिल्म का निर्देशन और निर्माण राज कपूर ने किया था।
प्र.4: बॉबी की शूटिंग कहाँ हुई थी?
उ. फिल्म की शूटिंग मुंबई और कश्मीर की डल झील में की गई थी, जिसने फिल्म को रोमांटिक और खूबसूरत बैकड्रॉप दिया।
प्र.5: फिल्म का म्यूज़िक इतना खास क्यों था?
उ. बॉबी का संगीत लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने दिया था। “मैं शायर तो नहीं”, “हम तुम एक कमरे में बंद हों” और “ना मांगू सोना चांदी” जैसे गाने आज भी बेहद लोकप्रिय हैं।
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