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हाल ही में रिलीज़ हुई मल्टीस्टारर फ़िल्म ‘धुरंधर’ (Dhurandhar) ने भारत ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान और खाड़ी देशों तक तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर दी हैं. यह फ़िल्म सिर्फ़ एक एक्शन थ्रिलर नहीं, बल्कि भारत-पाक संबंधों, आतंकवाद, खुफिया तंत्र और राजनीतिक निर्णयों पर आधारित एक गंभीर विमर्श के रूप में देखी जा रही है. फ़िल्म 26/11 के बाद की परिस्थितियों, उस समय की नीतियों और भारत की प्रतिक्रिया को केंद्र में रखती है. कहानी यह सवाल उठाती है कि उस दौर में भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया क्यों कमजोर मानी गई और बाद के वर्षों में सुरक्षा नीति में किस तरह निर्णायक बदलाव आया.
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अजीत डोभाल से प्रेरित किरदार
फ़िल्म का एक अहम पक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) से प्रेरित किरदार से जुड़ा है, जिसे आर. माधवन (R. Madhavan) ने अजय सान्याल (Ajay Sanyal) के रूप में निभाया है. फ़िल्म में दिखाया गया है कि किस तरह अनुभव, रणनीतिक सोच और लंबे समय से तैयार योजनाओं का असर 2014 के बाद भारत की सुरक्षा नीति में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है. यही वजह है कि पाकिस्तान में इस फ़िल्म को लेकर असहजता साफ़ देखी जा रही है. सोशल मीडिया, यूट्यूब और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फ़िल्म के खिलाफ तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. कुछ देशों में प्रतिबंध की खबरें भी इसके प्रभाव को दर्शाती हैं.
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असली खौफनाक चेहरों से प्रेरित तीन अहम किरदार
इलियास कश्मीरी से प्रेरित सबसे भयावह आतंकी- फ़िल्म का सबसे डरावना किरदार कुख्यात आतंकी इलियास कश्मीरी (Ilyas Kashmiri) से प्रेरित है. 27 फरवरी 2000 की रात वह करीब 25 आतंकियों के साथ कश्मीर के नौशेरा सेक्टर से लाइन ऑफ कंट्रोल पार कर भारतीय इलाके में घुसा था. सभी आतंकियों ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहन रखी थी. इस हमले में दो भारतीय जवान शहीद हुए और दो लापता हो गए. बाद में जवान भाऊ साहब मारुति तालेकर (Bhau Saheb Maruti Talekar) का शव मिला, लेकिन उनका सिर गायब था. रिपोर्ट्स के मुताबिक इलियास कश्मीरी ही उनका सिर काटकर पाकिस्तान ले गया और उस कटे हुए सिर को तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ (Pervez Musharraf) के सामने ट्रॉफी की तरह पेश किया गया.
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इलियास कश्मीरी 26/11 मुंबई हमले से पहले डेविड हेडली (David Headley) की रेकी में भी शामिल था. पुणे की जर्मन बेकरी ब्लास्ट और अफ़ग़ानिस्तान में CIA के कैंप चैपमैन पर हुए आत्मघाती हमले में भी उसका नाम सामने आया. आखिरकार 3 जून 2011 को अमेरिकी ड्रोन हमले में उसकी मौत हुई.
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रहमान डकैत: अपराध और राजनीति का खतरनाक मेल- दूसरा अहम किरदार पाकिस्तान के कुख्यात गैंगस्टर रहमान डकैत (Rehman Dakait) से प्रेरित है. उसकी कहानी हिंसा और क्रूरता की मिसाल मानी जाती है. धीरे-धीरे वह पाकिस्तानी राजनीति के करीब पहुंचा और कई नेताओं के लिए शूटर की भूमिका निभाने लगा. 2007 में जब बेनेज़ीर भुट्टो (Benazir Bhutto) निर्वासन से लौटकर पाकिस्तान आईं, तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी भी रहमान को दी गई थी. हालांकि बाद में जब उसका आतंक सत्ता के लिए खतरा बनने लगा, तो 9 अगस्त 2009 को कराची पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया.
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चौधरी असलम खान: अपराधियों का खौफ-तीसरा अहम किरदार एसएसपी चौधरी असलम खान (SSP Chaudhry Aslam Khan) से प्रेरित है, जिसे फ़िल्म में संजय दत्त (Sanjay Dutt) ने निभाया है. चौधरी असलम कराची के सबसे खतरनाक पुलिस अफसरों में गिने जाते थे. उनका नाम सुनते ही अपराधी कांप उठते थे. लियारी गैंग्स और रहमान डकैत के खात्मे की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी. आखिरकार 9 जनवरी 2014 को तहरीक-ए-तालिबान ने कराची के लियारी एक्सप्रेसवे पर बम धमाके में उनकी हत्या कर दी.
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भारतीय खुफिया एजेंट की कहानी
फ़िल्म में रणवीर सिंह (Ranveer Singh) लीड रोल में हैं. वह हमज़ा (Hamza) नाम के भारतीय खुफिया एजेंट का किरदार निभा रहे हैं, जिसे एक गुप्त मिशन पर पाकिस्तान भेजा जाता है. यह किरदार शहीद मेजर मोहित शर्मा (Major Mohit Sharma) से प्रेरित माना जा रहा है.
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निर्देशक आदित्य धर की मजबूत पकड़
फ़िल्म के निर्देशक आदित्य धर (Aditya Dhar) ने सभी कलाकारों से बेहतरीन काम निकलवाया है. अक्षय खन्ना (Akshaye Khanna), संजय दत्त (Sanjay Dutt), आर. माधवन (R. Madhavan), अर्जुन रामपाल (Arjun Rampal) और रणवीर सिंह (Ranveer Singh)—सभी को उन्होंने बड़े कलाकारों की रेस में मजबूती से खड़ा कर दिया है.
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खास बात यह है कि फ़िल्म में अक्षय खन्ना अपने डांस सीक्वेंस की वजह से भी खासे चर्चा में हैं. साथ ही फ़िल्म की रिसर्च बेहद गहरी है—यहां तक कि कुछ जगहों पर असली रिकॉर्डिंग्स का इस्तेमाल किया गया है. देश के रियल हीरोज़ को फ़िल्मी हीरोज़ ने पूरी ईमानदारी और सम्मान के साथ पर्दे पर उतारा है.
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संगीत, राष्ट्रप्रेम और नई ऊर्जा
जैसे कभी साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) और नौशाद (Naushad) ने अपने गीत-संगीत से भारतीय सिनेमा में जान फूंकी थी, वैसे ही ‘धुरंधर’ का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर एक बार फिर राष्ट्रप्रेम की भावना को जीवंत करता है. लंबे समय बाद ऐसा महसूस होता है कि संगीत सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि भावनात्मक ऊर्जा भी दे रहा है.
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नई दिल्ली: आदित्य धर निर्देशित फिल्म 'धुरंधर' की रिकॉर्डतोड़ सफलता ने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री में नई जान फूंक दी है. फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया है, बल्कि देश में चल रहे 'एंटी-पाकिस्तान', 'इस्लामोफोबिक', और 'कम्युनल' फिल्म के दुष्प्रचार को भी मुंहतोड़ जवाब दिया है।
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इंडस्ट्री में 'सेलिब्रेशन पीरियड'
निर्माता अशोक पंडित ने फिल्म की सफलता को इंडस्ट्री के लिए 'सेलिब्रेशन पीरियड' बताया. उन्होंने कहा कि आदित्य धर ने इस फिल्म के साथ एक इतिहास रचा है, जिसे पूरा देश और दुनिया सेलिब्रेट कर रही है. उन्होंने कहा, "हमारी इंडस्ट्री में एक ऐसा ऑक्सीजन भर दिया आदित्य धर ने कि जो एक सोई हुई इंडस्ट्री थी... आदित्य धर ने 'धुरंधर' के साथ एक पूरी की पूरी पीढ़ी को कॉन्फिडेंस दे दिया है कि लोग अभी भी थिएटर में आते हैं देखने के लिए।"
पंडित ने दर्शकों की एकाग्रता (concentration) कम होने के दौर में भी सवा तीन घंटे की फिल्म को मिल रहे अपार प्रेम पर आश्चर्य व्यक्त किया. उन्होंने बताया कि सिनेमा हॉल में दर्शक 'शॉक नम' (Shocked Numb) बैठे रहते हैं, और अधिकतम तालियाँ, सीटियाँ तब बजती हैं जब अंत में 'पार्ट 2: रिवेंज' की घोषणा होती है।
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'छछूंदर' और 'रुदाली' गैंग का विलाप
अभिनेता मनोज जोशी और अशोक पंडित दोनों ने ही फिल्म के विरोधियों को 'एंटी-इंडिया ब्रिगेड', 'अर्बन नक्सल', 'लिबरल जिहादी', और 'रुदाली' (विलाप करने वाला) गैंग बताया. जोशी ने स्पष्ट किया कि 26/11 का हमला पाकिस्तान ने किया था, और फिल्म उन सारे कारस्थानों को उजागर करती है।
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"धुरंधर फिल्म के आने से सारे छछूंदर बाहर आए हैं... देश के अंदर बैठे हुए एंटी-इंडिया ब्रिगेड जो है वो बौखलाया गया है।"
अशोक पंडित ने 'द कश्मीर फाइल्स', 'पूरी', 'गदर' और 'द केरला स्टोरी' जैसी राष्ट्रवाद से भरी फिल्मों के विरोध का इतिहास याद दिलाया और कहा कि ये विरोध करने वाले 'पेड एजेंट्स ऑफ पाकिस्तान' हैं, जिन्हें देश ने अब एकजुट होकर चुप करा दिया है।
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राकेश बेदी ने दिया अपने किरदार का क्रेडिट
फिल्म में अहम किरदार निभाने वाले राकेश बेदी ने अपने पाकिस्तानी कैरेक्टर के लिए तैयारी के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि उन्होंने कई पाकिस्तानी राजनेताओं की स्पीच देखीं, उनका कंटेंट मिक्स किया, और अपनी स्पीच तैयार की. उन्होंने 'धुरंधर' को मिल रही अभूतपूर्व सफलता को पचा न पाने वाले आलोचकों पर कटाक्ष किया.
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बॉक्स ऑफिस पर ऐतिहासिक सफलता
व्यावसायिक मोर्चे पर फ़िल्म ‘धुरंधर’ ने नया इतिहास रच दिया है. अब तक फ़िल्म ने भारत में 351.75 करोड़ रुपये का नेट कलेक्शन कर लिया है, जबकि वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर इसका कुल कलेक्शन 530.75 करोड़ रुपये तक पहुँच चुका है. वहीं, इंडिया ग्रॉस की बात करें तो ‘धुरंधर’ का कुल ग्रॉस कलेक्शन 420.75 करोड़ रुपये हो गया है, जो फ़िल्म की जबरदस्त सफलता को दर्शाता है. इस फ़िल्म ने कई बड़ी और चर्चित फिल्मों को पीछे छोड़ दिया है, जिनमें ‘पुष्पा 2’ (Pushpa 2), ‘छावा’ (Chhaava), ‘स्त्री 2’ (Stree 2), ‘एनिमल’ (Animal), ‘गदर 2’ (Gadar 2), ‘जवान’ (Jawan), ‘सैयारा’ (Saiyaara), ‘बाहुबली 2’ (Baahubali 2), ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) और ‘पठान’ (Pathaan) जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं.
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कुल मिलाकर ‘धुरंधर’ सिर्फ एक फ़िल्म नहीं, बल्कि उस कड़वी सच्चाई की झलक है, जहां आतंक, अपराध और सत्ता एक-दूसरे से उलझे रहते हैं. साथ ही यह भी दर्शाती है कि आज भारत के पास एक ऐसी सरकार है, जो मुंहतोड़ जवाब देने की हिम्मत रखती है. यही वजह है कि ‘धुरंधर’ पर्दे से निकलकर अब असल दुनिया की चर्चा बन चुकी है—और शायद यही इसकी सबसे बड़ी जीत है.
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