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Hema Malini On Sholay’s Legacy 50 Years Later : 50 सालों बाद भी दर्शकों के दिलों पर राज कर रही निर्देशक रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy Sholay) की फिल्म ‘शोले’ (Sholay) एक ऐसी फिल्म है, जो सिर्फ देखी नहीं जाती, बल्कि दोबारा-दोबारा जी जाती है. (Hema Malini movies) इस फिल्म के हर किरदार ने यादगार छाप छोड़ी, चाहे वह जय-वीरू की दोस्ती हो या फिर गब्बर सिंह का आतंक हो (hema malini age). लेकिन इन सबके बीच फिल्म में एक सबसे जीवंत और रंगीन किरदार– ‘बसंती’ भी था (Hema Malini who played Basanti role in sholay) जिसे जीवंत किया अभिनेत्री हेमा मालिनी (Hema Malini Dream Girl) ने; यह उनके अभिनय का ही जादू है कि उन्हें आज भी लोग ‘बसंती’ कहकर पुकारते हैं (Hema Malini BJP Leader).
हाल ही में एक साक्षात्कार में हेमा मालिनी ने इस फिल्म से जुड़ी अपनी तमाम यादें साझा कीं. आइये जाने उन्होंने क्या कुछ कहा...
‘शोले’ को अब 50 साल हो गए है, क्या कहना चाहेंगी आप?
मुझे विश्वास नहीं होता कि ‘शोले’ को इतने साल गुज़र गए. अपनी किस्मत समझती हूँ कि मैं आज भी ‘शोले’ की गौरवगाथा देख रही हूँ. आज जब नई पीढ़ी भी शोले देखकर खुशी जताती है, तो महसूस होता है कि मेहनत सच्चे दिल से की थी. सब लोगों के साथ जुड़ाव आज भी वैसा ही है. ‘शोले’ (Sholay) मेरा परिवार है, मेरी पहचान है—बसंती हमेशा मेरे साथ रहेगी.
क्या चुनावी सभा में बसंती का डायलॉग सुनाने की डिमांड आती है?
हाँ, लोग मुझसे इसकी डिमांड करते हैं. वो चुनाव सभाओं में आते ही इसीलिए हैं. मैं समा में अपनी पार्टी के लिए राजनीतिक तौर पर जो बात कर रही हूँ वो तो ठीक है, लेकिन आखिरी में उन्हें मेरा डायलॉग चाहिए ही चाहिए; और जैसे ही मैं ‘शोले’ का कोई डायलॉग बोलती हूँ. सभी खुशी से पागलों की तरह झूम उठते हैं. ऐसा कभी किसी पिक्चर के साथ नहीं हुआ.
बसंती का किरदार आपको कैसा लगा? हमने सुना है कि शुरुआत में आपको यह किरदार पसंद नहीं आया था.
हाँ, यह बात बिल्कुल सच है. जब रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) जी ने पहली बार मुझे बसंती का रोल सुनाया, तो मुझे लगा छोटा- सा रोल है. लेकिन उन्होंने समझाया कि ये छोटा जरूर है, मगर बहुत दमदार है. बसंती हंसमुख, निडर, और जिंदादिल लड़की थी. वो फिल्म में एक राहत की तरह थी—जहां भी आती, लोग मुस्कुरा देते; और वीरू के साथ उसकी केमिस्ट्री लोगों को बहुत पसंद आई. मुझे आज भी लोग बसंती के नाम से पहचानते हैं, इससे बड़ी बात क्या हो सकती है.
‘शोले’ के कॉस्ट्यूम्स और उस दौर की सादगी पर आपका अनुभव?
‘शोले’ में मेरे पास सिर्फ़ तीन ड्रेस थीं, और कोई डिजाइनर नहीं था. आजकल जितना ग्लैमर है, तब वो सब नहीं था. रमेश जी कहते थे, कपड़े मिट्टी से सने और बिना प्रेस किए होने चाहिए, तभी असलीपन आएगा. गांव के माहौल में, बेहद सादगी में हम सबने काम किया—यही तो ‘शोले’ की खूबसूरती है.
फिल्म के दौरान आपके लिए शूटिंग कितनी चुनौतीपूर्ण रही?
शूटिंग के दौरान बहुत चुनौतियाँ थीं. सबकुछ आउटडोर था, कोई वैनिटी वैन नहीं, गर्मी में खुले आसमान के नीचे घंटों शूटिंग. ‘जब तक है जान’ वाला सीन नंगे पैर, धूप में 15 दिनों तक शूट हुआ. उस वक्त किसी को फैंसी चीज़ें नहीं मिलती थीं, लेकिन वो समय मेरे लिए बहुत खूबसूरत था. कलाकार गांव की झोपड़ी में सब तैयारी करते थे, वो मज़ा अब शायद ही मिले.
(Hema Malini Song Haa Jab Tak Hai Jaan in Sholay Movie)
लंबे संवाद बोलना आपके लिए कितना कठिन था?
नहीं, बिल्कुल कठिन नहीं. मैंने हिंदी भाषा पर पूरी पकड़ बनाई थी. ‘बसंती’ के संवाद लंबे और तेज़-तर्रार जरूर थे, लेकिन लेखन इतना सुंदर था कि एक वाक्य से दूसरा सहजता से जुड़ जाता था. इसलिए संवाद याद करना और बोलना आसान हो गया.
‘बसंती’ का किरदार इतना लोकप्रिय क्यों हो गया?
बसंती एक साधारण लेकिन आत्मनिर्भर गांव की लड़की है. वह तांगा चलाकर अपना जीवन चलाती है. उस वक्त, यानी 50 साल पहले, यह बहुत बड़ी बात थी कि किसी फिल्म में हीरोइन को इतना मजबूत और आत्मनिर्भर दिखाया गया. यह साफ संदेश था कि लड़कियों को आत्मनिर्भर होना चाहिए.
शोले की कौन-सी बात आपको सबसे बड़ी लगती है?
इस फिल्म का स्क्रीनप्ले और हर किरदार की बराबर अहमियत. चाहे बड़ा रोल हो या छोटा संवाद – दर्शकों को सब याद रह गया. अजर-अमर डायलॉग, गब्बर सिंह, जय-वीरू की दोस्ती, बसंती का हंसी–मजाक, मौसी जी, असनानी जी, जगदीप – सब मिलकर ‘शोले’ को महान बनाते हैं.
आप धर्मेंद्र जी (Dharmendra) के साथ आपकी प्रेम कहानी और ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री के बारे में क्या कहेंगी?
हम दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया और अच्छी दोस्ती प्यार में बदल गई. ‘शोले’ में भी हमारी केमिस्ट्री लोगों को पसंद आई. धर्मेंद्र जी बहुत अच्छे इंसान हैं, और उनके साथ शूटिंग करना हमेशा मज़ेदार रहा.
अमजद खान (गब्बर) के साथ काम करना कैसा रहा?
अमजद जी बहुत ही शालीन और मेहनती कलाकार थे. ‘गब्बर’ का किरदार उनके अंदर जैसे समा गया था. एक सीन में उन्होंने मेरा हाथ इतने जोर से पकड़ा कि वो काला पड़ गया, लेकिन वो बार-बार माफी भी मांगते रहे. आज भी गब्बर जैसा कोई किरदार दोबारा नहीं बन सकता.
आपके अनुसार इस फिल्म में ऐसा कौन-सा पहलू था जिसने दर्शकों के दिल में इसे अमर बना दिया?
‘शोले’ चली, पर कोई ये नहीं कह सकता कि ये मेरी वजह से चली. सलीम–जावेद (Salim–Javed) की एंट्री सीता और गीता के समय हुई. उससे पहले कई लोग डायलॉग लिखा करते थे. लेकिन फुल फ्लेज काम सलीम–जावेद ने शोले में किया है. कोई एक व्यक्ति, कोई एक आर्टिस्ट ये नहीं कह सकता कि ये फिल्म मेरी वजह से चली. मैं ये नहीं कह सकती कि बसंती की वजह से शोले चली, बिल्कुल नहीं, क्योंकि सारे किरदार, जितने भी लोगों ने जो-जो परफॉर्म किया, इतने प्यारे कैरेक्टर, उनको जिसने बनाया, उन्हें दाद देनी चाहिए. दो कैरेक्टर बताते हैं कि दोस्ती क्या है, फिर एक विलेन है, हीरो है, सबकुछ है उस पिक्चर में. कॉमेडी के रोल में तो मैं हूं. उसके अलावा आसरानी जी, जगदीप, उन लोगों के भी कैरेक्टर अच्छे हैं. अरे वो सांभा कहते हैं मैक मोहन जी, उनका रोल… आप किसी को भी ले लीजिए, एक डायलॉग भी जिसने बोला वो भी पॉपुलर है. सब लोगों से मिलकर ये एक पिक्चर बनी है. धरम जी, अमिताभ बच्चन जी ये नहीं कह सकते कि ये उनकी वजह से चली. सब से मिलकर ये एक पिक्चर बनी.
क्या ‘शोले’ को दोबारा बनाना चाहिए?
बिल्कुल नहीं! शोले जैसी फिल्म फिर से बनाने की कोशिश करना सही नहीं है. इसकी मासूमियत और पहचान कभी दोहराई नहीं जा सकती. ये फिल्म अपनी तरह अकेली है—इसीलिए लोग आज भी इसे उतना ही प्यार करते हैं.
‘शोले’ फिल्म में बसंती के लोकप्रिय डायलॉग
मेरा नाम बसंती है… बसंती
यूंकी, ये कौन बोला?
हमें ज़्यादा बात करने की आदत तो है नहीं
चल धन्नो, आज तेरी बसंती की इज़्ज़त का सवाल है
बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना! (यह संवाद वीरू का है लेकिन बसंती की वजह से आज तक अमर है)
FAQ about Hema Malini
हेमा मालिनी को किस नाम से जाना जाता है? (What is Hema Malini known as?)
मीडिया में हेमा को बॉलीवुड की "ड्रीम गर्ल" कहा जाता है.
हेमा मालिनी के पहले पति कौन हैं? (Who is the first husband of Hema Malini?)
हेमा मालिनी ने पहली बार सपनों का सौदागर (1968) में मुख्य भूमिका निभाई और उसके बाद कई हिंदी फिल्मों में काम किया, जिनमें अक्सर धर्मेंद्र भी शामिल थे, जिनसे उन्होंने 1980 में शादी की.
हेमा मालिनी ने धर्म क्यों बदला? (Why did Hema Malini change religion?)
धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की 1980 में हुई शादी के बाद उनके कथित तौर पर इस्लाम धर्म अपनाने की अफवाहें उड़ीं, जिसका दोनों सितारों ने खंडन किया है. प्रकाश कौर से पहली शादी करने वाले धर्मेंद्र और हेमा को नाम और धर्म के विवरण को लेकर सार्वजनिक जांच का सामना करना पड़ा. धर्मेंद्र ने कभी धर्म परिवर्तन करने की बात से इनकार किया.
हेमा मालिनी का प्रेम जीवन कौन है? (Who is the love life of Hema Malini?)
शादी की नई शुरुआत. पारिवारिक तनावों से जूझने के बाद, हेमा मालिनी और धर्मेंद्र ने आखिरकार शादी करने से पहले पाँच साल तक एक-दूसरे को डेट किया. उन्होंने 1980 में शादी की, लेकिन इसमें एक मोड़ आया. चूँकि धर्मेंद्र की पहली पत्नी प्रकाश कौर तलाक के लिए राज़ी नहीं थीं, इसलिए उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ा.
कौन सा अभिनेता हेमा मालिनी से शादी करना चाहता था? (Which actor wanted to marry Hema Malini?)
भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक, संजीव कुमार का हेमा मालिनी के साथ एक भावुक, लेकिन अधूरा प्रेम संबंध था. हालाँकि वह उनसे शादी करना चाहते थे, लेकिन शादी के बाद भी अभिनय जारी रखने की उनकी इच्छा को लेकर मतभेद पैदा हो गए. समझौता न होने के कारण उनका ब्रेकअप हो गया और अपने प्यार के बावजूद, वे फिर कभी एक नहीं हो पाए.
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