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माँ का आँचल हर बच्चे के लिए एक दुनिया होता है—सुरक्षा, स्नेह और अपनापन से भरा हुआ. आर्यन खान की यह भावना हर उस बच्चे की है जिसने अपनी सबसे सुरक्षित पनाह माँ की गोद और आँचल में पाई.
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कभी आँख में दर्द होने पर ...
माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर,
फूँक मारकर, गरम करके
आँख में लगा देतीं थी,
दर्द उसी समय गायब हो जाता था.
माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए
उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू
चादर का काम करता था.
जब भी कोई अंजान घर पर आता,
तो बच्चा उसको
माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था.
जब भी बच्चे को किसी बात पर
शर्म आती, वो पल्लू से अपना
मुँह ढक कर छुप जाता था.
जब बच्चों को बाहर जाना होता,
तब 'माँ का पल्लू'
एक मार्गदर्शक का काम करता था.
जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू
थाम रखा होता, तो सारी कायनात
उसकी मुट्ठी में होती थी.
जब मौसम ठंडा होता था ...
माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर
ठंड से बचाने की कोशिश करती.
और, जब बारिश होती तो,
माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती.
कभी कोई वस्तु खो जाए, तो
एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर
निश्चिंत हो जाना , कि
जल्द मिल जाएगी.
पल्लू में गाँठ लगा कर माँ
एक चलता फिरता बैंक या
तिजोरी रखती थी, और अगर
सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी
उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे.
सच ही तो है—बच्चे की असली दुनिया उसकी माँ के आँचल में ही बसती है.
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