/mayapuri/media/media_files/2025/08/21/sholay-50-years-celebration-2025-08-21-18-13-14.jpeg)
“अटेंशन! हमने कहा अटेंशन! क़ैदियों! कान खोलकर सुन लो, हम अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर हैं...”
फ़िल्म ‘शोले’ (SHOLAY) का यह डायलॉग आज भी लोगों की ज़ुबान पर है. इस डायलॉग को यादगार बनाने वाले कलाकार असरानी (ओल्ड actor Asarani) हैं, जिन्होंने फिल्म में ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ का किरदार निभाकर दर्शकों को खूब हंसाया.
असरानी, जिनका असली नाम गोवेर्धन असरानी है, हिंदी सिनेमा के उन अभिनेताओं में गिने जाते हैं जिन्होंने अपने अभिनय से हास्य भूमिकाओं को नया आयाम दिया. ‘शोले’ (Sholay movie box office record India) में निभाए गए उनके किरदार ने उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए यादगार बना दिया. (Sholay cult dialogues said by asrani)उनकी संवाद अदायगी और कॉमिक टाइमिंग आज भी फिल्मी दुनिया में मिसाल मानी जाती है. फिल्म के 50 साल पूरे (50 Years of sholay) होने पर उन्होंने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव साझा किये. आइये जाने उन्हीं की जुबानी...
अपने किरदार के बारे में कहा (Asrani said about his character in Sholay)
असरानी ने फिल्म में अपने किरदार जेलर के बारे में कहा, “मुझे फिल्म के बारे में कुछ भी पता नहीं था. मुझे लगा कि प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एक रोल के लिए बुला रहे हैं. मैं मिलने गया तो रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) के साथ सलीम-जावेद (Salim–Javed) भी मिले. जावेद साहब ने स्क्रिप्ट सुनाई कि अटेंशन हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं. यह किरदार बेवकूफ है, लेकिन ऐसा लगता है कि दुनिया का सबसे समझदार आदमी यही है. मैंने सोचा कि ऐसा किरदार तो कभी नहीं निभाया. उन्होंने मुझे द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान की एक किताब पढ़ने के लिए दी. उसमें हिटलर के 10-12 पोज थे. हिटलर पब्लिक के बीच आने से पहले अपने कमरे में फोटोग्राफर के साथ आर्मी की ड्रेस पहनकर रिहर्सल करता था. उसमें से 3-4 पोज मैंने पकड़े और किरदार में वैसा ही एटीट्यूड लाया.
शूटिंग शुरू होने से 10 दिन पहले तक मैंने डायलॉग की प्रैक्टिस की. मुझे अशोक कुमार (Ashok Kumar) की एक बात याद थी कि डायलॉग याद कर लेना, बाकी डायरेक्टर पर छोड़ देना. वो अपने हिसाब से काम निकलवा लेंगे. यही बात गाँठ बांधकर मैंने शूटिंग पर जाने से पहले पूरी तैयारी कर ली थी. फिल्म लंबी हो गई थी तो मेरा सीन काट दिया गया था. नागपुर में एक जर्नलिस्ट ने वह सीन देखा और कहा कि वह सीन तो फिल्म की जान है. फिर बाद में मेरे सीन को जोड़ा गया. आज भी लोग मुझे इस किरदार की वजह से पहचानते हैं और मैं इसके लिए बहुत ही ज्यादा आभारी हूँ.
जेलर नहीं तो ये किरदार करता मैं- असरानी (If not the jailer in Sholay, Asrani would have played this character)
अगर फिल्म में असरानी जेलर का रोल नहीं तो ठाकुर के नौकर राम लाल का रोल करते, यह बात कहते हुए वे कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि मैं जेलर के अलावा कोई और किरदार निभा सकता था. हालाँकि फिल्म के सभी किरदार बहुत मुश्किल हैं. लेकिन फिर भी मैं एक किरदार ठाकुर के नौकर राम लाल का निभा सकता था” बता दें कि फिल्म में इस किरदार को सत्येन कप्पू (Satyen Kappu) ने निभाया था.
डाकू गब्बर सिंह के किरदार के बारे में बताया (Explained about the character of dacoit Gabbar Singh in Sholay)
फिल्म में डाकू गब्बर सिंह का किरदार अमजद खान ने निभाया था, लेकिन इस रोल को निभाने के लिए कई दिग्गज एक्टर्स ने अपना नाम लिया था. इस बारे में बताते हुए असरानी कहते है, “गब्बर सिंह का रोल पहले डैनी को ऑफर हुआ था. वो हमारे मित्र हैं और फिल्म इंस्टीट्यूट में मुझसे बहुत जूनियर थे. जब मैं फिल्म इंस्टीट्यूट में इंस्ट्रक्टर था, तब डैनी वहां स्टूडेंट थे. उस समय जया भादुड़ी, शत्रुघ्न सिन्हा, शबाना आजमी, रेहाना सुल्तान, नवीन निश्चल मेरे स्टूडेंट थे. डैनी उस समय फिरोज खान की फिल्म ‘धर्मात्मा’ कर रहे थे. जब डैनी ने फिरोज खान को ‘शोले’ के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि तुम पागल हो गए क्या? मैंने तुमको जो रोल दिया है वैसा रोल कोई जिंदगी भर नहीं देगा और तुम डाकू का रोल करने जा रहे हो. डैनी बहुत ही सीधे इंसान हैं. फिरोज खान की बात सुनकर उन्होंने ‘शोले’ में काम करने से इनकार कर दिया और इस तरह है रोल अमजद खान को मिल गया.
चला अमजद खान की आवाज का जादू (The magic of Amjad Khan's voice worked in Sholay)
अमजद खान की आवाज का जादू कैसे चला इसके बारे में वे बताते हुए कहते हैं, “ मेरी डबिंग जब राजकमल स्टूडियो में चल रही थी, तब अमजद खान की आवाज का टेस्ट चल रहा था. अमजद खान ने मुझसे कहा कि आज मेरी जिंदगी का फैसला होना है, पता नहीं मेरी आवाज को फाइनल करेंगे कि नहीं. रिकॉर्डिस्ट मंगेश देसाई (Mangesh Desai) ने कहा कि इनकी आवाज में क्वालिटी तो है. फिर सलीम- जावेद ने कहा, “अब क्या करें, इसने तो आवाज अप्रूव कर दी.” यह हैरान करने वाली बात है कि ‘मुगल-ए-आजम’ (Mughal-E-Azam) के बाद ‘शोले’ के डायलॉग्स की अमजद खान की आवाज में रिकॉर्ड बिक्री हुई. बड़े-बड़े बैनर लग गए कि गब्बर की असली पसंद- बिस्कुट. इससे पहले विलेन का कोई नाम नहीं लेता था.”
यहाँ हम आपको जानकारी दें दे कि असरानी जिस बिस्कुट के विज्ञापन की बात कर रहे हैं वो दरअसल भारत की सबसे लोकप्रिय बिस्किट कम्पनी ब्रिटेनिया का Britannia Glucose D Biscuits है. यह अपने समय में बहुत लोकप्रिय था.
वो दौर जब अमजद खान की आंखों में आए आंसू (That time when tears came in the eyes of Amjad Khan)
एक दौर ऐसा भी आया जब अमजद खान की आंखों में खुशी के आंसू थे. इस बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, “मैं गुजरात के वडोदरा में एक प्रोग्राम में जा रहा था. अमजद खान के साथ मुझे भी इनवाइट किया गया था. अमजद खान का छोटा बच्चा भी साथ गया था. उसे प्यास लगी तो हम लोग रास्ते में एक छोटी- सी दुकान पर कोल्ड ड्रिंक लेने उतरे. बच्चे ने जैसी ही कोल्ड ड्रिंक की बोतल खोली, पीछे से आवाज आई ‘कितने आदमी थे’. मैं चौंक गया कि यह आवाज कहां से आ गई. मैंने पीछे मुड़कर देखा तो अमजद खान की आवाज का कैसेट चल रहा था. तब मैंने अमजद खान की आंखों में आंसू देखे. वो सोच रहे थे कि इसी आवाज को लोगों ने रिजेक्ट कर दिया था और अब यहीं हर जगह अपना जादू बिखेर रही है.
जब खाली थिएटर देख असरानी- अमजद हुए उदास (When Asrani and Amjad became sad seeing the empty theatre)
जब फिल्म रिलीज हुई तो शुरुआत में थिएटर खाली थे. तब वे और अमजद बेहद उदास हो गए. इस बारे में और बताते हुए असरानी ने कहा, “मैं मुंबई के जुहू में रहता हूँ. वहां चंदन थिएटर में फिल्म (शोले) लगी थी, मैं फिल्म देखने गया तो 3 बजे के शो में पूरा थिएटर खाली था. मैं बहुत नर्वस हो गया. पूरी फिल्म नहीं देख पाया. मैं डिप्रेशन में आ गया कि ऐसा क्या हो गया कि लोग फिल्म देखने नहीं आए? फिर एक दिन मैं महबूब स्टूडियो में एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था. स्टूडियो के सामने ही अमजद खान का घर था. शूटिंग से थोड़ा समय मिला तो अमजद खान से मिलने चला गया. मैंने देखा कि वे भी बहुत उदास है. मुझे याद हैं उस वक्त उन्होंने कहा था “लगता है बस हाथ से छूट गई”.
सिक्कों की आवाज़ से बदली किस्मत (The sound of coins changed fate)
लेकिन किस्मत ने करवट बदली और फिल्म चल पड़ी और ऐसी चली कि सालों – सालों थिएटर से उतरी नहीं. इस बारे में वे एक किस्सा शेयर करते हुए कहते हैं, “मुंबई के मिनर्वा थिएटर में फिल्म 70 एमएम पर्दे पर चल रही थी. आसपास के लोगों को सिक्के गिरने की आवाज सुनाई दे रही थी. वह फिल्म का ही सीन था, लेकिन लोगों को लग रहा था कि दर्शक फिल्म देखकर सिक्के फेंक रहे हैं और फिर दर्शक थिएटर में आने लगे और फिल्म चल पड़ी.
असरानी ने ‘अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर’ के रूप में शोले को हंसी और ताजगी का अद्भुत रंग दिया. उनकी कॉमिक टाइमिंग, संवाद अदायगी और अनोखे अंदाज़ ने इस किरदार को अमर बना दिया. अभिनय की बारीकियों और मेहनत से असरानी ने साबित किया कि छोटा-सा रोल भी दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ सकता है.
विदेशी जर्नलिस्ट ने शोले को स्पैगेटी फिल्म बताया (Foreign journalist called Sholay a spaghetti film)
‘शोले’ की प्रसिद्धि कितनी व्यापक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसे देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पसंद किया जाता है. जी, हाँ इसके बारे में असरानी अपना एक अनुभव साझा करते हुए कहते हैं- शोले एक अद्वितीय घटना और एक अजीब सा चैप्टर है. लोग इसकी तुलना हॉलीवुड स्पैगेटी फिल्म से करते हैं. मैं स्पैगेटी फिल्म का मतलब नहीं समझता था. एक बार मैं दिल्ली किसी कार्यक्रम के लिए गया था. वहां इंग्लैंड के एक जर्नलिस्ट से मुलाकात हुई. उन्होंने ‘शोले’ देखी थी. मुझे देखते ही पहचान गए कि मैंने ‘शोले’ में काम किया है. उन्होंने ‘शोले’ को स्पैगेटी फिल्म बताया. जब मैंने इसका मतलब पूछा तो उन्होंने कहा कि इसका मतलब आइकॉनिक होता है. हमें तो यह आम फिल्म जैसी लग रही थी. जैसी बाकी फिल्मों की शूटिंग होती थी वैसी इसकी भी हुई, लेकिन यह कल्ट फिल्म बनी. है. लेकिन वाकई में यह फिल्म ख़ास है तभी तो आज 50 साल बाद भी इसका जश्न मनाया जा रहा है.
FAQ About Asrani
असरानी की पहली फिल्म कौन सी थी? (Which was the first film of Asrani?)
असरानी ने बॉलीवुड में 1967 में फिल्म "हरे कांच की चूड़ियाँ" से डेब्यू किया था। शुरुआत में उन्होंने छोटी-छोटी भूमिकाओं से शुरुआत की, लेकिन इस फिल्म में बिस्वजीत के दोस्त की भूमिका ने उन्हें हिंदी सिनेमा में पहला ब्रेक दिया।
असरानी ने कितनी फिल्में की हैं? (How many movies has Asrani done?)
उन्होंने 350 से ज़्यादा हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है। असरानी ने मुख्य भूमिकाएँ, चरित्र भूमिकाएँ, हास्य भूमिकाएँ और सहायक भूमिकाएँ निभाई हैं। उन्हें "शोले" में जेलर की भूमिका और 1972 से 1991 के बीच राजेश खन्ना के साथ 25 फिल्मों में निभाए गए किरदारों के लिए जाना जाता है।
असरानी की योग्यता क्या है? (What is the qualification of Asrani?)
असरानी को बिज़नेस में बिल्कुल रुचि नहीं थी और गणित में वे बहुत कमज़ोर थे। उन्होंने सेंट जेवियर्स स्कूल से मैट्रिक और राजस्थान कॉलेज, जयपुर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। साथ ही, अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो, जयपुर में वॉयस आर्टिस्ट के रूप में भी काम किया।
असरानी की कुल संपत्ति (रुपये में) कितनी है? (What is the net worth of Asrani in rupees?)
84 वर्षीय अनुभवी अभिनेता गोवर्धन असरानी और 60 वर्षीय संजय मिश्रा ने भारतीय सिनेमा में अविस्मरणीय जगह बनाई है। 350 से ज़्यादा फ़िल्मों में अपनी हास्य भूमिकाओं के लिए मशहूर असरानी जयपुर से हैं और उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹48 करोड़ है।
शोले में जेलर कौन है? (Who is the jailer in Sholay?)
उन अविस्मरणीय पलों में से एक है अभिनेता असरानी द्वारा निभाया गया सनकी जेलर का किरदार, एक ऐसा किरदार जो उन्हें मिले समय से कहीं ज़्यादा समय तक चला। भारतीय सिनेमा में एक शानदार करियर के बावजूद, असरानी को इस संक्षिप्त लेकिन प्रतिष्ठित भूमिका के लिए आज भी सराहा जाता है।
Read More
Tags : Sholay 50 Years Celebration | sholay | direction of Sholay | SHOLAY | film Sholay | Gabbar in Sholay | gabbar singh sholay | hindi film sholay prime video | Ramesh Sippy Sholay Remake | Sholay Cast Fees in rupees amitabh bachchan | sholay film | sholay full Hd | sholay gabbar | sholay latest news | sholay latest updates | Sholay Mela | Sholay movie | sholay movie actor satinder kumar khosla | sholay movie best dialogues | actor Asrani | Asrani | Actor Asrani film