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ताजा खबर: हिंदी सिनेमा के मशहूर एक्टर और कॉमेडी के बादशाह गोवर्धन असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे. 84 वर्ष की उम्र में उनका निधन हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक अपूरणीय क्षति है. दशकों तक अपने अनोखे अंदाज़, कॉमिक टाइमिंग और यादगार किरदारों से उन्होंने दर्शकों के दिलों पर राज किया. उनकी मौत की पुष्टि उनके मैनेजर बाबूभाई थीबा ने की. असरानी जी के परिवार ने कहा – “उन्होंने सिर्फ फिल्मों में नहीं, हमारे जीवन में भी खुशियां भरीं. उनका जाना हमारे दिलों के लिए गहरा दर्द है.”दिलचस्प बात यह है कि अपनी मौत से कुछ ही घंटे पहले असरानी ने सोशल मीडिया पर फैंस को दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं. कुछ ही देर बाद यह खबर आई कि वो अब इस दुनिया में नहीं रहे — और यही उनकी आखिरी ‘पोस्ट’ बन गई.
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शोले के ‘जेलर’ से मिली अमर पहचान
गोवर्धन असरानी का नाम लेते ही सबसे पहले याद आता है ‘शोले’ (1975) का वो मशहूर जेलर, जो कहता था – “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं.”
यह डायलॉग भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अमर पंक्ति बन गया. उनके चेहरे के भाव, बोलने का अंदाज़ और कॉमिक अभिव्यक्ति ने इस छोटे से किरदार को भी अमर बना दिया.
संघर्ष से सितारों तक
1 जनवरी 1941 को जयपुर में जन्मे असरानी ने अभिनय की पढ़ाई पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से की. उनका बॉलीवुड डेब्यू ‘हरे कांच की चूड़ियां’ (1967) से हुआ. शुरुआती संघर्ष के बाद निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने उन्हें ‘गुड्डी’ और ‘बावर्ची’ जैसी फिल्मों में मौके दिए, जिनसे असरानी की प्रतिभा चमक उठी.
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कॉमेडी के उस्ताद
असरानी ने अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया. ‘अभिमान’, ‘चुपके चुपके’, ‘हम’ और ‘लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों में उन्होंने दर्शकों को हंसाया भी और रुलाया भी. उनकी कॉमिक टाइमिंग ऐसी थी कि एक झलक में ही दर्शक मुस्कुरा देते थे.
वो कहा करते थे – “मैं जोकर नहीं, एक्टर बनना चाहता हूं. हर कॉमेडी रोल को मैंने कहानी का हिस्सा बनाया, मज़ाक नहीं.”
पुरस्कार और सम्मान
असरानी को दो बार फिल्मफेयर अवार्ड फॉर बेस्ट कॉमेडियन से सम्मानित किया गया — ‘आज की ताजा खबर’ (1974) और ‘मलिका वधू’ (1976) के लिए.
उन्होंने महमूद, जगदीप और जॉनी वॉकर जैसे दिग्गजों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई.
बदलते दौर में भी कायम रहा असरानी का जादू
2000 के दशक में भी असरानी ने ‘हंगामा’, ‘भूल भुलैया’, और ‘ड्रीम गर्ल 2’ जैसी फिल्मों से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई. वो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे और अपने फैंस से जुड़े रहते थे.
अंतिम अलविदा
गोवर्धन असरानी का जाना सिर्फ एक अभिनेता का खोना नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर का अंत है.उनकी हंसी, उनके डायलॉग्स और उनके किरदार भारतीय सिनेमा की यादों में हमेशा जिंदा रहेंगे.ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. 🙏“कॉमेडी का मतलब मज़ाक नहीं, बल्कि लोगों को मुस्कुराने का हुनर है — और असरानी इस हुनर के बेजोड़ कलाकार थे.”
FAQ
Q1. गोवर्धन असरानी कौन थे?
Ans: गोवर्धन असरानी हिंदी सिनेमा के मशहूर अभिनेता, कॉमेडियन और कैरेक्टर आर्टिस्ट थे, जिन्होंने 300 से अधिक फिल्मों में काम किया. उन्होंने अपने शानदार अभिनय और अनोखी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों के दिलों पर दशकों तक राज किया.
Q2. गोवर्धन असरानी का जन्म कब और कहां हुआ था?
Ans: असरानी जी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ था.
Q3. असरानी जी का निधन कब हुआ?
Ans: असरानी जी का निधन 84 वर्ष की उम्र में अक्टूबर 2025 में हुआ. उनके निधन की पुष्टि उनके मैनेजर बाबूभाई थीबा ने की.
Q4. असरानी जी का सबसे प्रसिद्ध किरदार कौन-सा है?
Ans: उनका सबसे यादगार किरदार ‘शोले’ (1975) फिल्म का ‘जेलर’ है, जिनका मशहूर डायलॉग – “हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं” आज भी अमर है.
Q5. असरानी जी ने अपनी एक्टिंग की ट्रेनिंग कहां से ली थी?
Ans: उन्होंने पुणे के फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से एक्टिंग की ट्रेनिंग प्राप्त की थी.
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