सलीम खान और जावेद अख्तर की डॉक्यूमेंट्री,एंग्री यंग मेन इस समय चर्चा का विषय बनी हुई हैं. इस सीरीज में सलीम खान और जावेद अख्तर के बारे में अनदेखे और अनकहे तथ्य प्रस्तुत किए गए है. वहीं जावेद अख्तर ने हालिया बातचीत में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि कैसे जब वह बॉम्बे आए थे तब उन्हें कौन- कौन सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
जावेद अख्तर ने अपने संघर्ष के दिनों को किया याद
दरअसल जावेद अख्तर ने डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ एंग्री यंग मेन में अपने जीवन और करियर के बारे में खुलकर बात की. शो में, जावेद ने अपने करियर के शुरुआती दिनों को याद किया और उस आत्मविश्वास को याद किया जिसके साथ वह अपने परिवार का घर छोड़कर मुंबई चले आए थे. उन्होंने कहा, "मैंने तय किया कि अपनी ग्रेजुएट की पढ़ाई के बाद, मैं बॉम्बे जाऊंगा और एक सहायक निर्देशक के रूप में काम करूंगा, उम्मीद है कि गुरु दत्त या राज कपूर के साथ. मुझे यकीन था कि ऐसा करने के कुछ सालों बाद, मैं निश्चित रूप से एक निर्देशक बन जाऊंगा".
जब रेलवे स्टेशन पर सोते थे जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, "मैं ठीक पांच दिन अपने पिता के घर में था और फिर मैं अपने आप चला गया. मैं कुछ दोस्तों के साथ रहता था, रेलवे स्टेशनों, पार्कों, स्टूडियो परिसरों, गलियारों, बेंचों आदि पर सोता था. कुछ दिन, मैं दादर से बांद्रा तक पैदल जाता था, क्योंकि मेरे पास बस का किराया देने के लिए पैसे नहीं होते थे. कुछ दिन, मुझे ऐसा लगता था कि मैंने दो दिनों से कुछ नहीं खाया है. मैं हमेशा अपने आप से सोचता था कि अगर एक दिन मेरे बारे में कोई जीवनी लिखी जाए, तो यह एक अविश्वसनीय क्षण होगा."
शबाना आजमी ने पति जावेद अख्तर के जीवन के बुरे समय को किया याद
जावेद अख्तर की पत्नी, एक्ट्रेस शबाना आजमी ने उनके सबसे बुरे समय के बारे में एक कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब उन्होंने तीन दिनों तक कुछ नहीं खाया था. “भारी बारिश हो रही थी, और पास की एक इमारत के अपार्टमेंट से उन्हें एक हल्की रोशनी चमकती हुई दिखाई दी. उन्होंने उस रोशनी को देखा और खुद से कहा, ‘मैं इस तरह मरने के लिए पैदा नहीं हुआ हूं. यह समय बीत जाएगा”.
मुश्किल समय को याद कर रो पड़े जावेद अख्तर
उस कठिन समय को याद करते हुए जावेद अख्तर रो पड़े और बताया कि किस तरह अभाव के अनुभव ने उन पर गहरा असर छोड़ा है. उन्होंने कहा, “अगर आप अपने जीवन में भोजन या नींद से वंचित रहे हैं, तो यह आप पर एक गहरी छाप छोड़ता है जिसे आप कभी नहीं भूल पाएंगे.” आज भी, जब भी जावेद आलीशान होटलों में ठहरते हैं, तो उन्हें अपने शुरुआती दिनों की याद आती है. कभी-कभी मुझे मक्खन, जैम, आधे तले हुए अंडे, कॉफी के साथ ट्रॉली पर नाश्ता परोसा जाता है, और मैं खुद से सोचता हूं: ‘तेरी औकात थी? क्या मैं इसके लायक हूं? अब भी, मुझे लगता है कि यह नाश्ता मेरे लिए नहीं है. मैं इस बात को भूल नहीं सकता”.
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