हिमाचल प्रदेश की सांसद और भाजपा नेता कंगना रनौत आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. कंगना को कभी उनकी फिल्म इमरजेंसी तो कभी उनके बयान सुर्खियों में ला ही देते हैं. वहीं इन दिनों कंगना कृषि कानूनों पर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में हैं. कंगना ने कृषि कानून को दोबारा लागू करने की मांग की थी जिस पर काफी विवाद हुआ था. वहीं अब कंगना रनौत ने कृषि कानून पर बयान देने के बाद अपनी सफाई दी हैं .
कंगना रनौत ने मांगी माफी
आपको बता दें कंगना रनौत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो शेयर करते हुए कहा, "पिछले दिनों एक सवाल का जवाब देते हुए मैंने कहा था कि किसानों को पीएम मोदी से कृषि कानून लागू करने का अनुरोध करना चाहिए. मेरी बातों से कई लोगों को निराशा हुई है. मुझे यह ध्यान रखना होगा कि मैं अब सिर्फ एक कलाकार नहीं हूं. मैं अब भाजपा की कार्यकर्ता भी हूं. मेरे विचार मेरे अपने नहीं होने चाहिए. मेरे विचार पार्टी के रुख को दर्शाने चाहिए. अगर मैंने अपने शब्दों या विचारों से किसी को निराश किया है तो मुझे बहुत खेद है. मैं अपने शब्द वापस लेती हूं". इस वीडियो को पोस्ट करते हुए कंगना ने लिखा, "इसे जरूर सुनें, मैं किसान कानून को लेकर अपनी पार्टी के साथ खड़ी हूं. जय हिंद".
कंगना रनौत ने दिया था ये बयान
इससे पहले कंगना रनौत ने मंगलवार को कहा था कि बड़े पैमाने पर आंदोलन के बाद नवंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा वापस लिए गए कानूनों को "वापस लाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि, "मुझे पता है कि यह विवादास्पद होगा लेकिन मुझे लगता है कि निरस्त किए गए कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए. वे देश के विकास के लिए ताकत के स्तंभ हैं और मैं उनसे अपील करना चाहती हूं अपने भले के लिए कानूनों को वापस मांगें". कंगना रनौत ने कहा था कि उनके विचार “व्यक्तिगत हैं और वे उन विधेयकों पर पार्टी के रुख का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं.”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने पेश की सफाई
वहीं यह बात भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया द्वारा उनके बयान से पार्टी को अलग करने की कोशिश के कुछ समय बाद सामने आई. गौरव भाटिया ने कहा, "कंगना रनौत की निरस्त कृषि कानूनों पर टिप्पणी सोशल मीडिया पर घूम रही है. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह कंगना रनौत का निजी विचार है. न तो भाजपा ने उन्हें इस तरह के बयान देने के लिए अधिकृत किया है और न ही उनका बयान निरस्त कृषि कानूनों पर भाजपा के विचारों को दर्शाता है. यही कारण है कि हम उनके बयान का खंडन करते हैं".
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