काजोल, कृति सेनन और शाहीर शेख की फिल्म दो पत्ती हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी हैं. फिल्म को दर्शकों की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही हैं. वहीं दो पत्ती की लेखिका और सह-निर्माता कनिका ढिल्लों को लगातार ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. इस बीच अब कनिका ढिल्लों ने फिल्म की मिश्रित समीक्षाओं पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की हैं.
कनिका ढिल्लों ने कही ये बात
दरअसल, कनिका ढिल्लों ने दो पत्ती को मिश्रित समीक्षाएं के बारे में खुलकर बात की कि उन्हें किस तरह की नकारात्मकता का सामना करना पड़ रहा है. इस बारे में बात करते हुए कि उन्होंने ट्रेलर में दुर्व्यवहार के विषय को क्यों नहीं दिखाया, जिसे क्लाइमेक्स से पहले दर्शकों के सामने पेश किया गया. उन्होंने शेयर किया, “हमने जानबूझकर ऐसा किया. संदेश-आधारित फिल्म में, जब आप सीधे संदेश के साथ शुरू करते हैं, तो दर्शक किसी तरह इसे कुछ ऐसा मानते हैं जो मनोरंजक नहीं है. और मैं किसी खास सर्किट के लिए खास फिल्में नहीं बनाना चाहती.”
'वे दर्शकों को प्राथमिकता देने वाले हैं'- कनिका ढिल्लों
अपनी फिल्म का बचाव करते हुए, उन्होंने कहा कि दर्शकों ने इसे ‘खुले दिमाग’ से देखा और उन हिस्सों की सराहना की जिनमें दुर्व्यवहार दिखाया गया था. “मैं अपनी फिल्म को उन तक पहुंचाने के लिए कुछ भी करूंगी ताकि वे इसे देखें और फिर इसमें संदेश देखें. जिस तरह से इसे लिखा गया है और स्क्रीनप्ले, कास्टिंग और मार्केटिंग के मामले में हमने फिल्म के लिए जो ऑप्शन चुने हैं, वे दर्शकों को प्राथमिकता देने वाले हैं. मैंने जो सुना है वह यह है कि दर्शकों ने फिल्म के आखिरी 50 मिनट की वाकई सराहना की. वे बहुत भावुक हो गए”.
हर किसी के पास सोशल मीडिया तक पहुंच है- कनिका ढिल्लों
इसके साथ- साथ कनिका ने दोहराया कि ‘रचनात्मक कार्य के सभी रूप व्याख्या के लिए खुले हैं’, उन्होंने जोर देकर कहा कि वे उन लोगों को बर्दाश्त नहीं करेंगी जो उन पर व्यक्तिगत कटाक्ष करके उनकी फिल्म की आलोचना करते हैं. “ये लोग कौन हैं? हम उनके लिए फिल्म नहीं बना रहे हैं. आज कोई भी और हर कोई समीक्षक हो सकता है. हर किसी के पास सोशल मीडिया तक पहुंच है और हर किसी की अपनी राय है. जब मैं आज समीक्षाओं की गुणवत्ता देखती हूं, तो मुझे लगता है कि वे ट्रोल हैं. वह तर्क देती हैं, "मैं केवल कुछ ही समीक्षकों की ओर देखती हूं, जो निष्पक्ष नकारात्मक समीक्षा लिख सकते हैं".
दो पत्ती के आलोचकों को लेकर बोली कनिका ढिल्लों
इस बारे में बात करते हुए कि कैसे उन्होंने दो पत्ती के आलोचकों को उनके काम के बारे में ‘सस्ती भाषा’ में बात करते देखा है, मनमर्जियां की लेखिका ने टिप्पणी की. उन्होंने कहा, “मैं हकीकत में नकारात्मक आलोचना और जहां पे कोई खुन्नस खाके बैठा है के बीच अंतर करने में सक्षम हूं. जब वे फिल्म के बजाय व्यक्ति पर व्यक्तिगत हमलों के माध्यम से आलोचना करना शुरू करते हैं, तो वे ट्रोल बन जाते हैं. मैं उनमें से आधे पर प्रतिक्रिया नहीं करती. आप यह हेडलाइन से ही पता लगा सकते हैं कि यह ट्रोलिंग पीस है या नहीं. उस स्थिति में, मैं उन समीक्षाओं को नहीं खोलती. इस तरह मैं अपनी समझदारी को जिंदा रखती हूं”.
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