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ताजा खबर:Kapkapiii Movie Review
निदेशक: संगीथ सिवन
लेखक: कुमार प्रियदर्शी और सौरभ आनंद
कलाकार: तुषार कपूर, श्रेयस तलपड़े, सिद्धि इदनानी, जय ठक्कर, सोनिया राठी, अभिषेक कुमार, वरुण पांडे, धीरेंद्र तिवारी, मनमीत कौर
रेटिंग - 1.5/5
हॉरर-कॉमेडी जैसी लोकप्रिय शैली में बनी फिल्म कपकपीई (Kapkapiii) दर्शकों को न हंसा पाती है और न ही डरा पाती है. यह फिल्म 2023 की मलयालम फिल्म रोमांचम (Romancham) की आधिकारिक हिंदी रीमेक है, लेकिन अपनी कमजोर स्क्रिप्ट और बिखरे हुए निर्देशन के कारण दर्शकों को बांधने में असफल रहती है.
कहानी का सार
फिल्म की कहानी मनु (Shreyas Talpade) और उसके दोस्तों – रिविन, नंकू, अच्युत, विजय और निरूप – के इर्द-गिर्द घूमती है, जो फरीदाबाद में एक साथ रहते हैं. रिविन अकेला कमाने वाला है और बाकी सब उसके भरोसे जीते हैं. निरूप घर के कामकाज में सबसे जिम्मेदार है. तभी बिल्डिंग में दो लड़कियाँ, काव्या (Siddhi Idnani) और मधु (Sonia rathi), रहने आती हैं. मनु काव्या को देखकर फिदा हो जाता है.एक दिन मनु एक सेशन देखता है जहाँ एक व्यक्ति ओइजा बोर्ड की मदद से आत्माओं से संपर्क करता है. प्रभावित होकर वह दोस्तों के साथ कैरम बोर्ड का इस्तेमाल करते हुए आत्मा बुलाने की कोशिश करता है, और आश्चर्यजनक रूप से 'अनामिका' नाम की आत्मा से संपर्क स्थापित हो जाता है. इस बीच मनु का बचपन का दोस्त कबीर (Tushar Kapoor) भी एंट्री करता है और कहानी में और अधिक गड़बड़ी शुरू हो जाती है.
कहानी और पटकथा की समीक्षा
सौरभ आनंद और कुमार प्रियदर्शी की कहानी में दम तो है, लेकिन स्क्रीनप्ले इतना बिखरा हुआ है कि कई दृश्यों में हास्य का प्रयास व्यर्थ जाता है. फिल्म की पहली छमाही जरूरत से ज्यादा लंबी है और दर्शक ऊबने लगते हैं. कहानी में कई उपकथाएं अधूरी हैं, जैसे रिविन और मधु का संबंध और आत्मा 'अनामिका' की पृष्ठभूमि.फिल्म का क्लाइमेक्स भी अधूरा लगता है और अंत में अगली कड़ी का संकेत देकर दर्शकों को अधर में छोड़ दिया जाता है. ऐसा प्रयोग स्त्री जैसी फिल्मों में सफल रहा, लेकिन यहां स्क्रिप्ट की कमजोरी साफ नजर आती है.
अभिनय
श्रेयस तलपड़े ने एक बेरोजगार और बेतरतीब युवक के रूप में अच्छा अभिनय किया है. तुषार कपूर की एंट्री फिल्म के दूसरे भाग में बहुत देर से होती है, जिससे उनका प्रभाव कम हो जाता है. दोस्तों की टोली में वरुण पांडे सबसे ज्यादा प्रभाव छोड़ते हैं. सिद्धि इडनानी और सोनिया राठी ने भी अपने किरदारों को ईमानदारी से निभाया है.ज़ाकिर हुसैन और अन्य सहायक कलाकार ठीक-ठाक हैं. इशिता राज का आइटम सॉन्ग 'टितली' केवल अपनी कोरियोग्राफी के कारण ध्यान आकर्षित करता है.
तकनीकी पक्ष
अजय जयंती का संगीत कुछ दृश्यों में ठीक बैठता है. 'जा रे बाला' और 'आत्माजी' थोड़े बहुत याद रह जाते हैं. लेकिन संगीत की समग्र गुणवत्ता औसत है. बैकग्राउंड स्कोर साधारण है. कैमरा वर्क, वीएफएक्स और प्रोडक्शन डिजाइन भी औसत हैं. संपादन काफी कमजोर है, खासकर फिल्म की लंबाई को देखते हुए.
रिव्यू
अगर आप अपने दोस्तों के साथ बैठकर हल्की-फुल्की हॉरर कॉमेडी का मजा लेना चाहते हैं, जिसमें डर कम और मस्ती ज्यादा हो, तो कपकपी एक बार देखी जा सकती है, तुषार-श्रेयस (tushar-shreyas Film) की जोड़ी और कुछ मजेदार सिचुएशन आपको गुदगुदा सकती हैं, इसमें डर की झलक के साथ हंसी का तड़का भी है, लेकिन स्वाद अधूरा लगता है. अगर आप सिर्फ मनोरंजन चाहते हैं- तर्क या गहराई नहीं- तो कपकपी एक अच्छी पसंद हो सकती है
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