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ताजा खबर: खेमचंद प्रकाश (12 दिसंबर 1907 – 10 अगस्त 1950) हिंदी फिल्म उद्योग के उन दिग्गज संगीतकारों में से थे, जिनकी प्रतिभा के सामने 1940 का दशक झुक जाता है. यह वही दशक था जिसमें शुरुआत में के. एल. सहगल का दबदबा था और अंत तक लता मंगेशकर का युग स्थापित हो चुका था.लता मंगेशकर का प्रारंभिक सफल सहयोग आशा, ज़िद्दी (1948) और महाल (1949) में खेमचंद प्रकाश के साथ ही रहा.इन्हीं के कारण लता मंगेशकर और किशोर कुमार को फिल्म संगीत में पहला बड़ा मौका मिला.उनकी मृत्यु के कई वर्ष बाद भी, मशहूर संगीतकार कमल दासगुप्ता ने उन्हें हिंदी सिनेमा का सर्वश्रेष्ठ संगीतकार कहा था.
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करियर
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● प्रारंभिक जीवन
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खेमचंद प्रकाश का जन्म 12 दिसंबर 1907 को सुजानगढ़ (तत्कालीन बीकानेर रियासत, आज का राजस्थान राज्य) में हुआ था.उनकी प्रारंभिक संगीत और नृत्य की शिक्षा उनके पिता ने दी, जो राजदरबार में ध्रुपद गायक और कथक नर्तक थे.किशोरावस्था में उन्होंने बीकानेर के राजदरबार में गायक के रूप में प्रवेश किया, और बाद में नेपाल के राजदरबार से भी जुड़े.फिर वे कोलकाता पहुँचे और प्रसिद्ध न्यू थिएटर्स में शामिल हो गए.वहाँ उन्होंने फिल्म देवदास (1935) में संगीतकार तिमिर बरण के सहायक के रूप में काम किया.फिल्म स्ट्रीट सिंगर (1938) में हास्य गीत “लो खा लो मैडम खाना” भी गायाइसके बाद वे मुंबई आए और 1939 में सुप्रीम पिक्चर्स की फिल्मों मेरी आंखें और ग़ाज़ी सलाउद्दीन से संगीतकार के रूप में डेब्यू किया.जल्द ही उन्हें रणजीत मूवीटोन स्टूडियो ने साइन कर लिया.
सबसे बड़ी सफलता – तानसेन (1943)
इस फिल्म के गीत अत्यंत लोकप्रिय हुए:
“दिया जलाओ जगमग जगमग”
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संगीतकार अनिल बिस्वास ने एक रेडियो कार्यक्रम में उनकी तारीफ करते हुए कहा कि खेमचंद प्रकाश ही वह संगीतकार थे जिन्होंने तानसेन के ऐतिहासिक काल को ध्यान में रखते हुए गीत ‘सप्त सुरन तीन ग्राम’ को ध्रुपद शैली में बनवाया, क्योंकि तानसेन के समय में ख़याल शैली अस्तित्व में ही नहीं थी.
ज़िद्दी (1948) – किशोर कुमार और लता मंगेशकर का बड़ा ब्रेक
ज़िद्दी (1948) उनके करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म थी.
उन्होंने किशोर कुमार को पहला बड़ा मौका दिया — गीत “मरने की दुआएँ क्यों मांगूँ”
फिल्म में लता मंगेशकर का सुंदर गीत “चंदा रे जा रे जा रे” भी लोकप्रिय हुआ
महल (1949) – इतिहास रचने वाला संगीत
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फिल्म महाल ने लता मंगेशकर को रातोंरात सुपरस्टार बना दिया.पहले रिकॉर्ड पर गीत “आएगा आनेवाला” के क्रेडिट में केवल किरदार का नाम – ‘कमीनी’ लिखा था.जब यह गीत रेडियो पर बजा, तो श्रोताओं ने बड़ी संख्या में कॉल और चिट्ठियाँ भेजकर पूछा कि गायिका कौन हैं?AIR ने रिकॉर्ड कंपनी से जानकारी लेकर पहली बार रेडियो पर लता मंगेशकर का नाम घोषित किया.यह गीत आज भी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महान गीतों में से एक माना जाता है.
मृत्यु
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खेमचंद प्रकाश का निधन 10 अगस्त 1950 को सिर्फ 42 वर्ष की आयु में लिवर सिरोसिस के कारण हो गया.फिल्म महाल के निर्देशक कमाल अमरोही ने गीत “खामोश है ज़माना” की शुरुआती पंक्तियाँ लिखीं, जबकि शेष गीत नक्शब ने पूरे किए.हैरानी की बात यह है कि जिस धुन पर “आएगा आनेवाला” बना, उसे खेमचंद प्रकाश ने हारमोनियम पर बनाकर अमरोही को सुनाया था—और दो महीने बाद ही वे इस दुनिया से चले गए.
उनका परिवार और बाद की चर्चा
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2012 में राज्यसभा में अपने पहले भाषण में जावेद अख्तर ने बताया कि खेमचंद प्रकाश की दूसरी पत्नी श्रीदेवी को जीवन के अंतिम दिनों में रेलवे स्टेशन पर भीख माँगने तक की नौबत आ गई थी.उनकी बेटी चंद्रकला खेमचंद प्रकाश भी कथक नृत्यांगना थीं और बाद में पद्मश्री अभिनेता-निर्देशक राम गोपाल बजाज की पत्नी बनीं.
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FAQ
Q1. खेमचंद प्रकाश कौन थे?
खेमचंद प्रकाश 1940 के दशक के एक महान भारतीय फिल्म संगीतकार थे, जिन्होंने तानसेन, ज़िद्दी, और महाल जैसी फिल्मों में यादगार संगीत दिया.
Q2. खेमचंद प्रकाश का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उनका जन्म 12 दिसंबर 1907 को सुजानगढ़ (राजस्थान) में हुआ था.
Q3. खेमचंद प्रकाश ने संगीत की ट्रेनिंग कहाँ से ली?
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से ली, जो ध्रुपद गायक और कथक नर्तक थे. बाद में उन्होंने राजदरबारों में भी संगीत साधना की.
Q4. खेमचंद प्रकाश ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
उन्होंने कोलकाता के न्यू थिएटर्स में काम शुरू किया, जहाँ वे फिल्म देवदास (1935) में तिमिर बरण के सहायक थे.
बाद में वे मुंबई आए और मिरी आंखें (1939) से स्वतंत्र संगीतकार बने.
Q5. खेमचंद प्रकाश की सबसे बड़ी हिट फिल्म कौन-सी थी?
फिल्म तानसेन (1943) उनकी सबसे बड़ी सफलता थी, जिसमें कई अमर गीत शामिल हैं.
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