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साधना को उनके सनहरे दौर में मिस्ट्री गर्ल या फिर लव इन सिमला गर्ल के नाम से पुकारा जाता था. उनकी खूबसूरती, अदाओं और अभिनय पर लाखों लोग दीवाने थे. वो इतनी खूबसूरत और दिलकश थी कि जो भी उन्हे देखता, देखता ही रह जाता था. उन्हीं में से एक थे निर्देशक आर के नैयर. आर.के. नैयर की साधना के लिए प्रेम, उनके रोमांस की एक अप्रत्याशित और खूबसूरत जर्नी थी. यह एक ऐसी कहानी थी जो आम बॉलीवुड प्रेम कहानियों से थोड़ा सा अलग था लेकिन फिर भी हर प्रेमी के दिल की जुबान पर थी.
ऐसे शुरु हुई साधना की प्रेम कहानी
उनकी प्रेम कहानी तब शुरू हुई जब साधना सिर्फ 16 साल की थीं, एक ऐसी उम्र जब ज़्यादातर लड़कियाँ किशोरावस्था की ढेर सारी अनजान परिवर्तनों से जूझ रही होती हैं. यह 1960 की बात है. निर्माता शाषाधर मुखर्जी ने अपने फिल्मालाया प्रॉडक्शन हाउस से एक फ़िल्म 'लव इन सिमला' की घोषणा की और स्क्रीन पेपर में छपे साधना की तस्वीर देखकर मुग्ध हो गए और साधना को साइन कर लिया. फ़िल्म के निर्देशक थे आर के नैयर. साधना की जिंदगी में नैयर एक हल्की हवा के झोंके की तरह आए, और साधना के कोमल मन में वो लहरें पैदा कीं जो अंततः आजीवन संबंध में बदल गया. उनका शुरुआती रिश्ता भावुक लेकिन नाजुक था, जो युवा प्रेम की मासूमियत और 1960 के दशक की सामाजिक बाधाओं से चिह्नित था. साधना सिर्फ सोलह की थी. जाहिर है साधना के माता पिता बेटी के इस असमय प्रेम के बीच ढाल बन कर खड़े हो गए. साधना भी असमंजस में थी. इसलिए वो प्रेम पनपते पनपते भी टूट गई. दोनों अलग हो गए.
अपने इस प्रथम ब्रेकअप के बाद, दोनों पाँच साल तक पूरी तरह से एक दूसरे से अलग-थलग थे . इस अवधि के दौरान, साधना ने बॉलीवुड में अपना शानदार करियर जारी रखा, और अपने समय की सबसे मशहूर अभिनेत्रियों में से एक बन गईं. उनकी आइकॉनिक हेयरस्टाइल और मंत्रमुग्ध कर देने वाली स्क्रीन उपस्थिति ने उन्हें उस समय की सनसनी बना दी. ये विडंबना ही है कि जिस फ्रिंज हेयर स्टाइल ने उन्हे आजीवन साधना कट का रुतबा दिया वो हेयर स्टाइल आर के नैयर ने ही साधना को लव इन सिमला फ़िल्म के दौरान बनवा दिया था. खैर साधना पांच सालों में चोटी की स्टार बन गई. लेकिन ग्लैमरस बाहरी आवरण के नीचे, उनके दिल में अभी भी आर.के. नैयर की यादें थीं.
एक दिन किसी स्टूडियो के सेट पर साधना की एक फ़िल्म की शूटिंग हो रही थी और नय्यर भी किसी फ़िल्म की शूटिंग के लिए वहां उपस्थित थे. फिर से दोनों की मुलाकात हुई और उनके बीच अप्रत्याशित रूप से फिर से जुड़ाव हुआ. सालों की खामोशी के बाद नैयर का फोन कॉल फिर से एक सुप्त ज्वाला को जलाने जैसा था. अगले डेढ़ साल तक, उनका रिश्ता मुख्य रूप से टेलीफोन पर बातचीत के ज़रिए ही चलता रहा. एक अनोखा प्रणय-संबंध जिसने उन्हें धीरे-धीरे और सही मायने में सार्थक रूप से अपने रिश्ते को फिर से निर्मित करने का मौका दिया. अब साधना भी पुरी तरह युवा हो गई थी.
लेकिन साधना की माँ शुरू में उनके रिश्ते को लेकर संशय में थीं. वह उस दौर की पारंपरिक मानसिकता को लेकर लगातार साधना के लिए नैयर के बदले वैकल्पिक पुरुष का सुझाव देती थीं और नैयर के बारे में अपना संदेह व्यक्त करती थीं. माँ को तो साधना के साथ कई फिल्मों में काम करने वाले हीरो राजेंद्र कुमार ज्यादा पसंद थे. अपनी बेटी को रोकने के प्रयास में उन्होने साधना के हीरो राजेंद्र कुमार को बढ़ावा देना भी शुरू किया. लेकिन राजेंद्र कुमार पहले से ही शादी शुदा थे इसलिए जब भी साधना की मां राजेंद्र कुमार से आर के नैयर और साधना के बढ़ते संबंध की शिकायत करते हुए कहती कि काश साधना की शादी वो राजेंद्र से कर पाते तो इसपर राजेंद्र कुमार हंसते हुए कहते थे कि क्योंकि वो शादीशुदा है इसलिए इस जन्म में तो ये संभव नहीं. हालाँकि, राजेंद्र, साधना के मजबूत व्यक्तित्व को समझते हुए, उनकी माँ को आगाह भी करते थे कि वो बेटी को ज्यादा टोका टोकी ना करे क्योंकि उन्हें रोकने की कोई भी कोशिश कहीं बेटी के भाग जाने का कारण ना बन जाए.
तो यह प्रेम-संबंध रोमांटिक बॉलीवुड कथाओं के कई रोमांटिक क्षणों से भरा था. नैयर का साधना की माँ की सख्त निगरानी के बावजूद, उनके जन्मदिन पर शैंपेन लेकर पहुंचना, उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. दोनों की आधिकारिक सगाई एक महत्वपूर्ण न्यूज़ बन गई, जिसने सभी सामाजिक बाधाओं के बावजूद एक साथ जीवन बनाने के उनके इरादे को दर्शाया. 7 मार्च, 1966 को उनकी शादी हो गई. यह दो व्यक्तियों के मिलन का दिन था जिन्होंने अलगाव, सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना किया था. विद्रोही स्वभाव की और स्वतंत्र विचारों वाली अभिनेत्री साधना को नैयर में एक ऐसा साथी मिला, जो उनकी भावना को समझता था और उसका सम्मान करता था. साधना ने स्पष्ट रूप से कहा था कि विवाह सब कुछ बदल देता है. रहस्यमय प्रेमालाप खुल्लम खुल्ला प्रेम में बदल जाता है.
उनपर उठने वाले प्रेमियों की आशा भरी निगाहें गायब हो जाती हैं, और उनकी जगह दो प्रतिबद्ध व्यक्तियों के बीच एक गहरा, अधिक सार्थक संबंध आ जाता है. उनका मैरिड लाइफ लगभग तीन दशकों तक चला, जो अपने क्षणिक रिश्तों के लिए जाने जाने वाले फ़िल्म इंडस्ट्री में एक उल्लेखनीय उपलब्धि थी. ईश्वर ने उन्हे कोई संतान नहीं दी थी. कहा जाता है कि जिंदगी के उत्तरार्द्ध में जब आर के नैयर की कुछ फिल्में ना चलने के कारण उनपर बहुत ज्यादा कर्ज चढ़ गया था और वे इस ग़म से बीमार पड़ गए थे और अस्थमा के कारण बहुत कष्ट में थे तो एक दिन वे साधना से बोले कि उन्हे उनके लिए चिंता हो रही है कि अगर उनकी मृत्यु हो जाए तो कर्ज का सारा बोझ साधना पर आ पड़ेगा. इसपर साधना ने पति से ऐसी बातें ना करने को कहते हुए भावुकता के साथ कहा, "कौन जानता है, शायद आपसे पहले मैं ही ऊपर चली जाऊँ." यह सुनते ही नैयर ने तड़प कर कहा कि अगर कभी ऐसा हुआ तो घर से एक नहीं दो लाशें निकलेगी क्योंकि वो उनके बगैर एक पल के लिए भी नहीं जी पाएंगे. 1995 में नैयर के निधन ने इस खूबसूरत जोड़ी की यात्रा का अंत कर दिया. 2015 में साधना ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन उनकी प्रेम कहानी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी . साधना, जिन्हें प्यार से "लव इन शिमला" गर्ल के रूप में जाना जाता है, सिर्फ़ एक फ्रिंज हेयर्ड आइकन नहीं थीं. वह एक ऐसी महिला थीं जिन्होंने अपने दिल की सुनी, सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी और एक ऐसी प्रेम कहानी रची जिसने पारंपरिक अपेक्षाओं को बदल दिया. आर.के. नैयर के साथ साधना का रिश्ता सिर्फ सच्चा प्यार के पूर्णता को रेखांकित नहीं करता है बल्कि समझ, धैर्य और अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है
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