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Manoj Kumar Death The immortal heritage of Bharat Kumar of Indian cinema
Manoj Kumar Death: भारतीय सिनेमा के 'भारत कुमार' की अमर विरासत- मुंबई, 4 अप्रैल 2025 – हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का 87 वर्ष की आयु में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। अपनी देशभक्ति फिल्मों और राष्ट्रवादी छवि के लिए मशहूर मनोज कुमार ने बॉलीवुड में एक अमिट छाप छोड़ी। उनके निधन से पूरा फिल्म जगत शोक में डूब गया है।
अशोक पंडित ने बताया :
#WATCH | Mumbai | On the demise of Indian actor and film director Manoj Kumar, Filmmaker Ashoke Pandit says, "...The legendary Dadasaheb Phalke award winner, our inspiration and the 'lion' of the Indian film industry, Manoj Kumar Ji is no more...It is a great loss to the industry… pic.twitter.com/vWL7FRI44D
— ANI (@ANI) April 4, 2025
#WATCH | Indian actor and film director Manoj Kumar, particularly known for his patriotic films, passes away at the age of 87 in Mumbai
— ANI (@ANI) April 4, 2025
Glimpses from the life of Manoj Kumar including the 63rd National Films Awards, where he received the 47th Dadasaheb Phalke Award from… pic.twitter.com/CA0DPVoWIl
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन पर जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिग्गज अभिनेता और फिल्म निर्माता मनोज कुमार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। मोदी ने ट्विटर पर एक संदेश में मनोज कुमार को "भारतीय सिनेमा का प्रतिष्ठित स्तंभ" बताते हुए उनके योगदान को याद किया।
मोदी का श्रद्धांजलि संदेश:
"मनोज कुमार जी के निधन से अत्यंत दुखी हूँ। वे भारतीय सिनेमा के एक प्रतिष्ठित स्तंभ थे, जिन्हें विशेष रूप से उनकी देशभक्ति की भावना के लिए याद किया जाएगा। उनकी फिल्मों ने राष्ट्रप्रेम की अलख जगाई और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। इस दुख की घड़ी में मैं उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ। ॐ शांति!"
Deeply saddened by the passing of legendary actor and filmmaker Shri Manoj Kumar Ji. He was an icon of Indian cinema, who was particularly remembered for his patriotic zeal, which was also reflected in his films. Manoj Ji's works ignited a spirit of national pride and will… pic.twitter.com/f8pYqOxol3
— Narendra Modi (@narendramodi) April 4, 2025
मनोज कुमार: जीवन परिचय
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जन्म: 24 जुलाई 1937 (एबटाबाद, ब्रिटिश भारत, अब पाकिस्तान)
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मूल नाम: हरिकिशन गिरि गोस्वामी
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प्रसिद्ध नाम: "भारत कुमार" (देशभक्ति फिल्मों के कारण)
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पत्नी: शशि गोस्वामी (1965 से अब तक)
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बच्चे: दो पुत्र – विशाल और कुणाल
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कैरियर का सफर: बॉलीवुड के 'पैट्रियट' हीरो
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मनोज कुमार ने 1957 में "फैशन" फिल्म से डेब्यू किया, लेकिन 1965 की "शहीद" (भगत सिंह पर आधारित) से उन्हें असली पहचान मिली। उनकी प्रमुख फिल्मों में शामिल हैं:
देशभक्ति फिल्में:
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"शहीद" (1965) – भगत सिंह की जीवनी
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"उपकार" (1967) – "जय जवान जय किसान" थीम पर
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"पूरब और पश्चिम" (1970) – भारतीय संस्कृति vs पश्चिमी प्रभाव
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"क्रांति" (1981) – स्वतंत्रता संग्राम पर
सामाजिक फिल्में:
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"रोटी कपड़ा और मकान" (1974) – गरीबी और सामाजिक असमानता पर
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"दस नंबरी" (1976) – इमरजेंसी पर प्रतिबंधित फिल्म
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महत्वपूर्ण पुरस्कार और उपलब्धियां
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1992: पद्मश्री (भारत सरकार)
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2015: दादा साहब फाल्के पुरस्कार (भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए)
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फिल्मफेयर अवार्ड्स: "वक्त" (1965) और "उपकार" (1967) के लिए
रोचक तथ्य और विवाद
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✅ "भारत कुमार" की उपाधि उन्हें दर्शकों ने दी क्योंकि उनकी अधिकांश फिल्में देशभक्ति पर केंद्रित थीं।
✅ लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें "जय जवान जय किसान" पर फिल्म बनाने को कहा था, जिसके बाद "उपकार" बनी।
✅ इमरजेंसी (1975-77) के दौरान उनकी फिल्म "दस नंबरी" पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
उनके जीवन से जुड़े कुछ और रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं:
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जन्म और प्रारंभिक जीवन: 24 जुलाई 1937 को ब्रिटिश इंडिया के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) के एबटाबाद में जन्मे मनोज कुमार का परिवार विभाजन के बाद दिल्ली आकर बस गया था।
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नामकरण की प्रेरणा: उन्होंने अपना नाम 'मनोज कुमार' प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार की फिल्म 'शबनम' (1949) में उनके चरित्र 'मनोज' से प्रेरित होकर रखा था।
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देशभक्ति फिल्मों के लिए प्रसिद्धि: मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति पर आधारित फिल्मों के लिए 'भारत कुमार' के नाम से जाना जाता था। उनकी प्रमुख देशभक्ति फिल्में 'शहीद' (1965), 'उपकार' (1967), 'पूरब और पश्चिम' (1970) और 'क्रांति' (1981) हैं।
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पुरस्कार और सम्मान: उन्हें 1992 में भारत सरकार द्वारा 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया और 2015 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान 'दादासाहेब फाल्के पुरस्कार' से नवाजा गया।
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राजनीतिक करियर: अपने फिल्मी करियर के बाद, मनोज कुमार ने राजनीति में कदम रखा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए।
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विशेष शैली: फिल्मों में अपने चेहरे को हाथ से ढकने की उनकी विशिष्ट शैली थी, जो उनकी पहचान बन गई थी।
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शुरुआती संघर्ष: अपने करियर के प्रारंभ में, उन्होंने 'फैशन ब्रांड' (1957), 'सहारा' (1958), 'चांद' (1959) जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किए, लेकिन 'हरियाली और रास्ता' (1962) से उन्हें प्रमुख सफलता मिली।
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शिक्षा: दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से उन्होंने कला स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी।
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निर्देशन और लेखन: अभिनय के अलावा, मनोज कुमार ने 'उपकार' (1967), 'पूरब और पश्चिम' (1970), 'शोर' (1972) जैसी फिल्मों का निर्देशन और लेखन भी किया, जो सामाजिक और देशभक्ति विषयों पर आधारित थीं।
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कला के प्रति समर्पण: मनोज कुमार ने अपने करियर में कला और सिनेमा के प्रति गहरा समर्पण दिखाया, जिससे वे भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
अभिनेता के रूप में प्रमुख फिल्में:
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1957: फ़ैशन
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1961: कांच की गुड़िया, सुगंध सिन्दूर
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1962: हरियाली और रास्ता, डॉ. विद्या
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1964: वो कौन थी?
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1965: शहीद, हिमालय की गोद में, गुमनाम
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1966: दो बदन
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1967: पत्थर के सनम, उपकार
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1968: नील कमल, आदमी
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1970: पूरब और पश्चिम, मेरा नाम जोकर
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1972: शोर, बे-ईमान
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1974: रोटी कपड़ा और मकान
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1975: संन्यासी
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1976: दस नंबरी
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1981: क्रांति
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1989: क्लर्क
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1995: मैदान-ए-जंग
निर्देशक के रूप में प्रमुख फिल्में:
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1967: उपकार
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1970: पूरब और पश्चिम
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1972: शोर
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1974: रोटी कपड़ा और मकान
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1981: क्रांति
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1989: क्लर्क
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1999: जय हिंद
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