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ताजा खबर: गांव की मिट्टी की खुशबू, संघर्ष की तपिश और सादगी की मिठास – यही तीन बातें पंकज त्रिपाठी (Pankaj tripathy birthday) की जिंदगी का असली परिचय देती हैं. एक किसान का बेटा होकर खेतों से लेकर होटल की रसोई तक और फिर थिएटर से बड़े पर्दे तक का सफर तय करना आसान नहीं था. लेकिन पंकज त्रिपाठी ने हिम्मत और मेहनत के दम पर आज वह मुकाम हासिल किया है, जहां उन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे भरोसेमंद और संजीदा अभिनेता माना जाता है.
बचपन और गांव की यादें (Pankaj tripathi intresting facts)
पंकज त्रिपाठी का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव में हुआ. बचपन में वे गांव के माहौल में पले-बढ़े, जहां खेती-बाड़ी और सादगी से भरी जिंदगी ने उन्हें जमीन से जोड़े रखा. उन्होंने शुरुआती दिनों में स्कूल-लेवल नाटकों में हिस्सा लिया, लेकिन तब तक अभिनय उनके जीवन का हिस्सा नहीं बना था.
थिएटर से पहली मोहब्बत (pankaj tripathy theater)
उनके जीवन का असली मोड़ तब आया जब उन्होंने 12वीं क्लास के दौरान एक नाटक ‘अंधा कुआँ’ देखा. मंच पर कलाकार की अदाकारी से प्रभावित होकर पंकज के भीतर एक नई आग जल उठी. वे पटना में थिएटर के दीवाने हो गए. तमाशे देखने साइकिल से लंबी दूरी तय करते और धीरे-धीरे खुद भी थिएटर का हिस्सा बन गए.कॉलेज के दिनों में वे छात्र राजनीति में भी सक्रिय रहे और एक आंदोलन के दौरान जेल तक चले गए. जेल में बिताए सात दिन उनके जीवन की दिशा बदलने वाले साबित हुए. वहां की तन्हाई में उन्होंने खुद को समझा और पाया कि उनका असली जुनून अभिनय और साहित्य है.
होटल की रसोई और थिएटर का संघर्ष (Pankaj tripathy struggle story)
पटना में रहते हुए उन्होंने होटल की रसोई में रात की नौकरी की और दिन में थिएटर का अभ्यास किया. कम नींद और कठिन मेहनत ने उनकी इच्छाशक्ति को और मजबूत किया. तभी उन्हें पता चला कि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिले के लिए ग्रेजुएशन जरूरी है. उन्होंने हिंदी साहित्य में पढ़ाई शुरू की और तीन प्रयासों के बाद आखिरकार NSD में उनका चयन हो गया. यह उनके जीवन का अहम पड़ाव था.
मुंबई की ओर कदम (Pankaj tripathy first salary)
साल 2004 में पंकज त्रिपाठी मुंबई आए. जेब में सिर्फ ₹46,000 थे और सपनों का बोझ बहुत बड़ा. धीरे-धीरे पैसे खत्म होते गए और एक समय ऐसा आया जब दिसंबर के महीने में उनकी जेब में केवल ₹10 बचे थे. उस दिन उनकी पत्नी का जन्मदिन भी था और वे उनके लिए केक या गिफ्ट तक नहीं खरीद पाए.मुंबई में शुरुआती 10 साल उन्होंने छोटे-छोटे किरदार निभाकर गुजारे. उनके लिए उस समय कला से ज्यादा जरूरी था जिंदगी को किसी तरह चलाना.
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और पहचान (Pankaj tripathy in gangs of wassepur)
साल 2012 में अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर ने उनकी किस्मत बदल दी. इस फिल्म में निभाए किरदार ने उन्हें पहचान दिलाई और बॉलीवुड में उनके लिए नए दरवाजे खोले. इसके बाद फुकरे, बरेली की बर्फी, निल बट्टे सन्नाटा, स्त्री जैसी फिल्मों ने उन्हें मजबूत जगह दिलाई.फिल्म Newton के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड स्पेशल मेंशन भी मिला. वे वेब सीरीज़ मिर्जापुर के ‘कलीन भैया’ के किरदार से घर-घर में पहचान बनाने लगे.
बदला है सरनेम
पंकज त्रिपाठी ने अपने पिता के साथ अपना सरनेम भी बदल लिया. उन्होंने ऐसा क्यों किया, इसके पीछे एक कहानी है. दरअसल, पहले उनका नाम पंकज तिवारी था. लेकिन उन्होंने ऐसा तब किया जब उनके चाचा का सरनेम त्रिपाठी था. इसके पीछे का एक किस्सा बताते हुए अभिनेता ने बताया था कि जब मैं 10वीं का एडमिट कार्ड भर रहा था, तब मैंने अपना सरनेम बदल लिया था. मेरे चाचा अपना सरनेम त्रिपाठी ही रखते थे और वे भारत सरकार में अधिकारी बन गए. एक बाबा भी थे, जिनका सरनेम त्रिपाठी था, वे हिंदी के प्रोफेसर बन गए.
मुझे लगा कि जो लोग अपना सरनेम बदल रहे हैं, उन्हें सफलता मिल रही है और जिनका नाम तिवारी है, वे सब या तो पुजारी हैं या खेती करते हैं. मैं किसान या पुजारी नहीं बनना चाहता था. इसलिए मैंने फॉर्म में अपना नाम त्रिपाठी लिखा, लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं अपने पिता का नाम तिवारी नहीं लिख सकता, क्योंकि यह रिजेक्ट हो सकता है, इसलिए मैंने उनका नाम भी बदल दिया.
लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए करते थे ये काम
पंकज त्रिपाठी अपने गाँव की लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए साइकिल पर स्टंट किया करते थे. जब वे 7वीं-8वीं क्लास में थे, तब भी वे ऐसे स्टंट किया करते थे. एक और लड़का ऐसा करता था, जो लड़कियों में बहुत लोकप्रिय था. तो पंकज भी यही करता था.
आने वाली फिल्मे (Pankaj tripathy upcoming film)
पंकज त्रिपाठी की कई आगामी फ़िल्में हैं, जिनमें पारिवारिक मनोरंजक फ़िल्म "परिवारिक मनुरंजन" और पर्यावरण पर आधारित फ़िल्म "धर्मा" शामिल है, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय तकनीकी दल भी शामिल है. वह तमिल फ़िल्म "ठग लाइफ" में भी नज़र आने वाले हैं और वेब सीरीज़ "मिर्ज़ापुर सीज़न 3" के प्री-प्रोडक्शन में हैं. निर्माणाधीन अन्य फ़िल्मों में अनाम पंकज त्रिपाठी/अमित राय प्रोजेक्ट और "राम जन्मभूमि" शामिल हैं.
फिल्म्स (Pankaj tripathy famous films)
गाने (Pankaj tripathy songs)
FAQ
Q1. पंकज त्रिपाठी का जन्म कब और कहां हुआ था?
पंकज त्रिपाठी का जन्म 28 सितंबर 1976 को बिहार के गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव में हुआ था.
Q2. पंकज त्रिपाठी का असली जन्मदिन कौन सा है?
उनका असली जन्मदिन 28 सितंबर है, जबकि कागज़ात में गलती से 5 सितंबर दर्ज हो गया, जिस वजह से लोग उन्हें 5 सितंबर को भी विश करते हैं.
Q3. फिल्मों में पंकज त्रिपाठी का ब्रेकथ्रू रोल कौन सा था?
अनुराग कश्यप की गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012) में उनका किरदार उनकी असली पहचान बना.
Q4. पंकज त्रिपाठी ने NSD (नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा) में कब दाखिला लिया?
तीन प्रयासों के बाद उन्हें NSD में दाखिला मिला और वहीं से उन्होंने प्रोफेशनल एक्टिंग की ट्रेनिंग पाई.
Q5. पंकज त्रिपाठी को कौन-कौन से अवॉर्ड मिले हैं?
उन्हें Newton फिल्म के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड (स्पेशल मेंशन) सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं.
Q6. पंकज त्रिपाठी की पर्सनल लाइफ कैसी है?
वे मृदुला त्रिपाठी से शादीशुदा हैं और दोनों की एक बेटी है.
Q7. पंकज त्रिपाठी की लोकप्रिय वेब सीरीज़ कौन सी है?
मिर्जापुर में उनका किरदार "कलीन भैया" दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ.
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