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Gulzar and Rambhadracharya honoured with 58th Jnanpith Award: सदी के महान गीतकार गुलज़ार साहब ने अपनी जीवन यात्रा ‘संपूर्ण सिंह कालरा’ से शुरू की और ‘गुलजार’ बनकर संगीत और फिल्मों की दुनिया में अपने गीतों से सबके दिलों पर अमिट छाप छोड़ी. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार, 16 मई को प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलज़ार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 2023 के लिए 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (58th Jnanpith Award) से सम्मानित किया. लेकिन कवि-गीतकार गुलजार साहब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण समारोह में शामिल नहीं हो पाए.
तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य को किया गया सम्मानित
आपको बता दें चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य (75) एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक नेता, शिक्षक और चार महाकाव्यों सहित 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों के लेखक हैं. संस्कृत विद्वान को एक प्रशस्ति पट्टिका, नकद पुरस्कार और वाग्देवी सरस्वती की कांस्य प्रतिकृति दी गई. वहीं पुरस्कार समारोह में बोलते हुए, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत साहित्य और समाज में रामभद्राचार्य के "बहुआयामी योगदान" की सराहना की.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की रामभद्राचार्य की सराहना
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "रामभद्राचार्य जी ने उत्कृष्टता का एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है. आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं और आपका योगदान बहुआयामी है. शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद आपने अपनी अंतर्दृष्टि या कहें दिव्य दृष्टि से साहित्य और समाज की असाधारण सेवा की है. आप एक सहज कवि हैं. आपके द्वारा रचित संस्कृत साहित्य प्रचुर और उत्कृष्ट दोनों है. आप दिव्य भाषा के असाधारण उपासक हैं. भारतीय परंपराओं के सर्वश्रेष्ठ व्याख्याताओं में आपका विशेष स्थान है."
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बांधे गुलजार साहब की तारीफों के पुल
इसके साथ- साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुलजार साहब को बधाई देते हुए उनके पूर्ण स्वस्थ होने की कामना की. राष्ट्रपति ने कहा कि, "मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं भेजता हूं कि वे जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय हो जाएं और कला, साहित्य, समाज और देश के लिए अपना योगदान देते रहें. गुलजार साहब ने दशकों से साहित्य सृजन के प्रति अपनी निष्ठा को जीवित रखा है. यह कहा जा सकता है कि गुलज़ार साहब एक ऐसे लेखक हैं जिन्होंने कठोरता के बीच कोमलता को स्थापित किया है. इन क्षेत्रों में सक्रिय लोगों को उनकी कला और साहित्यिक गतिविधियों से प्रेरणा और सीख लेनी चाहिए.
उर्दू लेखन में गुलजार का है उत्कृष्ट योगदान
भारतीय साहित्य और उर्दू लेखन में गुलजार का उत्कृष्ट योगदान है. उनके कुछ प्रमुख गीतों में "मैंने तेरे लिए" (आनंद), "दिल ढूंढता है" (मौसम) शामिल हैं. वह सात बार राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. गुलजार को 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्मभूषण, 2008 में "स्लमडाग मिलियनेयर के जय हो" गीत के लिए अकादमी पुरस्कार और ग्रैमी पुरस्कार और 2013 के लिए दादासाहेब फाल्के पुरस्कार मिला.
गुलजार साहब की पॉपुलर शायरी
गुलजार साहब ने लिखे थे मोटू पतलू के गाने के लिरिक्स
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोटू पतलू काफी सालों से लोटपोट पत्रिका के जरिए पूरे संसार की पाठकों का सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला कार्टून कॉमिक रहा है. पिछली तीन पीढ़ियां इस बात की गवाह रही हैं कि मोटू पतलू ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों का खूब मनोरंजन किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं इस मजेदार कार्टून मोटू पतलू के गाने के लिरिक्स गुलजार साहब ने लिखे हैं. गुलजार साहब ने शिद्दत के साथ इसके एक- एक बोल को लिखा हैं.
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