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Ram Gopal Varma: रंगीला, सत्या, कंपनी और सरकार जैसी फिल्मों के डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा (Ram Gopal Varma) अक्सर ही चर्चा में बने रहे हैं. इस बार वह अपनी किसी फिल्म नहीं बल्कि एक क़ानूनी पचड़े में फंसे है. यह मामला चेक बाउंस से जुड़ा है, जहाँ अदालत ने उन्हें दोषी करार पाते हुए 3 महीने की सजा सुनाई थी. जिसके खिलाफ Ram Gopal Varma ने याचिका दायर कर सजा के खिलाफ जमानत की अपील की और सजा को निलंबित करने की मांग की थी. उनका कहना था कि जब 21 जनवरी को फैसला सुनाया गया था, तब वह उस समय कोर्ट में मौजूद नहीं थे, जिसपर अदालत ने कहा है कि किसी आरोपी की अनुपस्थिति में दोषसिद्धि का फैसला सुनाना अवैध नहीं है.
अदालत ने कहा
Ram Gopal Varma की याचिका के बाद हाल ही में इस केस की सुनवाई हुई, जहाँ मजिस्ट्रेट ने आदेश देते हुए कहा कि 'अभियुक्त Ram Gopal Varma अपने बचाव के अधिकार का उपयोग करने की बजाय मुकदमे को बार-बार टालते रहे. उन्हें शिकायतकर्ता द्वारा मामला दर्ज कराने से लेकर मुकदमे की समाप्ति तक चेक के भुगतान का पर्याप्त अवसर दिया गया था, लेकिन उन्होंने भुगतान नहीं किया. रही बात अदालत में उनके उपस्थित न होने कि तो किसी आरोपी की अनुपस्थिति में दोषसिद्धि का फैसला सुनाना अवैध नहीं है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत इसकी अनुमति है. मजिस्ट्रेट ने अपने बयान में यह भी कहा कि 'चेक जारी करने के बाद जानबूझकर भुगतान न करने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए आरोपी को सजा देना आवश्यक था, ताकि भविष्य में लोग इस तरह की लापरवाही न करें.'
जाने क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला 2018 से सम्बन्धित है.जहाँ 'श्री' नाम की एक कंपनी ने राम गोपाल वर्मा की कंपनी के खिलाफ चेक बाउंस का केस दर्ज करवाया था. उन्होंने राम गोपाल वर्मा की कंपनी पर आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी ने उन्हें उनके पैसे नहीं दिए है.
इसी सिलसिले में शिकायतकर्ता की कंपनी के वकील राजेश कुमार पटेल और आलोक सिंह ने अदालत में एक हलफनामा पेश करते हुए बताया था कि शिकायतकर्ता की कंपनी 'श्री' ने रामगोपाल वर्मा के कहने पर फरवरी 2018 और मार्च 2018 के बीच उन्हें एक 'हार्ड डिस्क' दी थी. इसके लिए 2,38,220 रुपये का कर चालान जारी किया गया था. फिर वर्मा ने 1 जून 2018 को शिकायतकर्ता को एक चेक दिया, लेकिन वह बाउंस हो गया क्योंकि उसमें पैसे नहीं थे. इसके बाद उन्होंने दूसरा चेक दिया, जो 'भुगतानकर्ता द्वारा रोके जाने' की वजह से बाउंस हो गया था. वही राम गोपाल वर्मा ने दावा किया था कि वह चेक उनके द्वारा साइन नहीं किया गया था और उन्होंने इसे जारी नहीं किया था. वहीं न्यायालय ने शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई अगले महीने के लिए निर्धारित की है. खैर अब देखना यह होगा कि सत्र न्यायालय में उनकी याचिका पर क्या फैसला आता है.
वर्क फ्रंट
रात (1992), जंगल (2000), डरना मना है (2003), वास्तु शास्त्र (2004), शिवा (2006), राम गोपाल वर्मा की आग (2007), फूंक (2008), रक्त चरित (2010), नॉट अ लव स्टोरी (2011), डिपार्टमेंट (2012) है. इसके अलावा भी Ram Gopal Verma ने कई साउथ इन्डियन फिल्मों जैसे - गायम (1993),थिरुदा थिरुदा (1993),गोविंदा (1994), अनागंगा ओका राजू (1997),प्रेम कथा (1999), आइसक्रीम (2014),राउडी (2014) और अनुक्षणन (2014 का निर्देशन किया है.
By- Priyanka Yadav
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