/mayapuri/media/media_files/2024/11/19/bVY3hjQQbWitfNEOrX14.jpg)
ताजा खबर:भारतीय सिनेमा के महानतम संगीतकारों में से एक, सलिल चौधरी (salil chowdhury Death Annivarsary) का नाम उन शख्सियतों में आता है, जिन्होंने न केवल बॉलीवुड में बल्कि बंगाली, मलयालम और अन्य भाषाओं के सिनेमा में अपनी अद्वितीय धुनों और गीतों से अमिट छाप छोड़ी. उनका संगीत भारतीय शास्त्रीय संगीत, पश्चिमी क्लासिकल और लोक संगीत का अद्भुत मिश्रण था. सलील चौधरी का जन्म 19 नवंबर 1923 को हुआ था, और उनकी रचनाएँ आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में बसती हैं.
प्रारंभिक जीवन और संगीत से जुड़ाव (Salil Chowdhury Evergreen Melodies)
सलिल चौधरी का जन्म असम में हुआ था, जहां उनके पिता एक चाय बागान में डॉक्टर थे. उनके पिता पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के बड़े प्रशंसक थे, और इसी माहौल में सलील का झुकाव संगीत की ओर हुआ. बचपन में ही उन्होंने बाख, बीथोवेन और मोजार्ट जैसे महान संगीतकारों को सुनना शुरू किया. इसी के साथ भारतीय लोक संगीत और बंगाली गीतों की गूंज भी उनके जीवन का हिस्सा थी.सलील की शिक्षा कोलकाता विश्वविद्यालय में हुई, जहां वह मार्क्सवादी विचारधारा और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से प्रभावित हुए. यहीं से उनके जीवन में सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता और साहित्य की गहरी समझ विकसित हुई.
फिल्मी करियर की शुरुआत (Salil Chowdhury Biography)
सलिल चौधरी ने अपने संगीत करियर की शुरुआत बंगाली सिनेमा से की.उनकी पहली फिल्म 'परिवर्तन' थी, जो 1949 में आई. इसके बाद वह मुंबई चले गए, जहां उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी शुरुआत की. उनकी पहली हिंदी फिल्म 'दो बीघा जमीन' (1953) थी, जो एक ऐतिहासिक फिल्म मानी जाती है. फिल्म की सफलता में सलिल चौधरी के संगीत का बड़ा योगदान था.फिल्म के गीत, विशेष रूप से 'धरती कहे पुकार के', आज भी उतने ही प्रासंगिक लगते हैं जितने उस समय थे. इस फिल्म ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई.
सलिल चौधरी का संगीत का अनोखा अंदाज (Salil Chowdhury Music Director)
सलिल चौधरी की सबसे बड़ी खासियत उनका बहुमुखी संगीत था. उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत और पश्चिमी धुनों का ऐसा मेल बनाया, जो पहले कभी नहीं सुना गया था. उनके संगीत में पियानो, गिटार, वायलिन और भारतीय वाद्ययंत्रों का अद्भुत संयोजन देखा गया.
उन्होंने कई बेहतरीन गीतों को जन्म दिया, जैसे: (Salil Chowdhury Famous Works )
आनंद (1971)
गीत: "कहीं दूर जब दिन ढल जाए"
यह गीत मुकेश की आवाज़ और सलिल चौधरी की संगीत रचना का अनमोल नगीना है. इसके बोल और धुन जीवन के गहरे एहसास को व्यक्त करते हैं
गीत: "ज़िंदगी कैसी है पहेली"
मन्ना डे की आवाज़ में यह गीत जीवन के उलझनों और मस्ती का प्रतीक है
मधुमती (1958)
गीत: "आजा रे परदेसी"
लता मंगेशकर की आवाज़ और सलिल चौधरी का संगीत इसे एक कालजयी रचना बनाता है.
गीत: "सुहाना सफर और ये मौसम हसीन"
मोहम्मद रफ़ी के गाए इस गीत ने प्राकृतिक सौंदर्य को अद्भुत ढंग से प्रस्तुत किया
छाया (1961)
गीत: "इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा"
तलत महमूद और लता मंगेशकर की आवाज़ में यह गीत सलिल चौधरी की मधुर धुनों का उत्कृष्ट उदाहरण है.
परख (1960)
गीत: "ओ सजना बरखा बहार आई"
लता मंगेशकर के गाए इस गीत में बारिश के साथ प्रेम का एहसास है. यह गीत हर मौसम में ताजगी लेकर आता है.
जगते रहो (1956)
गीत: "जागो मोहन प्यारे"
इस गीत में सामाजिक जागरूकता का संदेश दिया गया है. सलिल चौधरी की गहरी सोच और धुन इसमें झलकती है.
रजनीगंधा (1974)
गीत: "कई बार यूं ही देखा है" (Salil Chowdhury Hindi Songs)
इस गीत में रोजमर्रा की जिंदगी के सरल और गहरे भाव व्यक्त किए गए हैं.
अलखनंदा (1952)
गीत: "तुम मुझे भूल भी जाओ" (Salil Chowdhury Best Compositions)
इस गीत में दिल के गहरे दर्द और उदासी को बखूबी व्यक्त किया गया है.
पाश्चात्य और भारतीय संगीत का मेल (Salil Chowdhury Evergreen Songs)
सलिल चौधरी का मानना था कि संगीत में सीमाएं नहीं होनी चाहिए उन्होंने अपनी फिल्म 'मधुमती' में 'आजा रे परदेसी' जैसे गीत को भारतीय लोक संगीत और पश्चिमी क्लासिकल संगीत के मेल से तैयार किया था.बहुत कम लोग जानते हैं कि सलिल चौधरी न केवल संगीतकार थे, बल्कि एक बेहतरीन लेखक और कवि भी थे. उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं और संवाद लिखे.उनकी राजनीतिक विचारधारा उनके संगीत और लेखन में झलकती थी उन्होंने कई ऐसे गीत बनाए, जो सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित थे
आनंद का संगीत
फिल्म 'आनंद' के गाने 'जिंदगी कैसी है पहेली' को बनाने में उन्होंने 6 महीने का समय लिया. वह चाहते थे कि यह गीत पूरी तरह से परफेक्ट हो, और इसका संगीत सीधे दर्शकों के दिल तक पहुंचे.
अमिताभ बच्चन को ब्रेक
सलिल चौधरी ने अमिताभ बच्चन को उनकी पहली फिल्म 'सात हिंदुस्तानी' में ब्रेक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
FAQ
सलिल चौधरी कौन थे? – भारतीय संगीतकार, गीतकार और लेखक जिन्होंने हिंदी, बंगाली और मलयालम फिल्मों में संगीत दिया.
सलिल चौधरी की प्रमुख फिल्में: – दो बीघा ज़मीन, मधुमती, आनंद, राजनिगंधा, पिंजरे के पंछी.
सलिल चौधरी के प्रसिद्ध गाने: – “कहीं दूर जब दिन ढल जाए”, “इतना ना मुझसे तू प्यार बढ़ा”, “धड़क धड़क के कह रहा”.
सलिल चौधरी का निधन कैसे हुआ? – 5 सितंबर 1995 को, मृत्यु का स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं.
सलिल चौधरी के बच्चे: – चार बच्चे, जिनमें अंतर चौधरी और संचारि शामिल हैं.
सलिल चौधरी की बेटी: – अंतर चौधरी, जो गायिका और संगीतकार हैं.
सलिल चौधरी के 100वें जन्मदिन की विशेषता: – 2025 में उनके संगीत और योगदान को सम्मानित करने के कार्यक्रम आयोजित हुए.
bollywood news | Entertainment News
ReadMore
'बिग बॉस 18' में सलमान से टकराव पर अशनीर ग्रोवर ने तोड़ी चुप्पी
झांसी हादसे पर स्वरा भास्कर का योगी सरकार पर निशाना
रणबीर कपूर की बेटी राहा ने स्विमिंग सेशन की तस्वीर में जीता दिल