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Thamma Review:आयुष्मान-रश्मिका और नवाज़ुद्दीन की ये हॉरर-कॉमेडी इस दिवाली दे रही है हंसी और डर का डबल डोज

ताजा खबर: इस दिवाली बॉलीवुड ने दर्शकों को दिया है एक धमाकेदार तोहफा — ‘थामा’, जिसमें एक साथ हैं आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी.

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ताजा खबर: इस दिवाली बॉलीवुड ने दर्शकों को दिया है एक धमाकेदार तोहफा — ‘थामा’, जिसमें एक साथ हैं आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी. दिनेश विजान के इस नए हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स की यह अगली कड़ी है, लेकिन इस बार कहानी सिर्फ डराने की नहीं बल्कि देसी वैम्पायर की दुनिया को हंसी और इमोशन से जोड़ने की है.

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 कहानी: जब पत्रकार बना बेताल

Thamma

फिल्म की कहानी शुरू होती है आलोक गोयल (आयुष्मान खुराना) से, जो एक जुझारू पत्रकार है और हमेशा किसी नई सनसनी की तलाश में रहता है. एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ एक रहस्यमयी जंगल में एडवेंचर के लिए जाता है. वहां उसकी मुलाकात होती है ताड़का (रश्मिका मंदाना) से — एक रहस्यमयी लड़की, जो असल में वैम्पायर कबीले की सदस्य है.

Thamma

इस कबीले का नेतृत्व करता है ‘थामा’ उर्फ यक्षासन (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) — एक ऐसा राक्षस जो सदियों से इंसानों की बलि लेकर जीवित है. ताड़का और उसका कबीला आलोक को पकड़ लेते हैं, लेकिन ताड़का का दिल इंसानियत से भरा है. वह आलोक को बचाकर शहर ले आती है, जहां से शुरू होता है हंसी, डर और रोमांस से भरा एक नया सफर.

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thama

शहर में आलोक की मां (गीता अग्रवाल शर्मा) को ताड़का बहुत संस्कारी बहू लगती है, लेकिन पिता (परेश रावल) का शक कभी खत्म नहीं होता. जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, ताड़का और आलोक के बीच एक अजीब लेकिन प्यारा रिश्ता बनता है. पर जब ताड़का उसे अपनी दुनिया से बचाने के लिए खुद एक बेताल बना देती है, तब शुरू होती है फिल्म की असली कहानी. अब एक पत्रकार, जो कल तक राजमा चावल खाता था, अब खून पीने लगा है — और यहीं से कहानी लेती है दिलचस्प मोड़.

फिल्म का टोन और ट्विस्ट

thama

फिल्म ‘थामा’ हॉरर-कॉमेडी का शानदार कॉम्बिनेशन है. पहले हाफ में कहानी हल्की-फुल्की और फनी है, लेकिन दूसरे हाफ में आते ही कहानी हॉरर और इमोशन का मिश्रण बन जाती है.
क्लाइमेक्स में ऐसा ट्विस्ट है जो आपको चौंका देगा. दर्शक जो सोचते हैं कि आगे क्या होने वाला है — फिल्म उसे पलट देती है. यही इसकी सबसे बड़ी ताकत है.

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Ayushmann Khurrana

लेखक नीरेन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फलारा ने कहानी में देसी मिथकों, लोककथाओं और आधुनिक दुनिया का शानदार मेल किया है. उन्होंने बेताल को केवल खलनायक नहीं, बल्कि एक ऐसी “गलत समझी गई आत्मा” के रूप में पेश किया है, जो डराती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है.

निर्देशन: आदित्य सरपोत्दार का कमाल

After Thama, Aditya Sarpotdar

निर्देशक आदित्य सरपोत्दार, जिन्होंने ‘मुंज्या’ से पहले ही साबित कर दिया था कि उन्हें हॉरर-कॉमेडी की नब्ज़ समझ आती है, इस बार भी निराश नहीं करते. उन्होंने इस बार डर और हास्य के बीच एक परफेक्ट बैलेंस बनाया है.फिल्म के कई दृश्य आपको ‘स्त्री’ और ‘भूल भुलैया’ की याद दिलाते हैं, लेकिन ‘थामा’ की अपनी अलग पहचान है.

 आदित्य सरपोतदार

स्पेशल इफेक्ट्स (VFX) पर भी काफी काम किया गया है. यक्षासन और वैम्पायर वर्ल्ड के सीन्स शानदार लगे हैं — कहीं भी सस्ते ग्राफिक्स का अहसास नहीं होता. बैकग्राउंड स्कोर रोमांच बढ़ाता है और फिल्म के हॉरर सीन में एक झटका छोड़ता है.

संगीत और तकनीकी पहलू

फिल्म का संगीत सचिन-जिगर की जोड़ी ने दिया है, जो कहानी के मूड के साथ मेल खाता है. कुछ गाने मनोरंजक हैं, और एक-दो आइटम नंबर फिल्म को और “मसालेदार” बना देते हैं.एडिटिंग थोड़ी और कसावट मांगती थी, खासकर पहले हाफ में कुछ सीन लंबे खिंचते हैं. लेकिन दूसरे हाफ की गति पूरी फिल्म को संभाल लेती है.

अभिनय: तीनों लीड्स का जादू

Ayushmann Khurrana, Rashmika Mandanna,

आयुष्मान खुराना ने फिर एक बार साबित किया है कि वे एक्सपेरिमेंटल सिनेमा के मास्टर हैं. पत्रकार से वैम्पायर बनने का उनका ट्रांज़िशन बेहद असरदार है. उनकी कॉमिक टाइमिंग और इमोशनल एक्सप्रेशन दोनों बेहतरीन हैं.रश्मिका मंदाना, जिन्हें फैंस ‘नेशनल क्रश’ कहते हैं, ने ताड़का के किरदार में जान डाल दी है. उनका रहस्यमयी आकर्षण, मासूमियत और ताकत — तीनों इस रोल में एक साथ झलकते हैं.वहीं नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने ‘यक्षासन’ के रूप में अपने अभिनय का एक और रूप दिखाया है. डर और मज़ाक दोनों को मिलाने का जो हुनर उनके पास है, वो हर सीन में झलकता है. उनकी हर एंट्री पर तालियां और सीटियां गूंज उठती हैं.

सपोर्टिंग कास्ट में परेश रावल अपने शक्की बाप वाले किरदार में मजेदार हैं, जबकि फैजल मलिक और गीता अग्रवाल शर्मा अपने छोटे लेकिन दमदार रोल्स में जान डाल देते हैं.

क्या है खास?

  • देसी वैम्पायर की नई कहानी

  • जबरदस्त VFX और शानदार सेट डिज़ाइन

  • कॉमेडी, डर और इमोशन का संतुलन

  • आयुष्मान-रश्मिका की जोड़ी

  • नवाजुद्दीन की दमदार परफॉर्मेंस

कमजोर कड़ियां

  • फिल्म का पहला हिस्सा थोड़ा धीमा है

  • कुछ कॉमेडी सीन जरूरत से ज्यादा खिंचते हैं

  • परेश रावल के किरदार को और निखारा जा सकता था

फैसला: देखनी चाहिए या नहीं?

अगर आप इस दिवाली अपने परिवार या दोस्तों के साथ मनोरंजन, हंसी और डर का अनोखा कॉम्बो देखना चाहते हैं, तो ‘थामा’ आपके लिए परफेक्ट फिल्म है.
ये फिल्म पूरी तरह पैसा वसूल, मनोरंजक और ताज़ा कॉन्सेप्ट पर आधारित है.

हॉलीवुड के वैम्पायर ड्रामा से अलग, ‘थामा’ आपको देसी अंदाज़ में बताती है कि बेताल सिर्फ डर का प्रतीक नहीं, बल्कि एक कहानी है इंसान और उसकी गलतियों की.

FAQ

Q1. फिल्म ‘थामा’ किस जॉनर की है?

Ans: ‘थामा’ एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म है, जिसमें डर, हंसी, रोमांस और मिथक — चारों का शानदार मिश्रण है.

Q2. ‘थामा’ फिल्म में मुख्य कलाकार कौन-कौन हैं?
 

Ans: फिल्म के लीड स्टार्स हैं आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना और नवाजुद्दीन सिद्दीकी. इनके साथ परेश रावल, फैजल मलिक और गीता अग्रवाल शर्मा भी अहम भूमिकाओं में हैं.

Q3. ‘थामा’ फिल्म का निर्देशन किसने किया है?

Ans: फिल्म का निर्देशन आदित्य सरपोत्दार ने किया है, जिन्होंने इससे पहले सुपरहिट हॉरर-कॉमेडी ‘मुंज्या’ डायरेक्ट की थी.

Q4. फिल्म ‘थामा’ की कहानी क्या है?

Ans: फिल्म की कहानी आलोक (आयुष्मान खुराना) नामक एक पत्रकार के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एडवेंचर के लिए जंगल जाता है और वहां ताड़का (रश्मिका मंदाना) और थामा (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) से टकरा जाता है. ताड़का एक वैम्पायर कबीले की सदस्य है और थामा उसका सरदार. कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब आलोक खुद एक ‘बेताल’ बन जाता है.

Q5. क्या ‘थामा’ किसी यूनिवर्स का हिस्सा है?

Ans: हां, ‘थामा’ दिनेश विजान के हॉरर-कॉमेडी यूनिवर्स का हिस्सा है, जिसमें स्त्री, भेड़िया, और मुंज्या जैसी फिल्में भी शामिल हैं.

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