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द ग्रेटेस्ट शोमैन राज कपूर केआईकॉनिक डायलॉग जिसने समाज को दिखाया आईना

ताजा खबर: राज कपूर, बॉलीवुड के आधार स्तंभ, ग्रेटेस्ट शोमैनशिप के प्रतीक और यादगार डायलॉग जिसने समाज को एक आकर दिया. राज कपूर को "भारत का शोमैन" कहा जाता है.

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By Sulena Majumdar Arora
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राज कपूर, बॉलीवुड के आधार स्तंभ, ग्रेटेस्ट शोमैनशिप के प्रतीक और उनके यादगार डायलॉग जिसने समाज को एक आकर दिया. जैसा कि दुनिया जानती है राज कपूर, जिन्हें अक्सर "भारत का शोमैन" कहा जाता है, एक अद्भुत बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने बॉलीवुड पर एक अमिट छाप छोड़ी. एक अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में, वे मनोरंजन को सामाजिक विषयों के साथ मिश्रित करने की अपनी अपूर्व क्षमता के लिए जाने जाते रहे हैं .भारतीय सिनेमा की इस महान शख्सियत  को उनके यादगार संवादों के लिए जाना जाता है जो गहरी सामाजिक अंतर्दृष्टि और भावनात्मक सच्चाइयों को दर्शाते हैं.  उनकी फिल्मों में अक्सर ऐसे संवाद होते थे जो दर्शकों को गहराई से छूते थे और आम आदमी के संघर्षों, सपनों, आकांक्षाओं, आक्रोश और भावनाओं को दर्शाते थे. इस लेख में, हम राज कपूर की शानदार फिल्मोग्राफी के कुछ महत्वपूर्ण यादगार और प्रेरक संवादों के बारे में जानेंगे.


14 दिसंबर 1924 को जन्मे राज कपूर महान अभिनेता पृथ्वीराज कपूर के बेटे थे. उन्होंने 1935 की फिल्म "इंकलाब" से अभिनय की शुरुआत की और भारतीय सिनेमा में सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक के रूप में आधारशिला रखी . उनकी फ़िल्में अक्सर प्रेम, बलिदान और सामाजिक न्याय, अन्याय, सिस्टम की अकर्मण्यता, छुआ छूत, अमीरी गरीबी रेखा की गंभीरता के विषयों को दर्शाती थीं, जिसके कारण वे आम दर्शकों के बीच एक प्रिय प्रेरक व्यक्ति और शक्ति बन गए. कपूर की अनूठी शैली और उनके करिश्मा ने उनके पात्रों में जान डाल दी और उनके संवाद 1945 से आज तक, वर्षों वर्षों में में प्रतिष्ठित बन गए.  बस यहीं तो हमारे नये समाज का कमाल है.जो चोर हो, दूसरों की जेब काटते हैं, पब्लिक की आंखों में धूल डालते हैं, मेरे जैसा फर्स्ट क्लास सूट पैंट पहनते हैं...उन्हें हम शरीफ समझते हैं. और जो इमानदारी से, मेहनत मजदूर करके पेट पालते हैं, फटे पुराने कपड़े पहनते हैं...उन्हें चोर आवारा समझकर धर लिया जाता है.''

फ़िल्म "आवारा" (1951)


इस दृश्य में, कपूर का किरदार राजू, रीता (नरगिस) से समाज की विकृत धारणाओं के बारे में बात करता है, जहां अच्छे कपड़े पहनने वाले अपराधियों का सम्मान किया जाता है जबकि ईमानदार, गरीब श्रमिकों को गलत आंका जाता है. "शरीफों की औलाद हमेशा शरीफ होती है और चोर डाकू की औलाद हमेशा चोर डाकू होती है, अब मैं देखूँगा इस वकील की औलाद क्या होती है?"

फ़िल्म" आवारा ' (1951)  

raj kapoor awaara Tales of my share in Rasarang | रसरंग में मेरे हिस्से के  क़िस्से: आवारा: किसी और के लिए लिखी कहानी को राज कपूर ने बड़ी तरकीब से किया  था

इस संवाद के द्वारा राज कपूर ने यह बताने की कोशिश की की हमेशा ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि शरीफ की औलाद शरीफ ही होगी और बदमाश की औलाद बदमाशी होगी क्योकि उनकी परिस्थिति ही इंसान को सही या गलत दिशा में चलने पर मजबूर करती है. " जो एक बार अपराधी बन जाए वह फिर कभी शरीफ नहीं बन सकता चाहे कितना भी भेष क्यों ना बदले." फ़िल्म आवारा ' (1951) इस डायलॉग के साथ राज कपूर ने समाज में फैली उस सोच को रेखांकित किया है जो शराफत के मुखौटे को ओढकर बदमाशों की पोल खोलती है."इंपोर्ट एक्सपोर्ट का मतलब है इधर का माल उधर और उधर कमल इधर" फ़िल्म आवारा (1951) इसमें राज कपूर ने समाज में सफेद पोशों द्वारा शराफत से चला रहे काले धंधे पर उंगली उठाई थी. "दुनिया में एक चीज़ शेर-ए-बब्बर से भी ज़्यादा ख़तरनाक और डरावनी है...और वो है ग़रीबी और भूख."  

फ़िल्म 'मेरा नाम जोकर' (1970)

51 Years Of Mera Naam Joker: राज कपूर ये फिल्म बनाकर सदमे में चले गए थे,  पढ़िए 10 दिलचस्प किस्से - raj kapoor mega film mera naam joker turns 51  today pr - News18 हिंदी

यह संवाद आम लोगों द्वारा सामना की गई जीवन की कठोर वास्तविकताओं को दर्शाता है. 'मेरा नाम जोकर' में कपूर एक विदूषक की भूमिका निभाते हैं जो अपने दुखों से जूझते हुए दूसरों को खुशी देता है. यह पंक्ति गरीबी और भुखमरी के खतरों पर प्रकाश डालती है और इस बात पर जोर देती है कि ये मुद्दे किसी भी जंगली जानवर के हमले से भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं. यह समाज में अनगिनत व्यक्तियों द्वारा सामना किए गए संघर्षों की एक शक्तिशाली रिमाइंडर के रूप में कार्य करता है.

जब राज कपूर को हुआ अपनी टीचर से प्यार, मेरा नाम जोकर में दिखा वो सीन - raj  kapoor mera naam joker scene of simi and rishi was inspired from actors real

"खा गई ना आप भी कपड़ों से धोखा.. अगर आज मैं बढ़िया सूट पहने शानदार गाड़ी में बैठकर यहां आता तो शायद आप मुझे बदतमीज जाहिल गंवार ना कहती. इसमें आपका कोई दोष नहीं देवी जी जिस दुनिया में आप रहती हैं उसमें इंसान के दिल और दिमाग की नहीं उसके कपड़ों की इज्जत होती है. कीमती सूट सिल्क की कमीज़े और जॉर्जेट की साड़ियों की इज्जत होती है, यही तो दुख है आज गरीब भी गरीब को नहीं पहचानता."  

फ़िल्म: श्री 420 (1955)

Shree 420 (1955) - IMDb

श्री 420 में, राज कपूर ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया है जो आंखों में सपनों के संजो कर शहर आता है लेकिन जल्द ही उसे शहरी जीवन की कड़वी सच्चाइयों का एहसास होता है. यह संवाद दिखावे के आधार पर सामाजिक निर्णयों के बारे में बहुत कुछ बताता है. यह इस धारणा को चुनौती देता है कि किसी का मूल्य उसके कपड़ों या बाहरी दिखावे से निर्धारित नहीं होता है. वे लोगों उसके सतही निर्णयों से परे देखने और सच्चे चरित्र को पहचानने का आग्रह करता है. "हम तो दिल के सौदागर हैं जी , दिल खरीदते हैं, दिल बेचते हैं." 

फ़िल्म: संगम (1964)

Shree 420 (1955) - IMDb

संगम की यह पंक्ति प्यार और रिश्तों के सार को खूबसूरती से दर्शाती है. राज कपूर का चरित्र दर्शाता है कि वह धन दौलत के नहीं बल्कि दिलों के व्यापारी हैं, उन्हे सिर्फ दिल से लेना देना है. वे भौतिक धन के बजाय भावनाओं का व्यापार करते हैं. यह संवाद ऐसे किसी भी व्यक्ति के साथ मेल खाता है जिसने धन दौलत, खूबसूरती के विरुद प्रेम की जटिलताओं का अनुभव किया है और हमें याद दिलाता है कि भावनात्मक संबंध खूबसूरती या भौतिक संपत्ति से कहीं अधिक मूल्यवान हैं. "दुनिया कितनी छोटी है, लेकिन दो आदमियों के बीच का फासले कितने लम्बे हो सकते हैं, कितने भयानक और कितने काले."  

फ़िल्म: 'छलिया' (1960)

Chhalia (1960) - IMDb

छलिया में राज कपूर का किरदार लोगों के बीच मौजूद भावनात्मक दूरियों को दर्शाता है. यह संवाद मार्मिक ढंग से दर्शाता है कि हालाँकि दुनिया छोटी लग सकती है, गलतफहमियाँ और भावनात्मक बाधाएँ व्यक्तियों के बीच बड़ी खाई पैदा कर सकती हैं. यह संचार और समझ के माध्यम से इन अंतरालों को पाटने के लिए एक रिमाइंडर के रूप में कार्य करता है. "अच्छाई की कोई सीमा नहीं होती...और बुराई का कोई अंत नहीं."  

फ़िल्म: धरम करम (1975)

Dharam Karam Cast List | Dharam Karam Movie Star Cast | Release Date |  Movie Trailer | Review- Bollywood Hungama

अपने बेटे रणधीर कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म में, राज कपूर अच्छे और बुरे की असीमित प्रकृति के बारे में यह दार्शनिक पंक्ति प्रस्तुत करते हैं.धरम करम का यह गहरा कथन दुनिया में बुराई की अंतहीन उपस्थिति और उसके विपरीत अच्छाई की असीमित प्रकृति पर प्रकाश डालता है. राज कपूर का चरित्र इस बात पर जोर देता है कि अच्छे काम सीमाओं से परे हो सकते हैं, लेकिन बुराई अक्सर समाधान के बिना बनी ही रहती है. यह संवाद दर्शकों को जीवन की चुनौतियों के बावजूद अच्छाई के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करता रहता है. "जिंदगी में कुछ भी करने से पहले सोचना चाहिए...क्योंकि एक बार जो कदम उठा लिया तो फिर पीछे नहीं देखना."  

फ़िल्म: बॉबी (1973)

Bobby

बॉबी के इस संवाद में राज कपूर नई पीढ़ी को जीवन में सोच-समझकर निर्णय लेने के महत्व के बारे में संदेश देते हैं. वह सुझाव देते हैं कि एक बार निर्णय लेने के बाद, पीछे मुड़कर नहीं देखा जा सकता, इसमें किसी की पसंद के लिए जवाबदेही पर जोर दिया जाता है. यह ज्ञान जीवन के महत्वपूर्ण निर्णयों का सामना करने वाले किसी भी व्यक्ति पर लागू होता है. "जब तक है जान, तब तक है जान...प्यार करने से मत डरो."  

फ़िल्म: जिस देश में गंगा बहती है (1960)

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यह रोमांटिक लाइन लोगों को आखिरी सांस तक निडर और जुनून से प्यार करने के लिए प्रोत्साहित करती है. यह प्रेम की शक्ति में एक चिरस्थायी शक्ति के रूप में राज कपूर के विश्वास को दर्शाता है जो सभी बाधाओं को पार करती है. "अगर तुम्हारा दिल साफ है तो तुम्हें किसी से डरना ज़रूरी नहीं."  

फ़िल्म: मेरा नाम जोकर (1970)

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यह संवाद इस विचार को पुष्ट करता है कि हृदय की पवित्रता जीवन में भय और नकारात्मकता के खिलाफ एक ढाल है. यह व्यक्तियों को अपने कार्यों में सत्यनिष्ठा और साहस बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है. "मेरे मन में एक बात आई है. शिवजी की कृपा हुई तो एक दिन फूल सरीखा छोटा सा लल्ला होगा मेरा, कम्मो जी और उसका नाम मैं रखूंगा श्री गंगा प्रसाद, कम्मोजी, क्या आप मेरे उस लल्ले की मां बनेंगी?"

जिस देश में गंगा बहती' (1960) 

Jis Desh Men Ganga Behti Hai (1960) - Awards - IMDb

यह संवाद एक आकर्षक दृश्य से है जहां कपूर का किरदार राजू अपने अनोखे मासूम अंदाज में पद्मिनी द्वारा अभिनीत कम्मो को प्रपोज करता है. " रोशनी चांद से होती है सितारों से नहीं', दोस्ती एक से होती है हजारों से नहीं."

फ़िल्म 'गोपीचंद जासूस' (1982)

Gopichand Jasoos (1982) - IMDb
ये संवाद न केवल राज कपूर की कलात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि प्रेम, कठिनाई और मानवता के मर्म वाले विषयों के साथ मेल खाता है , जो उन्हें भारतीय सिनेमा में कालजयी क्लासिक बनाते हैं. ये संवाद न केवल कपूर की कलात्मक प्रतिभा को प्रदर्शित करते हैं बल्कि प्रेम, कठिनाई और मानवता के सार्वभौमिक विषयों को भी दर्शाते हैं. "दुश्मनी को खरीदने कहीं जाना नहीं पड़ता और दोस्ती किसी भी कीमत पर नहीं मिलती."

फ़िल्म कल आज और कल (1971)

Raj Kapoor

Kal Aaj Aur Kal (1971) - The Hindu

बेटे रणधीर कपूर द्वारा निर्देशित बहु-पीढ़ी वाली फिल्म में, राज कपूर दुश्मन बनाने की आसानी बनाम सच्ची दोस्ती की अमूल्यता पर अन्तर दृष्टि प्रदान करते हैं. भारतीय सिनेमा में राज कपूर की विरासत इन संवादों से परे फैली हुई है, लेकिन वे उनकी कला के माध्यम से गहन संदेश देने की उनकी क्षमता के प्रमाण के रूप में काम करते हैं. उनका प्रभाव भारतीय फिल्म उद्योग में फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं को प्रेरित करता रहा है.

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