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ताजा खबर: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस विशेष अनुमति याचिका (SLP) को खारिज कर दिया, जिसमें केरल हाई कोर्ट (kerala high court) के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत लेखिका अरुंधति रॉय की किताब (Arundhati Roy book cover controversy) Mother Mary Comes to Me के कवर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया गया था. याचिका में आरोप लगाया गया था कि किताब के कवर पर सिगरेट पीते हुए लेखिका की तस्वीर तंबाकू विज्ञापन से जुड़े कानूनों का उल्लंघन करती है.मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि उन्हें 13 अक्टूबर को दिए गए केरल हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता. पीठ ने साफ तौर पर कहा कि यह मामला तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन की श्रेणी में नहीं आता.
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अरुंधति रॉय की सिगरेट पीते हुए तस्वीर (Arundhati Roy smoking photo)
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याचिकाकर्ता राजसिंहन, जो पेशे से वकील हैं, ने दलील दी थी कि किताब (arundhati roy book)के कवर पर अरुंधति रॉय की सिगरेट पीते हुए तस्वीर सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन निषेध और व्यापार वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण विनियमन) अधिनियम, 2003 का उल्लंघन है. उन्होंने केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केरल सरकार को निर्देश देने की मांग की थी कि किताब की बिक्री, प्रसार और प्रदर्शन पर रोक लगाई जाए. साथ ही उन्होंने प्रकाशक पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया को किताब की सभी प्रतियां वापस लेने का आदेश देने की भी मांग की थी.
न्यायाधीश सूर्य कांत ने कही ये बात ( Supreme Court )
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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत ने कहा कि किताब पर एक डिस्क्लेमर मौजूद है. उन्होंने यह भी कहा कि अरुंधति रॉय (arundhati roy writer) एक प्रतिष्ठित लेखिका हैं, जिन्होंने साहित्य की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है, और प्रकाशक भी एक नामी संस्था है. “उन्हें किसी विज्ञापन की मदद की जरूरत नहीं है,” कोर्ट ने टिप्पणी की.
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सीजेआई कांत ने स्पष्ट किया कि किताब किसी भी तरह से धूम्रपान को बढ़ावा नहीं देती. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह याचिका सिर्फ प्रचार पाने के लिए दायर की गई है. “अनावश्यक प्रचार क्यों?” उन्होंने कहा. कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि न तो किताब, न उसका प्रकाशक और न ही लेखिका का तंबाकू या सिगरेट के विज्ञापन से कोई लेना-देना है. “यह कोई विज्ञापन नहीं है. आप लेखिका के विचारों से असहमत हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इस तरह का मामला बनता है,” पीठ ने कहा.
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फ्रंट कवर पर लिखी है ये बात
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याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन. गोपालकृष्णन नायर ने दलील दी कि डिस्क्लेमर किताब के पिछले पन्ने पर बहुत छोटे अक्षरों में है. उन्होंने कहा कि फ्रंट कवर पर ‘धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है’ या ‘तंबाकू कैंसर का कारण बनता है’ जैसी वैधानिक चेतावनी होनी चाहिए थी. इसके बजाय कवर पर लेखिका को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया है, और यह स्पष्ट नहीं है कि वह तंबाकू पी रही हैं या कुछ और.
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इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसा नहीं है कि किताब के कवर को बड़े-बड़े होर्डिंग्स के जरिए प्रचारित किया जा रहा हो. किताब खरीदने वाले लोग उसे लेखक और उसकी सामग्री की वजह से खरीदते हैं, न कि तस्वीर की वजह से. “शहर में कहीं किताब की तस्वीर वाले होर्डिंग नहीं लगे हैं. यह उन लोगों के लिए है जो किताब पढ़ना चाहते हैं. तस्वीर किसी तरह का गलत संदेश नहीं देती,” कोर्ट ने कहा.
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FAQ
Q1. अरुंधति रॉय की किस किताब को लेकर विवाद हुआ?
Ans: अरुंधति रॉय की किताब Mother Mary Comes to Me के कवर को लेकर विवाद हुआ.
Q2. विवाद की मुख्य वजह क्या थी?
Ans: किताब के कवर पर अरुंधति रॉय की सिगरेट पीते हुए तस्वीर को तंबाकू विज्ञापन कानूनों का उल्लंघन बताया गया था.
Q3. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक कैसे पहुंचा?
Ans: केरल हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद इस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की गई थी.
Q4. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर क्या फैसला सुनाया?
Ans: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि किताब का कवर कोई विज्ञापन नहीं है.
Q5. सुप्रीम कोर्ट की पीठ में कौन शामिल था?
Ans: इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने की.
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