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निर्माताः प्रदीप रंगनाथन, भावना तलवार, सृष्टि बहल और मधु मंटेना
लेखकः प्रदीप रंगनाथन, स्नेहा देसाई और सिद्धांत मागो
निर्देशकः अद्वैत चंदन
कलाकारः जुनैद खान, खुशी कपूर, आशुतोष राणा, तनविका पार्लीकर, किकू शारदा और ग्रुशा कपूर
अवधि: दो घंटे 18 मिनट
इन दिनों बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी मोबाइल के गुलाम बने हुए हैं. हर इंसान के मोबाइल में ढेर सारे डाटा व एैप मिल जाएंगे. मोबाइल में कैद जानकारी किस तरह रिश्ते बिगाड़ सकती है, इसी पर अद्वैत चंदन र्माडर्न रौम कॉम फिल्म "लवयापा" लेकर आए हैं, जो कि 2022 में रिलीज हुई तमिल फिल्म "लव टुडे" की हिंदी रीमेक हैं. इस फिल्म में आमीर खान के बेटे जुनैद खान के साथ श्रीदेवी व बोनी कपूर की बेटी ख़ुशी कपूर की जोडी है. अफसोस की बात यह है कि यह फिल्म मनोरंजन के नाम पर खरी नही उतरती और यह फिल्म कहीं न कहीं यूथ का अपमान भी करती है. इसमें महत्वपूर्ण चीजों को ढेर सारी तुच्छता के साथ लपेट दिया गया है.
स्टोरी:
फिल्म की कहानी के केंद्र में गौरव सचदेवा (जुनैद खान) और बानी शर्मा (ख़ुशी कपूर) है. दोनो एक दूसरे को बानी बू और गुच्ची बू के नाम से बुलाते है. दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं. बानी के पिता अतुल कुमार शर्मा (आशुतोष राणा) से खुद बानी और उनकी छोटो बहन डरती है. बानी, गुच्ची से उपहार में मिला मोबाइल फोन मॉल में हुए कंपटीशन में जीता हुआ बताती है, पर उनके पिता समझ जाते हैं कि वह झूठ बोल रही है. वह सितार अच्छा बजाते हैं. साथ में शुद्ध हिंदी में बातें करते है. गौरव, बानी के पिता से मिलने जाता है तो एक सभ्य परिवार का लड़का होने की तरह व्यवहार करता है, मगर बानी के पिता एक शर्त रख देते हैं कि दोनों अपने अपने मोबाइल फोन एक दूसरे को 24 घंटे के लिए दे दें. फफरेन की अदला बदली होते ही गड़बड़ झाला हो जाता है. बानी के फोन से गौरव को पता चलता है कि वह इससे पहले किन लड़कों से किस तरह की चैट करती रही है, किनके साथ उसका लव अफेयर रहा है. किस लड़के साथ वह मसूरी जा चुकी है. वगैरह वगेरह तो वहीं बानी को पता चलता है कि गौरव किस तरह की नीची हरकते करता रहा है. इनकी कहानी के साथ ही गौरव की बहन किरण (तनविका पार्लिकर) और उसके मंगेतर अनुपम (कीकू शारदा) की है. किरण कहती है कि वह अपने मंगेतर का मेाबाइल चक करे, पर वह अपना फोन सुरक्षित रखता है. जिसकी वजह भी सामने आती है.
रिव्यूः
'सीक्रेट सुपरस्टार', 'लाल सिंह चड्ढा' के बाद अद्वैत चंदन की बतौर निर्देशक 'लवयापा' तीसरी फिल्म है. अब तक उनकी हर फिल्म का निर्माण आमीर खान ही करते आए हैं और अद्वैत चंदन निराश करते आए हैं. फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' इतनी बुरी तरह से असफल हुई थी कि आमीर खान ने कुछ दिनों के लिए अभिनय से दूरी बना ली थी. फिल्हलाल वह एक साथ कई फिल्में बना रहे हैं. 'लवयापा' में भी अद्वैत चंदन ने सियापा ही कर डाला. निर्देशक अद्वैत चंदन की इस बात के लिए तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होने अपनी फिल्म 'लवयापा' में यह दिखाने का साहस किया कि 'लड़का' और 'लड़की' दोनों के फोन में रहस्य छिपे होते हैं, जो कि उनके बीच के रिश्तों को उथल पुथल कर सकते हैं. लेकिन मोबाइल में मौजूद रहस्यो की बात करते करते फिल्मकार बॉडी-शेमिंग, डीपफेक और विशाक्त मर्दानगी जैसे अति महत्वपूर्ण मुद्दों को बहुत ही तुच्छता के साथ पेश करते है, जो कि बहुत अजीब सा लगता है. फिल्मकार अद्वैत चंदन ने जेन जेड की छीछालेदर की है, मगर क्या उन्हे नहीं पता कि तमाम बुजुर्ग के मोबाइल में पोर्न क्लिप मौजूद होती हैं, जिन्हे वह अपने व्हाट्सअप ग्रुप में शेअर करते रहते हैं. स्कूल व कालेज में पढ़ाई के दौरान लड़के व लड़कियां अनजाने व नासमझी में अपने दोस्तों के साथ मस्ती में कई कारनामे ऐसे करते रहते हैं, जिन्हें उचित नही ठहराया जा सकता. लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आप रिश्तों की बलि चढ़ा दें... फिल्म इस संबंध में चुप्पी साध जाती है. ओटीटी पर रिलीज हो चुकी जुनैद खान की फिल्म 'महाराज' से जुड़ी रही स्नेहा देसाई ने फिल्म 'लवयापा' की पटकथा लिखने की जिम्मेदारी संभाली है, जिसके दोनों मुख्य किरदारों से शायद ही असल जिंदगी में उनका कभी वास्ता पड़ा हो. लगभग पचास साल की उम्र की स्नेहा देसाई कई टीवी सीरियल व 'लापता लेडीज' सहित कई फिल्में लिख चुकी हैं. लेकिन 'लवयापा' के किरदारों को ठीक से नही लिख पायी. मोबाइल के युग में घर के दरवाजे या मुख्य दीवार पर नाम के साथ शैक्षणिक योग्यता का प्रचार करना मूर्खता ही लगता है और वह भी हीरोईन का ऐसा पिता जो कि सितार बजाने से लेकर मोबाइल की तकनीक में माहिर है, भले ही वह अतिशुध हिंदी में बातचीत करते हों. जेन जेड की पीढ़ी का प्यार काफी हाउस से शुरू और काफी हाउस में ही खत्म हो जाता है, उनके प्रेम में विलेन के तौर पर समाज नहीं बल्कि उनकी अपनी वैयक्तिक बाते व सोच है, ऐसे में मोबाइल में मौजूद चैट की महत्ता कहां रही? इतना ही नही लेखकों व निर्देशक को तो यह भी पता नही कि हर रिश्ते में अंततः समाज आता ही है. दूसरी बात क्या आज की युवा पीढ़ी इतनी मूर्ख है कि वह पूर्व प्रेमी को साथ लेकर वर्तमान प्रेमी से मिलेगी? फिल्म में बॉडी शेमिंग का भी मुद्दा उठाया गया है, जिस पर अतीत में कई फिल्में बन चुकी हैं. अभी कुछ समय पहले ही सोनाक्षी सिन्हा की भी इस सब्जेक्ट पर फिल्म आयी थी. सिनेमैटोग्राफी, संपादन, संवाद, संगीत सब दोयम दर्जे का है.
एक्टिंगः
जुनैद खान के अभिनय में धार की कमी है. इस फिल्म से बेहतर व 'महाराज' में नजर आए थे. ख़ुशी कपूर के साथ उनकी केमिस्ट्री में भी दम नजर नही आता. ख़ुशी कपूर तो अभिनय के लिए तैयार ही नही है. अनुपम के किरदार किकू शारदा का अभिनय जरुर लाोगों के दिल में जगह बना लेता है. आशुतोष राणा, ग्रुशा कपूर, तनाविका पार्लीकर का अभिनय ठीक है.
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