वह देव साहब का ऑफिस था या महल?- अली पीटर जॉन
जब से मैंने नवंबर की सुबह अपना पैर कुचला है, मुझे अपनी विभिन्न स्थानों पर भटकने, घूमने और आवारागर्दी करने पर रोक लगानी पड़ी! मैं ऐसे लोगों से नहीं मिल पा रहा था, जो सौभाग्य से हमेशा मेरा स्वागत करने के इच्छुक थे! हर मंगलवार को कुछ समय देव आनंद के साथ पहले
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