एंटरटेनमेंट दिलीप साहब तो कब के गुज़र गए थे, अब तो बस युसूफ खान का जिस्म चला गया मैं द ट्रेजेडी किंग दिलीप साहब को पर्सनली तो नहीं जानता था। न ही मैं उनसे कभी मिल सका, न कोई ख़त लिखा कभी और न ही किसी तरह का कोई संवाद नसीब हुआ। मैं दिलीप साहब को बस पर्दे तक जानता था। मैं उनकी फिल्में देखता था।मेरी तरह करोड़ों लोगों की उनसे वाकफियत, यानी By Siddharth Arora 'Sahar' 07 Jul 2021 शेयर Twitter शेयर Whatsapp LinkedIn